डीआरडीओ के यंग साइंटिस्ट अवार्ड का विजेता निशांत अग्रवाल करता था पाकिस्तानी आईएसआई के लिए जासूसी, सोमवार को हुई ब्रह्मोस के इंजीनियर को उम्र कैद की सजा!

डीआरडीओ के यंग साइंटिस्ट अवार्ड का विजेता निशांत अग्रवाल करता था पाकिस्तानी आईएसआई के लिए जासूसी, सोमवार को हुई ब्रह्मोस के इंजीनियर को उम्र कैद की सजा!

Engineer Became Pakistan Spy: भारतीय ब्रह्मोस एयरोस्पेस में इंजीनियर रहे निशांत कामत के बारे में उसके साथियों ने कभी नहीं सोचा था कि वह पाकिस्तान का जासूस निकलेगा। अदालत ने उसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसू करने के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई है। पुलिस को उसके लैपटॉप से कई खुफिया और संवेदनशील दस्तावेज भी मिले थे। साथ ही एक संदिग्ध सॉफ्टवेयर भी मिला था।

Life Imprisonment To Nishant Agarwal For Spying For Pakistan : नागपुर की एक अदालत ने सोमवार को ब्रह्मोस के पूर्व एयरोस्पेस इंजीनियर निशांत अग्रवाल को उम्रकैद की सजा सुनाई। अग्रवाल को यह सजा पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने के अपराध में सुनाई गई है। उसे साल 2018 में आईएसआई को ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में जानकारियां लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल पर काम करने वाली ब्रह्मोस एयरोस्पेस में सीनियर सिस्टम इंजीनियर था। इस मिसाइल को जमीन, धरती, समुद्र और पानी के नीचे से भी लॉन्च किया जा सकता है। अदालत ने उस पर 3000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

अग्रवाल को क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के सेक्शन 235 के तहत दोषी करार दिया!

एडिशनल सेशंस कोर्ट जज एमवी देशपांडे ने फैसले में कहा कि अग्रवाल को क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के सेक्शन 235 के तहत दोषी करार दिया गया है। उसने ऐसा अपराध किया है जो आईटी एक्ट के सेक्शन 66 (एफ) और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय है। बता दें कि अग्रवाल को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने बीते अप्रैल में जमानत दे दी थी। जब यह मामला सामने आया था तब इसने काफी हलचल मचा दी थी क्योंकि यह पहला ऐसा जासूसी का स्कैंडल था जिसने ब्रह्मोस एयरोस्पेस को निशाना बनाया गया था। अग्रवाल 2 फेसबुक अकाउंट्स के जरिए संदिग्ध पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव्स के संपर्क में था। ये फेसबुक अकाउंट नेहा शर्मा और पूजा रंजन के नाम के थे।

डीआरडीओ के यंग साइंटिस्ट अवार्ड का विजेता था निशांत!

दोनों अकाउंट इस्लामाबाद में बनाए गए थे। माना जा रहा है कि दोनों अकाउंट्स को पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव्स चला रहे थे। निशांत अग्रवाल डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ की ओर से दिए जाने वाले यंग साइंटिस्ट अवार्ड का विजेता था। इस कारण से उसके साथियों को जब सच्चाई का पता चला तो पहले वह यकीन ही नहीं कर पाए। उसे एक शानदार इंजीनियर के रूप में देखा जाता था जिसने प्रतिष्ठित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कुरुक्षेत्रक से पढ़ाई की थी। मामले की जांच करने वाले पुलिस कर्मियों ने बताया कि निशांत ने इंटरनेट पर अपनी कैजुअल अप्रोच से खुद को एक ईजी टारगेट बना दिया था। लेकिन जिस प्रोजेक्ट पर वह काम कर रहा था वह बहुत ही संवेदनशील था।

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