महाराष्ट्र में 57 महलो में से 56 महल गोंडो के थे आबू फजल ने 1500 AD में वर्णन किया मगर महाराष्ट्र के अब 40% महल 1700 AD में शाशन करने वाले मराठो के नाम है, जो कभी गोंड राजाओ के पुजारी या देशमुख, दीवान, पांडेय, पटेल, मुकद्दम हुआ करते थे आज वो क्षत्रिय है 😂 जबकी बहुत से महलो के नाम गोंड नाम से शुरू होते है, य़ा खत्म होते है, य़ा फिर उन महलो में गोंड राज्य चिन्ह हाथी सवार सिंह मिलता है, फिर देश आजाद हुआ तो इन्होने मराठो का प्रचार प्रसार इतना किया के महाराष्ट्र में 800 वर्ष तक शाशन करने वाले और समाज व्यवस्था देने वाले गोंड राज्य को भुला दिया गया खेरला का क़िला किसने बनवाया ये ठीक ठीक ज्ञात नहीं है लेकिन इतिहासकारों ने एक गोंड राजा इल का वर्णन किया है जिसका शासन बेतुल से अमरवती तक फैला था । 15 वीं शताब्दी में यह गढ़ा मंडला के गोंड राजा संग्राम शाह के अधीन रहा ऐसे अंग्रेज़ इतिहास कारों का मानना है । इस क़िले के बारे में अबुल फ़जल ने आइने अकबरी में लिखा है कि “ यहाँ के सभी निवासी गोंड हैं "। आइने अकबरी में देवगढ़ सरकार के वर्णन में अबुल फ़ज़ल ने 57 महलों में से 56 महलों के ज़मींदार गोंड बताए हैं, और भी लिखा है कि खेरला मैदान में एक मज़बूत क़िला है .... इसके पूर्व में जाटवा नामक गोंड ज़मींदार रहता है जिसके पास 2000 घुड़सवार, 50000 पैदल सेना और 100 से ज़्यादा हाथी हैं। एक जगह पर अबुल फ़ज़ल लिखता है कि खेरला सरकार के 22 परगने जाटवा और कुछ अन्य ज़मींदारों के पास थे जिनसे मिलने वाला राजस्व सरकारी खातों में नहीं जमा होता है। प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो सुरेश मिश्रा के अनुसार जाटवा का शासन काल 1580 ईसवी से 1620 ईसवी तक रहा। जाटवा के बेटे दलशाह ने यहाँ 14 साल फिर कोकशाह ने 1634 ईसवी से लेकर 1640 ईसवी तक ( मृत्यु तक ) शासन किया। कोकशाह की मृत्यु के बाद उसका बेटा केशरी शाह 1640 ईसवी में देवगढ़ की गद्दी पर बैठा और खेरला का नियंत्रण 1660 ईसवी तक किया। History source- maharastra gajetiyar chandrapur district #gondkingdom #GondWana #history #maharastra
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