छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार के मंत्रिमंडल ने सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है.
उम्मीद की जा रही है कि 1-2 दिसंबर को आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र में इसे पेश किया जाएगा. विधानसभा से मंज़ूरी के बाद राज्य में आरक्षण की नई व्यवस्था बहाल हो जाएगी. इस विधेयक में आदिवासी समाज को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग को 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. हालांकि संवैधानिक मामलों के जानकार मान कर चल रहे हैं कि विधानसभा से मंज़ूरी के बाद भी, आरक्षण का ये मामला अदालत में पहुंचेगा. ऐसे में संभव है कि राज्य में फिर से आरक्षण का मामला लटक जाए. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ देश का अकेला ऐसा राज्य है, जहां पिछले दो महीने से लोक सेवाओं और शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण का नियम और रोस्टर ही लागू नहीं है. राज्य सरकार ने तीन साल पहले पूरे देश में सर्वाधिक 82 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू करने की घोषणा की थी. लेकिन इसके लागू होने से पहले ही छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इस व्यवस्था पर रोक लगा दी. इसके बाद इस साल 19 सितंबर को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा पुरानी आरक्षण व्यवस्था को भी ‘असंवैधानिक’ बता कर रद्द कर दिया गया था. इस आरक्षण व्यवस्था में अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 12 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान था. लेकिन राज्य में इस आरक्षण व्यवस्था के रद्द होने के कारण हज़ारों की संख्या में भर्ती और प्रवेश परीक्षाएं प्रभावित हुई हैं. इसे लेकर राज्य भर में पिछले सितंबर से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. #suradailynews
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