"मैंने कोई क्राइम नहीं किया है और अगर किया भी है तो मैं उसके लिए माफी मांग रहा हूं लेकिन मुझे एक बात बता दी जाए जो लोग मुर्गा काटते हैं, बकरा काटते हैं, गाय काटते हैं उन्हें सजा कब मिलेगी…और मेरे घर में चूहे ने जो नुकसान किया है उसकी भरपाई कौन करेगा। इस समाज में बस एक गरीब को फंसाया जा सकता है।" ये गुस्सा है उस युवक मनोज का…जिसके खिलाफ चूहा मारने का मुकदमा दर्ज हुआ है। किसी चूहे को मारने के लिए देश का संभवत: यह पहला मुकदमा होगा। मनोज पिछले चार दिनों से थाने के चक्कर काट रहा है। पहले उसे आठ घंटे तक हिरासत में रखा गया फिर उस पर केस दर्ज हुआ। अब जमानत कराकर मनोज बाहर है। मामला बदायूं के मोहल्ला पनवड़िया का है। पुलिस का कहना है कि इस मामले में क्रूरता की सारी हदें पार हो गईं। चूहे की हत्या पर FIR, आरोपी का सवाल:बकरा-मुर्गा काटने पर भी केस हो, बाजार में चूहा मार दवाई भी तो खुलेआम बिक रही "मैंने कोई क्राइम नहीं किया है और अगर किया भी है तो मैं उसके लिए माफी मांग रहा हूं लेकिन मुझे एक बात बता दी जाए जो लोग मुर्गा काटते हैं, बकरा काटते हैं, गाय काटते हैं उन्हें सजा कब मिलेगी…और मेरे घर में चूहे ने जो नुकसान किया है उसकी भरपाई कौन करेगा। इस समाज में बस एक गरीब को फंसाया जा सकता है।" ये गुस्सा है उस युवक मनोज का…जिसके खिलाफ चूहा मारने का मुकदमा दर्ज हुआ है। किसी चूहे को मारने के लिए देश का संभवत: यह पहला मुकदमा होगा। मनोज पिछले चार दिनों से थाने के चक्कर काट रहा है। पहले उसे आठ घंटे तक हिरासत में रखा गया फिर उस पर केस दर्ज हुआ। अब जमानत कराकर मनोज बाहर है। मामला बदायूं के मोहल्ला पनवड़िया का है। पुलिस का कहना है कि इस मामले में क्रूरता की सारी हदें पार हो गईं।
पहले पढ़िए चूहे का पूरा मामला कैसे और कहां से शुरू होता है..
24 नवंबर को एक मनोज नाम के युवक ने एक चूहे की पूंछ में पत्थर बांधकर उसको नाले में फेंक दिया था। ये घटना एक पशु प्रेमी विकेंद्र ने देख ली थी। विक्रेंद्र ने नाले में कूदकर उस चूहे को बाहर भी निकाला था। फिर उसका वीडियो भी बना लिया। मामले में विकेंद्र ने मनोज के खिलाफ शिकायत की। इसके बाद पुलिस ने मनोज को थाने बुलाया। 7-8 घंटे हिरासत में रखने के बाद उसको छोड़ दिया था पशु प्रेमी ने बरेली में चूहे की बॉडी पोस्टमार्टम के लिए भिजवाई। हालांकि, दबाव बनने पर मनोज के खिलाफ पशु क्रूरता का केस 28 नवंबर को दर्ज हुआ है। यानी चूहे की हत्या पर FIR में 4 दिन तक मंथन चला। अभी मनोज जमानत पर बाहर है।
अब पढ़िए मनोज की मजबूरी की कहानी, बोला- मुझे फंसाया जा रहा..
चूहे की हत्या, मनोज पर केस और FIR की दौड़ के बीच भास्कर की टीम मनोज के परिवार से मिलने पहुंची। मनोज का घर एक नाले के बगल में है। उसके घर के आस-पास 5-6 घर और बने हुए हैं। वहां पर सभी परिवार मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते हैं। ये लोग बहुत गरीब हैं। मनोज का घर 1 चबूतरे और कमरे के बाद खत्म हो जाता है। पीछे थोड़ी जगह है जहां पर खपरैल पड़ा हुआ है। घर ईंट का बना हुआ है। अंदर फर्श कच्ची है। परिवार में मनोज के मां-बाप, पत्नी और 3 लड़कियां हैं। पूरा परिवार इसी घर में गुजर बसर करता है। बच्चियों को छोड़कर पूरा परिवार मिट्टी के बर्तन बनाता है। घर के बाहर पड़े पलंग पर मनोज बैठे हुए थे। अपना परिचय देने के बाद हमने उनसे बात करनी शुरू की। मनोज ने नाराजगी भरे लहजे में कहा, "हम लोग रात भर जागते हैं, अपने बर्तनों की सुरक्षा करते हैं, सूखने पर उसे आग में पकाते हैं। थोड़ी देर अगर गलती से आंख लग जाए तो चूहों का आतंक शुरू हो जाता है। वो हमारे गीले बर्तन बर्बाद कर देते हैं। एक बार बर्तन थोड़ा सूख जाए तो उसकी मिट्टी का कहीं और प्रयोग भी नहीं कर सकते हैं। ऐसे में हमारा बहुत नुकसान होता है। हम अकेले ही चूहों से परेशान नहीं हैं। यहां रहने वाले सभी लोग झेल रहे हैं। सालों से हम लोग ऐसी ही परेशान हैं।" वह आगे कहते हैं, "हमारा घर नाले के पास बना है। थोड़ी दूरी पर बने घरों में जहां भी चूहे पकड़े जाते हैं लोग यहीं छोड़ जाते हैं। उसके बाद वो हमारे घरों में घुस जाते हैं। किसी को चूहा डालने से मना करो तो लोग लड़ने लगते हैं। अब आप ही लोग बताओ हम करें तो करें क्या, कहां जाएं। यहां सभी लोग चूहे को ऐसे ही मार देते हैं। चूहे घर के डिब्बे, कपड़े, जूते, बच्चों की किताबें सब कुतर देते हैं। उसकी भरपाई कौन करेगा, तब तो कोई नहीं आता है कुछ मदद करने। बस गरीब इंसान को लोग फंसाने आ जाते हैं।" मनोज कहते हैं, "मेरी छोटी बेटी का चूहे हाथ चबा गए थे, उसकी पूरी खाल गायब हो गई थी। वो बहुत छोटी थी इसलिए भाग भी नहीं पाई थी। रोने की आवाज सुनने पर जब उसकी मां मौके पर पहुंची तब चूहा उसको देखकर भाग गया। बेटी के हाथ की खाल गायब हो गई थी। तब हम लोगों का इलाज में बहुत पैसा खर्च हुआ था, उसका हिसाब कौन देगा? मेरी बेटी को कुछ हो जाता तब मैं क्या करता। तब किसी को मेरी बेटी पर तरस नहीं आया था। देश भर में इतने मुर्गे, बकरे, गाय कटती हैं, तब ये लोग क्यों नहीं जागते। इनको पता है वहां बोलेंगे तो कोई इनकी नहीं सुनेगा। मैं तो माफी भी मांग रहा हूं लेकिन अब विकेंद्र को चिकन की सारी दुकानें बंद करवानी पड़ेंगी। तभी वो सच्चे पशु प्रेमी साबित होंगे।"
हम गरीब हैं, तभी फंसाया जा रहा: मनोज की मां
मनोज की मां कलावती कहती हैं, "हम लोगों को तो बेकार में फंसाया जा रहा है। हम लोग गरीब हैं। मेरा बेटा मेहनत-मंजूरी करके किसी तरह घर चला रहा है लेकिन लोगों से ये देखा नहीं जा रहा है। वो चाहते हैं हमारे घर के बच्चे भूखे मरे, तभी वो ये सब कर रहा है। जब से ये केस शुरू हुआ है। सारा काम बंद है। घर में राशन नहीं बचा है। पैसे भी नहीं हैं जो राशन लाया जाए। उधारी पर चावल लाएं हैं, वहीं उबाल खा रहे हैं। अब तो बेटे को कोर्ट के चक्कर भी काटने पड़ेंगे। बेकार में मेरा बेटा इन सब चीजों में फंस गया है।"
"बाजार में चूहा मारने की दवा बिकती है, केस हो"
वहीं जब हमने आसपास के लोगों से बात की तो उन्होंने भी यही बातें बोलीं। लोगों का कहना है, चूहे की समस्या यहां बहुत पुरानी है। जब कोई हल नहीं निकला तो उनको मारना शुरू कर दिया। चूहों को मारने के लिए तो बाजार में दवा तक बिकती है फिर ये गुनाह कैसे हो गया। फिर तो उस विज्ञापन बनाने वाले पर भी केस हो। अभी तक जिन-जिन लोगों ने चूहों को मारा है उन पर भी केस हो। ये बिना मतलब की बात है और कुछ नहीं।
इस तरह से किसी को तड़पा कर मारना अपराध है..
वहीं इस मामले में पशु प्रेमी विकेंद्र शर्मा का कहना है, मनोज का चूहे को मारना का तरीका बहुत गलत था। अगर चूहे उसको परेशान कर रहे थे तो वो उनको पकड़ के कहीं और छोड़ देता। ऐसे किसी को तड़पा कर नहीं मारना चाहिए। मनोज ने मेरे सामने चूहे को नाले में फेंका। वो मेरे रोकने पर भी नहीं रुका। जब मैंने चूहे को नाले से निकाला तो वो तड़प रहा था। पत्थर बंधा होने के कारण वो ऊपर नहीं आ पा रहा था। ये हरकत किसी अपराध से कम नहीं है। इसीलिए मैंने उस पर केस किया है। अगर आगे से कोई ऐसा करेगा तो मैं उसके साथ भी ऐसा ही करूंगा।
चूहे को पशु बताने के बाद हमने केस दर्ज किया है..
मामले में सदर कोतवाल हरपाल सिंह बालियान का कहना है, जिला पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. एके जादौन ने चूहे को पशु बताया है। उनका ये बयान सामने आने के बाद मनोज पर केस दर्ज कर लिया गया है। इस अपराध के लिए जेल भेजने का प्रावधान नहीं है इसलिए उसको जमानत पर छोड़ दिया गया है। हालांकि, कार्रवाई जारी रहेगी।
पुलिस को पशु क्रूरता साबित करनी पड़ेगी- एडवोकेट..
एडवोकेट सुधीर कश्यप का कहना है, “चूहा मारने के मामले में पशु क्रूरता अधिनियम के तहत केस दर्ज हुआ है। चूहे का पोस्टमार्टम भी करवाया गया है। विवेचना में पुलिस अगर इसे पशु क्रूरता साबित कर पाएगी तो मुकदमा चलेगा अन्यथा कोर्ट इसे खारिज भी कर सकता है।” इस मामले से जुड़े कानूनी पहलू को समझने के लिए सीओ सिटी आलोक मिश्रा से बात की गई- सीओ सिटी आलोक मिश्रा ने बताया, चूहा मारना वैसे तो आम बात है लेकिन आरोपी ने चूहे को बड़ी निर्दयता से मारा था। वह उसको पकड़कर दूर भी छोड़ सकता था। जबकि उसने ऐसा नहीं किया। सवाल: क्या अब घरों में चूहे मारने पर भी केस होगा ? जवाब: ऐसा नहीं है कि घरों में चूहे मारने के सभी मामलों में केस दर्ज किए जाएंगे। चूंकि इस मामले में तहरीर मिली और साक्ष्य भी दिए गए तो मुकदमा लिख लिया गया है। सवाल: क्या किसी भी जीव के मारने पर मुकदमा होगा? जवाब: भविष्य को लेकर इस मामले में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। हालांकि लोगों को चाहिए कि जीव जंतुओं से प्रेम करें। अगर वो नुकसान पहुंचा रहे हैं तो उससे बचने का विकल्प खोजें न कि उनकी निर्मम हत्या कर दें। मामला पशु क्रूरता अधिनियम से जुड़ा था, इसलिए हमने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ एके जादौन से भी बात की- सवाल: चूहा पशु है या जीव की श्रेणी में आता है? जवाब: मेडिकल साइंस में चूहे को पशु बताया गया है। इसी आधार पर उसे पशु माना जाता है। संविधान में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि किसी जीव की हत्या की जाए। इसलिए मुकदमा सही हुआ है। चूहे को पकड़कर दूर फेंकना भी एक विकल्प है। अब मुकदमा कोर्ट में स्टैंड करेगा या नहीं यह पुलिस और न्याय विभाग के ऊपर डिपेंड करता है। लेकिन क्रूरता हुई है। सवाल: फसलों में भी तो कीटनाशक डाला जाता है। जवाब: फसलों में कीटनाशक इसलिए डालते हैं जिससे उसमें कीड़े न लगें। उसकी बदबू से भी चूहे आदि भाग जाते हैं।
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