मध्यप्रदेश में सरकार ने MBBS की पढ़ाई हिंदी में शुरू करने का ऐलान कर दिया है। इससे पहले हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की गई थी, लेकिन इस प्रोजेक्ट का हश्र बहुत बुरा हुआ है। भास्कर की पड़ताल से पता चला कि मात्र 3 कॉलेजों में बीटेक और कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई हिंदी में शुरू हो पाई है। इसमें सिर्फ 20 छात्रों ने एडमिशन लिया है, जबकि सीटें 200 से ज्यादा हैं।
मतलब यह है कि सरकार ने जितनी सीटें रिजर्व रखी थीं, उसकी 90% सीटें खाली रह गई हैं। यहां तक कि टीचर तक टेक्निकल सब्जेक्ट को लोकल तरीके से पढ़ाने को लेकर तनाव में हैं। मध्यप्रदेश में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE ) की मंजूरी के बाद पिछले साल (2021-22) में इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में शुरू हुई थी। उस साल 10 से कम छात्रों ने हिंदी में पढ़ाई का ऑप्शन चुना था।
3 इंस्टीट्यूट में ही हिंदी का ऑप्शन..
राज्य सरकार ने 6 जून 2022 को प्रदेश के 6 इंजीनियरिंग कॉलेजों की अलग-अलग ब्रांच में हिंदी में पढ़ाने का आदेश भी जारी किया था। इनमें एडमिशन के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग के ऑनलाइन काउंसिलिंग के दौरान सिर्फ 3 इंस्टीट्यूट की ब्रांच में ही हिंदी (इंडियन/रीजनल लैंग्वेज) में पढ़ाई कराने का ऑप्शन दिया गया है। तीनों इंस्टीट्यूट इंदौर के हैं, जिसमें SGSITS भी शामिल है। इसमें से 2 इंस्टीट्यूट में 20 स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया है, जबकि एक में कोई एडमिशन नहीं हुआ है।
इन 20 में से 19 छात्रों ने कम्प्यूटर साइंस व एक छात्र ने बायो मेडिकल इंजीनियरिंग सब्जेक्ट में हिंदी में पढ़ाई के लिए चुना है। बायो मेडिकल वाले छात्र अमन वर्मा ने भी हिंदी से हाथ जोड़ लिए और उसने अंग्रेजी माध्यम से लिए आवेदन कर दिया है। अमन का कहना है कि उसके समझ में कुछ नहीं आ रहा है। अंग्रेजी के सामान्य शब्दों को बेहद कठिन हिंदी में दिया गया है। इसे लेकर मुझे अपने भविष्य की चिंता सता रही है कि आगे मुझे इस डिग्री के साथ जॉब मिलेगा या नहीं।
MP में इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थिति..
कॉलेज | 142 |
कुल सीट | 69542 |
हिंदी में पढ़ाई वाले कॉलेज | 11 |
हिन्दी की कुल सीटें | 200 |
हिन्दी में एडमिशन | 20 |
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