आपको बतादें, अब तक योजना के तहत विभिन्न विषयों के 5 लाख 15 हजार से जादा अतिथि शिक्षक सत्यापित किये जा चुके हैं। जबकि पोर्टल द्वारा नए आवेदन भी स्वीकार्य किये जा रहे हैं।
मध्य प्रदेश (MP) के विभिन्न सरकारी स्कूलों में अध्यापन कार्य कर रहे अतिथि शिक्षकों की वर्तमान सैलरी सरकारी अध्यापकों की तुलना में बेहद कम है। लेकिन शिक्षकों द्वारा किये जा रहे प्रयासों और मांगों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि राज्य सरकार को अतिथि शिक्षकों की सैलरी तो बढानी ही चाहिए। इसके साथ ही इनको कुछ समय में नियमित शिक्षक भी बना देना चाहिए।
अतिथि शिक्षक सैलरी MP (new update) –
मध्य प्रदेश MP के विभिन्न सरकारी स्कूलों में अध्यापन कार्य कर रहे अतिथि शिक्षकों की वर्तमान सैलरी वर्ग 1 के लिए 9 हजार, वर्ग 2 के लिए 7 हजार और वर्ग 3 के लिए 5 हजार रुपये है।
वर्ग 1 | वर्ग 2 | वर्ग 3 |
9 हजार | 7 हजार | 5 हजार |
ऊपर बताई गयी सैलरी मानदेय आदेश 2018 के अनुसार है। हालाँकि यह बढ़ोत्री हुए 4 साल होने को हैं, इसी वजह से अतिथि शिक्षकों द्वारा प्रदेश सरकार से अपने भविष्य व मानदेय में वृद्धि को लेकर लगातार मांग की जा रही है। जो पूरी तरह वाजिब है, क्योंकि महंगाई में लगातार वृद्धि हो रही है।
एमपी में अतिथि शिक्षको का शोशन, सप्ताह में यदि कोई कार्य आ ज़ाये तो अवकाश नही..
अशोक नगर के अतिथि शिक्षक राजकीय उच्च विद्यालय मडौखेड़ी प्रखंड मुंगावली जिला अशोक नगर आशीष चिडारिया से जब हमारी बात हुई तो बताते है कि अधिकारियों द्वारा शोषण किया जाता है मन के हिसाब से काम लिया जाता है अतिथि शिक्षक यदि अधिकारियों से अवकाश मांगते है तो समय पर नही दिया जाता मगर हमारी सेलरी बिन बताये कट जरूर कर दी जाति है, वो बताते है, में परिवार में सबसे बड़ा लडका हुं और परिवार की सभी ज़िम्मेदारिया मुझी पर है, आप को जानकर हेरानी होगी के मेरी महीने में सेलरी 3500-6000 रूपया मात्र ही बनती है ज़िसके कारण अपने सदस्यो के भविष्य की चिन्ता भी हमेशा मुझे सताती रहती है,
आशीष चिंडारिया बताते है कि एक दिन मेरी बहन को प्रसव पीडा हो गयी और अचानक मुझे बहन के घर जाना पडा तो मुझे कारण बताओ नोटिस थमा दिया..
जबकि मेंने उनको मेरी बहन की मेडिकल रिपोर्ट भी बतायी मगर अधिकारियों ने मेरी बात को नजर अन्दाज करते हुए मुझे नोटिस थमा दिया..
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आशीष आंगे बताते है कि नियमित अधिकारियों का रवईय़ा हमारे प्रति तानाशाह जैसा होता है ज़िसकी हम यदि 181 पर शिकायत करते है तो वहां पर भी सुनवाई नही होती, शिवराज मामा कहते है हमारा मध्यप्रदेश स्वशासन के मामले में सर्वशश्रेष्ठ है मगर ये बात रिकार्डो में ही सही है, अधिकारियों पर मध्यप्रदेश सरकार की कोई लगाम नही, हमारी परिवारिक समस्याओ को ये समझना ही नही चाहते, किसी भी तरह से हमारा शोषण किया ज़ाए ये हमेशा उनके दिमाग में होता है और मध्यप्रदेश में मेरे साथ अकेला नही ये बहुत से अतिथि शिक्षको के साथ हो रहा है, हमारी महीने की सेलरी 7000 हजार रूपया महीना है मगर अभी तक इन तानाशाही अधिकारियों की वजह से मेरी सेलरी 7000 कभी नही मिली एक बार तो हद हो गयी मेरी सेलरी मात्र 3800 रूपया बनी ज़िससे मेरा घर चलाना बहुत मुशकिल हो गया है, क्या इतनी मेहंगाई में ये अधिकारी नही जानते के 3800 रूपया में क्या घर चल सकता है, हमारी पीडा को मामा भी नही समझते बस आये दिन घोषणा पर घोषणा करते रहते है, मामा जी से अंत में कहना चाहता हुं हम भी इंसान है और मध्य प्रदेश के नागरिक भी मगर हमारी आर्थिक स्थति बहुत ही दयनीय होती जा रही है.
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