MP News: भोपाल, गाडरवारा, गुना, भिंड, मुरेना, जबलपुर सहित आयुष्मान योजना में 120 अस्पतालों ने किया 200 करोड़ का घोटाला, अब हो रही वसूली..

MP News: 120 hospitals in Ayushman Yojana including Bhopal, Gadarwara, Guna, Bhind, Morena, Jabalpur did a scam of 200 crores, now recovery is happening

Ayushman Yojana mp latest update: मध्य प्रदेश में ऐसे 620 निजी अस्पताल हैं जहां आयुष्मान योजना के अंतर्गत मरीजों को इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इनमें से 120 अस्पतालों द्वारा लगभग 200 करोड़ का घोटाला करने की जानकारी सामने आई है। राजधानी भोपाल समेत इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर सहित प्रदेश के कुछ फेमस अस्पताल भी इस घोटाले के हिस्सेदार हैं। इस मामले में भोपाल और जबलपुर के कुछ हॉस्पिटल्स पर एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है।

मध्य प्रदेश के अस्पतालों से हो रही वसूली..

अस्पतालों द्वारा किए गए इस घोटाले की जानकारी लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एक जांच रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट सामने आने के बाद अब सभी हॉस्पिटल से अर्थदंड की वसूली की जा रही है और कुछ को कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं। भोपाल के वैष्णव मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करते हुए आयुष्मान योजना की संबद्धता भी समाप्त कर दी गई है। जानकारी के मुताबिक आयुष्मान योजना के अंतर्गत 620 निजी अस्पतालों को साल 2019 से लेकर 2022 तक 1048 करोड़ 98 लाख 19 हजार 481 रुपए दिए गए थे। इनमें से अधिकांश अस्पतालों ने वित्तीय फर्जीवाड़ा कर ज्यादा बिलिंग की है। 104 अस्पतालों से इस मामले में वसूली की जा रही है।

मध्य प्रदेश के 15 अस्पतालों को मिला नोटिस..

इस मामले में 15 अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है जिसमें भोपाल के जीवनश्री अस्पताल, नवोदय अस्पताल, राजदीप अस्पताल आयुष्मान भारत अस्पताल, वीसीएच अस्पताल। जबलपुर के जीवन ज्योति, एनटीपीसी गाडरवाड़ा, आदित्य सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर, गुना का सहयोग अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर, मुरैना का राधे कृष्ण अस्पताल और भिंड के बीएम अस्पताल सहित अन्य नाम शामिल है। इन सभी से जारी किए गए अधिक बिलों के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया है।

ऐसे हुए घोटाला..

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा की गई जांच में यह सामने आया कि कुछ अस्पताल ऐसे हैं जिन्होंने अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों के आयुष्मान कार्ड बनवा दिए और उन्हें मरीज बताकर रकम का हेरफेर कर लिया गया। वहीं कुछ मरीज ऐसे भी हैं जिनका बिल तो 50 हजार का बना लेकिन उसे बढ़ाकर 2 लाख का बताया गया और सरकार से ज्यादा राशि वसूली गई। इसी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक से अधिक आयुष्मान कार्डधारी अस्पताल में इलाज करवाने के लिए आए इसके लिए एजेंट भी रखे गए थे।
ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों द्वारा नियुक्त किए गए इन एजेंटों को जनसंपर्क अधिकारी का नाम दिया गया था। महंगी जांच के नाम पर बिल की राशि में बढ़ोतरी भी की गई। यह भी सामने आया है कि जबलपुर के सेंट्रल इंडिया किडनी हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्डधारियों को लालच देकर रोका जाता था और फर्जी बिल बनाए जाते थे। इस बिल से मिलने वाली राशि का कुछ हिस्सा मरीजों को भी दे दिया जाता था ताकि हॉस्पिटल की पोल ना खुले। इस हॉस्पिटल के संचालक डॉ अश्विनी पाठक और दुहिता पाठक को जेल में बंद कर दिया गया है क्योंकि इन्होंने लगभग 6 हजार फर्जी मरीज तैयार कर आयुष्मान योजना से बड़ी राशि का घोटाला किया है। लोगों को लालच देकर यह लंबे समय से फर्जी आयुष्मान कार्ड का धंधा कर रहे थे।
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