आदमी की स्किन से बना जूता 22 लाख का:डार्क वेब पर 827 रुपए इंच बिक रही ह्यूमन स्किन, 11 लाख का पर्स..

Shoe made of man's skin worth 22 lakhs: Human skin being sold on the dark web for Rs 827 per inch, purse of 11 lakhs

फैशन की दुनिया कहां तक जाएगी, इसका अंदाजा आप शायद ही लगा पाएं। फर, शाहतूस, पश्मीना और याक वूल के बारे में तो कई लोग जानते होंगे, लेकिन आज हम आपको फैशन की ऐसी बात बताने जा रहे हैं जो आपको हैरत में डाल देगी,
फैशन वर्ल्ड में अब ह्यूमन स्किन से बने लेदर प्रोडॅक्ट्स खरीदे-बेचे जा रहे हैं। इंटरनेट की अंधेरी दुनिया यानी डार्क वेब पर इंसान की खाल 827 रुपए इंच के हिसाब से बिक रही है।
और तो और ह्यूमन स्किन से बने जूते 22 लाख के और पर्स 11 लाख का बिक रहा है। हाल ही में 14 दिसंबर, 2022 को न्यूयॉर्क में पेटा से जुड़ी एक मॉडल ने ह्यूमन स्किन जैसी ड्रेस पहनकर रैंप वॉक करने का ऐलान किया।
उनका मैसेज था कि फैशन के नाम पर जानवरों से क्रूरता नहीं होनी चाहिए और एनिमल स्किन से बने लेदर प्रोडक्ट्स पर रोक लगनी चाहिए। जानवरों के खिलाफ होने वाली क्रूरता को इस ग्राफिक से भी समझा और महसूस किया जा सकता है।
लेकिन क्या आपको पता है कि डार्क वेब पर मानव अंगों के साथ उसकी स्किन भी बेची जा रही है। यहां बॉडी पार्ट्स की बिक्री ट्रांसप्लांट के लिए होती है, तो ह्यूमन स्किन से लग्जरी फैशन आइटम- जैकेट्स, हैंड बैग और पर्स बनाकर बेचे जा रहे हैं।
आपको भले ही ये प्रोडक्ट्स ऑनलाइन या ऑफलाइन न मिलें लेकिन फैशन के ‘डार्क वर्ल्ड’ में ये काम धड़ल्ले से चल रहा है।
डार्क वेब पर ह्यूमन स्किन के फुट वेयर या जैकेट बेचने को लेकर चाहे जो भी सच्चाई हो, लेकिन फैशन की असल दुनिया में इस दिशा में जरूर काम शुरू कर दिया गया है।

एक फैशन डिजाइनर ने दूसरे फैशन डिजाइनर की ‘स्किन’ से बनाए जैकेट, हैंड बैग और पर्स..

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ब्रिटेन की फैशन रिसर्चर टीना गोर्जयांक 'ह्यूमन स्किन' से हैंड बैग्स और जैकेट्स बनाकर 2016 में सुर्खियों में रहीं। उनका दावा था कि उन्होंने ब्रिटेन के प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर अलेक्जेंडर मैकक्वीन की स्किन से ये लग्जरी फैशन प्रोडक्ट्स तैयार किए हैं।
दोनों फैशन डिजाइनर लंदन के प्रसिद्ध फैशन स्कूल 'सेंट्रल सैंट मार्टिंस' से पढ़े थे। टीना ने 'प्योर ह्यूमैन' नाम के अपने रिसर्च प्रोजेक्ट में मैकक्वीन की स्किन से बने हैंड बैग्स और जैकेट्स बनाकर प्रजेंट किए।

पिग स्किन और ह्यूमन DNA को मिलाकर बनाए ह्यूमन स्किन प्रोडक्ट्स..

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असल में, टीना ने मैकक्वीन का DNA लिया और इसे लैब में पिग (सुअर) की स्किन में स्थापित किया। फिर टिश्यू-इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी की मदद से ह्यूमन स्किन तैयार की। इसके बाद इससे लेदर प्रोडक्ट्स बनाए।

मैकक्वीन ने 1992 में एक ड्रेस का कलेक्शन तैयार किया था, जिसमें अपने बाल लगाए थे। टीना ने इन्हीं बालों से मैकक्वीन का DNA लिया। बता दें कि मैकक्वीन ने 2010 में सुसाइड कर लिया था।

टीना ने अपना प्रयोग पेटेंट कराने की कोशिश की, लेकिन नहीं मिली इजाजत..

बिजनेस वेबसाइट ‘क्वार्ट्ज’ के मुताबिक टीना ने अपने प्रोजेक्ट को पेटेंट कराने की भी कोशिश की, लेकिन उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिली।
टीना का कहना था कि अगर वह इसमें कामयाब रहीं तो फैशन की दुनिया बदल जाएगी। फैशन की जरूरतों को पूरा करने के लिए जानवरों की जान नहीं लेनी पड़ेगी और लैब में ही सस्टेनेबल लेदर तैयार हो सकेगा।

फैशन कंपनियां बायोइंजीनियरिंग में कर रहीं इन्वेस्ट, ह्यूमन स्किन में देख रहीं फ्यूचर..

टीना मानती हैं कि लग्जरी आइटम्स बनाने वाली मल्टीनेशनल कंपनियां बॉयोइंजीनियरिंग में इन्वेस्ट कर रही हैं। जिनका मकसद स्किन पर कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स का टेस्ट और जीवों की हत्या रोकना है।
टीना की बातों से लगता है कि ये कंपनियां ह्यूमन स्किन में फैशन की दुनिया का फ्यूचर देख रही हैं, लेकिन खुलकर बोल नहीं रही हैं।

टीना ने अपनाई सोची-समझी मार्केटिंग स्ट्रैटजी, नाम कमाना था मकसद..

टीना का ह्यूमन स्किन के प्रोडक्ट्स बनाने का क्या मकसद हो सकता है? इस सवाल पर एक्सपर्ट कहते हैं कि वह फेमस फैशन डिजाइनर मैकक्वीन की लोकप्रियता को भुनाना चाहती हैं। इससे ब्रैंड की कीमत बढ़ जाएगी। इसलिए वह अपने इस एक्सपेरिमेंट को पेटेंट भी कराना चाहती हैं।
बॉयोटेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स बताते हैं कि लैब में जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए किसी के भी DNA को स्किन, लिवर या किडनी के टिश्यू में डालकर उस अंग को डेवलप किया जा सकता है। इसी वजह से टीना ने दावा किया कि उन्होंने मैकक्वीन की स्किन से लग्जरी फैशन आइटम्स बनाए हैं।

लैब में स्किन बनाने के लिए DNA, पर क्या है कानूनी पेंच..

भारत में किसी के टिश्यू या DNA से स्किन डेवलप करने को लेकर कानून स्पष्ट नहीं है। ब्रिटेन और अमेरिका में भी इस पर कानून नहीं बन पाया है।
हार्वर्ड लॉ स्कूल, अमेरिका में बॉयो एथिक्स और लॉ के एक्सपर्ट ग्लेन कोहेन कहते हैं कि रिसर्च के लिए किसी का टिश्यू लेना सामान्य बात है, और आज के वक्त में लोगों से उनकी रजामंदी लेकर यह काम किया जाता है।
सैलून में हेयर कटिंग के बाद कटकर गिरे बालों का इस्तेमाल शोधकर्ता अपने एक्सपेरिटमेंट के लिए करते हैं। लेकिन कोई उसे DNA पेटेंट के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता है।

ब्रिटेन में DNA लेने के लिए लेनी होती है इजाजत..

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में मेडिकल लॉ, एथिक्स के लेक्चरर डॉ. जेफ स्कोपेक के मुताबिक ब्रिटेन में भी ह्यूमन टिश्यू के मालिकाना हक को लेकर कोई स्टैंडर्ड कानून नहीं है।
टेक्निकली मैकक्वीन के पास भी अपने बालों को लेकर कोई मालिकाना हक नहीं था। इसी का फायदा उठाकर टीना ने उनके बालों से DNA ले लिया। ब्रिटेन में इसे 'कॉमन लॉ प्रॉपर्टी रूल' कहा जाता है। अब ‘यूके ह्यूमन टिश्यू एक्ट’ के तहत DNA के लिए संबंधित व्यक्ति से अनुमति लेनी होती है।

टिश्यू इंजीनियरिंग के चलते ह्यूमन स्किन से बन रहा लेदर..

अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या इंसान की खाल से लेदर प्रोडक्ट्स बनाए जा सकते हैं? तो इसका जवाब ‘हां’ है। यह भी 2 तरीके से संभव है।

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पहला तरीका जो लैब में टिश्यू कल्चर डेवलप करने का है, वो टीना का प्रयोग है। दूसरे तरीके में डायरेक्ट ह्यूमन स्किन से लेदर प्रोडक्ट्स तैयार होते हैं। यह काफी पहले से किया जा रहा है। लेकिन इसे बनाने की प्रक्रिया बेहद जटिल और क्रूर होती है।

एंजाइम मेथड है सबसे पुराना और इस्तेमाल होने वाला तरीका..

सबसे पहले मृत इंसान की बॉडी से स्किन उतारी जाती है, उसकी टैनिंग की जाती है और फिर उसका केमिकल ट्रीटमेंट किया जाता है। वैसे तो कई तरीके हैं, मगर इंसान की स्किन से लेदर बनाने के लिए सबसे कॉमन तरीका जो इस्तेमाल होता रहा है, वह ‘एंजाइम मेथड है।’
इसमें केमिकल्स या एंजाइम्स का इस्तेमाल करके स्किन को पहले बॉडी से अलग करते हैं, उसमें लचीलापन लाया जाता है। फिर चमक बढ़ाई जाती है।
इसके बाद इसे कई केमिकल्स की मौजूदगी में डर्मेटो अरेस्ट प्रॉसेस से गुजारा जाता है, जिससे स्किन कभी डिकंपोज (सड़ती) नहीं होती। तब जाकर कहीं नर्म, मुलायम और लंबे समय तक चलने वाले ह्यूमन स्किन लेदर प्रोडॅक्टस बनाए जाते हैं। यह दूसरे लेदर के मुकाबले काफी महंगा होता है। कई बार ऐसे लेदर प्रोडॅक्ट्स बनाने में सिंथेटिक स्किन का भी प्रयोग होता है।
अब तक हमने फैशन इंडस्ट्री में लेदर को लेकर हो रहे बदलावों के बारे में पढ़ा, लेकिन अब इतिहास की उन घटनाओं के बारे में जानेंगे जिनमें ह्यूमन स्किन का इस्तेमाल किया गया।
यह सुनना ही अपने आप में बेहद डरावना लगता है क्या ह्यूमन स्किन की जैकेट बन सकती है और उन्हें कोई कैसे पहन सकता है।
मगर, यह हकीकत है और यह आज से नहीं सदियों से
चल आ रही है। काफी महंगी होने की वजह से दुनिया के कई हिस्सों में इसे स्टेटस सिंबल की तरह देखा जाता रहा है, और कई लोग इसे नैतिकता के खिलाफ भी मानते हैं।

महिलाओं को मारकर उनकी स्किन से लेदर जैकेट बनाने वाला सीरियल किलर..

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1954 से 1957 के बीच अमेरिका में तीन साल तक एक सीरियल किलर की दहशत रही। उसका आतंक ऐसा कि सुनकर कलेजा मुंह को आ जाए। विस्कॉन्सिन का रहने वाला एड जिएन लोगों का मर्डर करने के बाद उनकी खाल उधेड़ देता था।

उसने सात महिलाओं की हत्या करने के बाद उनकी खाल उतार दी थी। और तो और 21 नवंबर, 1957 को जब वह अपने अटॉर्नी आर्थर शैली के साथ मुकदमे के लिए वौशारा काउंटी कोर्टहाउस पहुंचा तो भी उसने उस वक्त ह्यमून स्किन से बनी लेदर जैकेट पहनी थी।

खासकर, महिलाओं का मर्डर करने के बाद उनकी स्किन उतारकर सुखाता और उनके सोफा कवर और किचन स्टूल कवर्स बनाकर उन पर बैठता था।

मानव त्वचा से बनी जैकेट्स की ऐसी बढ़ी डिमांड कि वेबसाइट बंद करनी पड़ी..

आपने कभी न कभी किसी को ये कहते जरूर सुना होगा कि खाल उधेड़ दूंगा या खाल में भूसा भर दूंगा। अब ये कहावतें किसी सच्ची घटना के बाद बनीं या ऐसे ही, ये तो पता नहीं, मगर इन कहावतों का सच्चाई का कुछ लेना-देना जरूर है। ये आज के फैशन में नजर आने लगा।
ब्रिटेन में ह्यूमन लेदरडॉटकोडॉटयूके नाम की वेबसाइट ‘रियल ह्यूमन लेदर’ कहकर कई प्रोडॅक्ट्स दुनिया भर में बेचती रही है। उसका दावा रहा है कि ह्यूमन स्किन से बने उनके जैसे लेदर प्रोडॅक्ट्स दुनिया में कोई नहीं बनाता और बेचता है। बीते कुछ बरसों में इनकी डिमांड और विवाद ऐसे बढ़े कि यह वेबसाइट ही बंद करने की नौबत आ गई।

अफ्रीकी गुलामों की स्किन से बनाए जाते थे जूते..

कुछ लोगों का मानना है कि मानव स्किन का सबसे पहले इस्तेमाल अफ्रीका में होना शुरू हुआ, जहां अफ्रीकी गुलामों की खाल का इस्तेमाल जूते बनाने में किया गया। अमेरिका में सिविल वॉर के दौरान भी अफ्रीकी अमेरिकी गुलामों की स्किन से जूते बनाए जाने के उदाहरण मिलते हैं।

आदिम सीरियल किलर्स, जो पहनते थे इंसान की खाल..

ह्यूमन स्किन से बनी लेदर ड्रेस पहनने का चलन सबसे पहले सीथियंस लोगों में देखने को मिला, जो रूस-यूक्रेन समेत यूरोप के कई पहाड़ी इलाकों, ईरान, पश्चिम और मध्य एशियाई कबायली लोगों का समूह हुआ करता था।
करीब 3000 साल पहले के इन कबायली समूहों को आदिम सीरियल किलर्स भी कहा जाता है, जो इतने खूंखार होते कि अपने दुश्मनों को मारकर उनकी खाल पहन लिया करते थे। ये लोग अपनी गुरिल्ला लड़ाई के लिए घोड़ों का इस्तेमाल करते। ग्रीक इतिहासकार हेरोडोटस ने 2600 साल पहले लिखा है कि सीथियंस लोग इंसान को मारने के बाद उसकी खाल उतार लेते और पहनते।

दुनिया में 50 किताबें ऐसी जिनकी बाइंडिंग इंसानी खाल से हुई..

ह्यूमन स्किन से किताबों की बाइंडिंग भी की जाती है। इसे ‘एंथ्रोपोडर्मिक बिबलियोपेगी’ कहते हैं। दुनिया में ऐसी 50 किताबें आज भी मौजूद हैं। इंसान की स्किन से ऐसी पहली किताब की बाइंडिंग फ्रांसीसी क्रांति के वक्त की गई थी। मगर, यह 19वीं सदी में पॉपुलर हुई।

फ्रांसीसी क्रांति के दौर में बागी सैनिक ह्यूमन स्किन पहनते थे। वहीं, अफगानिस्तान में दुश्मनों की खाल उतारकर उससे चमड़े के कपड़े बनाने का चलन भी रहा है। यह स्किन अनक्लेम्ड बॉडीज, गरीब लोगों या गुलामों की होती थी।

मानसिक बीमारी से पीड़ित महिला की त्वचा से आत्मा वाली बुक की बाइंडिंग..

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की हॉटन लाइब्रेरी में 'डेस डेस्टिनी डे लेम (ऑन द डेस्टिनी ऑफ द सोल)' नाम की किताब रखी है। यह किताब इंसान की आत्मा के बारे में है और इसका कवर एक महिला की स्किन से बना है। यह महिला मानसिक बीमारी से पीड़ित थी, जिसकी मौत हार्ट अटैक से हो गई थी।
यह किताब 1663 में लिखी गई, मगर पहली बार 1879 में पब्लिश की गई, जिसे फ्रांसीसी कवि आर्सेनी हॉउसे ने लिखा था। हालांकि, अब किताबों की बाइंडिंग के लिए मरे हुए लोगों और अपराधियों की स्किन का इस्तेमाल होता है।
अपराधियों की स्किन से स्टीफन किंग के नॉवेल की भी बाइंडिंग की गई है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में ऐसी ही दो और किताबें हैं, जिनकी बाइंडिंग ह्यूमन स्किन से की गई है। इनमें एक किताब का विषय वर्जिनिटी और दूसरी किताब कानून पर है।

हिटलर के जमाने की ह्यूमन स्किन की एल्बम मिली..

कहा जाता है कि जर्मन तानाशाह हिटलर ने यहूदियों की हत्या कर उनकी स्किन से लैम्पशेड और कई अन्य कलाकृतियां बनाईं। लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर जीन एडवर्ड स्मिथ ने अपनी बॉयोग्राफी ‘लुसियस डी क्ले, एन अमेरिकन लाइफ’ में बताया कि ह्यूमन स्किन से लैम्पशेड बनाने की बात गलत है। असल में उसे बकरी की खाल से बनाया गया था।

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टाइम्स ऑफ इजरायल’ की एक रिपोर्ट से फिर से यहूदियों की स्किन से इस्तेमाल की जाने वाली चीजें बनाने की चर्चा शुरू हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक ऑशविट्ज़-बिरकेनौ मेमोरियल एंड म्यूज़ियम के रिसर्चर्स ने ह्यूमन स्किन से बनी नाजी फोटो एल्बम मिलने का दावा किया है। म्यूजियम का कहना है कि एल्बम जर्मनी के बुचेनवाल्ड कंसंट्रेशन कैम्प में बनाया गया था। एल्बम का कवर ह्यूमन स्किन से बना है। म्यूजियम को जनवरी 2020 में यह एल्बम मिली थी।

लंदन के डिजाइनर ने गर्लफ्रेंड के बालों से बनाए हैंड बैग..

फरवरी 2020 में लंदन के डिजाइनर बारिस करेली ने लग्जरी फैशन ब्रांड Chanel के लिए एक हैंड बैग तैयार किया। इस हैंड बैग का लेदर ह्यूमन स्किन की जैसा है। बारिस ने बैग बनाने में प्लेटिनम क्योर सिलिकॉन और अपनी गर्लफ्रेंड के बालों का इस्तेमाल किया था।
बारिस ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘यदि आप लेदर की ड्रेस पहनना चाहते हैं तो अपनी स्किन का बने हुए प्रोडक्ट पहनें। यह काम क्लोदिंग इंडस्ट्री की आलोचना लगेगा, जो कपड़ों के लिए जानवरों की खाल का इस्तेमाल करती है। असल में मैंने इस हैंड बैग में अपनी गर्लफ्रेंड के बालों का इस्तेमाल किया है।'

ह्यूमन स्किन से फैशनेबल प्रोडॅक्ट्स कितने एथिकल, आज भी जारी है बहस..

इंसान की स्किन का इस्तेमाल लेदर बनाने में किए जाने को लेकर अरसे से बहस चल रही है। कई का मानना है कि किसी मृत की व्यक्ति की स्किन का फैशन में इस्तेमाल करना नैतिक रूप से सही नहीं है।
ऐसे लोग भी हैं जो यह मानते हैं कि ऐसी जैकेट्स या बैग्स का इस्तेमाल करने में कोई बुराई नहीं है। जबकि जानवरों की स्किन से बने लेदर के आइटम्स बनाने में तो उनकी हत्या कर दी जाती है, जो सही नहीं है।
फैशन प्रोडक्ट्स के लिए पशुओं की हत्याओं के खिलाफ पेटा भी आवाज उठाता रहा है। बीते साल ही पेटा ने एक मॉक वेबसाइट 'अर्बन आउटरेज' बनाई, जिसमें दर्शाए गए क्लॉथ्स, पर्स, शूज और एसेसरीज इंसान की स्किन और बॉडी पार्ट्स से बने थे। ट्विटर पर एक जूता दिखाया गया, जिसका सोल (तला) जबड़े से बना था।

कौन पहनेगा ह्यूमन स्किन से बनी जैकेट्स?..

ह्यूमन स्किन से लग्जरी प्रोडक्ट्स बनाने की कल्पना भी अजीब लगती है। लेकिन टीना की सोच और उनके काम को देखते हुए लगता है कि वो दिन दूर नहीं जब सेलिब्रिटीज के DNA से तैयार स्किन और उससे बने प्रोडक्ट्स की मार्केट में डिमांड होगी।
मुमकिन है कि जस्टिन टिम्बरलेक, लेडी गागा, किम कर्दाशियां के प्रशंसक यह कहते फिरें कि उन्होंने जो जैकेट पहनी है या हैंडबैग या पर्स लिया है, यह उनकी फेवरेट सेलिब्रिटी की स्किन से बनकर तैयार हुई है और सोचिए अगर ऐसा संभव हुआ तो इन प्रोडक्ट्स की कीमत कितनी ज्यादा होगी और इसका मार्केट कितना बड़ा होगा।
डिस्क्लेमर: मानव स्किन की तरह ही डार्क वेब पर ऐसी हजारों चीजें खरीदी-बेची जा रही हैं। स्टोरी का मकसद जानकारी बढ़ाना है। ऐसे फैशन को बढ़ावा देना हमारा मकसद नहीं है।
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