Ujjain news: ये महाकाल से भी नही डरते आम आदमी तो बहुत दूर की बात है, महाकाल के दान 61 लाख रूपया पूर्व राष्ट्रपति के स्वागत पर खर्च किए, रेड कारपेट का बिल 10 लाख..

Mahakal's donation spent 61 lakh rupees on the reception of former President, red carpet bill 10 lakh..

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 29 मई 2022 को भगवान महाकालेश्वर दर्शन के लिए उज्जैन गए थे। यहां महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ( महाकाल ट्रस्ट ) ने उनकी खूब आवभगत की बड़ी बात ये कि इस आवभगत में समिति ने भक्तों से मिले 61 लाख रु. खर्च कर डाले। इसमें 10 लाख रु. सिर्फ रेड कारपेट बिछाने पर खर्च हुए। 2.50 लाख रु. के फूलों से मंदिर सजाया गया। विधानसभा में मंगलवार को जब कांग्रेस विधायक महेश परमार ने ट्रस्ट द्वारा पांच साल में किए गए खर्च की जानकारी मांगी तो जवाब में खर्च का पूरा हिसाब पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने दिया। इसी में कोविंद के स्वागत पर खर्च हुई राशि पता चली। परमार का कहना था कि ट्रस्ट को दान में भक्तों से राशि मिलती है, इसलिए इसका उपयोग सिर्फ भक्तों की सुविधाओं पर होना चाहिए, जबकि वीआईपी के आगमन पर खर्च का जिम्मा जिला प्रशासन या नगर निगम का होता है, लेकिन समिति ने भक्तों से मिले दान की राशि खर्च कर डाली।

नंदी हॉल से निर्गम द्वार तक 40 लाख की सजावट कर दी..
कितना खर्च.. 

  1. साज - सज्जा पर नंदी हॉल से निर्गम द्वार तक चटाई, सीलिंग, बेंबूवाल वकं, एल्युमिनियम शीट एवं इलेक्ट्रिक वर्क पर 40 लाख रुपए खर्च किए गए।
  2. नंदी हॉल स्थित पीतल के पिलर, दान पेटियों की पालिश और बैरिकेड्स लगाए जाने पर 5 लाख रुपए खर्च हुए।
  3. एल्युमिनियम फ्रेम ग्लास वर्क मय फिल्म कार्य के लिए 10 लाख रुपए लगे। शंखद्वार से लेकर गर्भ गृह तक मंदिर की गरिमा के मुताबिक ही 2.50 लाख रु. के फूल लगाए गए।
  4. कवर जूट मेट 2100 स्क्वायर मीटर 6 लाख 50 हजार रुपए में खरीदा। 
  5. रेडक्रॉस सोसायटी जिला उज्जैन को 10 लाख रुपए दिए।

महाकाल मंदिर के प्रसाद के डिब्बे पर भी विवाद.. 

परमार ने सदन में पूछा कि महाकाल दर्शन के बाद भक्तों को जिस डिब्बे में प्रसाद दिया जाता है, उस पर महाकाल मंदिर का ध्वज और शिखर अंकित है। शास्त्रों में इस शिखर और ध्वज दर्शन को महाकाल के दर्शन के बराबर बताया गया है। भक्त प्रसाद ग्रहण करने के बाद डिब्बे को फेंक देते हैं जो पैरों में आता है। इसलिए प्रसाद के डिब्बे से शिखर और ध्वज का चित्र हटाया जाए। इसके जवाब में पर्यटन मंत्री उषा ने कहा कि यह भगवान महाकाल का फोटो नहीं है। 

यहां भी अतिरिक्त खर्च हुआ ... 

पानी की टंकी से त्रिवेणी संग्राहलय तक मार्ग चौड़ीकरण हेतु भूमि अधिग्रहण के लिए मंदिर कोष से 1 करोड़ 3 लाख रुपए दिए गए। यह राशि बाद में सरकार से मांगने की अनुशंसा की गई वहीं, स्मार्ट सिटी के दायरे में 22 दुकानें आ रही थीं, जिन्हें हटाने के लिए मुआवजे के रूप में 10 करोड़ रु. के करीब राशि दी गई।
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