छत्तीसगढ़ सरकार में आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने बागेश्वर धाम के संत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को चैलेंज दिया है. लखमा ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में धर्मांतरण के मामले नहीं बढ़े हैं. अगर पंडित धीरेंद्र शास्त्री इसे साबित कर दें तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा और अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो उन्हें पंडिताई छोड़नी होगी. बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक बार फिर चर्चा में हैं. अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को चैलेंज दिया है. लखमा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण नहीं हो रहा है. अगर यहां धर्मांतरण होना साबित कर दिया तो राजनीति छोड़ दूंगा, वरना आप (धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री) पंडिताई छोड़ दें. आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने शुक्रवार को कहा कि राज्य में धर्मांतरण के मामले नहीं बढ़े हैं. अगर पंडित धीरेंद्र शास्त्री इसे साबित कर दें तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा और अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो उन्हें पंडिताई छोड़नी होगी. वहीं, लखमा के बयान पर सियासत भी गरमा गई है. बीजेपी ने कांग्रेस सरकार और मंत्री लखमा पर हमला बोला है.
बीजेपी बोली- मंत्री ने बागेश्वर सरकार का अपमान किया..
बीजेपी नेता गौरी शंकर श्रीवास ने मंत्री कवासी लखमा पर निशाना साधा और कहा- छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण बेरोकटोक जारी है. मंत्री ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर का अपमान किया है. उन्होंने कहा- छत्तीसगढ़ में अधर्मियों की सरकार के मंत्री कवासी लखमा ने बागेश्वर सरकार का अपमान किया है. हिंदुत्व का प्रभाव बढ़ता देख आखिर कांग्रेसी अपने असलियत में आ गए हैं.
महाराष्ट्र में अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने लगाए हैं आरोप
बता दें कि बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पिछले कुछ दिन से चर्चा में हैं. धीरेंद्र शास्त्री की महाराष्ट्र के नागपुर में 'श्रीराम चरित्र-चर्चा' का आयोजन हुआ था. इस दौरान अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर जादू-टोने और अंधश्रद्धा फैलाने का आरोप लगाया था. समिति के अध्यक्ष श्याम मानव ने कहा था कि 'दिव्य दरबार' और 'प्रेत दरबार' की आड़ में जादू-टोना को बढ़ावा दिया जा रहा है. देव-धर्म के नाम पर आम लोगों को लूटने, धोखाधड़ी और शोषण भी किया जा रहा है.'
धीरेंद्र शास्त्री ने खुद पर लग रहे आरोपों पर दी सफाई
इसके बाद दावा किया गया कि अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति की वजह से दो दिन पहले ही यानी 11 जनवरी को ही धीरेंद्र शास्त्री की कथा संपन्न हो गई. कहा गया कि जब समिति ने पुलिस से शिकायत की तो शास्त्री भाग निकले. समिति ने कहा कि बाबा के समर्थकों को यह बात पता चल गई कि महाराष्ट्र में जो अंधश्रद्धा विरोधी कानून है, उसमें गिरफ्तारी हुई तो जमानत नहीं होगी, इसलिए बाबा ने पहले ही पैकअप कर लिया. करीब एक हफ्ते की चुप्पी के बाद शास्त्री ने इसपर कहा- मैं नागपुर से नहीं भागा. यह सरासर झूठी बात है. हमने पहले ही बता दिया था कि 7 दिन का ही कार्यक्रम होगा. इसके बाद उन्होंने कहा कि जब मैंने दिव्य दरबार लगाया था तब शिकायत लेकर क्यों नहीं आए? ये छोटी मानसिकता के लोग हैं और हिंदू सनातन के विरोधी हैं. #suradailynews
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