भारत में अब धर्म सेंसर बोर्ड का गठन किया जा चुका है, जो फ़िल्मों में धार्मिक पहलू को सेंसर करने का काम करेगा.
इस बोर्ड के मुखिया ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शनिवार को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में पत्रकारों से यह जानकारी साझा की. उन्होंने कहा कि भारत में सेंसर बोर्ड अपना काम कर रहा है. सेंसर बोर्ड अगर न होता तो जाने कितनी मनमानी हो जाती. "चूंकि उसमें कोई धार्मिक विशेषज्ञ नहीं है, इसलिए धार्मिक विषय कहां तक चुभ जाएंगे किसके हृदय में, वो नहीं जान पा रहा है कोई. तो उस कमी की पूर्ति करने के लिए हमने धर्म सेंसर बोर्ड बनाया है." इस धर्म सेंसर बोर्ड में धर्म, इतिहास और पुरातत्व से जुड़े 10 लोगों को शामिल किया गया है. हालांकि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस बात पर चिंता जताई कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कोई लगाम नहीं है और उस पर भी सेंसर की दिशा में विचार करना चाहिए. बागेश्वर धाम पर क्या बोले? उन्होंने रायपुर में दरबार लगा कर चमत्कार दिखा रहे बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में कहा कि चमत्कार दिखाने वाले उनके जोशीमठ के मकानों में आ गई दरारों को चमत्कार से भर दें तो वो उनका स्वागत करेंगे. उन्होंने कहा, "हम उनके लिए फूल बिछाएंगे कि आओ, ये जो हमारे मकान में दरार आ गई है, हमारे मठ में आ गई है, उसे जोड़ दो." उन्होंने कहा, "सारे देश की जनता चमत्कार चाहती है कि कोई चमत्कार हो जाए. कहां हो रहा है चमत्कार. जो चमत्कार हो रहे हैं, अगर जनता की भलाई में उनका कोई विनियोग हो तो हम उनकी जय-जयकार करेंगे, नमस्कार करेंगे. नहीं तो ये चमत्कार छलावा है, इससे ज्यादा कुछ नहीं है." उन्होंने कहा कि अगर किसी के पास कोई अलौकिक शक्ति आ गई है और जादूगर की तरह छड़ी घुमा कर अचानक कुछ कर सकते हैं तो उन्हें यह करना चाहिए. हम लोग तो ऐसा चमत्कार नहीं जानते. शंकराचार्य ने कहा, "कोई ऐसा चमत्कारी पुरुष है तो धर्मांतरण रोक दे. लोगों की आत्महत्या रोक दे. लोगों के घरों में झगड़े हो रहे हैं, फसाद हो रहे हैं, सुमति ला दे. पूरा देश आकर एक-दूसरे से प्यार करने लग जाए. जो वर्गों में विद्वेष हो रहे हैं, उन वर्गों के विद्वेष को रोक दे. ऐसा कुछ जनता और राष्ट्र के लिए उपयोगी चमत्कार कर के दिखाए, तब हम उसको चमत्कारी पुरुष कह सकते हैं.
धर्मांतरण पर हो रही है राजनीति..
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण से जुड़े मुद्दों पर कहा कि धर्मांतरण का विरोध हो रहा है, वो भी धार्मिक कारणों से नहीं हो रहा है. वो भी राजनीतिक कारणों से हो रहा है कि हम जब धर्मांतरण का विरोध करेंगे तो कुछ लोगों को ये बातें अच्छी लगेंगी तो कुछ लोग हमारे वोटर बढ़ जाएंगे. उन्होंने कहा, "जो धर्मांतरण हो रहा है, वो धार्मिक कारणों से तो हो ही नहीं रहा है. धर्मांतरण कराने वाले भी राजनीतिक हैं और धर्मांतरण को रोकने की बात करने वाले भी राजनीतिक हैं." उन्होंने कहा कि धर्म और राजनीति सर्वथा अलग-अलग विषय हैं. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में परंपरा है कि धर्म गुरु अलग होते हैं और शासक अलग.
'मुसलमानों के लिए पाकिस्तान बना'
उन्होंने मुसलमानों को लेकर कहा कि उनके लिए पाकिस्तान बनाया गया था.
उन्होंने कहा, "75 साल हो गए. बहुत लंबा समय हो गया. अब आपको इस बारे में निर्णय करना चाहिए कि मुसलमान एक जगह रहे, हिंदू एक साथ रहे, इसलिए बंटवारा हुआ था. अगर साथ ही साथ रहना है तो फिर पाकिस्तान अलग क्यों? पाकिस्तान को भारत में फिर से मिला दिया जाए और हम लोग साथ रहें, जैसा कि रह रहे हैं." स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि मीडिया को लेकर कहा कि पहले अखबारों में जनता की बात शीर्षक में होती थी और सरकार का पक्ष, एक बॉक्स में होता था. अब सरकार का पक्ष शीर्षक में होता है और जनता का पक्ष है या नहीं, उसकी चिंता ही नहीं है. उन्होंने कहा, "आज परिस्थिति ये है कि जनता की आवाज़ मीडिया द्वारा नहीं उठाई जा रही है. जो संवाददाता हैं, उनसे हमारी खूब बातचीत है. वो कहते हैं कि हम तो ग्राउंड से स्टोरी बना कर, स्वामी जी फाइल करते हैं, ऊपर जा कर एडिट हो जाती है, खत्म हो जाती है." उन्होंने कहा, "जनता की आवाज़ उठाने के लिए कोई माध्यम नहीं है. मीडिया एक माध्यम है और मीडिया अब कारपोरेट घरानों के हाथ में है. कॉरपोरेट घराने अपने हिसाब से उसको चला रहे हैं और जनता की आवाज़ दब जा रही है." #suradailynews
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