SC Stays Haldwani Eviction Order: हलद्वानी में हजारों घर गिराने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा-50 हजार लोगों को रातों-रात उजाड़ नहीं सकते..

हल्द्वानी में हजारों लोगों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें एक हफ्ते के भीतर रेलवे के दावे वाली जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे. असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले को लेकर बीजेपी को घेरा है. ओवैसी ने ट्वीट किया, "इस पूरे मसले का एकमात्र हल रेगुलराइजेशन है. मोदी सरकार ने खुद दो बार कॉलोनियों को नियमित किया है. लेकिन बीजेपी के मुताबिक मुस्लिम सिर्फ बुलडोजर के लायक हैं.  #Uttarakhand #SupremeCourt #Haldwani #HaldwaniEncroachment #BJP #Bulldozer #AsaduddinOwaisi #Muslims #Trending #ABPNews

हल्द्वानी में हजारों लोगों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें एक हफ्ते के भीतर रेलवे के दावे वाली जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे. असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले को लेकर बीजेपी को घेरा है. ओवैसी ने ट्वीट किया, "इस पूरे मसले का एकमात्र हल रेगुलराइजेशन है. मोदी सरकार ने खुद दो बार कॉलोनियों को नियमित किया है. लेकिन बीजेपी के मुताबिक मुस्लिम सिर्फ बुलडोजर के लायक हैं.
हल्द्वानी में हजारों लोगों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें एक हफ्ते के भीतर रेलवे के दावे वाली जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे. असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले को लेकर बीजेपी को घेरा है. ओवैसी ने ट्वीट किया, "इस पूरे मसले का एकमात्र हल रेगुलराइजेशन है. मोदी सरकार ने खुद दो बार कॉलोनियों को नियमित किया है. लेकिन बीजेपी के मुताबिक मुस्लिम सिर्फ बुलडोजर के लायक हैं.

SC Stays Haldwani Eviction Order: हलद्वानी में हजारों घर गिराने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा-50 हजार लोगों को रातों-रात उजाड़ नहीं सकते..

SC Stays Haldwani Eviction Order by Uttarakhand High Court : देश की सबसे बड़ी अदालत ने उत्तराखंड के हलद्वानी में रातों-रात बेघरबार कर दिए जाने की आशंका से परेशान हजारों लोगों को बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के ऑर्डर पर रोक लगाते हुए कहा कि आप 50 हजार लोगों को रातों-रात उजाड़ नहीं सकते. कोर्ट ने कहा कि आप इतनी बड़ी आबादी को उनके घर खाली करने के लिए सिर्फ 7 दिनों का समय दे रहे हैं, ये इंसानियत से जुड़ा मसला है. लोग पांच दशकों से वहां रह रहे हैं, उन्हें वहां से हटाकर कहीं और बसाने के लिए भी प्लानिंग होनी चाहिए. कोर्ट ने इस मामले में उत्तराखंड की राज्य सरकार और भारतीय रेलवे को नोटिस भेजते हुए मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस इलाके में कोई नया निर्माण या डेवलपमेंट किए जाने पर भी रोक लगा दी है.

हल्द्वानी में हजारों लोगों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें एक हफ्ते के भीतर रेलवे के दावे वाली जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे. असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले को लेकर बीजेपी को घेरा है. ओवैसी ने ट्वीट किया, "इस पूरे मसले का एकमात्र हल रेगुलराइजेशन है. मोदी सरकार ने खुद दो बार कॉलोनियों को नियमित किया है. लेकिन बीजेपी के मुताबिक मुस्लिम सिर्फ बुलडोजर के लायक हैं.  #Uttarakhand #SupremeCourt #Haldwani #HaldwaniEncroachment #BJP #Bulldozer #AsaduddinOwaisi #Muslims #Trending #

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिसंबर 2022 में हलद्वानी में रेलवे की जमीन पर बसे हजारों घरों को हटाने के आदेश दिए हैं, जिसके बाद से पूरे इलाके में खलबली मची हुई है. पिछले कई दिनों से इलाके के हजारों लोग, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, सड़कों पर उतरकर अपनी परेशानी की तरफ सबका ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे हलद्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण करके बने हजारों घरों को हटाकर पूरी जमीन को खाली कराएं. बताया जा रहा है कि हाईकोर्ट के इस आदेश के तहत 4300 से ज्यादा अतिक्रमणों को हटाया जाना है.
हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण के मामले में आज (5 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. उत्तराखंड की हाई कोर्ट ने वनभूलपुरा स्थित गफूर बस्ती को अवैध बताते हुए इसे खाली करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में एक हफ्ते के नोटिस के बाद अतिक्रमण हटाने को कहा. वहां रहने वालों का कहना है कि यह नजूल की जमीन है, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और इसे रेलवे की जमीन माना.
हाई कोर्ट के आदेश के बाद रेलवे की इस जमीन से अतिक्रमण हटाया जाना है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए रेलवे और राज्य सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. उत्तराखंड की हाई कोर्ट के आदेश के बाद जिस गफूर बस्ती को अवैध घोषित किया गया था वहां पर 4365 घर बने हुए हैं. दावा किया जा रहा है कि इसमें 50 हजार लोग रहते हैं, जो इस कार्रवाई से विस्थापित हो जाएंगे. 

हल्द्वानी में हजारों लोगों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें एक हफ्ते के भीतर रेलवे के दावे वाली जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे. असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले को लेकर बीजेपी को घेरा है. ओवैसी ने ट्वीट किया, "इस पूरे मसले का एकमात्र हल रेगुलराइजेशन है. मोदी सरकार ने खुद दो बार कॉलोनियों को नियमित किया है. लेकिन बीजेपी के मुताबिक मुस्लिम सिर्फ बुलडोजर के लायक हैं. हल्द्वानी में हजारों लोगों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें एक हफ्ते के भीतर रेलवे के दावे वाली जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे. असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले को लेकर बीजेपी को घेरा है. ओवैसी ने ट्वीट किया, "इस पूरे मसले का एकमात्र हल रेगुलराइजेशन है. मोदी सरकार ने खुद दो बार कॉलोनियों को नियमित किया है. लेकिन बीजेपी के मुताबिक मुस्लिम सिर्फ बुलडोजर के लायक हैं.

"हजारों लोगों को यूं ही नहीं हटाया जा सकता"..

इन परिवारों का क्या होगा, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई हुई जहां हाई कोर्ट के फैसले को फिलहाल के लिए रोका गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हजारों लोगों को यूं ही नहीं हटाया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला देता है यह बाद में पता चलेगा. पहले हाई कोर्ट का फैसला समझते हैं कि उसमें क्या है और हाई कोर्ट ने घरों को तोड़ने का आदेश किस आधार पर दिया?

दो जजों की पीठ ने दिया था फैसला...

मुख्य न्यायाधीश आरसी खुल्बे की अध्यक्षता और जस्टिस शरद कुमार शर्मा वाली दो जजों की खंडपीठ ने ये फैसला सुनाया था. फैसले में कोर्ट ने कहा कि तत्काल की जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिक्रमण को हटाना जरूरी है. इसे सक्षम अधिकारी की निगरानी में पूरा किया जाना चाहिए. हाई कोर्ट ने कहा इस मामले में विशेष रूप से रेलवे अधिनियम की धारा 147 का सहारा लिया जा सकता है. 
176 पेज के अपने फैसले में हाई कोर्ट ने वहां रहने वालों की बहस को खारिज कर दिया जिसमें उनका कहना था कि जिस भूमि को अतिक्रमण बताया जा रहा है वह नजूल की भूमि है और लीज के आधार पर वे इसका मालिकाना हक रखते हैं. 

क्या है नजूल भूमि?...

कोर्ट के फैसले पर आगे बढ़ने से पहले नजूल जमीन के बारे में थोड़ा समझ लेते हैं. नजूल जमील सरकारी जमीन होती है. इस जमीन की मालिक राज्य सरकार होती है. गांवों में अक्सर यह जमीन यूं ही पड़ी मिल जाती है. हालांकि इस जमीन के इस्तेमाल को लेकर राज्य सरकार ने नियम बनाया हुआ है. मतलब सरकार इसे इस्तेमाल के लिए दे सकती है. यहां ध्यान देने की बात ये है कि नजूल जमीन को हस्तांतरित तो किया जा सकता है, लेकिन उसका मालिकाना हक सरकार के पास ही रहता है. इसके साथ ही यह जमीन जिसे मिलती है, वह न इसे बेच सकता है और न किराए पर दे सकता है.

हल्द्वानी की जमीन में नजूल का दावा कैसे आया?...

निवासियों का नजूल भूमि को लेकर दावा 17 मई 1907 को नगरपालिका से जारी एक ज्ञापन के आधार पर किया गया था. ज्ञापन को देखने के बाद कोर्ट ने पाया कि यह कोई सरकारी आदेश नहीं है और इससे वादियों को कोई हक नहीं मिल जाता है, क्योंकि नजूल नियमों के मुताबिक संपत्ति को प्रबंधन के उद्देश्य से दिया गया था. 

कोर्ट ने खारिज किया दावा...

कोर्ट ने आगे कहा कि चूंकि यह ज्ञापन खुद ही नजूल प्रॉपर्टी को किसी भी तरह से बेचने या लीज पर देने के दस्तावेज पर रोक लगाता है. इस तरह वादियों के अनुसार केस में पेश किए गए सभी लीज के दस्तावेज खुद ही 17 मई 1907 के ज्ञापन का उल्लंघन करते हैं. कोर्ट ने नजूल जमीन से संबंधित नियम 59 का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि रेलवे स्टेशन के पास जो भी नजूल की जमीन है उसे किसी भी तरह से बेचने या फिर लीज पर देने से पहले रेलवे अधिकारियों से संस्तुति/अनुमति लेना जरूरी होगा. 

इन टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने रेलवे के हक में फैसला दिया जिसमें कहा गया...

रेलवे अधिकारी जिला प्रशासन के सहयोग और यदि जरूरी हो तो अन्य अर्द्ध सैनिक बलों की मदद से तत्काल, रेलवे की जमीन पर काबिज लोगों को एक सप्ताह का नोटिस देकर, निश्चित समय में जमीन खाली करने के लिए कहें.
नोटिस के बाद कब्जाधारी परिसर और जमीन खाली नहीं करते हैं, तो रेलवे अधिकारी आगे डीएम, एसएसपी और अन्य अर्द्ध सैनिक बलों के की मदद से कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है.
संबंधित अधिकारी वहां रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण कर किए गए निर्माण को ध्वस्त करेंगे या हटाएंगे. अगर इस दौरान बल प्रयोग की जरूरत पड़ती है तो रेलवे अधिकारी इसके लिए स्वतंत्र होंगे.

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