आसाराम की वारिस ये नयी साध्वी महिला कौन है: 2013 में जेल जाने के बाद सुर्खियों में आई; कैसे मैनेज करती है 10 हजार करोड़ का साम्राज्य, और लाखो हिन्दू भक्तों की पसंद..

गुजरात के सूरत की एक महिला से रेप के मामले में 81 साल के हिन्दू संत आसाराम को गुजरात के गांधीनगर सेशन कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। इससे पहले का इतिहास जाने तो जोधपुर कोर्ट ने 25 अप्रैल 2018 को एक नाबालिग से रेप के मामले में आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनिश्चित की थी। तभी से वह जोधपुर जेल में बंद है। हिन्दू संत आशाराम का बेटा नारायण साईं भी बलात्कार के  केस में आजीवन सजा काट रहा है।  आशाराम का एक स्वर्णिम समय था, जब आसाराम के आश्रम में हिन्दू भक्तों की चौबीसों घंटे भीड़ लगी रहती थी, रात दिन हिन्दू भक्त अपने परिवार के साथ आशाराम के अश्रम में अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए भी आते थे, बहुत से भक्तों की मनोकामना भी पूर्ण होती थी, एेसा उस समय के भक्तों का मानना था, बहुत से भक्तों ने तो लाखो रूपया बाबा को दान में दिये। लोग दूर-दूर से आश्रम पहुंचते थे, इतने प्रसिद्ध थे। उसके दर्शन के लिए लोग घंटों खड़े रहते थे। नेता से अभिनेता तक उसके दरबार में माथा टेकते थे। चार दशक के भीतर ही उसने 10 हजार करोड़ रुपए का साम्राज्य बना लिया।  आसाराम और नारायण साईं के जेल में जाने के बाद यह मुद्धा उठा कि इस विशाल सम्राज्य का वारिस कौन होगा? आसाराम के 400 से ज्यादा आश्रमों का प्रबंधन कौन करेगा? क्या अभी भी आसाराम से भक्त जुड़े रहेंगे? इन सब सवालों का जवाब बनकर उभरी है आसाराम की बेटी भारती देवी। जिसे 'भारतीश्री' और 'श्रीजी' के नाम से पहचाना जाता है।  कई साल पहले 'संत श्री आसाराम ट्रस्ट' बना था। इसका मुख्यालय अहमदाबाद में है, लेकिन आसाराम ने देश-विदेश में जितने भी आश्रम, स्कूल या बाकी संस्थान बनाए हैं, उनकी देखरेख इसी ट्रस्ट के जरिए भारती देवी कर रही हैं। भारती पिछले 19 सालों से आश्रमों और ट्रस्ट को मैनेज कर रही हैं, लेकिन हमेशा लाइम लाइट से दूर रही हैं। आसाराम के लाखो फॉलोअर्स के बीच उनकी अच्छी इमेज भी है।  पर्दे के पीछे भारती देवी की भूमिका..  साल 2004, ये वो वक्त था जब आध्यात्म की दुनिया में आसाराम का नाम शिखर पर था, स्कूल की नोटबुक से लेकर राजनिती के नेता के दिल में राज करते थे। उनके बेटे नारायण साईं भी देश भर में होने वाले आध्यात्मिक आंदोलनों के केंद्र में थे। इसी साल आसाराम के आध्यात्मिक मंच पर भारती देवी की एंट्री हुई। धीरे-धीरे वे आसाराम के सत्संग में भी आने लगीं। आसाराम के फॉलोअर्स के बीच उनका प्रभाव बढ़ने लगा।  इस सम्राजया की नयी मालिक भारती देवी का सबसे बड़ा हुनर है किसी भी बात को आसानी से लोगों के दिमाग में बिठा देना। फिर भी भारती देवी की चर्चा बाहर की दुनिया में कम ही होती थी, क्योंकि लोगों का ध्यान आसाराम और नारायण साईं पर ज्यादा रहता था।

गुजरात के सूरत की एक महिला से रेप के मामले में 81 साल के हिन्दू संत आसाराम को गुजरात के गांधीनगर सेशन कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। इससे पहले का इतिहास जाने तो जोधपुर कोर्ट ने 25 अप्रैल 2018 को एक नाबालिग से रेप के मामले में आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनिश्चित की थी। तभी से वह जोधपुर जेल में बंद है। हिन्दू संत आशाराम का बेटा नारायण साईं भी बलात्कार के  केस में आजीवन सजा काट रहा है।

आशाराम का एक स्वर्णिम समय था, जब आसाराम के आश्रम में हिन्दू भक्तों की चौबीसों घंटे भीड़ लगी रहती थी, रात दिन हिन्दू भक्त अपने परिवार के साथ आशाराम के अश्रम में अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए भी आते थे, बहुत से भक्तों की मनोकामना भी पूर्ण होती थी, एेसा उस समय के भक्तों का मानना था, बहुत से भक्तों ने तो लाखो रूपया बाबा को दान में दिये। लोग दूर-दूर से आश्रम पहुंचते थे, इतने प्रसिद्ध थे। उसके दर्शन के लिए लोग घंटों खड़े रहते थे। नेता से अभिनेता तक उसके दरबार में माथा टेकते थे। चार दशक के भीतर ही उसने 10 हजार करोड़ रुपए का साम्राज्य बना लिया।
आसाराम और नारायण साईं के जेल में जाने के बाद यह मुद्धा उठा कि इस विशाल सम्राज्य का वारिस कौन होगा? आसाराम के 400 से ज्यादा आश्रमों का प्रबंधन कौन करेगा? क्या अभी भी आसाराम से भक्त जुड़े रहेंगे? इन सब सवालों का जवाब बनकर उभरी है आसाराम की बेटी भारती देवी। जिसे 'भारतीश्री' और 'श्रीजी' के नाम से पहचाना जाता है।
कई साल पहले 'संत श्री आसाराम ट्रस्ट' बना था। इसका मुख्यालय अहमदाबाद में है, लेकिन आसाराम ने देश-विदेश में जितने भी आश्रम, स्कूल या बाकी संस्थान बनाए हैं, उनकी देखरेख इसी ट्रस्ट के जरिए भारती देवी कर रही हैं। भारती पिछले 19 सालों से आश्रमों और ट्रस्ट को मैनेज कर रही हैं, लेकिन हमेशा लाइम लाइट से दूर रही हैं। आसाराम के लाखो फॉलोअर्स के बीच उनकी अच्छी इमेज भी है।

पर्दे के पीछे भारती देवी की भूमिका..

साल 2004, ये वो वक्त था जब आध्यात्म की दुनिया में आसाराम का नाम शिखर पर था, स्कूल की नोटबुक से लेकर राजनिती के नेता के दिल में राज करते थे। उनके बेटे नारायण साईं भी देश भर में होने वाले आध्यात्मिक आंदोलनों के केंद्र में थे। इसी साल आसाराम के आध्यात्मिक मंच पर भारती देवी की एंट्री हुई। धीरे-धीरे वे आसाराम के सत्संग में भी आने लगीं। आसाराम के फॉलोअर्स के बीच उनका प्रभाव बढ़ने लगा।
इस सम्राजया की नयी मालिक भारती देवी का सबसे बड़ा हुनर है किसी भी बात को आसानी से लोगों के दिमाग में बिठा देना। फिर भी भारती देवी की चर्चा बाहर की दुनिया में कम ही होती थी, क्योंकि लोगों का ध्यान आसाराम और नारायण साईं पर ज्यादा रहता था।

साल 2013 में गिरफ्तारी से चर्चा में आईं थीं भारती देवी..

2013 में आसाराम और नारायण साईं के मुश्किल भरे दिनों की शुरुआत हुई। यौन शोषण के एक मामले में दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। इसी दौरान पहली बार उनकी बेटी भारती देवी का नाम सुर्खियों में आया। भारती देवी और उनकी मां लक्ष्मी देवी को भी दुष्कर्म मामले में गिरफ्तार किया गया था।
सूरत की युवती से रेप मामले में आसाराम के बाद भारती देवी दूसरी आरोपी थीं, जबकि आसाराम की पत्नी लक्ष्मीबेन तीसरी आरोपी थीं। हालांकि कोर्ट ने 31 जनवरी 2023 को दिए फैसले में भारती देवी और लक्ष्मीबेन को निर्दोष करार दिया। आसाराम और नारायण साईं को जेल हुई तो 2013 में ही भारती देवी ने आसाराम की गद्दी संभाल ली।

लोगों को भाव-विभोर कर देने वाली पिता की शैली अपनाई..

आसाराम के प्रवचनों के दौरान भारती देवी भजन गाया करती थीं। इसके कई वीडियो भी सामने आ चुके हैं। पिता की तरह ही अपनी स्पीच से लोगों को भाव-विभोर कर देने शैली, भारती देवी की खासियत है। इसी के चलते उनके आसपास भी लोगों की भीड़ रहती है।
भारती देवी को महंगी कारों का शौक है, लेकिन आश्रम में संदिग्ध गतिविधियों और आसाराम और नारायण साईं के जेल जाने के बाद उन्होंने अपनी जीवन शैली में भारी बदलाव कर लिया है।
अब उन्होंने लोगों के बीच सीधा संपर्क कम कर दिया है और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। भारती देवी अहमदाबाद के आश्रम में रहती हैं और यहां होने वाली आरती में नियमित रूप से शामिल होती हैं। उनके प्रवचन भी सोशल मीडिया हैंडल के जरिए से जनता तक पहुंचाए जाते हैं। ताकि आसाराम के बनाए साम्राज्य की नींव को कमजोर होने से रोका जा सके।

कवि, वैज्ञानिक और संगीतकार..

दिसंबर 1975 में जन्मीं भारती ने 12 साल की उम्र में ही दीक्षा ली थी। अनाधिकारिक जानकारी यह भी है कि उन्होंने एमकॉम तक ही पढ़ाई की है। आधिकारिक वेबसाइट पर खुद भारती देवी के कवयित्री, वैज्ञानिक और संगीतकार होने की जानकारी दी गई है। भारती की शादी 1997 में एक डॉक्टर से हुई थी, लेकिन कुछ ही समय बाद तलाक हो गया।
इसके बाद से वे आश्रम की जिम्मेदारी संभालने लगीं थीं। भारती आसाराम की तरह सत्संग और प्रवचनों के लिए अलग-अलग शहरों में लगातार नहीं जाती हैं। वे ऑनलाइन ही ट्रस्ट की तमाम गतिविधियों पर नजर रखती हैं।

इस तरह भी होती थी आसाराम की करोड़ों की कमाई..

अहमदाबाद में पहला आश्रम बनाने के बाद करीब 20 से 30 सालों में ही आसाराम के अनुयायियों की संख्या इतनी बढ़ गई कि अब देश-विदेश में उनके 400 से अधिक आश्रम हैं। इनमें 40 से 50 गुरुकुल हैं। इसके अलावा 17 हजार से ज्यादा बाल समाधि केंद्र, 1500 से ज्यादा सेवा समितियां भी हैं।
आसाराम एक आध्यात्मिक गुरु के साथ ही व्यवसायी भी बन गए। उनके आश्रमों में विभिन्न उत्पादों की बिक्री भी होने लगी। याददाश्त बढ़ाने के लिए स्मृतिचूर्ण, जोड़ों के दर्द के लिए संधिशुल्हर चूर्ण, कैंसर के लिए गोली, शरबत, च्यवनप्रास और आंखों की दवा। इतना ही नहीं, कई आश्रमों में तो आयुर्वेदिक ब्यूटी प्रोडक्ट्स भी बिकते थे।
पुलिस की जांच में खुलासा हुआ था कि अहमदाबाद की एक कंपनी को आश्रम के उत्पादों की पैकेजिंग के लिए सालाना 350 करोड़ रुपए का ठेका दिया गया था।

दो मैग्जीन से ही होती थी सालाना 10 करोड़ की कमाई..

आसाराम के नाम से ऋषिप्रसाद और लोककल्याण सेतु नाम की दो पत्रिकाएं भी प्रकाशित हुआ करती थीं। इन दोनों पत्रिकाओं की सालाना ढाई लाख प्रतियां बिकती थीं। जिससे करीब 10 करोड़ रुपए की आमदनी होती थी। आसाराम के दो-तीन दिनों तक चलने वाले सत्संगों में अनुयायी दान करते थे। विशेष रूप से गुरुपूर्णिमा पर विशेष कार्यक्रम होते थे और इस तरह आसाराम के आश्रम में करोड़ों रुपए का दान पहुंचता था।

एक रेड और 42 बक्सों में मिली आसाराम की कर्मकुंडली..

26 अक्टूबर 2013, पुलिस ने रेप के मामले में फरार आसाराम के बेटे नारायण साईं की तलाशी के लिए अहमदाबाद के सीजी रोड स्थित एक अपार्टमेंट में छापा मारा। रेड से पहले ही नारायण साईं यहां से भाग निकला, लेकिन अपार्टमेंट में दस्तावेजों से भरे 42 बक्से पुलिस के हाथ लग गए। इन दस्तावेजों की जांच से खुलासा हुआ कि आसाराम ने 500 से ज्यादा लोगों को 1635 करोड़ रुपए ऊंचे ब्याज पर दिए थे।

अपार्टमेंट से मिले थे 8 करोड़ रुपए कैश..

इतना ही नहीं, दो अमेरिकी कंपनियों सोहम इंक और कोस्टास इंक में 156 करोड़ रुपए का भी निवेश किया था। अपार्टमेंट से कैश 8 करोड़ रुपए भी जब्त किए गए थे। बाद में नारायण साईं के साथियों की गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ था कि उसे गिरफ्तारी से बचाने के लिए ये रुपए पुलिस को रिश्वत देने के लिए जमा किए गए थे।

आसाराम का साम्राज्य 10 हजार करोड़ रुपए के ऊपर..

सूरत के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना और उनकी टीम ने जब आसाराम के अलग-अलग दस्तावेजों की जांच की, तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। राकेश अस्थाना ने ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को चिट्ठी लिखकर बताया था कि आसाराम और नारायण साईं ने कई कंपनियों में भारी निवेश कर करोड़ों की टैक्स चोरी की थी।
साथ ही, बड़ी संख्या में देश भर के कई व्यापारियों, उद्योगपतियों और रियल एस्टेट डीलरों के नाम भी सामने आए थे, जिनसे ब्लैक मनी को व्हाइट में बदलने के लिए आसाराम के साथ लेनदेन हुआ करता था। जांच में आसाराम का साम्राज्य का आंकड़ा 10 हजार करोड़ रुपए के पार पहुंचा था।

एक साधारण शख्स से आसाराम बनने की कहानी..

इसकी शुरुआत होती है 7 अक्टूबर 1964 से। आसाराम की आधिकारिक वेबसाइट पर वर्षों पहले एक डॉक्युमेंट्री अपलोड की गई थी। इसमें दी गई जानकारी के मुताबिक आशुमल के रूप में पहचाने जाने वाले आसाराम के परिवार ने गुजरात के भरूच में एक धार्मिक अनुष्ठान किया था।
इस अनुष्ठान के दौरान मां और पत्नी ने उनसे आध्यात्म का मार्ग छोड़कर गृहस्थ जीवन शुरू करने की बात कही। आशुमल अपनी मां और पत्नी की बात मान जाते हैं और गृहस्थ जीवन शुरू करने परिवार के साथ अहमदाबाद जाने वाली ट्रेन में सवार हो जाते हैं, लेकिन कुछ देर बाद ही वे चलती ट्रेन से कूद जाते हैं। यहां से वे मुंबई जाने वाली ट्रेन में सवार हो जाते हैं।
ट्रेन से आशुमल मुंबई के पास वाजेश्वरी पहुंचते हैं। यहां उनकी मुलाकात लीलाशाहजी से होती है। लीलाशाहजी उन्हें अपने शिष्य के रूप में स्वीकार कर लेते हैं और उनका नाम आशुमल की जगह 'आसाराम' रख देते हैं।
वाजेश्वरी में कुछ साल गुजारने के बाद आसाराम वापस अहमदाबाद पहुंचते हैं। वे साबरमती के तट पर बहुत ही कम आबादी वाले क्षेत्र में 'मोक्ष कुटीर' की स्थापना करते हैं। यहां वे पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन के साथ लोगों की समस्याएं सुनने और उनके समाधान का रास्ता दिखाते हैं।
जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, आसाराम की कीर्ति फैलती जाती है। वे लोगों के पूजनीय हो जाते हैं। इस तरह 'मोक्ष कुटीर' जो कभी एक झोपड़ी हुआ करती थी, वह अब भव्य आश्रम का रूप ले लेती है। त्योहार हो या छुट्टी, आश्रम में भक्तों की भीड़ दिन-ब-दिन बढ़ती जाती है।
आसाराम भी धीरे-धीरे देश सहित विदेशों तक में धर्म के नाम पर अपना अभियान शुरू कर देते हैं। इससे करोड़ों रुपए की आमदनी होने लगती है। इस तरह करीब चार दशक में आसाराम की संपत्ति 10 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाती है।

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