भोपाल के जगदीशपुर में मंदिर के शिव के अवशेष मिले तो इन्होने जगदीशपुर को भी परमारो से जोड दिया, क्योंकि बहुत से गोंड अंजाने में बोलते है के हम मूर्ती पूजक नही देखलो गोंडो अपनी नादानी का नतिजा, अब इन 10th पास इतिहासकारो को तो वजह मिलनी थी, तो परमारो का नाम ही ये मंदिर कर दिये अब इनको ये तक नही मालूम के गोंडवाना का राज्य चिन्ह हाथी ऊपर सिंह है, जो कि भोजपुर शिवमंदिर में सीडियो में अंकित है, तो छोटा गोंडो का बच्चा भी बता देगा ये गोंड ठाकुरो की विरासत है इसमें दिमाग लगाने की ज़रुरत ही नही थी, किस आधार पर इन इतिहासकारो ने गोंडो की विरासत भोजमंदिर (बड़ादेव मन्दिर) को राजा भोज का बता दिया🤔 इन इतिहासकारो को ये मालुम भी नही कि गोंडवाना में महादेव को बड़ादेव के नाम से पूजा जाता है, जिनकी 88 पीडियों के नाम प्राचीन गोंडी धर्म की लोककथाओ में मिलते है.. गोंड वंश उन्ही शंभु के वंसज है, जो कि शेवमत मानते है, अब करते है राजनीति की बात भोजपुर मंदिर में बने इस गोंडवाना साम्राज्य का राज्य चिन्ह इस बात प्रमाण दे रहा है कि ये मंदिर गोंड राजा भूपाल शाह सल्लाम जी, के सल्लाम के वंसजो ने 11 AD य़ा 10 AD के मध्य बनवाया गया होगा क्योंकि कुछ दिन पहले इस्लाम नगर को जगदीशपुर के नाम पर किया गया है.. ज़िसमें गोंडमहल 11 AD में गोंड राजाओ के ज़रिये बन वाया गया था, तो भोजपुर मंदिर भी ऊंन्ही गोंड राजा ने बनाया हो ओर जिन इतिहासकारो ने गोंडवाना के इतिहास के साथ खिलवाड़ किया है और इतिहास में यह अंकित किया कि यह मंदिर परमार बंस के राजा भोजपाल जी ने बनवाया, शायद इतिहासकार को यह डर सता रहा होगा कि आने वाले समय में गोंडवाना साम्राज्य एकबार फिर स्थापित न हो जाए। जब गोंडो के नए युवाओ ने भोजपुर मंदिर पर गोंड वंश का दाबा किया यह कहकर कि वहां पर गोंडवाना राज्य चिन्ह पाया गया सरकार ने अलग से 1 ऐकड जमीन देने को कहा मगर हमारे गोंड युवाओ ने मना कर दिया दाल मैं कुछ काला है.
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