चार दिनों से 300 से अधिक अतिक्रमणकारी जंगल में कब्जा किए हुए हैं, तीर-कमान के आगे पुलिस-वन विभाग भी बेबस

More than 300 encroachers are captured in the forest, police-forest department is also helpless in front of bow and arrow

मध्यप्रदेश में बुरहानपुर जिले के नेपानगर से करीब 30 किमी दूर नावरा रेंज का घाघरला जंगल। यह जंगल नावरा और नेपानगर के एरिया में आता है। अतिक्रमणकारी यहां कब्जा करते चले जा रहे हैं। चार दिनों से 300 से अधिक अतिक्रमणकारी जंगल में कब्जा किए हुए हैं। शनिवार को जब इन्हें खदेड़ने जंगल में पुलिस उतरी, तो अतिक्रमणकारियों ने हमला कर दिया। टीम जैसे-तैसे जान बचाकर भागी। पुलिस के वाहनों पर पथराव भी कर दिया गया। करीब 200 अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया गया। कलेक्टर ने धारा 144 लगा दी है।

दरअसल, यह लड़ाई जंगल काटकर जमीन हथियाने की है। विवाद आदिवासियों और अतिक्रमणकारियों के बीच है। चूंकि अतिक्रमणकारी भी आदिवासी हैं। ऐसे में पुलिस-प्रशासन भी सख्त कदम उठाने से बच रहे हैं।

जंगल में अतिक्रमण क्यों कर रहे हैं? पुलिस कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रही? गांव के लोग पुलिस के साथ कार्रवाई में शामिल हैं, वो क्या चाहते हैं? अतिक्रमणकारी आए कहां से हैं और वो हैं कौन? सिलसिलेवार पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

पहले जानते हैं जंगल में अतिक्रमण क्यों?

घाघरला जंगल के पास एक स्कूल है। स्कूल के बाहर बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ है। अंदर पुलिस फोर्स और अफसर मौजूद हैं। ग्रामीण कह रहे हैं कि पुलिस टीम जंगल में जाकर अतिक्रमणकारियों को खदेड़े। गांव वालों में आक्रोश वो जोर-जोर से आवाज लगा रहे हैं। ग्रामीण अफसरों को गांव से बाहर नहीं जाने देने की बात कह रहे हैं। इधर, दूर जंगल में पहाड़ी से अतिक्रमणकारी व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहे हैं। दरअसल, यह सब केवल वन कटाई के लिए नहीं, बल्कि जमीन हथियाने के लिए हो रहा है। कारण- सीएम की वनाधिकार पट्टे की घोषणा। इसके बाद लगातार वन कटा।

जंगल काटने वाले आखिर हैं कौन?

जंगल काटने वाले बुरहानपुर के नहीं, बल्कि पड़ोसी जिले खंडवा, खरगोन, बड़वानी से आए हैं। करीब 6 महीने से नावरा रेंज में वन कटाई हो रही है। अतिक्रमणकारियों ने पहले बाकड़ी, सीवल, साईखेड़ा और पानखेड़ा को निशाना बनाया। 

जंगल काटने वाले आखिर हैं कौन?

अब घाघरला के जंगल में अंधाधुंध कटाई की जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह सब वोटों की राजनीति के चक्कर में हो रहा है। सरकार कार्रवाई नहीं कर रही। पिछली बार विदिशा के नटेरन में वनकर्मियों ने कार्रवाई की, तो पूरी टीम को ही निलंबित होकर हर्जाना भुगतना पड़ा।

ग्रामीणों में किस बात का आक्रोश..

गांव में रहने वाले उमाकांत पाटिल ने कहा- सामने जंगल जल रहा है। हम गरीब कहां जाएंगे। हमें जंगल बचाना है। अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो अफसरों को नहीं जाने देंगे। वहीं, राजेश कास्डेकर ने कहा- राजनेता एक-दो बार आए। केवल आश्वासन दिया। अतिक्रमणकारियों को भगाने का हम प्रयास कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन असमर्थ है। पब्लिक आगे जाती है, प्रशासन पीछे रहता है। सीने पर तीर खाने के लिए पब्लिक खड़ी है, लेकिन प्रशासन के पीछे होने से अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हैं। वे एक्शन नहीं ले रहे। कोई सख्त कार्रवाई करने का इनका इरादा भी नजर नहीं आ रहा है। अब तक कोई आदेश नहीं आया कि कार्रवाई करो।

छायाबाई ने कहा- खेत किनारे आकर जंगल काट रहे हैं। खेत में नहीं जा पा रहे हैं। हमारा चना सूख गया, गेहूं पड़ा है। नाकेदार कार्रवाई नहीं कर रहे।

दुर्गाबाई ने कहा- सीएम शिवराज का काम है कि इन्हें जंगल से भगाएं। ऊपर से आदेश दें। गांव के बच्चों का ज्यादा कम हो जाएगा, तो क्या करेंगे। गांववालों के लिए कानून है। उनके लिए कोई कानून नहीं है। हमारे जंगल बचना चाहिए। लीला बाई ने कहा- इनको आदेश नहीं है क्या। आज हमला किया उन्होंने।

पुलिस-प्रशासन इसलिए नहीं कर रहे कार्रवाई..

गांव वालों का आरोप है कि इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में सरकार भी नहीं चाह रही कि वह अपने वोटर को गुस्सा करे। थोड़ा भी कम ज्यादा होने पर अफसरों के खिलाफ ही कार्रवाई होगी। विदिशा जिले में भी कटाई का पता चलने पर कार्रवाई करने गई वन विभाग की टीम द्वारा चलाई गई गोली से एक युवक की मौत हो गई थी। तब भी जंगल गई टीम पर गाज गिरी थी। शनिवार को भी कलेक्टर भव्या मित्तल, एसपी राहुल कुमार लोढ़ा, एसडीएम हेमलता सोलंकी मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों ने रोककर कहा-आप कब कार्रवाई करेंगे. अफसरों ने कहा-हम पूरी तरह तैयार हैं। 

चार दिनों से 300 से अधिक अतिक्रमणकारी जंगल में कब्जा किए हुए हैं, तीर-कमान के आगे पुलिस-वन विभाग भी बेबस

अतिक्रमणकारियों को खदेड़ा जाएगा। देर शाम तक यही स्थिति बनी रही। हालांकि फोर्स कार्रवाई के लिए जाने के लिए तैयार हुआ, लेकिन फिर आगे नहीं बढ़ पाया।

अब जानते हैं पुलिस-प्रशासन क्या कह रहा..

घाघरला के जंगलों को अतिक्रमणकारियों से किया मुक्त..

दिनभर मीडिया से दूरी बनाने वाले प्रशासन ने रात में प्रेसनोट जारी किया। कहा गया- पुलिस, प्रशासन, वन विभाग द्वारा शनिवार को संयुक्त कार्रवाई करते हुए घाघरला के जंगलों को अतिक्रमणकारियों से मुक्त करा दिया गया है। कार्रवाई से क्षेत्र अतिक्रमणकारियों से मुक्त हो गया है। कार्रवाई कलेक्टर भव्या मित्तल, एसपी राहुल कुमार लोढा और वनमण्डलाधिकारी अनुपम शर्मा के संयुक्त मार्गदर्शन में की गई। कार्रवाई देर शाम तक जारी रही। वन विभाग के अधिकारियों को आदेशित किया गया है कि क्षेत्र में चिन्हित स्थानों पर बनाई अस्थाई चौकियों पर सुरक्षा के पूर्ण इंतजाम समेत उचित संख्या में बल मौजूद रहे। नियमित रूप से क्षेत्र की पेट्रोलिंग की जाए।

150-200 लोगों पर केस..

बुरहानपुर एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने बताया कि घाघरला से अतिक्रमणकारियों को खदेड़ दिया गया है। मैं खुद मौके पर था। अभी वापस लौटा हूं। करीब 150 से 200 अज्ञात अतिक्रमणकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। सभी ने एकजुट होकर काम किया है।

वन अधिकारी के अनुसार पूरी घटना..

वन विभाग के एसडीओ अनिल विश्वकर्मा ने बताया - 9 मार्च को घाघरला के ग्रामीणों, स्थानीय वन अमले, जनप्रतिनिधियों द्वारा सूचना दी गई थी कि वन परिक्षेत्र नावरा के तहत घाघरला के जंगल के कक्ष क्रमांक 279 में अवैध कटाई, अतिक्रमण के उद्देश्य से अतिक्रमणकारी घुस गए हैं। इस पर बुरहानपुर वनमंडल का 130 वनकर्मी शाम 7.30 बजे घाघरला शासकीय स्कूल परिसर पहुंच गए। 60 एसएएफ जवान भी मौजूद थे। ग्रामीणों, स्थानीय वनरक्षकों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार घाघरला के जंगल में करीब 300 अतिक्रमणकारी मौजूद थे। इनके पास गोफन, पत्थर और तीर मौजूद हैं, क्योंकि यह सिर्फ वन अतिक्रमण की नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था का भी मुद्दा था।

इससे निपटने के लिए वनमंडल अधिकारी अनुपम शर्मा ने रात में फोन पर और 10 मार्च की सुबह एसपी से आंसू गैस समेत पुलिस बल मांगा। कलेक्टर से कार्यपालक मजिस्ट्रेट अधिकारी को भेजने का निवेदन किया। 14 पुलिसकर्मियों का बल 10 मार्च को शाम को पहुंचाया गया, जो हालात संभालने के लिए कम था।

10 मार्च को ही अल्पकालीन समय के लिए एसडीएम और तहसीलदार भी आए, जो कुछ देर बाद लौट गए। इसके अतिरिक्त प्रशासन, पुलिस ने कोई सहयोग नहीं दिया, बल्कि मामूली आधार पर आरोप प्रत्यारोप के पत्र जारी करते रहे। स्थिति को देखते हुए वनमंडल अधिकारी ने कलेक्टर को फोन पर कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति में हवाई फायरिंग की अनुमति देने का भी निवेदन किया, लेकिन कलेक्टर ने इसे नामंजूर कर दिया।

वहीं, दूसरी ओर मुख्य वन संरक्षक खंडवा वन वृत्त आरपी राय ने स्वयं करीब 100 वनकर्मी तत्काल भिजवाए। 11 फरवरी की सुबह वन अमले को फॉल इन करवाते समय 100 से अधिक घाघरला गांव के उग्र ग्रामीण शोर मचाते हुए जंगलों में घुसने लगे।

गोफन, पत्थर और तीर कमान से लैस अतिक्रमणकारी निहत्थे ग्रामीणों से मुठभेड़ करके उनको क्षति न पहुंचाए, इस उद्देश्य से वन अमले ने ग्रामीणों को रोकने के लिए जंगल में डीएफओ अनुपम शर्मा के नेतृत्व में प्रवेश किया। कुछ दूर जाते ही अतिक्रमणकारियों ने वन अमले पर गोफन, पत्थर और तीरों से हमला कर दिया। इसमें 13 वनकर्मी व एक ग्रामीण घायल हो गए, जिन्हें हॉस्पिटल पहुंचाया गया। ग्रामीण को रेडक्रॉस सोसाइटी से 20 हजार रुपए की सहायता दी है। घुसपैठ की सूचना के 2 दिन बाद कलेक्टर-एसपी घाघरला पहुंचे। कलेक्टर भव्या मित्तल ने शनिवार को हालात को देखते हुए धारा 144 लगा दी है।

100 से अधिक हथियार बंद जवान डेरा डाले..

घाघरला के ‎स्कूल में एक-डेढ़ हफ्ते से‎ SAF के 100 हथियार बंद‎ जवान डेरा डाले हैं। 200 से ज्यादा‎ वनकर्मी भी मुस्तैद हैं। इनमें अधिकांश निहत्थे हैं।‎ दैनिक भास्कर की टीम ने यहां मौजूद एसएएफ के जवानों से बात की, तो वे बोले- 8 जवान ही पूरा जंगल खाली‎ करा दें, लेकिन जंगलराज पर‎ सख्त कार्रवाई के निर्देश तो‎ छोड़िए, इन्हें स्कूल से आगे जाने‎ तक की अनुमति नहीं है। चुनावी‎ साल में वोटों की राजनीति और‎ छह दिन बाद मुख्यमंत्री‎ के दौरे के‎ कारण प्रशासन खामोशी ओढ़े‎ जंगल कटते देख रहा है। दिखावे‎ की कार्रवाई के नाम पर गांव में‎ फोर्स तैनात है।

वहीं, अंदर 350 से ज्यादा‎ अतिक्रमणकारी बेखौफ‎ जंगल काट रहे हैं। कार्रवाई‎ नहीं हो रही, उल्टे अमले‎ की तैनाती और इनके राशन पानी‎ पर खर्च हो रहा है, सो अलग। वन विभाग हमेशा की तरह‎ मजबूर है, तो एसएएफ बल को‎ आदेश का इंतजार है। ‎

विधायक को सुनाई खरी-खोटी..

घाघरला में शनिवार शाम नेपानगर विधायक सुमित्रा कास्डेकर पहुंचीं। ग्रामीणों ने उन्हें खरी-खोटी सुनाई। विधायक भी उन्हें समझाइश देती रहीं। वहीं, जिस सरकारी स्कूल में अफसर, फोर्स तैनात था, वहां लोहे का गेट लगा था। कुछ ग्रामीण इस लोहे के गेट पर ताला लगा गए थे। अफसरों के वाहन निकालने के लिए पुलिसकर्मी से ताला तुड़वाया गया। ग्रामीणों में अतिक्रमणकारियों को लेकर आक्रोश है। उनका कहना है कि प्रशासन को उन्हें खदेड़ना चाहिए।

सांसद बोले- मैं बाहर हूं, सकारात्मक प्रयास जारी..

सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने कहा- मैं फिलहाल बाहर हूं, लेकिन सकारात्मक प्रयास जारी हैं। एक बार घाघरला पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया था। ग्रामीणों से कहा था कि सीएम से मुलाकात कराएंगे। वहीं, पूर्व सांसद और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव तो मामले से अनजान नजर आए। उन्होंने कहा- मैं पता करता हूं कि घाघरला में क्या हुआ है।

सात माफिया; दो जिलों के जंगल साफ करने के बाद अब बुरहानपुर में

सीसीएफ, जंगल बचाने के लिए संघर्ष कर रहे पांढुरंग, शौकत अली, उमाकांत, रतन सिंह और नंदकिशोर के मुताबिक जंगल पर कब्जा करने के लिए पास के जिलों से सैकड़ों की संख्या में लालच देकर लोगों को लाते हैं। इन सबका सरदार 50 हजार का इनामी फूल सिंह है। वो नावड़िया सरदारों का सरदार कहलाता है। कब्जाई जमीन का अवैध सौदा होता है। जैसे कि एक हजार हेक्टेयर पर कब्जा करने के बाद इनका जुबानी करार होता है। जिसे जुबान देते हैं उससे रुपया लेकर जमीन छोड़कर दूसरी जमीन पर कब्जा करने के लिए निकल जाते हैं।

फूल सिंह- नावड़ियों (नवाड़ मतलब अतिक्रमण करने वाले) के सरदारों का सरदार। 50 हजार का इनामी। तीन गाड़ियों के काफिले में चलता है।

रेमला- ठाठर क्षेत्र में आतंक। ये भी जंगल काटने के लिए बाहर से आदिवासियों का झुंड लेकर आता है।

नंदराम एवं नांदला- बाखड़ी क्षेत्र में वन कटाई में संगठित अपराध का पर्याय। 9 दिसंबर को गिरफ्तार नंदराम 30 हजार का इनामी रहा है।

लीलाराम/मन्नू/रेव सिंह- नावड़ियां सरदार हैं जो वन भूमि पर कब्जा करवाता है। कई मामले दर्ज हैं।

माधुरी बेन बोलीं- हम पत्र लिख चुके, तबाही रोकने फोर्स लगा दो.

सीसीएफ और आदिवासी कार्यकर्ताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। सीसीएफ खंडवा का कहना है कि आदिवासी कार्यकर्ता माधुरी बेन के इशारे पर अतिक्रमणकारी जंगल को काट रहे हैं और कब्जा कर रहे हैं। ये बात सरकार के संज्ञान में लाई जा चुकी है। वहीं माधुरी बेन का कहना है कि जंगल की तबाही रोकने हम सरकार से लेकर लोकल प्रशासन को भी पत्र लिख चुके हैं। पिछले 6 महीनों में वन विभाग के इशारे पर जितना जंगल कटा है, उतना पहले कभी नहीं कटा।

5 महीने में वन अमले पर 7वां हमला..

बुरहानपुर में 2 महीने में ही वन अमले पर 5 बार हमले हो चुके हैं। 11 मार्च को हमले में 14 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। 2 मार्च को वन विभाग के ऑफिस में हमला करके 4 आरोपियों को छुड़ा ले गए थे। 28 नवंबर को बाकड़ी वन चौकी पर हमला कर 17 बंदूक और 652 कारतूस लूट लिए थे। 9 दिसंबर को सीसीएफ-डीएफओ के काफिले पर हमला कर दिया था। 19 एवं 21 अक्टूबर को अतिक्रमण हटाने गए वन अमले पर हमला हुआ। 11 अक्टूबर को जामुन नाला के पास हमले में रेंजर सहित 8 वनकर्मी घायल हुए थे।

एसपी बोले- बाहर से आने वालों को चिह्नित किया है..

एसपी राहुल लोढ़ा का कहना है कि कुछ सालों पहले यही बड़बानी, खरगौन में हो रहा था जो अब बुरहानपुर में होने लगा है। हम जितना सपोर्ट कर रहे हैं उतना वन विभाग का कहीं नहीं मिल सकता। 300 लोगों का फोर्स और एक एसएएफ की कंपनी वन विभाग के पास है। हम घाघरला का अतिक्रमण बिना एक भी गोली चलाए 3 बार हटवा चुके हैं। हमने उन्हें भी चिन्हित कर लिया है जो बाहर से आकर अतिक्रमणकारियों का साथ दे रहे हैं।

अतिक्रमणकारियों को खदेड़ने जंगल में घुसी पुलिस पर हमला..

बुरहानपुर जिले में अतिक्रमणकारियों को खदेड़ने के लिए जंगल में घुसी पुलिस पर हमला किया गया है। शनिवार सुबह करीब 9.30 बजे वन विभाग, पुलिसकर्मियों, SAF (विशेष शस्त्र बल) की टीम जंगल में पहुंची, लेकिन दूसरी ओर से अतिक्रमणकारियों ने तीर, गोफन और पत्थरों से हमला कर दिया। इसके बाद टीम वहां से जान बचाकर भागी।

Note- यह लड़ाई जंगल काटकर जमीन हथियाने की है। विवाद आदिवासियों और अतिक्रमणकारियों के बीच है। चूंकि अतिक्रमणकारी भी आदिवासी हैं। ऐसे में पुलिस-प्रशासन भी सख्त कदम उठाने से बच रहे हैं।
News credit- Dainik Bhaskar

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