मध्य प्रदेश(madhya pradesh) के इंदौर में नगर निगम ने सोमवार सुबह बेलेश्वर मंदिर का अवैध निर्माण वाला हिस्सा तोड़ दिया। रामनवमी (ramnavmi) के मौके पर इसी मंदिर में बावड़ी(Bawdi) की छत धंसने से 36 लोगों की मौत हुई थी। अतिक्रमण हटाने के लिए सुबह 6 बजे से ही नगर निगम(Nagar Nigam) का अमला मंदिर पहुंचना शुरू हो गया।
मंदिर का अतिक्रमण हटाने के विरोध में बजरंग दल(Bajrang Dal) और हिंदूवादी संगठन(Hindutv Organisation) के कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। मंदिर के बाहर पुलिस फोर्स (Police Force) को तैनात किया गया है। प्रशासन ने ढक्कन वाला कुआं, सुखलिया और गाडराखेड़ी में भी धार्मिक स्थलों के अतिक्रमण को हटाया।
गुरुवार को रामनवमी पर हवन के दौरान मंदिर की बावड़ी की छत धंसने से 60 लोग बावड़ी में गिर गए थे। कुछ लोग खुद निकल आए और 20 लोगों को रेस्क्यू किया गया था।
नगर निगम की कार्रवाई की 3 तस्वीरें...
अवैध कब्जे से लेकर हादसे तक की तीन बड़ी बातें जान लीजिए..
1. मंदिर से जुड़े लोग बोले- कुएं का भराव नहीं किया गया, मंदिर पुराना है। यह पहले बहुत छोटा था। करीब 25 साल पहले इसके विस्तार की योजना बनी। बावड़ी बंद करने का फैसला किया गया। ट्रस्ट ने बावड़ी का भराव नहीं किया और सिर्फ गर्डर और फर्शियां डाल दीं। इस पर टाइल्स लगवा दी गईं। यानी जहां लोग रोज दर्शन के लिए खड़े हो रहे थे, वहां नीचे जमीन खोखली थी। यहीं पर रामनवमी पर आरती के दौरान भीड़ जुटने से हादसा हुआ।
2. बावड़ी के खोखले इलाके के पास अवैध निर्माण
जिस बावड़ी को बरसों पहले बिना भरे पैक किया गया उसी के पास दो साल पहले नया निर्माण शुरू कर दिया गया। नगर निगम ने इस अवैध निर्माण पर आपत्ति ली, लेकिन कार्रवाई नहीं की।
3. राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण कार्रवाई टलती रही
नगर निगम ने बावड़ी को लेकर कभी नोटिस दिया ही नहीं। उसने नए निर्माण को अवैध मानते हुए रोकने के लिए कहा, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। इसके पीछे एक बड़े भाजपा नेता का राजनीतिक दबाव था, यह बात अफसर स्वीकार रहे हैं।
गाडराखेड़ी में कुएं पर बनाईं सीढ़ियां..
नगर निगम अमला जब गाडराखेड़ी पहुंचा तो बावड़ी पर दुकान बनी मिली। वहीं, सुखलिया में पानी की टंकी के पास बावड़ी बनी हुई है। यहां बावड़ी पर झोपड़ी बना रखी है। इसमें चौकीदार रहता है।
श्रद्धालुओं को नहीं पता, नीचे बावड़ी है...
स्नेह नगर निवासी और प्रत्यक्षदर्शी जीतू भाई ने ‘दैनिक भास्कर’ से कहा कि मुझे भी कन्या पूजन के लिए परिवार से बच्चियों को लेकर जाना था। घर से निकल रहा था तभी सूचना आई कि बावड़ी धंस गई है। हम बरसों से यहां आ रहे हैं। करीब 20 साल पहले इसे बंद किया गया था। तब बावड़ी को पूरी तरह बंद नहीं करते हुए सिर्फ गर्डर फर्शी ऊपर डाली थी। आशंका है कि पुरानी गर्डर कमजोर होने के कारण वजन नहीं झेल पाए और ऊपरी हिस्सा टूट गया।
20 साल से मंदिर में दर्शन करने के लिए आ रहे श्रद्धालु दिनेश माकीजा का कहना है कि मुझे नहीं पता था कि नीचे बावड़ी है। बरसों पहले ही बंद कर दी होगी। इतना पता था कि मंदिर कैम्पस को बड़ा किया जा रहा है, इसलिए निर्माण चल रहा था।
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