गैंगरेप के बाद बच्चा हुआ, आखिरकार लड़की का डर सच साबित हुआ, दो आरोपियों को जमानत मिल गई, आग लगाकर उन्होंने गैंगरेप पीड़िता के बच्चे को उठाया और आग में फेंक दिया..
Uttar Pradesh Crime: सबसे पहले नीचे लगी दोनों तस्वीरें देखिए। पहली तस्वीर में एक 11 साल की बच्ची है, जिसका 14 महीने पहले 5 लड़कों ने गैंगरेप किया। वो कब्रिस्तान में तड़पते-तड़पते बेहोश हो गई। होश आया तो शरीर हर जगह से नुचा-कुटा और खून से लथपथ था। लड़खड़ाती हुई घर पहुंची। घटना के 5 महीने बीते। पता चला वो बच्ची मां बनने वाली है।
दूसरी तस्वीर बच्ची के 7 महीने के बेटे की है। जिन आरोपियों ने बच्ची के साथ गैंगरेप किया वो जमानत पर बाहर आए। बाहर आते ही समझौता करने के लिए बच्ची के परिवार पर दबाव डाला। परिवार नहीं माना तो आरोपियों ने पीड़िता के घर में आग लगा दी। उसी आग में पीड़िता का बच्चा बुरी तरह झुलस गया। साथ में उसकी छोटी बहन भी आग की चपेट में आ गई। इस वक्त दोनों बच्चे ICU में एडमिट हैं। उनके बचने की संभावना बहुत कम बताई जा रही है। सबसे पहले उसके दर्द को महसूस कीजिए फिर आगे की कहानी बताते हैं।
इन दो तस्वीरों के पीछे एक विभत्स घटना छिपी है। इसमें एक मासूम सी बच्ची का दर्द है, उसकी मां की बेबसी है। इस पूरी घटना को समझने के लिए हमें 431 दिन पीछे चलना पड़ेगा। आइए शुरू से शुरू करते हैं…
पांच लड़के घसीटकर कब्रिस्तान ले गए, मेरे साथ गंदा काम किया
13 फरवरी 2022. बच्ची घर के लिए चीनी लेने दुकान पर जा रही थी। दुकान घर से करीब 300 मीटर की दूरी पर थी। लेकिन एक घंटे तक बच्ची घर नहीं लौटी क्योंकि रास्ते से ही 5 लड़के उसे जबरदस्ती उठाकर कब्रिस्तान ले गए। गैंगरेप किया और उसे वहीं तड़पता हुआ छोड़कर भाग गए।
घंटा भर से ज्यादा हो गया वो घर वापस नहीं लौटी। खोजबीन शुरू हुई। मां और बाप इधर-उधर भाग भागकर ढूंढने लगे। कब्रिस्तान के आस-पास भी आवाज लगाई पर कोई जवाब नहीं आया। क्योंकि वो असहनीय दर्द से बेहोश हो गई थी। दो घंटे बाद उसे होश आया। उसके कपड़े खून से सने हुए थे। जैसे-तैसे लड़खड़ाती हुई घर पहुंची। सबने बार-बार सवाल पूछे। वो कुछ बोल ना पाई।
सुबह हुई। वो गुमसुम सी बैठी रही। मां ने फिर से पूछा, “क्या हुआ था?” बच्ची उनसे लिपटकर रोने लगी। मां ने उसे संभाला और कहा, बताओ तो सही क्या हुआ था? बच्ची इस बार चुप नहीं रही। उसने गांव के ही पांच लड़कों का नाम लेते हुए कहा, “इन सभी ने मेरे साथ गंदा काम किया है।” मां को भरोसा ही नहीं हो रहा था कि घर के बगल में रहने वाले ये लड़के ऐसा कर सकते हैं। उसने माथा पीट लिया। बेटी को लेकर थाने पहुंची। गैंगरेप सुनते ही पुलिस सक्रिय हुई और तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
लड़की के पेट में दर्द हुआ तो डॉक्टरों ने कहा, सिर्फ सूजन है
घटना के करीब 1 महीने बाद बच्ची के पेट में तेज दर्द उठा। परिवार के लोग उन्नाव के जिला अस्पताल पहुंचे। रेप केस था इसलिए पुलिस भी पहुंच गई। बच्ची का अल्ट्रासाउंड हुआ। रिपोर्ट आई तो डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची के पेट में सूजन है इसलिए दर्द हुआ। प्रेग्नेंसी की बात उसे बताई ही नहीं गई। वह सूजन कम होने की दवा खाती रही।
उल्टियां हुईं तो मां ने चीनी का घोल पिला दिया
बच्ची धीरे-धीरे सब भूलना चाहती थी लेकिन उसके पेट में हो रहा असहनीय दर्द उसे सब याद दिलाता रहा। एक महीने से सूजन की दवा खा रही थी पर उसे कोई राहत नहीं मिली। उसका छोटा सा शरीर दर्द से ऐंठने लगा। एक दिन वो सुबह उठी तो उसे उल्टियां होने लगीं। मां ने पानी में चीनी घोल कर बच्ची को पिला दी। कुछ राहत मिली तो वो सो गई। पर अब हर दिन ऐसा होने लगा।
कभी उसे उल्टियां होतीं, कभी चक्कर जैसा महसूस होता। मां उसे लेकर डॉक्टर के पास गईं। दोबारा बच्ची की जांच हुई। रिपोर्ट्स आईं तो मां के पैरों तले जमीन खिसक गई। बच्ची के पेट में डेढ़ महीने की नन्हीं सी जान पल रही थी।
बच्ची के दादा और चाचा ने रेप के बाद मुंह मोड़ लिया
बच्चे की बात सुनकर मां-बाप खुद को संभाल नहीं पा रहे थे। बच्ची के पिता ने कहा, “रेप के बाद पूरा गांव हमारे खिलाफ हो गया था। कोई हमारा साथ नहीं देता था। यहां तक कि मेरे पिता और भाई ने भी हमसे मुंह मोड़ लिया था। परिवार में पहले से ही जमीनी विवाद थे लेकिन इस घटना के बाद उन्होंने हमारे परिवार को कोसना शुरू कर दिया।”
“गांव के लोग भी आते-जाते सब ताने मारते थे। पर ये सब हम भूलने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन बच्ची के पेट में बच्चा होने से हमारी बची खुची इज्जत भी चली गई। कई बार मन किया कि हम खुद को खत्म कर लें लेकिन परिवार का सोचकर ऐसा करने की हिम्मत नहीं हुई।”
बच्ची से झूठ बोल दिया कि उसके पेट में पत्थर है
मां ने बताया, “हम तो झेल लिए पर अपनी 11 साल की बच्ची को कैसे बताते कि वो मां बनने वाली है। इसलिए उसको झूठ बोल दिया। उससे बताते रहे कि उसके पेट में पत्थर है इसलिए ये दर्द हो रहा है।” वो आगे कहती हैं कि एक तरफ हम बच्ची से झूठ बोलते रहे, दूसरी तरफ उसका बच्चा गिराने की कोशिश करते रहे। लेकिन हमें इजाजत नहीं मिली। डॉक्टर का कहना था कि बच्ची अभी बहुत छोटी है और उसके पेट में बच्चा भी डेढ़ महीने का हो गया है। अब एबॉर्शन करवाने से बच्ची की जिंदगी को खतरा हो सकता है। मां बोलीं कि हम अपनी बच्ची की जिंदगी के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहते थे इसलिए बच्चे को उसके पेट में पलने दिया।
लड़का हुआ है… यह सुनकर परिवार दुःखी था
20 सितंबर 2022। रात के करीब 3 बजे। रोज की तरह अस्पताल में सब शांत था। मरीज अपने-अपने बेड पर सो रहे थे। अचानक से अस्पताल के गेट पर चिल्लाने की आवाज आई। डॉक्टर साहब मेरी बच्ची को बचा लीजिए। वो पेट दर्द से कराह रही है। होश और बेहोशी के बीच जूझ रही थी। मां के चिल्लाने की आवाज सुनकर डॉक्टर वहां पहुंचे। देखा बच्ची का पेट फूला हुआ था। मां गिड़गिड़ाती रही पर उसकी बच्ची को रात में एडमिट नहीं किया जा रहा था। मिन्नतों के बाद सुबह 11 बजे उसे एडमिट किया।
21 सितंबर 2022। दोपहर करीब 12 बजे अस्पताल के वार्ड में किलकारियां गूंजी। बच्ची मां बन गई। उसने एक लड़के को जन्म दिया था। ये सुनकर बच्ची की मां रो रही थी। पिता पास में मायूस खड़े थे। उनके चेहरे पर खुशी की जगह मन में गुस्सा और बच्चे की देखभाल की चिंता थी।
3 आरोपी गिरफ्तार हुए पर 2 आजाद घूम रहे थे
मामले की FIR होने के बाद बच्ची ने 5 आरोपियों का नाम बताया। पुलिस ने 3 के खिलाफ FIR दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। लेकिन बाकी दो जो बाहर थे वो अक्सर बच्ची के परिवार को जान से मारने की धमकियां देते। वक्त बीता, धीरे-धीरे परिवार सब भूलने की कोशिश करने लगा।
परिवार के मन में समाज का और आरोपियों का डर था जिस वजह से अब वो बच्ची को बाहर अकेले नहीं भेजते थे। बच्ची के एक कमरे के घर में दाहिनी तरफ खूंटी पर उसका स्कूल बैग टंगा था। बैग में लिखा था, सब पढ़ें-सब बढ़ें। लेकिन बच्ची अब पढ़ाई के लिए भी घर से नहीं निकल रही थी। उसे इस बात का डर है कि अगर स्कूल गई तो वो लोग उसे मारने की कोशिश करेंगे।
…आखिरकार उसका डर सच साबित हुआ दो आरोपियों को जेल से जमानत मिल गई
अप्रैल 2023. बच्ची का परिवार खौफ में जैसे-तैसे अपनी जिंदगी बिता रहा था। तभी एक दिन जो तीन आरोपी जेल में बंद थे उनमें से दो आरोपी जमानत पर बाहर आ गए। बाहर आने के अगले दिन ही वो पीड़िता के घर पहुंचे। पीड़िता के परिवार से सुलह करने का दबाव बनाया। वो नहीं माने तो आरोपियों ने पीड़िता के पिता को मारा-पीटा। इसके बाद आरोपी केस वापस लेने की धमकी देकर वापस चले गए। पिता को काफी चोट आई। हालत खराब थी इसलिए उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
पिता अस्पताल में एडमिट थे तब मां-बेटी को पीटा और घर जला दिया
17 अप्रैल 2023. शाम का वक्त था। लड़की के पिता अस्पताल में भर्ती थे। लड़की, उसका बच्चा, उसकी मां और भाई-बहन घर में थे। लड़की की मां घर का काम कर रहीं थीं कि दोनों आरोपी फिर से उसके घर पहुंचे। इस बार आरोपियों के साथ पीड़िता के दादा और चाचा भी थे। कुछ देर तक उन्होंने बच्ची की मां से केस वापस लेने के लिए कहा। वो नहीं मानी।
बच्ची की मां ने बताया कि इसके बाद दोनों आरोपियों ने बच्ची और उन्हें लाठी-डंडे से पीटना शुरू कर दिया। वो खुद को बचाने के लिए कुछ कर पातीं इससे पहले ही घर के ऊपर पड़े छप्पर में आग लगा दी। आग लगाकर उन्होंने गैंगरेप पीड़िता के बच्चे को उठाया और आग में फेंक दिया। इसके साथ ही पीड़िता की छोटी बहन भी उस आग में झुलस गई।
इसके बाद आरोपी भाग गए। हंगामा हुआ। देखा गया तो दोनों बच्चे आग में बुरी तरह झुलस गए थे। इसके बाद पीड़िता के 7 महीने के बच्चे और 2 महीने की बहन को तुरंत उन्नाव जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां से कानपुर के हैलट अस्पताल, उसके बाद लखनऊ के KGMU रेफर कर दिया गया।
फिलहाल, दोनों बच्चे करीब 45% झुलस चुके हैं। ICU में एडमिट हैं। डॉक्टरों का कहना है कि दोनों ही बच्चों की हालत बहुत सीरियस है। पीड़िता के पिता ने कहा कि डॉक्टर बताते हैं कि अब बच्चों को बचा पाना बहुत मुश्किल है।
रेप से जुड़े सारे सबूत जलकर राख हो गए
पीड़िता के पिता ने बताया कि हादसे के बाद से हम घर वापस नहीं गए हैं लेकिन लोगों ने बताया कि सब जल गया है। रेप से जुड़े सारे सबूत, बेटी की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट, हमारा फोन जिसमें रिकॉर्डिंग्स थीं वो सब जलकर राख हो गया है।
बहुत हताश होकर वो बोलते हैं कि आरोपियों को जो करना था वो उन्होंने कर लिया। अब हमारी बस इतनी ही इच्छा है कि मेरी बेटी को इंसाफ मिले। जल्द से जल्द आरोपियों को उनके किए की सजा मिल जाए।
नोट: पहचान छिपाने के लिए पीड़िता और उसके परिवार का नाम और चेहरा छुपाया गया है।
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