हिमाचल सरकार प्रदेश में भांग की खेती को वैध करने की तैयारी में हैं। इसके लिए सरकार ने 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जिसमें विधायक सुंदर ठाकुर, विधायक हंस राज (माला हंसराज), विधायक जनक राज (विधायक जनक राज) और विधायक पूर्ण चंद (विधायक पूर्णचंद) सदस्य बनाए गए हैं।
कमेटी के अध्यक्ष विधायक जगत सिंह नेगी (समिति के अध्यक्ष विधायक जगत सिंह नेगी) होंगे। समिति हिमाचल के उन क्षेत्रों का उल्लंघन करती है जहां पर भांग की खेती अवैध रूप से की जाती है।
कमेटी 1 महीने में देगी अपनी रिपोर्ट..
सभी दस्तावेज का अध्ययन करने के बाद एक महीने के भीतर अपनी सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगे। इसी रिपर्ट के पर भांग की खेती को वैध करने के बारे में सरकार अंतिम निर्णय लेगी।
राजस्व बढ़ाने के लिए खेती को वैध करेंगे..
सरकार राज्य में भांग की खेती को राजस्व अनावश्यक करने के उद्देश्य से वैध करने की सोच रही है। सुक्खू सरकार (sukku sarkar) का मानना है कि औषधीय और औद्योगिक क्षेत्र (फार्मास्यूटिकल और औद्योगिक क्षेत्र) के लिए भांग की खेती कारगार सिद्ध होगा।
भांग में पाए जाते हैं औषधीय गुण..
भांग में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसके उपयोग से कैंसर(कैंसर), मधुमेह(मधुमेह), उच्च रक्तचाप(उच्च रक्तचाप), अवसाद(डिप्रेशन) आदि से ग्रसित से काफी राहत मिलती है। कई देशों में भांग की खेती को कानूनी मान्यता दी गई है। देश के कई राज्यों में भांग की खेती को कानूनी दायरे में रखा गया है।
गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के मॉडल के अध्ययन सरकारें..
उत्तराखंड वर्ष 2017 में भांग की खेती को वैध करने वाला देश का पहला राज्य बना। गुजरात (गुजरात), मध्य प्रदेश (मध्य प्रदेश) और उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश) के कुछ निवासियों में भी भांग की खेती की खेती की जा रही है। प्रदेश सरकार इन सभी पहुलाओं को भी ध्यान में रखते हुए ही कोई नियम लेगी। सरकार यह भी निश्चित रूप से समझती है कि इसका उपयोग नशे के तौर पर नहीं हो सकता।
कानून क्या कहता है..
संसद में वर्ष 1985 में एनडीपीएस अधिनियम के तहत भांग को परिभाषित किया गया था, जिसके तहत भांग के संसाधनों से रिजाल और फूल निकालने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। राज्यों को सामान्य या विशेष आदेश द्वारा, केवल रेशे या बीज प्राप्त करने या इसके उद्देश्यों के लिए भांग की खेती की अनुमति देने का अधिकार है।
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