पाकिस्तानी मूल के इस्लामिक स्कॉलर तारेक फतेह का सोमवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। 73 साल के फतेह सोशल मीडिया पर काफी पॉपुलर थे। उन्हें अक्सर टीवी डिबेट्स में देखा जाता था।
तारेक फतेह जिहाद के सख्त विरोधी थे। उन्होंने हमेशा कहा कि दूसरों की जान लेना जिहाद नहीं है। फतेह हमेशा पाकिस्तान की सरकार और फौज के विरोधी रहे। वो खुद को हिंदुस्तानी कहते थे।
फतेह का जन्म 20 नवंबर 1949 को पाकिस्तान के कराची शहर में हुआ। 1960 और 70 के दौर में वो वामपंथी विचारधारा से प्रेरित रहे। उस दौरान पाकिस्तान में फौजी हुकूमत थी। फतेह को दो बार जेल भी जाना पड़ा। 1977 में जनरल जिया उल हक ने उन पर मुल्क से गद्दारी का आरोप लगाया और इसके साथ ही अखबारों में कॉलम लिखने पर भी रोक लगा दी। इसके बाद 1987 में उन्होंने कनाडा शिफ्ट होने का फैसला किया।
अपना मुल्क छोड़ दिया
वो पॉलिटिकल एक्टिविस्ट होने के साथ ही टीवी होस्ट और लेखक भी थे। उनकी किताब ‘चेसिंग ए मिराज: द ट्रैजिक इल्यूजन ऑफ एन इस्लामिक स्टेट’ बेस्ट सेलर साबित हुई। इसके अलावा, ‘द ज्यू इज नॉट माय एनिमी’ भी काफी लोकप्रिय रही।
फतेह कहते थे- मैं पंजाब का शेर, हिंदुस्तान का बेटा, कनाडा का प्रेमी, सच्चाई का पैरोकार और नाइंसाफी के खिलाफ लड़ने वाला शख्स हूं। फतेह की बेटी नताशा ने पिता के निधन की जानकारी सोशल मीडिया पर दी। नताशा ने सोशल मीडिया पर भी पिता के उन्हीं शब्दों को दोहराया जो वो अपने बारे में अक्सर कहा करते थे।
कहा था- मोदी ने पाकिस्तान को भुखमरी की कगार पर ला दिया
तारेक फतेह ने कई मौकों पर भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी का खुलकर समर्थन किया। एक पाकिस्तानी टीवी चैनल को 2021 में दिए इंटरव्यू में तारेक ने कहा था- मोदी ने बिना एक गोली चलाए पाकिस्तान को भुखमरी की कगार पर ला दिया। वक्त है जब पाकिस्तान कि सियासतदान मोदी से सीखें।
रविवार को भी नताशा ने सोशल मीडिया पर एक मैसेज पोस्ट किया था। इसमें कहा था- रविवार सुस्त रहा। पापा ने बॉलीवुड के पुराने गाने सुने और बताया कि वो भारत माता से कितना प्रेम करते हैं।
मैं तो राजपूत था..
एक इंटरव्यू में तारेक ने कहा था- मैं तो राजपूत परिवार से आता हूं, जिसे 1840 में जबरिया तौर पर मजहब बदलने के लिए मजबूर किया गया। मैं पाकिस्तान में पैदा हुआ हिंदुस्तानी बेटा हूं। मैं सलमान रुश्दी की किताब में मिडनाइट चिल्ड्रन्स के कई बच्चों में से एक हूं। हमें एक शानदार सभ्यता छोड़कर ताउम्र रिफ्यूजी बना दिया गया।
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