Gond raja chakradhar singh- इतने महान सम्राट को इस देश में छत्तीसगढ़ के अलावा कोई नही जानता ये गोंड वंशी के लिए शर्म की बात है..

Raja chakradhar singh raigarh riyasat chattishgarh

इतने महान सम्राट को इस देश में छत्तीसगढ़ के अलावा कोई नही जानता ये गोंड वंशी के लिए शर्म की बात है 

एक भारत रत्न तो इनको भी मिलना था अफसोस इनके दरबारी को बहुत से अवार्ड्स से नवाजा गया आजाद भारत में, अंग्रेजो ने महाराज के नाम पर मूवी बनायी, इनको विश्व सम्राट की उपाधि दी मगर स्वतंत्र भारत ने इनको क्या दिया? 🤔

राजा चक्रधरसिंह एक उत्कृष्ट तबला और सितार वादक तथा विलक्षण ताण्डव नर्तक थे। संगीत, नृत्य कला और साहित्य के आयोजन में उन्होंने अपार धनराशि खर्च की अनेक संगीत सम्मेलनों, साहित्यिक समितियों और कला मंडलियों को वे गुप्त दान दिया करते थे।

  • स्मिता मौकासीजी वोकल
  • शर्मिला शर्मा कथक
  • अनीस साबरी कव्वाली
  • द्वितीय दिन
  • अनुजा एवं चेतना वोकल
  • आशीष पिलाई भरतनाट्यम
  • पंडित अजय प्रसन्ना बांसुरी
  • तीसरे दिन
  • मोहसिन खान वोकल
  • रागिनी मक्खर सोलो एवं ग्रुप सेमी क्लासिकल मिक्स
  • रागिनी- विद्यार्थी
  • चौथे दिन
  • पूर्वा पांडे मोहिनीअट्टम
  • पंडित काली नाथ मिश्रा तबला
  • आईनेस स्मिल जैनिक कथक
  • पांचवें दिन
  • भगवान दास मानिक कथक रायगढ़ घराना
  • आयशा शिवाया बांसुरी
  • फरहान साबरी वोकल
  • छठवें दिन
  • पंडित परितोष पोहनकर रायगढ़ वोकल
  • बाला विश्वनाथ भरतनाट्यम
  • गौतम सिंह राज एवं कौशल सिंह कत्थक
  • सातवें दिन
  • पूनम सोलंकी छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य
  • नेहा कोकरे कथक
  • निशित गंगानी तबला
  • आठवें दिन
  • विशाल बाखोरे वोकल
  • दीपक आचार्य छत्तीसगढ़ी लोक गीत
  • पीनाज मसानी गजल
  • नौवें दिन
  • कवि सम्मेलन
  • दसवे दिन
  • भूपेंद्र मिताली
  • विट्ठल राजपुरा पखावज
  • गुरु शिखर खरे कत्थक

देश विदेश के महान साहित्यकार उनके शासन काल में गणेश मेला अपने चरम पर था। अब देश - विदेश के संगीतज्ञ , कलाविद् , साहित्यकारों का आना - जाना पहले से अधिक होने लगा। इनमें पं. ओंकारनाथ , मनहर बर्वे , नारायण व्यास, पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर जैसे महान संगीतज्ञ तथा पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी, पं. माखन लाल चतुर्वेदी, भगवतीचरण वर्मा, पं . जानकी बल्लभ शास्त्री, डॉ. रामकुमार वर्मा, रामेश्वर शुक्ल अंचल, पं. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, पं . लोचन प्रसाद पाण्डेय एवं पद्मश्री मुकुटधर पाण्डेय जैसे महान साहित्यकार पामिल थे।

पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी,

पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी,

Makhanlal chaturvedi

Shri padumlal punnalal bakshi

Doctor ramkumar verma

Bhagwaticharan verma

Rameswar shula anchal

Acharya janki ballabh shahstri

Pandit lochan prasad pandey

Baldev prasad mishra ji

Padamshri pandit mukutdhar panday

राजा चक्रधर की संस्कृत कवितायें और उपन्यास

  • मायाचक्र:
  • मूरज परान पुष्पाकर
  • मृगनयनी
  • नर्तन सर्वस्य
  • प्रेम के तीर
  • राग रत्न मंजुषा
  • राम्यारसी
  • रत्नाहारी
  • ताल टॉयनिधि
  • तालबल पुष्पकरी

संगीत सम्राट की उपाधि प्राप्त है राजा चक्रधर सिंह परते (पोर्ते) ने लिखा था 37 किलो वजनी साहित्य लिखा उनको भारतीय कवियों में जगह नही है ये है दोगलापन 😂😂 

राजा चक्रधर सिंह ने लिखा था 37 किलो वजनी साहित्य

रायगढ़ | महाराजा चक्रधर सिंह रायगढ़ रियासत के ख्यातिलब्ध राजा रहे हैं। इन्हें संगीत सम्राट नहीं विश्व संगीत सम्राट की उपाधि प्राप्त है। इन्होंने कला और संगीत से संबंधित विश्व का सबसे विशाल 37 किलो वजनी साहित्य लिखा है। जिसमें उनके समय के कलाकारों और कला का विस्तृत उल्लेख प्राप्त होते हैं। लेकिन इसका जिक्र अब तक कहीं नहीं हुआ। इंगलैंड में इनके नाम पर फिल्म बन चुका है। लेकिन भारत के फिल्मकारों को इनका इतिहास तक मालूम नहीं।

गोंड राजा चक्रधर सिंह बहादुर (19 अगस्त 1905 [1]  1947 [2] ) था राजा के रायगढ़ और के मुख्य बारगढ़ द्वारा शासित गोंड राजवंश । वह 1924 से 1947 में अपनी मृत्यु तक रायगढ़ रियासत के शासक थे । वह राजा भूप देव सिंह के पुत्र थे , जिनकी मृत्यु 1917 में हुई थी। 

उनके दरबार में केवल कलारत्न ही नहीं बल्कि साहित्य रत्न भी थे। सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री भगवतीचरण वर्मा, पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, श्री रामेश्वर शुक्ल ''अंचल``, डॉ. रामकुमार वर्मा और पं. जानकी बल्लभ शास्त्री को यहां अपनी साहित्यिक प्रतिभा दिखाने और पुरस्कृत होने का सौभाग्य मिला। अंचल के अनेक लब्ध प्रतिष्ठ साहित्यकार जिनमें पं. अनंतराम पांडेय, पं. मेदिनीप्रसाद पांडेय, पं. पुरूषोत्तम प्रसाद पांडेय, पं. लोचनप्रसाद पांडेय, डॉ. बल्देवप्रसाद मिश्र और ''पद्मश्री`` पं. मुकुटधर पांडेय आदि प्रमुख थे, ने यहां साहित्यिक वातावरण का सृजन किया। सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. बल्देवप्रसाद मिश्र रायगढ़ दरबार में दीवान रहे। श्री आनंद मोहन बाजपेयी उनके निजी सचिव और आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी उनके पथ प्रदर्शक थे। इनके सान्निध्य में राजा चक्रधर सिंह ने कई पुस्तकों की रचना की। 

1938 में, चक्रधर सिंह ने इलाहाबाद में आयोजित पहले अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन का नेतृत्व किया

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ