Mp History: गोंड ठाकुर और परमारो की एकता की वजह से मध्यभारत लूटेरो से हमेशा बचा रहा

जबलपुर के गोंड राजा उदय सिंह (1305 AD) ने धार के परमार शासक महालकदेव (1295 AD) की सहायता की एवं अलाउद्दीन खिलजी(1296) को हराकर मध्यभारत(गोंडवाना और मालवा) से भगाय़ा

जबलपुर के गोंड राजा उदय सिंह (1305 AD) ने धार के परमार शासक महालकदेव (1295 AD) की सहायता की एवं अलाउद्दीन खिलजी(1296) को हराकर मध्यभारत(गोंडवाना और मालवा) से भगाय़ा 

वीर गाथा में उदय सिंह के पूर्वज मदन शाह गोंड (1186 AD) ने  चट्टानों पर एक सुदृढ़ किले का निर्माण कराया, जिसे मदन महल का किला कहा जाता है। यह किला विश्व का सबसे छोटा परंतु सुरक्षित और सभी व्यवस्थाओं से परिपूर्ण अभेद्य किला माना जाता है। राजा मदन सिंह ने गोंडवाना साम्राज्य की सीमाओं का विस्तार दिया उनके बाद जबलपुर के राजा ऊदय सिंह मरावी ने मालवा के महाराजा महालक्ष देव ( महलक देव ) से मैत्री स्थापित की डा. राणा के अनुसार सन 1290 में जब कड़ा और मानिकपुर के सूबेदार अलाउद्दीन खिलजी ने मालवा पर आक्रमण करने की योजना बनाई राजा महलक देव ने राजा ऊदय सिंह से सहायता मांगी, तय ऊदय सिंह ने अपने मंत्री विभूति पाठक से योजना बनाकर सहायता करने का वचन दिया मालवा के मंत्री हरनंद ( कोका ) को ऊदय सिंह ने संदेश भेजा और गोंड़ो सेना को लेकर धसान नदी के किनारे डेरा डाल दिया। वर्षा काल का समय था, अलाउद्दीन खिलजी की सेना जैसे ही नदी पार करने लगी तभी गोंडी सेना ने छापामार युद्ध शैली में जहरीले तीरों, अग्निबाण और लुकेत सांपों के बाणों से हमला बोल दिया। हमले से अलाउद्दीन खिलजी की सेना में खलबली मच गई। उसकी नावें डुबो दी गई और उसके शस्त्रागार में आग,लगा दी गई कुछ ही घंटों में अलाउद्दीन खिलजी पराजित हुआ और लौट गया। इस प्रकार गोंडवाना सेना की विजय हुई और मालवा नरेश महालक्ष देव ने राजा ऊदय सिंह मरावी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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