Manipur Violence: मणिपुर में बीते 24 घंटें में हिंसा की अलग-अलग घटनाओं में 4 मौतें: संदिग्ध उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में पुलिस कमांडो के सिर में गोली लगी; जुलाई महीने में हिंसा में हो चुकी है 10 की मौत
मणिपुर में बीते 24 घंटें में हिंसा की अलग-अलग घटनाओं में पुलिस कमांडो समेत 4 लोगों की मौत हो गई। शुक्रवार शाम को बिष्णुपुर जिले के मोइरंग तुरेल में संदिग्ध उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान पुलिस कमांडो पुखरामबम रणबीर के सिर में गोली लग गई। अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में उन्होंने दम तोड़ दिया।
इसके अलावा शुक्रवार सुबह को ही बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों की सीमा पर बसे गांवों में कुकी और मैतेई गुट के लोगों ने एक-दूसरे पर फायरिंग की। इसमें 3 लोगों की मौत हो गई। इनमें एक नाबालिग लड़का भी शामिल था।
अधिकारियों के मुताबिक, पहाड़ी इलाकों से आई भीड़ ने घाटी में कुछ गांवों में आग लगाने की कोशिश की। सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। हालांकि, दूसरी जगहों पर दोनों समुदायों के लोगों के बीच फायरिंग चलती रही। इन इलाकों में सुरक्षाबलों की मौजूदगी बढ़ा दी गई है।
जुलाई में अब तक हिंसा से 10 लोगों की मौत
मणिपुर हिंसा में जुलाई महीने में अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है। शुक्रवार को हुईं 4 मौतों से पहले गुरुवार को एक महिला की हत्या कर दी गई थी। उन्हें इंफाल वेस्ट जिले में एक स्कूल के बाहर गोली मारी गई थी। इसके बाद राज्य में इंटरनेट बैन 10 जुलाई तक बढ़ा दिया गया था।
4 जुलाई को एक थोउबल जिले में भीड़ ने भारतीय रिजर्व बटालियन के कैंप पर हमला कर हथियार चुराने की कोशिश की थी। इस दौरान भीड़ और सुरक्षाबलों के बीच झड़प हो गई। इस दौरान 27 साल के एक शख्स की मौत हो गई।
2 जुलाई को बिष्णुपुर-चुराचांदपुर सीमा पर दोनों समुदाय के लोग भिड़ गए थे। इसमें तीन लोगों की गोली लगने से जान चली गई। वहीं एक शख्स का सिर काट दिया गया था।
मणिपुर पर अमेरिका बोला-भारत ने मदद मांगी तो हम तैयार
अमेरिका ने भी गुरुवार को मणिपुर में जारी हिंसा पर चिंता जाहिर की। भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि अगर भारत मदद मांगता है तो हम उसके लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा- हम जानते हैं कि ये भारत का आंतरिक मसला है, हम जल्द से जल्द शांति की उम्मीद करते हैं। वहां के हालातों पर हमें कोई रणनीतिक चिंता नहीं है, हमें लोगों की चिंता है।
मणिपुर पर अमेरिका बोला-भारत ने मदद मांगी तो हम तैयार
अमेरिका ने भी गुरुवार को मणिपुर में जारी हिंसा पर चिंता जाहिर की। भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि अगर भारत मदद मांगता है तो हम उसके लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा- हम जानते हैं कि ये भारत का आंतरिक मसला है, हम जल्द से जल्द शांति की उम्मीद करते हैं। वहां के हालातों पर हमें कोई रणनीतिक चिंता नहीं है, हमें लोगों की चिंता है।
4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह...
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
0 टिप्पणियाँ