मोदी सरकार के ख़िलाफ़ संसद में अविश्वास प्रस्ताव की अहम बातें
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई(Congress MP Gaurav Gogoi) ने बुधवार को मोदी सरकार (Modi Sarkar) के ख़िलाफ़ विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डिवेलपमेंटल इन्क्लुसिव अलायंस(Indian National Developmental Inclusive Alliance) यानी इंडिया की ओर से अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है.
अविश्वास प्रस्ताव को लेकर फ़ैसला मंगलवार को लिया गया था.
बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव स्पीकर के पास 9.20 बजे भेज दिया गया था.
अगर अविश्वास प्रस्ताव स्पीकर के पास 10 बजे के पहले चला जाता है तो माना जाता है कि इस पर चर्चा संसद में उसी दिन होगी.
हालांकि स्पीकर ओम बिड़ला ने अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया(Speaker Om Birla accepted the no-confidence motion) है और कहा है कि चर्चा के बाद इसकी तारीख़ तय की जाएगी.
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लोकसभा स्पीकर
संसद में अविश्वास प्रस्ताव के बारे में जानिए अहम बातें
अगर अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में 50 सांसदों का समर्थन है तो स्पीकर समय और तारीख़ तय करते हैं.
कोई भी लोकसभा सांसद अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है लेकिन उसके पास 50 सांसदों के समर्थन का हस्ताक्षर होना चाहिए.
लोकसभा की नियमावली 198 के मुताबिक़ सांसदों को लिखित नोटिस दिन में दस बजे से पहले देना होता है और स्पीकर इस नोटिस को हाउस में पढ़ते हैं.
नोटिस स्वीकार किए जाने के 10 दिन के भीतर तारीख़ आवंटित की जाती है. अगर सरकार सदन में संख्या बल नहीं जुटा पाती है तो उसे इस्तीफ़ा देना पड़ता है.
यह पहली बार नहीं है जब विपक्ष मोदी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है लेकिन पीएम मोदी के दूसरे कार्यकाल में यह पहली बार है.
इससे पहले 20 जुलाई 2018 को मोदी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था.
एनडीए के पास अभी कुल 325 सांसद हैं और अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वोट करने वाले महज़ 126 सांसद हैं.
सत्ताधारी पार्टी के पास संसद के दोनों सदनों में बहुमत है लेकिन अविश्वास प्रस्ताव को विपक्ष की एकजुटता के रूप में देखा जा रहा है. विपक्ष मांग कर रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी संसद में आकर मणिपुर पर बयान दें.
अविश्वास प्रस्ताव को एनडीए बनाम इंडिया की पहली लड़ाई के रूप में देखा जा सकता है. मंगलवार को पीएम मोदी ने इंडिया गठबंधन की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से की थी.
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21 जुलाई को नरेंद्र मोदी ने मणिपुर के मामले में संसद के बाहर बयान दिया था.
राजनीतिक विष्लेषकों का मानना है कि विपक्ष की ओर से कांग्रेस द्वारा पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव असल में हाल ही में विपक्षी दलों के संयुक्त गठबंधन 'इंडिया' की मजबूती का भी एक टेस्ट है(Political analysts believe that the no-confidence motion presented by the Congress on behalf of the opposition is actually a test of the strength of 'India', a joint coalition of opposition parties recently).
साल 2018 में नरेंद्र मोदी सरकार के ख़िलाफ़ भी विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था.
जुलाई 2018 में सदन में 11 घंटों की लंबी बहस चली और आखिरकार मोदी सरकार ने सदन में अपना बहुमत साबित कर दिया.
वोटिंग के बाद सदन में विपक्ष का लाया गया अविश्वास प्रस्ताव 325 मतों के मुकाबले 126 मतों से गिर गया था.
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