पति को पढ़ाने के लिए पत्नी ने दूसरों के घर में साफ किए बर्तन, अफसर बनते ही दूसरी महिला से कर ली शादी
कमरू ग्रेजुएट था, लेकिन उसके पास नौकरी या रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं थी। ममता ने उसे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने की सलाह दी(In June 2015, both of them did a court marriage. Kamru was a graduate, but he had no job or employment arrangement. Mamta advises him to prepare for competitive exams)। कमरू ने प्रतियोगिता परीक्षाओं के फार्म और किताबों आदि पर खर्च होने वाली राशि की बात कही। ममता ने कहा कि उसके पढ़ाई का सारा खर्च वह उठाएगी।
पति के लिए करने लगी दूसरों के घर में काम
पति की पढ़ाई के लिए ममता ने दूसरों के घरों में साफ-सफाई का काम शुरू किया। बर्तन मांजे और दुकानों पर काम कर पति के लिए किताबें-नोट्स खरीदे(For her husband's education, Mamta started cleaning the houses of others. Bought books and notes for husband by washing utensils and working at shops)। साल 2019-20 में कमरू को सफलता मिली। कमर्शियल टैक्स अफसर के पद पर उसका चयन हुआ। रतलाम जिले में उसकी पोस्टिंग हुई। इसी बीच वह एक दूसरी युवती के संपर्क में आ गया। जिसके बाद उसने ममता को मायके भेज दिया और उसके साथ रहने लगा(Kamru got success in the year 2019-20. He was selected for the post of Commercial Tax Officer. He was posted in Ratlam district. Meanwhile, he came in contact with another girl. After which he sent Mamta to her maternal home and started living with her).।
ममता की थी दूसरी शादी
ममता का कहना है कि उसके पहले पति का निधन हो गया था। उसके बाद वह कमरू के संपर्क में आई थी। करीब छह साल दोनों साथ रहे। ममता का कहना है कि उसकी पहली शादी 16 वर्ष पहले हुई थी। शादी के ढाई साल बाद ही पति की मौत हो गई थी। पहले पति से एक बेटा था, लेकिन कुछ महीने पहले ही उसके 15 वर्षीय बेटे की भी मौत हो गई। कमरु ससुराल पक्ष से रिश्ते में लगता था। ससुराल में रहते हुए पति के निधन के बाद प्रेम प्रसंग हो गया था। कमरु उस समय पढ़ाई करता था। कमरु को पढ़ाने के लिए खूब मेहनत की थी लेकिन नौकरी लगने के बाद बदल गया। उसने दूसरी शादी कर ली।
कोर्ट में लगाया केस
ममता का कहना है कि मैं फिर भी उसके रहना चाहती थी, लेकिन साथ नहीं रखा। जिसके मैंने अगस्त 2021 में कोर्ट में वाद दायर किया। गुजारे के लिए हर महीने 12 हजार रुपए भी नहीं दे रहा है। अब मैं कहा जाऊं, मुझे न्याय चाहिए। ममता के वकील सूर्यप्रकाश गुप्ता का कहना है कि बागली में दायर वाद की सुनवाई के दौरान पति ने कोर्ट में स्वीकार किया था कि ममता मेरी पत्नी है और इसे साथ रखूंगा। नहीं रखने पर हर महीने 12 हजार रुपए देगा लेकिन अब वह इससे भी इनकार करने लगा है। फिलहाल कोर्ट में मामला चल रहा है।
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