Sidhi Crime News: पेशाब कांड के आरोपी का टूटा घर ब्राह्मण समाज बनवाएगा: दादी बोलीं- सावन में कोई चिड़िया का घोंसला नहीं उजाड़ता, उन्होंने हमारा घर तोड़ दिया
ये तस्वीर सीधी में पेशाब कांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला के टूटे घर की है। इसमें बुलडोजर से घर टूटने के बाद प्रवेश के परिवार की 6 महिलाएं एक पेड़ के पास में खुले आसमान के नीचे गैस के चूल्हे पर कुछ पका रही हैं। उनके पीछे वो मकान भी है, जिसके किचन में कुछ दिन पहले तक इस परिवार का खाना पकता था। अब किचन का सारा सामान खुले में बिखरा हुआ है। यह घर सीधी से 17 किमी दूर कुबरी गांव में है।
यह तस्वीर के सामने आने के बाद ब्राह्मण समाज के लोग एकजुट हो गए हैं। उनका कहना है कि गलती प्रवेश की थी तो सजा उसे मिलना चाहिए। घर तो उसकी दादी और पिता के रुपयों से बना था, इसे नहीं तोड़ना था। भरी बारिश में उन्हें बेघर नहीं करना था।
यही वो गांव है, जहां पेशाब कांड हुआ था। ये गांव पीड़ित आदिवासी के गांव करौंदी से 2 किमी दूर है। दैनिक भास्कर की टीम पूरे मामले की पड़ताल करने कुबरी गांव पहुंची। कुबरी गांव शुरू होते ही मुख्य सड़क से दाहिने तरफ ढलान से थोड़ा नीचे उतरते ही सामने पेशाब कांड आरोपी प्रवेश शुक्ला का टूटा हुआ घर दिखाई देता है। ये घर प्रवेश शुक्ला का ही है इस बात की पुष्टि घर के बगल चबूतरे पर बैठी दो बुजुर्ग महिलाएं और एक 4 साल की बच्ची भी कर रही है।
भाजपा कार्यकर्ता रहे आरोपी प्रवेश शुक्ला के घर पहुंच कर हमने उसके परिवार और गांव वालों से बात की। ब्राह्मण सभा के लोग प्रवेश के परिजनों को करीब साढ़े तीन लाख रुपए की मदद दे चुके हैं। प्रवेश के पिता ने कहा कि वीडियो की जांच हो। प्रवेश गुनहगार है तो कड़ी से कड़ी सजा मिले, लेकिन हमने किसी का क्या बिगाड़ा था। ये घर तो मेरी विधवा मां ने मुआवजे के पैसे से बनवाया था। इसमें प्रवेश का एक रुपया भी नहीं लगा था।
दादी बोली- पुलिस पूरे परिवार के साथ 3 साल की बच्ची तक को थाने ले गई थी
प्रवेश के घर पहुंचे तो उसके पिता रमाकांत शुक्ला, मां हेमलता शुक्ला, दादी शकुंतला शुक्ला और परिवार वाले लोग एक खुले बरामदे में बैठे थे। ये बरामदा प्रवेश के पड़ोसियों का था जो उसके टूटे हुए घर के ठीक बगल में बना है। बरामदे के पास ही गैस चूल्हा, सिलेंडर और खाने के बर्तन भी रखे हुए हैं। उनसे मिलने परिवार और गांव के लोग आ रहे हैं। हमने वहां पहुंच कर सबसे पहले प्रवेश की दादी से बात की।
दादी शकुंतला ने कहा- 4 तारीख की शाम को पुलिस हमारे घर आई। प्रवेश के माता-पिता, पत्नी, मुझे और उसकी 3 साल की बेटी तक को थाने ले गई। प्रवेश के पकड़े जाने तक हमको देर रात तक वहीं रखा। इसके बाद हमें वापस भेज दिया गया। 5 जुलाई को सुबह 10 बजते ही पुलिस की कई गाडियां एक बुलडोजर के साथ घर के सामने आकर खड़ी हो गईं। इतने पुलिसवाले थे कि हमें लग रहा था कोई लड़ाई होने वाली हो। इसके बाद उन्होंने बिना कुछ बताए घर पर बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया। एक बुलडोजर से घर नहीं टूट रहा था तो उन्होंने दूसरी गाड़ी बुलवाई और हमारा घर तोड़ डाला।
इतना कहते ही प्रवेश की दादी की आंखों से आंसू छलकने लगे। आगे कहती हैं कि बताइए कि अब हम इस बरसात के मौसम में अपने बहू-बच्चों को लेकर कहां जाएं। मैं सरकार और पुलिस के लोगों से लगातार गुहार लगाती रही, लेकिन वो लोग नहीं माने। दादी ने आगे कहा कि आज से 23 साल पहले मेरे पति का देहांत हो गया था। कुछ साल पहले मुझे अपनी जमीन का मुआवजा मिला था। उसी पैसे से मेरे चारों बच्चों ने ये घर बनवाया है। इस घर में मेरे चारों बच्चों यानी प्रवेश के चाचाओं का भी हिस्सा था। प्रवेश का तो इसमें कुछ भी नहीं। मैं विधवा हूं, बताइए कहां जाऊं। प्रवेश ने क्या किया? कैसा वीडियो है? मैं बूढ़ी कैसे जानूं, कैसे समझूं। गलत किया है तो सरकार उसको सजा दे।
हमें बेघर क्यों किया? सावन में कोई चिड़िया का घौंसला तक नहीं उजाड़ता, उन्होंने हमारा पूरा घर उजाड़ दिया।
अम्मा! ये लोग घर क्यों तोड़ रहे हैं, अब हम कहां रहेंगे
घर गिरे 2 दिन बीत चुके हैं। पीड़ित आदिवासी भी अपने घर आ चुका है। पिछले 3 दिन से प्रवेश के परिवार के लोग इधर-उधर भटक रहे हैं। हमने आरोपी प्रवेश की पत्नी और मां से बात करने की कोशिश की। उन्होंने ऑन कैमरा बात करने से मना कर दिया। कुछ देर बाद उन्होंने हमसे ऑफ कैमरा बात की। मां हेमलता ने कहा कि उस दिन जब बुलडोजर चल रहा था तो हमारी 3 साल की नातिन पूछ रही थी कि अम्मा ये लोग घर क्यों तोड़ रहे हैं। अब हम कहां रहेंगे?
आरोपी प्रवेश की पत्नी ने कहा कि मैं मानती हूं मेरे पति ने गलत किया है, लेकिन उनके कारण हमारा पूरा परिवार पिस रहा है। पिछले 2 दिनों से हम घर के बाहर खाना बना कर खा रहे हैं। आज पड़ोस के लोगों ने खाना दिया है। हमारी हालत का जिम्मेदार कौन है। कोई बिस्किट देकर जा रहा है, कोई बच्चों को रोटी दे रहा है। घर का जो हिस्सा बचा है वो अंदर से डैमेज हो चुका है। हम अंदर जा नहीं सकते। कोई सामान व्यवस्थित नहीं है। मेरी बेटी के खिलौने तक तोड़ दिए हैं। अब हम कहां जाएं, क्या करें। पहले दिन रात 12 बजे तक बेटी को लेकर हम आम के पेड़ के नीचे बैठे थे। फिर पड़ोस के लोगों ने अपने घर में आसरा दिया।
ग्राउंड रिपोर्टपेशाब कांड के आरोपी का टूटा घर ब्राह्मण समाज बनवाएगा:दादी बोलीं- सावन में कोई चिड़िया का घोंसला नहीं उजाड़ता, उन्होंने हमारा घर तोड़ दिया
ये तस्वीर सीधी में पेशाब कांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला के टूटे घर की है। इसमें बुलडोजर से घर टूटने के बाद प्रवेश के परिवार की 6 महिलाएं एक पेड़ के पास में खुले आसमान के नीचे गैस के चूल्हे पर कुछ पका रही हैं। उनके पीछे वो मकान भी है, जिसके किचन में कुछ दिन पहले तक इस परिवार का खाना पकता था। अब किचन का सारा सामान खुले में बिखरा हुआ है। यह घर सीधी से 17 किमी दूर कुबरी गांव में है।
यह तस्वीर के सामने आने के बाद ब्राह्मण समाज के लोग एकजुट हो गए हैं। उनका कहना है कि गलती प्रवेश की थी तो सजा उसे मिलना चाहिए। घर तो उसकी दादी और पिता के रुपयों से बना था, इसे नहीं तोड़ना था। भरी बारिश में उन्हें बेघर नहीं करना था।
यही वो गांव है, जहां पेशाब कांड हुआ था। ये गांव पीड़ित आदिवासी के गांव करौंदी से 2 किमी दूर है। दैनिक भास्कर की टीम पूरे मामले की पड़ताल करने कुबरी गांव पहुंची। कुबरी गांव शुरू होते ही मुख्य सड़क से दाहिने तरफ ढलान से थोड़ा नीचे उतरते ही सामने पेशाब कांड आरोपी प्रवेश शुक्ला का टूटा हुआ घर दिखाई देता है। ये घर प्रवेश शुक्ला का ही है इस बात की पुष्टि घर के बगल चबूतरे पर बैठी दो बुजुर्ग महिलाएं और एक 4 साल की बच्ची भी कर रही है।
पेशाब कांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला का घर, जिसे प्रशासन ने वीडियो सामने आने के बाद ढहा दिया था।
भाजपा कार्यकर्ता रहे आरोपी प्रवेश शुक्ला के घर पहुंच कर हमने उसके परिवार और गांव वालों से बात की। ब्राह्मण सभा के लोग प्रवेश के परिजनों को करीब साढ़े तीन लाख रुपए की मदद दे चुके हैं। प्रवेश के पिता ने कहा कि वीडियो की जांच हो। प्रवेश गुनहगार है तो कड़ी से कड़ी सजा मिले, लेकिन हमने किसी का क्या बिगाड़ा था। ये घर तो मेरी विधवा मां ने मुआवजे के पैसे से बनवाया था। इसमें प्रवेश का एक रुपया भी नहीं लगा था।
घर टूटने के बाद प्रवेश के परिजन आसमान के नीचे भोजन पका रहे हैं।
दादी बोली- पुलिस पूरे परिवार के साथ 3 साल की बच्ची तक को थाने ले गई थी
प्रवेश के घर पहुंचे तो उसके पिता रमाकांत शुक्ला, मां हेमलता शुक्ला, दादी शकुंतला शुक्ला और परिवार वाले लोग एक खुले बरामदे में बैठे थे। ये बरामदा प्रवेश के पड़ोसियों का था जो उसके टूटे हुए घर के ठीक बगल में बना है। बरामदे के पास ही गैस चूल्हा, सिलेंडर और खाने के बर्तन भी रखे हुए हैं। उनसे मिलने परिवार और गांव के लोग आ रहे हैं। हमने वहां पहुंच कर सबसे पहले प्रवेश की दादी से बात की।
दादी शकुंतला ने कहा- 4 तारीख की शाम को पुलिस हमारे घर आई। प्रवेश के माता-पिता, पत्नी, मुझे और उसकी 3 साल की बेटी तक को थाने ले गई। प्रवेश के पकड़े जाने तक हमको देर रात तक वहीं रखा। इसके बाद हमें वापस भेज दिया गया। 5 जुलाई को सुबह 10 बजते ही पुलिस की कई गाडियां एक बुलडोजर के साथ घर के सामने आकर खड़ी हो गईं। इतने पुलिसवाले थे कि हमें लग रहा था कोई लड़ाई होने वाली हो। इसके बाद उन्होंने बिना कुछ बताए घर पर बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया। एक बुलडोजर से घर नहीं टूट रहा था तो उन्होंने दूसरी गाड़ी बुलवाई और हमारा घर तोड़ डाला।
इतना कहते ही प्रवेश की दादी की आंखों से आंसू छलकने लगे। आगे कहती हैं कि बताइए कि अब हम इस बरसात के मौसम में अपने बहू-बच्चों को लेकर कहां जाएं। मैं सरकार और पुलिस के लोगों से लगातार गुहार लगाती रही, लेकिन वो लोग नहीं माने। दादी ने आगे कहा कि आज से 23 साल पहले मेरे पति का देहांत हो गया था। कुछ साल पहले मुझे अपनी जमीन का मुआवजा मिला था। उसी पैसे से मेरे चारों बच्चों ने ये घर बनवाया है। इस घर में मेरे चारों बच्चों यानी प्रवेश के चाचाओं का भी हिस्सा था। प्रवेश का तो इसमें कुछ भी नहीं। मैं विधवा हूं, बताइए कहां जाऊं। प्रवेश ने क्या किया? कैसा वीडियो है? मैं बूढ़ी कैसे जानूं, कैसे समझूं। गलत किया है तो सरकार उसको सजा दे। हमें बेघर क्यों किया? सावन में कोई चिड़िया का घौंसला तक नहीं उजाड़ता, उन्होंने हमारा पूरा घर उजाड़ दिया।
इस फोटो के वायरल होने के बाद लोगों ने घर तोड़ने की निंदा की है।
अम्मा! ये लोग घर क्यों तोड़ रहे हैं, अब हम कहां रहेंगे
घर गिरे 2 दिन बीत चुके हैं। पीड़ित आदिवासी भी अपने घर आ चुका है। पिछले 3 दिन से प्रवेश के परिवार के लोग इधर-उधर भटक रहे हैं। हमने आरोपी प्रवेश की पत्नी और मां से बात करने की कोशिश की। उन्होंने ऑन कैमरा बात करने से मना कर दिया। कुछ देर बाद उन्होंने हमसे ऑफ कैमरा बात की। मां हेमलता ने कहा कि उस दिन जब बुलडोजर चल रहा था तो हमारी 3 साल की नातिन पूछ रही थी कि अम्मा ये लोग घर क्यों तोड़ रहे हैं। अब हम कहां रहेंगे?
आरोपी प्रवेश की पत्नी ने कहा कि मैं मानती हूं मेरे पति ने गलत किया है, लेकिन उनके कारण हमारा पूरा परिवार पिस रहा है। पिछले 2 दिनों से हम घर के बाहर खाना बना कर खा रहे हैं। आज पड़ोस के लोगों ने खाना दिया है। हमारी हालत का जिम्मेदार कौन है। कोई बिस्किट देकर जा रहा है, कोई बच्चों को रोटी दे रहा है। घर का जो हिस्सा बचा है वो अंदर से डैमेज हो चुका है। हम अंदर जा नहीं सकते। कोई सामान व्यवस्थित नहीं है। मेरी बेटी के खिलौने तक तोड़ दिए हैं। अब हम कहां जाएं, क्या करें। पहले दिन रात 12 बजे तक बेटी को लेकर हम आम के पेड़ के नीचे बैठे थे। फिर पड़ोस के लोगों ने अपने घर में आसरा दिया।
पिता ने कहा- राजनीति के चलते हमें निशाना बनाया
पिता रमाकांत शुक्ला ने कहा- जब वो घर गिरा रहे थे तब हम रोते हुए उनसे ऐसा ना करने की मिन्नतें कर रहे थे। वो नहीं माने। उन्होंने मेरी 80 साल की बूढ़ी मां को घसीटते हुए घर से बाहर निकाला। हमारी बेटी, पत्नी, छोटी बच्ची को बाहर निकाला। हमारा लड़का दोषी है तो उसे आप कठोर से कठोर सजा दीजिए, लेकिन हमने मेरी बूढ़ी मां, बहू और तीन साल की बच्ची ने क्या बिगाड़ा है।
हमें बेघर क्यों किया। हमारी माता जी पुश्तैनी संपत्ति से मुआवजा पाई थीं। जहां हमारी पुरखों की जमीन थी वहां से 4 लेन सड़क निकली थी। उसी में मुआवजा मिला था। उन पैसों से ये घर बना था। हम बेटे प्रवेश की एक रुपए की कमाई नहीं जानते। इस घर में उसका कुछ भी नहीं था।
हमारा घर तोड़ने से पहले वो बोले पंचायत से आपके पास मकान बनवाने की अनुमति नहीं है। उन्होंने एक नोटिस भी दिखाया था। उसमें 24 घंटे का समय लिखा था, उन्होंने हमें वो समय भी नहीं दिया। हम बाहर खाना बनाने को मजबूर हैं। बिजली कनेक्शन टूट गया है। घर अंदर तक जर्जर हो गया है। मैं किसान हूं। हम 4 भाई हैं। घर में बेटियां हैं, बहू हैं, पत्नी है, 3 साल की नातिन है। बच्चे भूखे मर रहे हैं। पड़ोस के लोग उन्हें रोटी बिस्किट दे रहे हैं। ये देख कर हमारी आत्मा कांप रही है।
कांग्रेस पार्टी पूरा घर गिराने की बात कह रही है। उसी के द्वारा ये पूरा षड्यंत्र रचा गया है। कांग्रेस के दीनदयाल साहू, आदर्श शुक्ला, मृत्युंजय गौतम, प्रवीण शुक्ला ने ये वीडियो बनाया और वायरल किया। ये सब राजनीति जिला पंचायत चुनाव से शुरू हुई थी। साल 2022 में जिला युवक कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र सिंह धातू जिला पंचायत का चुनाव लड़े थे। जीत भी गए। हम खुलकर उनके विपक्षी जीवन सिंह लल्लू के साथ में थे।
CM शिवराज ने पीड़ित आदिवासी का सम्मान किया, इस पर रमाकांत शर्मा ने कहा कि उसकी आर्थिक मदद की इसके लिए मैं सरकार को धन्यवाद देना चाहूंगा। सरकार ने अच्छा किया वो गरीब व्यक्ति है। उसका सम्मान होना चाहिए। हमारे साथ भी ऐसा बर्ताव नहीं होना चाहिए था। आरोपी की बनाई संपत्ति होती तो उसे तोड़ते। हम कोई अपराधी गैंगस्टर नहीं हैं। हमारे खिलाफ कोई प्रकरण भी नहीं है।
ग्राउंड रिपोर्टपेशाब कांड के आरोपी का टूटा घर ब्राह्मण समाज बनवाएगा:दादी बोलीं- सावन में कोई चिड़िया का घोंसला नहीं उजाड़ता, उन्होंने हमारा घर तोड़ दिया
ये तस्वीर सीधी में पेशाब कांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला के टूटे घर की है। इसमें बुलडोजर से घर टूटने के बाद प्रवेश के परिवार की 6 महिलाएं एक पेड़ के पास में खुले आसमान के नीचे गैस के चूल्हे पर कुछ पका रही हैं। उनके पीछे वो मकान भी है, जिसके किचन में कुछ दिन पहले तक इस परिवार का खाना पकता था। अब किचन का सारा सामान खुले में बिखरा हुआ है। यह घर सीधी से 17 किमी दूर कुबरी गांव में है।
यह तस्वीर के सामने आने के बाद ब्राह्मण समाज के लोग एकजुट हो गए हैं। उनका कहना है कि गलती प्रवेश की थी तो सजा उसे मिलना चाहिए। घर तो उसकी दादी और पिता के रुपयों से बना था, इसे नहीं तोड़ना था। भरी बारिश में उन्हें बेघर नहीं करना था।
यही वो गांव है, जहां पेशाब कांड हुआ था। ये गांव पीड़ित आदिवासी के गांव करौंदी से 2 किमी दूर है। दैनिक भास्कर की टीम पूरे मामले की पड़ताल करने कुबरी गांव पहुंची। कुबरी गांव शुरू होते ही मुख्य सड़क से दाहिने तरफ ढलान से थोड़ा नीचे उतरते ही सामने पेशाब कांड आरोपी प्रवेश शुक्ला का टूटा हुआ घर दिखाई देता है। ये घर प्रवेश शुक्ला का ही है इस बात की पुष्टि घर के बगल चबूतरे पर बैठी दो बुजुर्ग महिलाएं और एक 4 साल की बच्ची भी कर रही है।
पेशाब कांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला का घर, जिसे प्रशासन ने वीडियो सामने आने के बाद ढहा दिया था।
भाजपा कार्यकर्ता रहे आरोपी प्रवेश शुक्ला के घर पहुंच कर हमने उसके परिवार और गांव वालों से बात की। ब्राह्मण सभा के लोग प्रवेश के परिजनों को करीब साढ़े तीन लाख रुपए की मदद दे चुके हैं। प्रवेश के पिता ने कहा कि वीडियो की जांच हो। प्रवेश गुनहगार है तो कड़ी से कड़ी सजा मिले, लेकिन हमने किसी का क्या बिगाड़ा था। ये घर तो मेरी विधवा मां ने मुआवजे के पैसे से बनवाया था। इसमें प्रवेश का एक रुपया भी नहीं लगा था।
घर टूटने के बाद प्रवेश के परिजन आसमान के नीचे भोजन पका रहे हैं।
दादी बोली- पुलिस पूरे परिवार के साथ 3 साल की बच्ची तक को थाने ले गई थी
प्रवेश के घर पहुंचे तो उसके पिता रमाकांत शुक्ला, मां हेमलता शुक्ला, दादी शकुंतला शुक्ला और परिवार वाले लोग एक खुले बरामदे में बैठे थे। ये बरामदा प्रवेश के पड़ोसियों का था जो उसके टूटे हुए घर के ठीक बगल में बना है। बरामदे के पास ही गैस चूल्हा, सिलेंडर और खाने के बर्तन भी रखे हुए हैं। उनसे मिलने परिवार और गांव के लोग आ रहे हैं। हमने वहां पहुंच कर सबसे पहले प्रवेश की दादी से बात की। दादी शकुंतला ने कहा- 4 तारीख की शाम को पुलिस हमारे घर आई। प्रवेश के माता-पिता, पत्नी, मुझे और उसकी 3 साल की बेटी तक को थाने ले गई। प्रवेश के पकड़े जाने तक हमको देर रात तक वहीं रखा। इसके बाद हमें वापस भेज दिया गया। 5 जुलाई को सुबह 10 बजते ही पुलिस की कई गाडियां एक बुलडोजर के साथ घर के सामने आकर खड़ी हो गईं। इतने पुलिसवाले थे कि हमें लग रहा था कोई लड़ाई होने वाली हो। इसके बाद उन्होंने बिना कुछ बताए घर पर बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया। एक बुलडोजर से घर नहीं टूट रहा था तो उन्होंने दूसरी गाड़ी बुलवाई और हमारा घर तोड़ डाला।
इतना कहते ही प्रवेश की दादी की आंखों से आंसू छलकने लगे। आगे कहती हैं कि बताइए कि अब हम इस बरसात के मौसम में अपने बहू-बच्चों को लेकर कहां जाएं। मैं सरकार और पुलिस के लोगों से लगातार गुहार लगाती रही, लेकिन वो लोग नहीं माने।
दादी ने आगे कहा कि आज से 23 साल पहले मेरे पति का देहांत हो गया था। कुछ साल पहले मुझे अपनी जमीन का मुआवजा मिला था। उसी पैसे से मेरे चारों बच्चों ने ये घर बनवाया है। इस घर में मेरे चारों बच्चों यानी प्रवेश के चाचाओं का भी हिस्सा था। प्रवेश का तो इसमें कुछ भी नहीं। मैं विधवा हूं, बताइए कहां जाऊं। प्रवेश ने क्या किया? कैसा वीडियो है? मैं बूढ़ी कैसे जानूं, कैसे समझूं। गलत किया है तो सरकार उसको सजा दे। हमें बेघर क्यों किया? सावन में कोई चिड़िया का घौंसला तक नहीं उजाड़ता, उन्होंने हमारा पूरा घर उजाड़ दिया।
इस फोटो के वायरल होने के बाद लोगों ने घर तोड़ने की निंदा की है।
अम्मा! ये लोग घर क्यों तोड़ रहे हैं, अब हम कहां रहेंगे
घर गिरे 2 दिन बीत चुके हैं। पीड़ित आदिवासी भी अपने घर आ चुका है। पिछले 3 दिन से प्रवेश के परिवार के लोग इधर-उधर भटक रहे हैं। हमने आरोपी प्रवेश की पत्नी और मां से बात करने की कोशिश की। उन्होंने ऑन कैमरा बात करने से मना कर दिया। कुछ देर बाद उन्होंने हमसे ऑफ कैमरा बात की। मां हेमलता ने कहा कि उस दिन जब बुलडोजर चल रहा था तो हमारी 3 साल की नातिन पूछ रही थी कि अम्मा ये लोग घर क्यों तोड़ रहे हैं। अब हम कहां रहेंगे? आरोपी प्रवेश की पत्नी ने कहा कि मैं मानती हूं मेरे पति ने गलत किया है, लेकिन उनके कारण हमारा पूरा परिवार पिस रहा है। पिछले 2 दिनों से हम घर के बाहर खाना बना कर खा रहे हैं। आज पड़ोस के लोगों ने खाना दिया है। हमारी हालत का जिम्मेदार कौन है। कोई बिस्किट देकर जा रहा है, कोई बच्चों को रोटी दे रहा है। घर का जो हिस्सा बचा है वो अंदर से डैमेज हो चुका है। हम अंदर जा नहीं सकते। कोई सामान व्यवस्थित नहीं है। मेरी बेटी के खिलौने तक तोड़ दिए हैं। अब हम कहां जाएं, क्या करें। पहले दिन रात 12 बजे तक बेटी को लेकर हम आम के पेड़ के नीचे बैठे थे। फिर पड़ोस के लोगों ने अपने घर में आसरा दिया।
पिता ने कहा- राजनीति के चलते हमें निशाना बनाया
पिता रमाकांत शुक्ला ने कहा- जब वो घर गिरा रहे थे तब हम रोते हुए उनसे ऐसा ना करने की मिन्नतें कर रहे थे। वो नहीं माने। उन्होंने मेरी 80 साल की बूढ़ी मां को घसीटते हुए घर से बाहर निकाला। हमारी बेटी, पत्नी, छोटी बच्ची को बाहर निकाला। हमारा लड़का दोषी है तो उसे आप कठोर से कठोर सजा दीजिए, लेकिन हमने मेरी बूढ़ी मां, बहू और तीन साल की बच्ची ने क्या बिगाड़ा है।
हमें बेघर क्यों किया। हमारी माता जी पुश्तैनी संपत्ति से मुआवजा पाई थीं। जहां हमारी पुरखों की जमीन थी वहां से 4 लेन सड़क निकली थी। उसी में मुआवजा मिला था। उन पैसों से ये घर बना था। हम बेटे प्रवेश की एक रुपए की कमाई नहीं जानते। इस घर में उसका कुछ भी नहीं था।
हमारा घर तोड़ने से पहले वो बोले पंचायत से आपके पास मकान बनवाने की अनुमति नहीं है। उन्होंने एक नोटिस भी दिखाया था। उसमें 24 घंटे का समय लिखा था, उन्होंने हमें वो समय भी नहीं दिया। हम बाहर खाना बनाने को मजबूर हैं। बिजली कनेक्शन टूट गया है। घर अंदर तक जर्जर हो गया है। मैं किसान हूं। हम 4 भाई हैं। घर में बेटियां हैं, बहू हैं, पत्नी है, 3 साल की नातिन है। बच्चे भूखे मर रहे हैं। पड़ोस के लोग उन्हें रोटी बिस्किट दे रहे हैं। ये देख कर हमारी आत्मा कांप रही है।
कांग्रेस पार्टी पूरा घर गिराने की बात कह रही है। उसी के द्वारा ये पूरा षड्यंत्र रचा गया है। कांग्रेस के दीनदयाल साहू, आदर्श शुक्ला, मृत्युंजय गौतम, प्रवीण शुक्ला ने ये वीडियो बनाया और वायरल किया। ये सब राजनीति जिला पंचायत चुनाव से शुरू हुई थी। साल 2022 में जिला युवक कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र सिंह धातू जिला पंचायत का चुनाव लड़े थे। जीत भी गए। हम खुलकर उनके विपक्षी जीवन सिंह लल्लू के साथ में थे।
CM शिवराज ने पीड़ित आदिवासी का सम्मान किया, इस पर रमाकांत शर्मा ने कहा कि उसकी आर्थिक मदद की इसके लिए मैं सरकार को धन्यवाद देना चाहूंगा। सरकार ने अच्छा किया वो गरीब व्यक्ति है। उसका सम्मान होना चाहिए। हमारे साथ भी ऐसा बर्ताव नहीं होना चाहिए था। आरोपी की बनाई संपत्ति होती तो उसे तोड़ते। हम कोई अपराधी गैंगस्टर नहीं हैं। हमारे खिलाफ कोई प्रकरण भी नहीं है।
आरोपी के परिवार को अब तक साढ़े तीन लाख की मदद
आरोपी प्रवेश के घर बुलडोजर की कार्रवाई से ब्राह्मण समाज के लोग नाराज हैं। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की है। विरोध करने के साथ ब्राह्मण समाज के लोग सोशल मीडिया के जरिए आरोपी के घर की मरम्मत के लिए उसके पिता को सहयोग राशि देने की अपील कर रहे हैं। लोग सहयोग के लिए ऑनलाइन पेमेंट के जरिए पैसे ट्रांसफर कर रहे हैं। अब तक प्रवेश के पिता के खाते में करीब साढ़े तीन लाख रुपए की राशि आ चुकी है।
अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के सदस्यों का कहना है कि इस बुलडोजर की कार्रवाई की वजह से प्रवेश के परिजनों को घर के बाहर खुले आसमान के नीचे खाना बनाना पड़ा। ये नजारा देख अब ब्राह्मण समाज आरोपी के पिता की मदद के लिए आगे आ गया है, ताकि घर की मरम्मत कराई जा सके। ब्राह्मण समाज ने चौतरफा चंदा इकट्ठा करना शुरू कर दिया है। प्रवेश गुनहगार है उसका परिवार नहीं।
6 तारीख को अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज सीधी के जिला अध्यक्ष राकेश दुबे आरोपी के पिता से घर जाकर मिले।
प्रदेश ब्राह्मण समाज अध्यक्ष पुष्पेंद्र मिश्र ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि प्रवेश शुक्ला के पिता को वापस घर बनवाने के लिए 51 हजार रुपए की सहायता राशि दी गई है। प्रेस विज्ञप्ति में ये भी लिखा कि आरोपी द्वारा किया गया कृत्य क्षमा योग्य नहीं है। ऐसे व्यक्ति की समाज में स्वीकार्यता भी नहीं है, लेकिन उसके निर्दोष परिवार को जो दुख पहुंचाया गया है। उनका घर तोड़ा गया है ये भी निंदनीय है। इसके खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट में एक पीटिशन दायर की जाएगी।
गांव के ब्राह्मणों ने कहा- सरकार ने गलत किया
आरोपी प्रवेश शुक्ला का गांव कुबरी ब्राह्मण बहुल गांव है। आरोपी प्रवेश का घर टूटने के बाद लगातार ब्राह्मण समाज के लोग उनके घर आ रहे हैं और नाराजगी जता रहे हैं।
हमने भी कुछ लोगों से बात की। उन्होंने बुलडोजर वाली कार्रवाई की निंदा की और कहा कि प्रवेश के नाम से यहां एक फिट भी जमीन नहीं थी, फिर ये कार्रवाई क्यों की गई। प्रवेश के पिता गांव के प्रतिष्ठित नागरिक हैं। सभी उनका सम्मान करते हैं। आज उनका परिवार दर-दर की ठोकरे खा रहा है। परिवार पोर्च के नीचे आम के पेड़ के नीचे खाना बनाने को मजबूर है।
अब पूरे घटनाक्रम पर चलते हैं…
24 जून को सीधी के कुछ सोशल मीडिया ग्रुप में पेशाब वाला वीडियो वायरल किया गया।
29 जून की रात को आरोपी प्रवेश शुक्ला के परिवार ने थाने में एक शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में लिखा था कि सुबह से ही प्रवेश घर से गायब है। चाचा ने कहा कि वह घर से कह कर निकला था कि सुसाइड कर लेगा। शिकायत में प्रवेश शुक्ला को ब्लैकमेल करने वाले आदर्श शुक्ला, दीनदयाल साहू, मृत्युंजय गौतम, प्रवीण कुमार शुक्ला उर्फ पिंटू के नाम भी लिखवाए गए।
3 जुलाई को सीधी में बीजेपी कार्यकर्ता प्रवेश शुक्ला का पेशाब कांड वाला वीडियो वायरल होना शुरू हुआ।
3 जुलाई की ही शाम को कलेक्टर, प्रिंस और विद्या नाम के व्यक्तियों ने आदिवासी युवक से उसकी मर्जी के बिना फर्जी शपथ-पत्र बनवा कर दस्तखत कराए।
4 जुलाई को पूरे देश में वीडियो वायरल हुआ। प्रदेश की राजनीति गरमा गई। मीडिया और विपक्षी दल सरकार का जमकर विरोध करने लगे।
सीएम ने आरोपी की गिरफ्तारी और एनएसए की कार्रवाई के निर्देश दिए।
पुलिस ने एफआईआर दर्ज की, वीडियो बनाने और वायरल करने वाले आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
4-5 जुलाई की रात करीब 2 बजे प्रवेश शुक्ला को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
5 जुलाई को प्रवेश शुक्ला के घर बुलडोजर की कार्रवाई हुई। घर का एक तिहाई हिस्सा अवैध बताकर तोड़ दिया गया।
5 जुलाई की रात को पीड़ित के घर क्षेत्र के विधायक केदारनाथ पहुंचते हैं। वहां मौजूद आदिवासी महिला-पुरुष उन्हें चप्पल दिखाते हुए लौटने को मजबूर कर देते हैं।
6 जुलाई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने बंगले में आदिवासी के पैर धोते हुए है और माफी मांगते हैं।
6 तारीख को ही आरोपी प्रवेश शुक्ला के टूटे हुए घर से एक तस्वीर वायरल होती है। इसके बाद सोशल मीडिया पर बुलडोजर कार्रवाई का विरोध शुरू हो जाता है।
6 तारीख को ही ब्राह्मण समाज के लोग आरोपी प्रवेश शुक्ला के घर मिलने आते हैं। उन्हें आर्थिक सहायता का अश्वासन देते हैं।
7 तारीख को सुबह करीब 10 बजे आदिवासी युवक अपने घर पहुंच जाता है।
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