Sidhi Pesab Kand : एमपी में ‘का बा’ कंट्रोवर्सी वालीं नेहा राठौर का इंटरव्यू: बोलीं- क्या सफेद शर्ट-निक्कर सिर्फ संघ के लोग पहनते हैं? मुकदमे, गालियों से नहीं डरूंगी
'बिहार में का बा' और 'यूपी में का बा' गाकर सुर्खियां बटोरने वालीं लोक गायिका नेहा राठौर अब एमपी में 'का बा' रिलीज करने की तैयारी कर रही है, लेकिन इसकी रिलीज से पहले ही मध्यप्रदेश में वो कंट्रोवर्सी में फंस गई हैं।
दरअसल, नेहा ने सीधी पेशाबकांड से जुड़ा एक कार्टून सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया था। इस पोस्ट में पेशाबकांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के गणवेश में दिखाया गया है। इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा 'एमपी में का बा कमिंग सून'। इसके बाद नेहा के खिलाफ राजधानी के हबीबगंज थाने में एफआईआर दर्ज हो गई।
नेहा सिंह राठौर से खास बातचीत की। नेहा ने कहा कि चाहे उन पर कितने भी मुकदमे दर्ज हों, कितनी भी गालियां पड़े या धमकी दी जाए, वो इससे डरने वाली नहीं हैं। नेहा से बातचीत शुरू करने से पहले जानिए आखिर उनके खिलाफ एफआईआर किस आरोप में हुई है?
बीजेपी कार्यकर्ता की शिकायत- नेहा का कृत्य संघ और आदिवासी दोनों का अपमान
भोपाल के हबीबगंज थाने में भाजपा नेता सूरज खरे ने नेहा के खिलाफ IPC की धारा 153A के तहत दो समूहों के बीच सद्भाव बिगाड़ने और वैमनस्यता फैलाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया।
शिकायतकर्ता भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा मध्यप्रदेश के मीडिया प्रभारी हैं। उनका आरोप है कि नेहा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छवि को खराब करने की कोशिश की है। उनको संघ के बारे में बिल्कुल जानकारी नहीं है। उन्होंने लाखों स्वयंसेवकों का अपमान किया है जो हर मुश्किल घड़ी में इस देश के काम आते हैं। किसी एक व्यक्ति के कृत्य के चलते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ऐसा चरित्र चित्रण अनुसूचित जनजातियों और आरएसएस दोनों का अपमान है।
एक्सक्लूसिवएमपी में ‘का बा’ कंट्रोवर्सी वालीं नेहा राठौर का इंटरव्यू:बोलीं- क्या सफेद शर्ट-निक्कर सिर्फ संघ के लोग पहनते हैं? मुकदमे, गालियों से नहीं डरूंगी
'बिहार में का बा' और 'यूपी में का बा' गाकर सुर्खियां बटोरने वालीं लोक गायिका नेहा राठौर अब एमपी में 'का बा' रिलीज करने की तैयारी कर रही है, लेकिन इसकी रिलीज से पहले ही मध्यप्रदेश में वो कंट्रोवर्सी में फंस गई हैं।
दरअसल, नेहा ने सीधी पेशाबकांड से जुड़ा एक कार्टून सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया था। इस पोस्ट में पेशाबकांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के गणवेश में दिखाया गया है। इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा 'एमपी में का बा कमिंग सून'। इसके बाद नेहा के खिलाफ राजधानी के हबीबगंज थाने में एफआईआर दर्ज हो गई।
बाद नेहा सिंह राठौर से खास बातचीत की। नेहा ने कहा कि चाहे उन पर कितने भी मुकदमे दर्ज हों, कितनी भी गालियां पड़े या धमकी दी जाए, वो इससे डरने वाली नहीं हैं। नेहा से बातचीत शुरू करने से पहले जानिए आखिर उनके खिलाफ एफआईआर किस आरोप में हुई है?
बीजेपी कार्यकर्ता की शिकायत- नेहा का कृत्य संघ और आदिवासी दोनों का अपमान
भोपाल के हबीबगंज थाने में भाजपा नेता सूरज खरे ने नेहा के खिलाफ IPC की धारा 153A के तहत दो समूहों के बीच सद्भाव बिगाड़ने और वैमनस्यता फैलाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया।
नेहा बोलीं- मुझे उस तस्वीर में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा
नेहा इन आरोपों को खारिज करते हुए कहती हैं, मुझे मानसिक रूप से परेशान करने की कोशिश की जा रही है। मैंने जब इससे पहले यूपी में 'का बा' लिखा, तब भी मुझे नोटिस भेजकर प्रताड़ित किया गया था। बतौर लोक गायिका मेरा काम है देश में व्याप्त समस्याओं पर गीत लिखना, लेकिन उन समस्याओं पर बात करना भी किसी को इतना असहज कर दे रहा है। मुझे वह कार्टून वाली फोटो फेसबुक पर प्राप्त हुई थी।मैंने उसे अपलोड करते हुए अपना टैगलाइन सॉन्ग 'एमपी में का बा' रिलीज होने की सूचना दी।
मुझे उस तस्वीर में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा। मैंने कभी भी संघ के लोगों को ऐसे कपड़ों में किसी पर पेशाब करते हुए नहीं देखा। क्या सफेद शर्ट और ब्राउन निक्कर सिर्फ संघ के लोग पहनते हैं? क्या वे अपना गणवेश पहने सिगरेट पीते हैं? क्या वे शर्ट के ऊपर जनेऊ पहनते हैं? मेरे द्वारा पोस्ट की गई उस तस्वीर में कुछ लोगों ने अपनी सहूलियत से चीजें देख लीं और मुकदमा दर्ज करा दिया।
मैं इस मुकदमे से डरकर पीछे नहीं हटूंगी। सच यही है कि मैंने गलत इंटेंशन से तस्वीर शेयर नहीं की थी। मुझे इतनी समझ है कि मैं किसी के वेशभूषा या पहनावे पर कभी टिप्पणी नहीं करूंगी। संघ के मूल चरित्र और कामों पर भी मैं टिप्पणी नहीं करना चाहती, क्योंकि मैं कोई राजनीतिक विश्लेषक नहीं हूं।
बतौर लोक गायिका मेरा दायित्व है समाज में व्याप्त समस्याओं और बुराइयों पर बात करना। लोगों का समर्थन भी मिलता है और कई लोग आहत भी होते हैं। मगर समस्या तब है जब लोग असहमत होने के बाद लगातार फोन कर-करके मुझे गालियां दे रहे होते हैं। ये वही लोग हैं जो ये काम कर रहे हैं, लेकिन मैं बस एक कार्टून के माध्यम से बस बता दूं तो भी इनको समस्या हो जाती है।
मैं डरूंगी नहीं, एमपी में 'का बा' जल्द आएगा
नेहा कहती हैं कि जरूरी नहीं कि वे जो लिखती हैं उससे हर इंसान सहमत हो। मगर असहमति का यह कौन सा चरित्र है कि लोग फोन कर मुझे गालियां दे रहे हैं? लोग तमाम जगहों से फोन कर कह रहे हैं कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमारे गणवेश के बारे में ऐसे टिप्पणी करने की। मैं बीते दो-चार दिनों से लगातार ये सब झेल रही हूं।
इस सवाल पर कि आपको गालियां देने वाले कौन हैं? इस पर उन्होंने कोई भी जवाब देने से इनकार कर दिया और पलटकर पूछा कि आपको क्या लगता है कि वे कौन लोग हो सकते हैं? इस पर मुझे जवाब देने की कोई जरूरत नहीं है। लोग खुद बेहतर समझ रहे हैं।
नेहा सिंह राठौड़ बिहार में 'का बा' गाकर बहुत ज्यादा चर्चा में आई थीं। इस गीत ने बिहार विधानसभा चुनाव में सत्तापक्ष के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थीं। सोशल मीडिया पर यह इतना वायरल था कि लोग सरकार से इन सवालों के जवाब मांग रहे थे।
यूपी विधानसभा चुनाव के समय भी नेहा का यूपी में का बा काफी वायरल हुआ। यूपी पुलिस ने इसको लेकर नेहा को नोटिस भी भेजा था। नेहा कहती हैं कि अब चूंकि उन्हीं सवालों को लेकर वो एमपी में का बा रिलीज करने जा रही हैं, तो जाहिर तौर पर ऊपर बैठे कुछ लोग असहज होंगे ही। अब ये अपनी घबराहट में मुझ पर मुकदमा दर्ज कराकर कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगवाना चाहते हैं। ताकि मैं इन सब में उलझकर अपना क्रिएटिव काम ना कर पाऊं और बतौर लोक गायिका जो मैं अपना दायित्व समझती हूं उससे पीछे हट जाऊं।
ये सारी चीजें बस चुनाव के समय ही होती हैं
सीधी मामले में पीड़ित व्यक्ति के पैर धोकर शिवराज सिंह चौहान ने माफी मांगी थी। इस पर नेहा ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
वो बोलीं कि ये राजनीतिक हथकंडे हैं और फिर वही कहूंगी कि मैं कोई पॉलिटिकल कमेंटेटर नहीं हूं। फिर भी जहां तक मेरी राजनीतिक समझ है उससे मैं यही कह सकती हूं कि चुनाव से पहले यह संदेश देना उनके लिए बहुत जरूरी हो गया था। नहीं तो आम दिनों में कब आप देखते हैं कि कोई नेता किसी आदिवासी के पैर धो रहा है। अब चूंकि कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव है तो वे इस तरह से बताना चाह रहे थे कि देखिए हमारे अंदर कितना सेवाभाव है, कितने संवेदनशील हैं और हम ही आपके नेता बनेंगे। ये सारी चीजें बस चुनाव के समय ही होती हैं। सच्चाई तो किसी से भी छिपी हुई नहीं है।
एमपी में 'का बा' में बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य की हकीकत बताऊंगी
बिहार और यूपी में 'का बा' के बाद नेहा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एमपी में का बा भी जल्द ही आने वाला है। वे बताती हैं कि इसका चुनाव से उतना संबंध नहीं है, जितना की भाषा से है। मुझे अगर लगता है कि किसी राज्य में मेरी वो भाषा समझी जाएगी तो यह मुझे उत्साहित करता है कि मैंउस राज्य के लोगों के लिए लिखूं। जिसमें उनकी समस्याओं पर बात होनी शुरू हो। इसका संबंध किसी चुनाव और राजनीतिक पार्टी से नहीं होता। बतौर लोक गायिका मैं बस लोगों के लिए लिखती हूं।
भोपाल पुलिस से अब तक कोई कॉल नहीं
भोपाल के हबीबगंज थाने में नेहा के खिलाफ यह मुकदमा दर्ज हुआ है। मगर नेहा को पुलिस की तरफ से अब तक कोई कॉल नहीं गया है। उन्होंने बताया कि मुकदमे की जानकारी भी उन्हें ट्विटर के जरिए मिली थी। ट्विटर पर ही लोग टैग करके तरह-तरह की बातें लिख रहे हैं।। हालांकि पुलिस का कहना है कि वे लोग अभी इंतजार कर रहे हैं कि नेहा खुद पेश हो जाएं। अगर वो खुद पेश नहीं होती हैं, तो आगे आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
गांव-देहात की लड़की हूं, कभी मुकदमा नहीं झेला
अपने ऊपर दर्ज मुकदमों पर बात करते हुए नेहा कहती हैं कि वो गांव-देहात की साधारण सी लड़की हैं, उन्होंने कभी भी केस-मुकदमा नहीं झेला। जब भी ऐसी खबर मिलती है तो काफी तनाव होता है और ये तनाव मेरे चेहरे पर भी स्पष्ट दिख रहा होगा। मैं बस अपने काम को ईमानदारी से करती हूं।
मैं ऐसी कोशिश नहीं करती कि ये सब करके विवादों में आ जाऊं। हर मुकदमे के बाद वकीलों से बात करके समझती हूं कि क्या कुछ उसका मतलब है और क्या कुछ हो सकता है? मैंने कोई वकालत तो पढ़ी नहीं है और ना ही परिवार में किसी ने वकालत की है, तो तनाव के साथ उसके खर्चे अलग से।
नेहा बोली- डरा नहीं पाओगे, अंतिम सत्य यही नेहा के गानों पर यह कोई पहला विवाद नहीं
नेहा सिंह राठौर के गानों पर मुकदमे या नोटिस का यह कोई पहला मामला नहीं था। यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान “यूपी में का बा” के बाद उन्होंने “यूपी का बा पार्ट 2” भी लाया था। इसके साथ उत्तर प्रदेश पुलिस ने नेहा के घर जाकर नोटिस दिया और 7 सवालों के जवाब मांगे।
यूपी पुलिस ने उन पर वैमनस्यता फैलाने के आरोप में यह नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। नोटिस का जवाब देने के लिए उन्हें तीन दिन का समय दिया गया था और संतोषजनक जवाब ना मिल पाने की स्थिति में मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने की बात कही गई थी।
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