Chandrayaan 3 Successful Landing: चांद पर भारत ने रचा इतिहास, 'चंद्रयान-3' की सॉफ्ट लैंडिंग सफल

Chandrayaan-3's Safe Landing took place at 6:30, this is the golden moment in Indian history  6 बजकर 3 मिनट पर चन्द्रयान-3 की सुरक्षित Landing हुई , ये भारतीय इतिहास का स्वर्णिंम पल है    Chandrayaan 3 Successful Landing: आखिरकार दशकों की कड़ी मेहनत का फल भारत के वैज्ञानिकों को मिल गया है। इसरो के मून मिशन 'चंद्रयान-3' की चांद के साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुव) पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' सफल हो गई। भारत ये कीर्तिमान रचते हुए चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग किया। ISRO के वैज्ञानिकों की कड़ा सफलता के जरिए चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा गया। जैसे ही इसकी घोषणा हुई इसरो के ऑफिस में तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी। इसरो की ओर से 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया गया था। जिसका मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नई खोज करना है। पिछला मिशन (चंद्रयान-2) असफल रहा था, ऐसे में वैज्ञानिकों ने उससे सीख ली और कई बदलाव किए। वहीं लैंडिंग की खबर मिलते ही पूरे देश उत्साह से झूम उठा। 14 दिन तक होगा रिसर्च, जानिए क्या खोजा जाएगा? अब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग के बाद उसमें से निकला प्रज्ञान रोवर सतह पर 14 दिनों तक रिसर्च करेगा। अब रोवर चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा। इसी के साथ चांद की सतह पर तापमान की जांच होगी। भूकंपीय गतिविधियों की जांच के साथ चांद का डायनेमिक्स को भी समझने का प्रयास किया जाएगा। चौथा देश बना भारत आपको बता दें कि अब तक चांद की सतह पर अमेरिका, चीन और रूस ही सॉफ्ट लैंडिंग कर पाया है, ऐसे में अब चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया है। चंद्रयान-3 में जानिए कितना खर्चा आया? साल 2019 में चंद्रयान 2 के विफल होने के बाद से ही भारत ने अपने नए मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी गई थी। वहीं इस मिशन पर खर्च की बात करें तो इसपर तकरीबन 615 करोड़ रुपए यानी 75 मिलियन डॉलर खर्च हुआ है। इसरो के पूर्व चेयरमैन के. सिवन ने अनुमान लगाया है कि लैंडर, रोवर और प्रपल्शन मॉड्यूल की कुल लागत 250 करोड़ रुपए है औऱ इसके लॉन्च पर तकरीबन 365 करोड़ रुपए खर्च हुए होंगे। दो बार मिशन हुआ फेल, तीसरी बार सफल बता दें कि भारत अपना तीसरा यान चंद्रमा पर भेजा है। इससे पहले दो बार की गई इसरो की कोशिश असफल रही। हालांकि अपनी पहली कोशिश में भारत चांद पर पानी का पता लगाने में कामयाब रहा था। पहली बार 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान मिशन लॉन्च किया था। लेकिन चंद्रयान-1 लॉन्चिंग के बाद 14 नवंबर 2008 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चंद्रयान-1 का डेटा यूज करके चांद पर बर्फ की पुष्टि कर ली गई थी। इसके बाद 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था। जो कि सॉफ्ट लैंडिंग से चूक गया था। 2 सितंबर 2019 को चांद की ध्रुवीय कक्षा में चक्कर लगाने समय लैंडर विक्रम अलग हो गया था। उस वक्त चांद की सतह से महज 2.1 किमी की ऊंचाई पर लैंडर का स्पेस सेंटर से संपर्क टूट गया था।

Chandrayaan-3's Safe Landing took place at 6:30, this is the golden moment in Indian history

6 बजकर 3 मिनट पर चन्द्रयान-3 की सुरक्षित Landing हुई , ये भारतीय इतिहास का स्वर्णिंम पल है  

Chandrayaan 3 Successful Landing: आखिरकार दशकों की कड़ी मेहनत का फल भारत के वैज्ञानिकों को मिल गया है। इसरो के मून मिशन 'चंद्रयान-3' की चांद के साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुव) पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' सफल हो गई। भारत ये कीर्तिमान रचते हुए चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन गया है।

Chandrayaan-3's Safe Landing took place at 6:30, this is the golden moment in Indian history  6 बजकर 3 मिनट पर चन्द्रयान-3 की सुरक्षित Landing हुई , ये भारतीय इतिहास का स्वर्णिंम पल है    Chandrayaan 3 Successful Landing: आखिरकार दशकों की कड़ी मेहनत का फल भारत के वैज्ञानिकों को मिल गया है। इसरो के मून मिशन 'चंद्रयान-3' की चांद के साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुव) पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' सफल हो गई। भारत ये कीर्तिमान रचते हुए चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग किया। ISRO के वैज्ञानिकों की कड़ा सफलता के जरिए चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा गया। जैसे ही इसकी घोषणा हुई इसरो के ऑफिस में तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी। इसरो की ओर से 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया गया था। जिसका मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नई खोज करना है। पिछला मिशन (चंद्रयान-2) असफल रहा था, ऐसे में वैज्ञानिकों ने उससे सीख ली और कई बदलाव किए। वहीं लैंडिंग की खबर मिलते ही पूरे देश उत्साह से झूम उठा। 14 दिन तक होगा रिसर्च, जानिए क्या खोजा जाएगा? अब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग के बाद उसमें से निकला प्रज्ञान रोवर सतह पर 14 दिनों तक रिसर्च करेगा। अब रोवर चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा। इसी के साथ चांद की सतह पर तापमान की जांच होगी। भूकंपीय गतिविधियों की जांच के साथ चांद का डायनेमिक्स को भी समझने का प्रयास किया जाएगा। चौथा देश बना भारत आपको बता दें कि अब तक चांद की सतह पर अमेरिका, चीन और रूस ही सॉफ्ट लैंडिंग कर पाया है, ऐसे में अब चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया है। चंद्रयान-3 में जानिए कितना खर्चा आया? साल 2019 में चंद्रयान 2 के विफल होने के बाद से ही भारत ने अपने नए मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी गई थी। वहीं इस मिशन पर खर्च की बात करें तो इसपर तकरीबन 615 करोड़ रुपए यानी 75 मिलियन डॉलर खर्च हुआ है। इसरो के पूर्व चेयरमैन के. सिवन ने अनुमान लगाया है कि लैंडर, रोवर और प्रपल्शन मॉड्यूल की कुल लागत 250 करोड़ रुपए है औऱ इसके लॉन्च पर तकरीबन 365 करोड़ रुपए खर्च हुए होंगे। दो बार मिशन हुआ फेल, तीसरी बार सफल बता दें कि भारत अपना तीसरा यान चंद्रमा पर भेजा है। इससे पहले दो बार की गई इसरो की कोशिश असफल रही। हालांकि अपनी पहली कोशिश में भारत चांद पर पानी का पता लगाने में कामयाब रहा था। पहली बार 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान मिशन लॉन्च किया था। लेकिन चंद्रयान-1 लॉन्चिंग के बाद 14 नवंबर 2008 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चंद्रयान-1 का डेटा यूज करके चांद पर बर्फ की पुष्टि कर ली गई थी। इसके बाद 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था। जो कि सॉफ्ट लैंडिंग से चूक गया था। 2 सितंबर 2019 को चांद की ध्रुवीय कक्षा में चक्कर लगाने समय लैंडर विक्रम अलग हो गया था। उस वक्त चांद की सतह से महज 2.1 किमी की ऊंचाई पर लैंडर का स्पेस सेंटर से संपर्क टूट गया था।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग किया। ISRO के वैज्ञानिकों की कड़ा सफलता के जरिए चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा गया। जैसे ही इसकी घोषणा हुई इसरो के ऑफिस में तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी।

Chandrayaan-3's Safe Landing took place at 6:30, this is the golden moment in Indian history  6 बजकर 3 मिनट पर चन्द्रयान-3 की सुरक्षित Landing हुई , ये भारतीय इतिहास का स्वर्णिंम पल है    Chandrayaan 3 Successful Landing: आखिरकार दशकों की कड़ी मेहनत का फल भारत के वैज्ञानिकों को मिल गया है। इसरो के मून मिशन 'चंद्रयान-3' की चांद के साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुव) पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' सफल हो गई। भारत ये कीर्तिमान रचते हुए चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग किया। ISRO के वैज्ञानिकों की कड़ा सफलता के जरिए चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा गया। जैसे ही इसकी घोषणा हुई इसरो के ऑफिस में तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी। इसरो की ओर से 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया गया था। जिसका मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नई खोज करना है। पिछला मिशन (चंद्रयान-2) असफल रहा था, ऐसे में वैज्ञानिकों ने उससे सीख ली और कई बदलाव किए। वहीं लैंडिंग की खबर मिलते ही पूरे देश उत्साह से झूम उठा। 14 दिन तक होगा रिसर्च, जानिए क्या खोजा जाएगा? अब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग के बाद उसमें से निकला प्रज्ञान रोवर सतह पर 14 दिनों तक रिसर्च करेगा। अब रोवर चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा। इसी के साथ चांद की सतह पर तापमान की जांच होगी। भूकंपीय गतिविधियों की जांच के साथ चांद का डायनेमिक्स को भी समझने का प्रयास किया जाएगा। चौथा देश बना भारत आपको बता दें कि अब तक चांद की सतह पर अमेरिका, चीन और रूस ही सॉफ्ट लैंडिंग कर पाया है, ऐसे में अब चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया है। चंद्रयान-3 में जानिए कितना खर्चा आया? साल 2019 में चंद्रयान 2 के विफल होने के बाद से ही भारत ने अपने नए मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी गई थी। वहीं इस मिशन पर खर्च की बात करें तो इसपर तकरीबन 615 करोड़ रुपए यानी 75 मिलियन डॉलर खर्च हुआ है। इसरो के पूर्व चेयरमैन के. सिवन ने अनुमान लगाया है कि लैंडर, रोवर और प्रपल्शन मॉड्यूल की कुल लागत 250 करोड़ रुपए है औऱ इसके लॉन्च पर तकरीबन 365 करोड़ रुपए खर्च हुए होंगे। दो बार मिशन हुआ फेल, तीसरी बार सफल बता दें कि भारत अपना तीसरा यान चंद्रमा पर भेजा है। इससे पहले दो बार की गई इसरो की कोशिश असफल रही। हालांकि अपनी पहली कोशिश में भारत चांद पर पानी का पता लगाने में कामयाब रहा था। पहली बार 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान मिशन लॉन्च किया था। लेकिन चंद्रयान-1 लॉन्चिंग के बाद 14 नवंबर 2008 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चंद्रयान-1 का डेटा यूज करके चांद पर बर्फ की पुष्टि कर ली गई थी। इसके बाद 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था। जो कि सॉफ्ट लैंडिंग से चूक गया था। 2 सितंबर 2019 को चांद की ध्रुवीय कक्षा में चक्कर लगाने समय लैंडर विक्रम अलग हो गया था। उस वक्त चांद की सतह से महज 2.1 किमी की ऊंचाई पर लैंडर का स्पेस सेंटर से संपर्क टूट गया था।

इसरो की ओर से 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया गया था। जिसका मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नई खोज करना है। पिछला मिशन (चंद्रयान-2) असफल रहा था, ऐसे में वैज्ञानिकों ने उससे सीख ली और कई बदलाव किए। वहीं लैंडिंग की खबर मिलते ही पूरे देश उत्साह से झूम उठा।

Chandrayaan-3's Safe Landing took place at 6:30, this is the golden moment in Indian history  6 बजकर 3 मिनट पर चन्द्रयान-3 की सुरक्षित Landing हुई , ये भारतीय इतिहास का स्वर्णिंम पल है    Chandrayaan 3 Successful Landing: आखिरकार दशकों की कड़ी मेहनत का फल भारत के वैज्ञानिकों को मिल गया है। इसरो के मून मिशन 'चंद्रयान-3' की चांद के साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुव) पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' सफल हो गई। भारत ये कीर्तिमान रचते हुए चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग किया। ISRO के वैज्ञानिकों की कड़ा सफलता के जरिए चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा गया। जैसे ही इसकी घोषणा हुई इसरो के ऑफिस में तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी। इसरो की ओर से 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया गया था। जिसका मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नई खोज करना है। पिछला मिशन (चंद्रयान-2) असफल रहा था, ऐसे में वैज्ञानिकों ने उससे सीख ली और कई बदलाव किए। वहीं लैंडिंग की खबर मिलते ही पूरे देश उत्साह से झूम उठा। 14 दिन तक होगा रिसर्च, जानिए क्या खोजा जाएगा? अब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग के बाद उसमें से निकला प्रज्ञान रोवर सतह पर 14 दिनों तक रिसर्च करेगा। अब रोवर चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा। इसी के साथ चांद की सतह पर तापमान की जांच होगी। भूकंपीय गतिविधियों की जांच के साथ चांद का डायनेमिक्स को भी समझने का प्रयास किया जाएगा। चौथा देश बना भारत आपको बता दें कि अब तक चांद की सतह पर अमेरिका, चीन और रूस ही सॉफ्ट लैंडिंग कर पाया है, ऐसे में अब चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया है। चंद्रयान-3 में जानिए कितना खर्चा आया? साल 2019 में चंद्रयान 2 के विफल होने के बाद से ही भारत ने अपने नए मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी गई थी। वहीं इस मिशन पर खर्च की बात करें तो इसपर तकरीबन 615 करोड़ रुपए यानी 75 मिलियन डॉलर खर्च हुआ है। इसरो के पूर्व चेयरमैन के. सिवन ने अनुमान लगाया है कि लैंडर, रोवर और प्रपल्शन मॉड्यूल की कुल लागत 250 करोड़ रुपए है औऱ इसके लॉन्च पर तकरीबन 365 करोड़ रुपए खर्च हुए होंगे। दो बार मिशन हुआ फेल, तीसरी बार सफल बता दें कि भारत अपना तीसरा यान चंद्रमा पर भेजा है। इससे पहले दो बार की गई इसरो की कोशिश असफल रही। हालांकि अपनी पहली कोशिश में भारत चांद पर पानी का पता लगाने में कामयाब रहा था। पहली बार 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान मिशन लॉन्च किया था। लेकिन चंद्रयान-1 लॉन्चिंग के बाद 14 नवंबर 2008 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चंद्रयान-1 का डेटा यूज करके चांद पर बर्फ की पुष्टि कर ली गई थी। इसके बाद 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था। जो कि सॉफ्ट लैंडिंग से चूक गया था। 2 सितंबर 2019 को चांद की ध्रुवीय कक्षा में चक्कर लगाने समय लैंडर विक्रम अलग हो गया था। उस वक्त चांद की सतह से महज 2.1 किमी की ऊंचाई पर लैंडर का स्पेस सेंटर से संपर्क टूट गया था।

14 दिन तक होगा रिसर्च, जानिए क्या खोजा जाएगा?

अब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग के बाद उसमें से निकला प्रज्ञान रोवर सतह पर 14 दिनों तक रिसर्च करेगा। अब रोवर चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा। इसी के साथ चांद की सतह पर तापमान की जांच होगी। भूकंपीय गतिविधियों की जांच के साथ चांद का डायनेमिक्स को भी समझने का प्रयास किया जाएगा।

Chandrayaan-3's Safe Landing took place at 6:30, this is the golden moment in Indian history  6 बजकर 3 मिनट पर चन्द्रयान-3 की सुरक्षित Landing हुई , ये भारतीय इतिहास का स्वर्णिंम पल है    Chandrayaan 3 Successful Landing: आखिरकार दशकों की कड़ी मेहनत का फल भारत के वैज्ञानिकों को मिल गया है। इसरो के मून मिशन 'चंद्रयान-3' की चांद के साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुव) पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' सफल हो गई। भारत ये कीर्तिमान रचते हुए चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग किया। ISRO के वैज्ञानिकों की कड़ा सफलता के जरिए चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा गया। जैसे ही इसकी घोषणा हुई इसरो के ऑफिस में तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी। इसरो की ओर से 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया गया था। जिसका मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नई खोज करना है। पिछला मिशन (चंद्रयान-2) असफल रहा था, ऐसे में वैज्ञानिकों ने उससे सीख ली और कई बदलाव किए। वहीं लैंडिंग की खबर मिलते ही पूरे देश उत्साह से झूम उठा। 14 दिन तक होगा रिसर्च, जानिए क्या खोजा जाएगा? अब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग के बाद उसमें से निकला प्रज्ञान रोवर सतह पर 14 दिनों तक रिसर्च करेगा। अब रोवर चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा। इसी के साथ चांद की सतह पर तापमान की जांच होगी। भूकंपीय गतिविधियों की जांच के साथ चांद का डायनेमिक्स को भी समझने का प्रयास किया जाएगा। चौथा देश बना भारत आपको बता दें कि अब तक चांद की सतह पर अमेरिका, चीन और रूस ही सॉफ्ट लैंडिंग कर पाया है, ऐसे में अब चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया है। चंद्रयान-3 में जानिए कितना खर्चा आया? साल 2019 में चंद्रयान 2 के विफल होने के बाद से ही भारत ने अपने नए मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी गई थी। वहीं इस मिशन पर खर्च की बात करें तो इसपर तकरीबन 615 करोड़ रुपए यानी 75 मिलियन डॉलर खर्च हुआ है। इसरो के पूर्व चेयरमैन के. सिवन ने अनुमान लगाया है कि लैंडर, रोवर और प्रपल्शन मॉड्यूल की कुल लागत 250 करोड़ रुपए है औऱ इसके लॉन्च पर तकरीबन 365 करोड़ रुपए खर्च हुए होंगे। दो बार मिशन हुआ फेल, तीसरी बार सफल बता दें कि भारत अपना तीसरा यान चंद्रमा पर भेजा है। इससे पहले दो बार की गई इसरो की कोशिश असफल रही। हालांकि अपनी पहली कोशिश में भारत चांद पर पानी का पता लगाने में कामयाब रहा था। पहली बार 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान मिशन लॉन्च किया था। लेकिन चंद्रयान-1 लॉन्चिंग के बाद 14 नवंबर 2008 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चंद्रयान-1 का डेटा यूज करके चांद पर बर्फ की पुष्टि कर ली गई थी। इसके बाद 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था। जो कि सॉफ्ट लैंडिंग से चूक गया था। 2 सितंबर 2019 को चांद की ध्रुवीय कक्षा में चक्कर लगाने समय लैंडर विक्रम अलग हो गया था। उस वक्त चांद की सतह से महज 2.1 किमी की ऊंचाई पर लैंडर का स्पेस सेंटर से संपर्क टूट गया था।

Chandrayaan-3's Safe Landing took place at 6:30, this is the golden moment in Indian history  6 बजकर 3 मिनट पर चन्द्रयान-3 की सुरक्षित Landing हुई , ये भारतीय इतिहास का स्वर्णिंम पल है    Chandrayaan 3 Successful Landing: आखिरकार दशकों की कड़ी मेहनत का फल भारत के वैज्ञानिकों को मिल गया है। इसरो के मून मिशन 'चंद्रयान-3' की चांद के साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुव) पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' सफल हो गई। भारत ये कीर्तिमान रचते हुए चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग किया। ISRO के वैज्ञानिकों की कड़ा सफलता के जरिए चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा गया। जैसे ही इसकी घोषणा हुई इसरो के ऑफिस में तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी। इसरो की ओर से 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया गया था। जिसका मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नई खोज करना है। पिछला मिशन (चंद्रयान-2) असफल रहा था, ऐसे में वैज्ञानिकों ने उससे सीख ली और कई बदलाव किए। वहीं लैंडिंग की खबर मिलते ही पूरे देश उत्साह से झूम उठा। 14 दिन तक होगा रिसर्च, जानिए क्या खोजा जाएगा? अब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग के बाद उसमें से निकला प्रज्ञान रोवर सतह पर 14 दिनों तक रिसर्च करेगा। अब रोवर चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा। इसी के साथ चांद की सतह पर तापमान की जांच होगी। भूकंपीय गतिविधियों की जांच के साथ चांद का डायनेमिक्स को भी समझने का प्रयास किया जाएगा। चौथा देश बना भारत आपको बता दें कि अब तक चांद की सतह पर अमेरिका, चीन और रूस ही सॉफ्ट लैंडिंग कर पाया है, ऐसे में अब चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया है। चंद्रयान-3 में जानिए कितना खर्चा आया? साल 2019 में चंद्रयान 2 के विफल होने के बाद से ही भारत ने अपने नए मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी गई थी। वहीं इस मिशन पर खर्च की बात करें तो इसपर तकरीबन 615 करोड़ रुपए यानी 75 मिलियन डॉलर खर्च हुआ है। इसरो के पूर्व चेयरमैन के. सिवन ने अनुमान लगाया है कि लैंडर, रोवर और प्रपल्शन मॉड्यूल की कुल लागत 250 करोड़ रुपए है औऱ इसके लॉन्च पर तकरीबन 365 करोड़ रुपए खर्च हुए होंगे। दो बार मिशन हुआ फेल, तीसरी बार सफल बता दें कि भारत अपना तीसरा यान चंद्रमा पर भेजा है। इससे पहले दो बार की गई इसरो की कोशिश असफल रही। हालांकि अपनी पहली कोशिश में भारत चांद पर पानी का पता लगाने में कामयाब रहा था। पहली बार 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान मिशन लॉन्च किया था। लेकिन चंद्रयान-1 लॉन्चिंग के बाद 14 नवंबर 2008 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चंद्रयान-1 का डेटा यूज करके चांद पर बर्फ की पुष्टि कर ली गई थी। इसके बाद 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था। जो कि सॉफ्ट लैंडिंग से चूक गया था। 2 सितंबर 2019 को चांद की ध्रुवीय कक्षा में चक्कर लगाने समय लैंडर विक्रम अलग हो गया था। उस वक्त चांद की सतह से महज 2.1 किमी की ऊंचाई पर लैंडर का स्पेस सेंटर से संपर्क टूट गया था।

Chandrayaan-3's Safe Landing took place at 6:30, this is the golden moment in Indian history  6 बजकर 3 मिनट पर चन्द्रयान-3 की सुरक्षित Landing हुई , ये भारतीय इतिहास का स्वर्णिंम पल है    Chandrayaan 3 Successful Landing: आखिरकार दशकों की कड़ी मेहनत का फल भारत के वैज्ञानिकों को मिल गया है। इसरो के मून मिशन 'चंद्रयान-3' की चांद के साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुव) पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' सफल हो गई। भारत ये कीर्तिमान रचते हुए चांद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग किया। ISRO के वैज्ञानिकों की कड़ा सफलता के जरिए चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा गया। जैसे ही इसकी घोषणा हुई इसरो के ऑफिस में तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी। इसरो की ओर से 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया गया था। जिसका मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर नई खोज करना है। पिछला मिशन (चंद्रयान-2) असफल रहा था, ऐसे में वैज्ञानिकों ने उससे सीख ली और कई बदलाव किए। वहीं लैंडिंग की खबर मिलते ही पूरे देश उत्साह से झूम उठा। 14 दिन तक होगा रिसर्च, जानिए क्या खोजा जाएगा? अब चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग के बाद उसमें से निकला प्रज्ञान रोवर सतह पर 14 दिनों तक रिसर्च करेगा। अब रोवर चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा। इसी के साथ चांद की सतह पर तापमान की जांच होगी। भूकंपीय गतिविधियों की जांच के साथ चांद का डायनेमिक्स को भी समझने का प्रयास किया जाएगा। चौथा देश बना भारत आपको बता दें कि अब तक चांद की सतह पर अमेरिका, चीन और रूस ही सॉफ्ट लैंडिंग कर पाया है, ऐसे में अब चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया है। चंद्रयान-3 में जानिए कितना खर्चा आया? साल 2019 में चंद्रयान 2 के विफल होने के बाद से ही भारत ने अपने नए मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी गई थी। वहीं इस मिशन पर खर्च की बात करें तो इसपर तकरीबन 615 करोड़ रुपए यानी 75 मिलियन डॉलर खर्च हुआ है। इसरो के पूर्व चेयरमैन के. सिवन ने अनुमान लगाया है कि लैंडर, रोवर और प्रपल्शन मॉड्यूल की कुल लागत 250 करोड़ रुपए है औऱ इसके लॉन्च पर तकरीबन 365 करोड़ रुपए खर्च हुए होंगे। दो बार मिशन हुआ फेल, तीसरी बार सफल बता दें कि भारत अपना तीसरा यान चंद्रमा पर भेजा है। इससे पहले दो बार की गई इसरो की कोशिश असफल रही। हालांकि अपनी पहली कोशिश में भारत चांद पर पानी का पता लगाने में कामयाब रहा था। पहली बार 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान मिशन लॉन्च किया था। लेकिन चंद्रयान-1 लॉन्चिंग के बाद 14 नवंबर 2008 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चंद्रयान-1 का डेटा यूज करके चांद पर बर्फ की पुष्टि कर ली गई थी। इसके बाद 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था। जो कि सॉफ्ट लैंडिंग से चूक गया था। 2 सितंबर 2019 को चांद की ध्रुवीय कक्षा में चक्कर लगाने समय लैंडर विक्रम अलग हो गया था। उस वक्त चांद की सतह से महज 2.1 किमी की ऊंचाई पर लैंडर का स्पेस सेंटर से संपर्क टूट गया था।

चौथा देश बना भारत

आपको बता दें कि अब तक चांद की सतह पर अमेरिका, चीन और रूस ही सॉफ्ट लैंडिंग कर पाया है, ऐसे में अब चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया है।

चंद्रयान-3 में जानिए कितना खर्चा आया?

साल 2019 में चंद्रयान 2 के विफल होने के बाद से ही भारत ने अपने नए मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी गई थी। वहीं इस मिशन पर खर्च की बात करें तो इसपर तकरीबन 615 करोड़ रुपए यानी 75 मिलियन डॉलर खर्च हुआ है।

इसरो के पूर्व चेयरमैन के. सिवन ने अनुमान लगाया है कि लैंडर, रोवर और प्रपल्शन मॉड्यूल की कुल लागत 250 करोड़ रुपए है औऱ इसके लॉन्च पर तकरीबन 365 करोड़ रुपए खर्च हुए होंगे।

दो बार मिशन हुआ फेल, तीसरी बार सफल

बता दें कि भारत अपना तीसरा यान चंद्रमा पर भेजा है। इससे पहले दो बार की गई इसरो की कोशिश असफल रही। हालांकि अपनी पहली कोशिश में भारत चांद पर पानी का पता लगाने में कामयाब रहा था।

पहली बार 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान मिशन लॉन्च किया था। लेकिन चंद्रयान-1 लॉन्चिंग के बाद 14 नवंबर 2008 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चंद्रयान-1 का डेटा यूज करके चांद पर बर्फ की पुष्टि कर ली गई थी।

इसके बाद 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया था। जो कि सॉफ्ट लैंडिंग से चूक गया था। 2 सितंबर 2019 को चांद की ध्रुवीय कक्षा में चक्कर लगाने समय लैंडर विक्रम अलग हो गया था। उस वक्त चांद की सतह से महज 2.1 किमी की ऊंचाई पर लैंडर का स्पेस सेंटर से संपर्क टूट गया था।

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