Mumbai Court: ट्रेन हत्याकांड के आरोपी का नहीं होगा नार्को टेस्ट, 'जबरदस्ती नहीं कर सकते - कोर्ट

 

Mumbai: कोर्ट(Court) ने नहीं दी ट्रेन में फायरिंग के आरोपी के नार्को टेस्ट (narco test) की अनुमति, कहा- चुप रहना उसका(Fundamental Rights) मौलिक अधिकार  मुंबई के मजिस्ट्रेट कोर्ट (Mumbai Magistrate Court) ने आरोपित रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के बर्खास्त कांस्टेबल चेतन सिंह चौधरी(Sacked constable Chetan Singh Chowdhary) का नार्को परीक्षण की अनुमति देने से इनकार कर दिया। अपने आदेश( Order ) में अदालत ने कहा कि चुप रहना आरोपित( Criminal ) का मौलिक अधिकार है। बता दें कि पिछले दिनों आरपीएफ के कॉन्स्टेबल ने चलती ट्रेन में गोली मारकर चार लोगों की हत्या कर दी थी(RPF constable shot dead four people in a moving train)।  कोर्ट ने नहीं दी ट्रेन में फायरिंग के आरोपी के नार्को टेस्ट की अनुमति।  मुंबई, पीटीआई। मजिस्ट्रेट कोर्ट(Magistrate Court) ने आरोपित रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के बर्खास्त कॉन्स्टेबल चेतन सिंह चौधरी का नार्को परीक्षण की अनुमति देने से इनकार कर दिया। अपने आदेश में अदालत ने कहा कि चुप रहना आरोपित का मौलिक अधिकार है।  कॉन्स्टेबल ने ट्रेन में चलाई थी गोली  बता दें कि पिछले दिनों आरपीएफ के कॉन्स्टेबल(CONSTABLE ) ने चलती ट्रेन में गोली मारकर चार लोगों की हत्या कर दी थी। गत 11 अगस्त को पारित आदेश में अदालत ने कहा कि महज सुचारु जांच के लिए आरोपित पर परीक्षण के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता है। राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने चौधरी का नार्को परीक्षण(The Government Railway Police (GRP) conducted a narco test on Chaudhary), ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ(brain mapping and polygraph) कराने के लिए बोरीवली मजिस्ट्रेट कोर्ट (Boribali Magistrates Court) से मंजूरी मांगी थी। वर्तमान में आरोपित न्यायिक हिरासत में है और ठाणे जिले( Thane district )की जेल में बंद है।  मजिस्ट्रेट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया हवाला  अभियोजन पक्ष ने कहा था कि वह गंभीर अपराध करने का आरोप है और जांच पूरी करने के लिए नार्को एवं अन्य परीक्षण जरूरी हैं। चौधरी के वकील सुरेंद्र लांडगे(Chaudhary's Lawyer Surendra Landge, ) अमित मिश्रा (Amit Mishra) और जयवंत पाटिल Jyant Patil)  ने आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि नार्को परीक्षण मौलिक अधिकारों का हनन है( Narco Test Is A Violation Of Fundamental Rights) और बिना आरोपित की सहमति के इसे नहीं कराया जा सकता है।  सुप्रीम कोर्ट( Supreme Court)  के एक फैसले का हवाला देते हुए मजिस्ट्रेट ने कहा, यदि हम पूरे फैसले का सूक्ष्मता से अध्ययन करें तो स्पष्ट है कि केवल बाहरी परिस्थितियों और आरोपी की सहमति से ही कोई परीक्षण किया जा सकता है। हालांकि, आरोपी को अनुमति के बिना परीक्षण के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। आरोपित अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए ऐसे परीक्षण के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में आवेदन खारिज कर दिया जाना चाहिए।

Mumbai: कोर्ट(Court) ने नहीं दी ट्रेन में फायरिंग के आरोपी के नार्को टेस्ट (narco test) की अनुमति, कहा- चुप रहना उसका(Fundamental Rights) मौलिक अधिकार

मुंबई के मजिस्ट्रेट कोर्ट (Mumbai Magistrate Court) ने आरोपित रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के बर्खास्त कांस्टेबल चेतन सिंह चौधरी(Sacked constable Chetan Singh Chowdhary) का नार्को परीक्षण की अनुमति देने से इनकार कर दिया। अपने आदेश( Order ) में अदालत ने कहा कि चुप रहना आरोपित( Criminal ) का मौलिक अधिकार है। बता दें कि पिछले दिनों आरपीएफ के कॉन्स्टेबल ने चलती ट्रेन में गोली मारकर चार लोगों की हत्या कर दी थी(RPF constable shot dead four people in a moving train)।

कोर्ट ने नहीं दी ट्रेन में फायरिंग के आरोपी के नार्को टेस्ट की अनुमति।

मुंबई, पीटीआई। मजिस्ट्रेट कोर्ट(Magistrate Court) ने आरोपित रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के बर्खास्त कॉन्स्टेबल चेतन सिंह चौधरी का नार्को परीक्षण की अनुमति देने से इनकार कर दिया। अपने आदेश में अदालत ने कहा कि चुप रहना आरोपित का मौलिक अधिकार है।

कॉन्स्टेबल ने ट्रेन में चलाई थी गोली

बता दें कि पिछले दिनों आरपीएफ के कॉन्स्टेबल(CONSTABLE ) ने चलती ट्रेन में गोली मारकर चार लोगों की हत्या कर दी थी। गत 11 अगस्त को पारित आदेश में अदालत ने कहा कि महज सुचारु जांच के लिए आरोपित पर परीक्षण के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता है।
राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने चौधरी का नार्को परीक्षण(The Government Railway Police (GRP) conducted a narco test on Chaudhary), ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ(brain mapping and polygraph) कराने के लिए बोरीवली मजिस्ट्रेट कोर्ट (Boribali Magistrates Court) से मंजूरी मांगी थी। वर्तमान में आरोपित न्यायिक हिरासत में है और ठाणे जिले( Thane district )की जेल में बंद है।

मजिस्ट्रेट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया हवाला

अभियोजन पक्ष ने कहा था कि वह गंभीर अपराध करने का आरोप है और जांच पूरी करने के लिए नार्को एवं अन्य परीक्षण जरूरी हैं। चौधरी के वकील सुरेंद्र लांडगे(Chaudhary's Lawyer Surendra Landge, ) अमित मिश्रा (Amit Mishra) और जयवंत पाटिल Jyant Patil)  ने आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि नार्को परीक्षण मौलिक अधिकारों का हनन है( Narco Test Is A Violation Of Fundamental Rights) और बिना आरोपित की सहमति के इसे नहीं कराया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट( Supreme Court)  के एक फैसले का हवाला देते हुए मजिस्ट्रेट ने कहा, यदि हम पूरे फैसले का सूक्ष्मता से अध्ययन करें तो स्पष्ट है कि केवल बाहरी परिस्थितियों और आरोपी की सहमति से ही कोई परीक्षण किया जा सकता है। हालांकि, आरोपी को अनुमति के बिना परीक्षण के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। आरोपित अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए ऐसे परीक्षण के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में आवेदन खारिज कर दिया जाना चाहिए।

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