Pm Awash Yojna Ghotala In MP: मध्यप्रदेश में PM आवास योजना का बड़ा फर्जीवाड़ा, दमोह कलेक्टर के अप्रूवल के बिना अधिकारियों ने चहेतों को दिया लाभ,

 

दमोह (इम्तियाज चिश्ती):व्यापम घोटाला(vyapam Ghotala) तो सुना होगा आपने इसका नाम शुनते ही भोपाल(Bhopal) याद आ जाता हैं उसी तरह मध्यप्रदेश(madhya pradesh) का एक और जिला हैं, दमोह(Damoh) मध्यप्रदेश का एक ऐसा जिला है जहां की नगरपालिका(Nagarpalika) के फर्जीबाडे ( Scam) पूरे मध्यप्रदेश में सबसे जुदा और सबसे अलग हैं। यहां पदस्थ कर्मचारियों( posted employees) के फर्जी कारनामे ऐसे कि भ्रष्टाचार( Corruption) भी इनके सामने सलाम ठोकता। इन सरकारी कर्मचारियों की मनमानी का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इनको ना जिले के मुखिया दमोह कलेक्टर( Damoh Collector) का कोई डर हैं और नहीं संभाग में बैठे किसी जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों का डर। सब कुछ मैं... की तर्ज़ पर काम करने वाले हैं नगरपालिका दमोह के कर्मचारी अधिकारी। अधिकारियों कर्मचारियों ने सांठगांठ कर प्रदेश के सबसे बड़े व्यापम घोटाले की तर्ज पर प्रधानमंत्री आवास योजना(Pradhan Mantri Awas Yojana) में एक बड़े फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है। इस फर्जीवाड़े में सीएमओ से लेकर आवास कर्मचारी व कांग्रेस परिषद के सभापति सहित सभी की भूमिका संदिग्ध नज़र आ रही है(The role of everyone, including the CMO to the housing staff and the chairman of the Congress Council, seems suspicious in the forgery)।  इसका बात का खुलासा नगरपालिका के ही एक कंप्यूटर ( Nagarpalika Computer) ने कर दिया। महिला कंप्यूटर ऑपरेटर ने ख़ुद सारे नाम बता दिए उस सूची में जो अभी कलेक्टर द्वारा अनुमोदन ही नहीं हुए और उन्हें पेमेंट जारी भी हो गई(The computer operator himself told all the names in the list which have not yet been approved by the collector and the payment has also been issued to them)।  भले ही प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (State Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ग़रीबों के हित में कितनी भी लाभकारी योजनाएं लाए लेकिन यहां बैठे अधिकारियों को सीएम का डर ना कलेक्टर का खौफ़। जबकी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ जिले के कलेक्टर द्वारा जारी अनुमोदन के बाद ही पात्र हितग्राहियों को योजना का लाभ दिया जाता है लेकिन यहां दमोह नगरपालिका में पदस्थ अधिकारियों कर्मचारियों ने कलेक्टर के अनुमोदन के बिना ही चहेतों को फ़र्जी तरीके से योजना का लाभ दे दिया(The officers and employees posted in Damoh municipality, without the approval of the collector, fraudulently gave the benefits of the scheme to their loved ones)।  हैरत की बात तो ये हैं कि जो लिस्ट दमोह कलेक्टर ने अनुमोदित ही नहीं की उन नामों को भी यहां के कंप्यूटर आपरेटरों(Computer Oprator) ने खुद ही लिस्ट बनाकर राशि जारी करदी। Employees को ना कलेक्टर द्वारा अनुमोदन कराने की आवश्यकता पड़ी और ना एस डी एम और आर आई पटवारी द्वारा जांच की जरूरत समझी(Employees did not need the approval of the Collector and neither did the SDM and RI Patwari understand the need for जन्मदिन)। जब इस संबंध में नपा के आवास प्रभारी प्रंजाल राय(Housing Incharge Pranjal Rai) और नगरपालिका सीएमओ भैया लाल(Municipal CMO Bhaiya Lal)  से बात करनी चाही तो पंजाब केसरी( Punjab Keshri ) के सवालों से बचते नज़र आये। पहले तो हाथ जोड़कर कहते है मुझे कोई जबाब नहीं देना फिर सीएमओ भैया लाल ने तो यहां तक बोल दिया दिखा दो कि सीएमओं ने बोलने से इनकार किया। इतना हौसला किसके इशारे पर आया यह भी एक बड़ा सवाल है। गौर करने वाली बात यह है कि इन वार्ड के वार्ड पार्षदों का भी मानना है कि ये नाम तो हमने दिए ही नहीं है इन्हें कैसे लाभ मिला पता नहीं।  वहीं नगरपालिका में कांग्रेस से सभापति प्रतिनिधि( Chairman representative from Congress in municipality) ने बताया यह सब भाजपा के दबाव में हुआ हम लोग जिम्मेदार नहीं। इस पर सत्ता पक्ष कैसे खामोश रहती भाजपा जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी (BJP District President Pritam Singh Lodhi) ने पलटवार करते हुए कहा कि नगरपालिका कांग्रेस की घोटाला भी कांग्रेस के पार्षदों सभापति ने किया(Municipal Congress scam was also done by the chairman of Congress councilors)। इस खेल की जानकारी जब जिले के मुखिया दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल (Damoh Collector Mayank Agarwal) को दी। उन्होंने कहा हमारे सामने कोई भी शिकायत आती है तो हम उसकी जांच कराएंगे।

मध्यप्रदेश में PM आवास योजना का बड़ा फर्जीवाड़ा, दमोह कलेक्टर के अप्रूवल के बिना अधिकारियों ने चहेतों को दिया लाभ,

दमोह (इम्तियाज चिश्ती):व्यापम घोटाला(vyapam Ghotala) तो सुना होगा आपने इसका नाम शुनते ही भोपाल(Bhopal) याद आ जाता हैं उसी तरह मध्यप्रदेश(madhya pradesh) का एक और जिला हैं, दमोह(Damoh) मध्यप्रदेश का एक ऐसा जिला है जहां की नगरपालिका(Nagarpalika) के फर्जीबाडे ( Scam) पूरे मध्यप्रदेश में सबसे जुदा और सबसे अलग हैं। यहां पदस्थ कर्मचारियों( posted employees) के फर्जी कारनामे ऐसे कि भ्रष्टाचार( Corruption) भी इनके सामने सलाम ठोकता। इन सरकारी कर्मचारियों की मनमानी का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इनको ना जिले के मुखिया दमोह कलेक्टर( Damoh Collector) का कोई डर हैं और नहीं संभाग में बैठे किसी जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारियों का डर। सब कुछ मैं... की तर्ज़ पर काम करने वाले हैं नगरपालिका दमोह के कर्मचारी अधिकारी। अधिकारियों कर्मचारियों ने सांठगांठ कर प्रदेश के सबसे बड़े व्यापम घोटाले की तर्ज पर प्रधानमंत्री आवास योजना(Pradhan Mantri Awas Yojana) में एक बड़े फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है। इस फर्जीवाड़े में सीएमओ से लेकर आवास कर्मचारी व कांग्रेस परिषद के सभापति सहित सभी की भूमिका संदिग्ध नज़र आ रही है(The role of everyone, including the CMO to the housing staff and the chairman of the Congress Council, seems suspicious in the forgery)।

इसका बात का खुलासा नगरपालिका के ही एक कंप्यूटर ( Nagarpalika Computer) ने कर दिया। महिला कंप्यूटर ऑपरेटर ने ख़ुद सारे नाम बता दिए उस सूची में जो अभी कलेक्टर द्वारा अनुमोदन ही नहीं हुए और उन्हें पेमेंट जारी भी हो गई(The computer operator himself told all the names in the list which have not yet been approved by the collector and the payment has also been issued to them)।

भले ही प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (State Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ग़रीबों के हित में कितनी भी लाभकारी योजनाएं लाए लेकिन यहां बैठे अधिकारियों को सीएम का डर ना कलेक्टर का खौफ़। जबकी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ जिले के कलेक्टर द्वारा जारी अनुमोदन के बाद ही पात्र हितग्राहियों को योजना का लाभ दिया जाता है लेकिन यहां दमोह नगरपालिका में पदस्थ अधिकारियों कर्मचारियों ने कलेक्टर के अनुमोदन के बिना ही चहेतों को फ़र्जी तरीके से योजना का लाभ दे दिया(The officers and employees posted in Damoh municipality, without the approval of the collector, fraudulently gave the benefits of the scheme to their loved ones)।

हैरत की बात तो ये हैं कि जो लिस्ट दमोह कलेक्टर ने अनुमोदित ही नहीं की उन नामों को भी यहां के कंप्यूटर आपरेटरों(Computer Oprator) ने खुद ही लिस्ट बनाकर राशि जारी करदी। Employees को ना कलेक्टर द्वारा अनुमोदन कराने की आवश्यकता पड़ी और ना एस डी एम और आर आई पटवारी द्वारा जांच की जरूरत समझी(Employees did not need the approval of the Collector and neither did the SDM and RI Patwari understand the need for जन्मदिन)। जब इस संबंध में नपा के आवास प्रभारी प्रंजाल राय(Housing Incharge Pranjal Rai) और नगरपालिका सीएमओ भैया लाल(Municipal CMO Bhaiya Lal)  से बात करनी चाही तो पंजाब केसरी( Punjab Keshri ) के सवालों से बचते नज़र आये।

पहले तो हाथ जोड़कर कहते है मुझे कोई जबाब नहीं देना फिर सीएमओ भैया लाल ने तो यहां तक बोल दिया दिखा दो कि सीएमओं ने बोलने से इनकार किया। इतना हौसला किसके इशारे पर आया यह भी एक बड़ा सवाल है। गौर करने वाली बात यह है कि इन वार्ड के वार्ड पार्षदों का भी मानना है कि ये नाम तो हमने दिए ही नहीं है इन्हें कैसे लाभ मिला पता नहीं।

वहीं नगरपालिका में कांग्रेस से सभापति प्रतिनिधि( Chairman representative from Congress in municipality) ने बताया यह सब भाजपा के दबाव में हुआ हम लोग जिम्मेदार नहीं। इस पर सत्ता पक्ष कैसे खामोश रहती भाजपा जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी (BJP District President Pritam Singh Lodhi) ने पलटवार करते हुए कहा कि नगरपालिका कांग्रेस की घोटाला भी कांग्रेस के पार्षदों सभापति ने किया(Municipal Congress scam was also done by the chairman of Congress councilors)। इस खेल की जानकारी जब जिले के मुखिया दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल (Damoh Collector Mayank Agarwal) को दी। उन्होंने कहा हमारे सामने कोई भी शिकायत आती है तो हम उसकी जांच कराएंगे।

Nesws Source- Punjab Keshri

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