Gondwnaland: विश्व के दो प्राचीन योद्धा कबीले जो अभी भी अपने प्राचीन रितीरिवाज और सभ्यता को संरक्षित किए हुए,

विश्व के दो प्राचीन योद्धा कबीले जो अभी भी अपने प्राचीन रितीरिवाज और सभ्यता को संरक्षित किए हुए,   इनके रितीरिवाज भारतीय राजगोंड ठाकुर के समान ही है..लड़की को व्याह कर लड़के के घर लाना जैसे म्रत्यू भोज करना आदि   अमेरिकन "Red Indian Tribe" कल्चर -  अमेरिका की प्राचीन माया सभ्यता ग्वाटेमाला, मैक्सिको, होंडुरास तथा यूकाटन प्रायद्वीप में स्थापित थी। माया सभ्यता मैक्सिको की एक महत्वपूर्ण सभ्यता थी। इस सभ्यता का आरम्भ 1500 ई० पू० में हुआ। यह सभ्यता 300 ई० से 900 ई० के दौरान अपनी उन्नति के शिखर पर पहुंची इस सभ्यता के महत्वपूर्ण केन्द्र मैक्सिको, ग्वाटेमाला, होंडुरास एवं अल - सैल्वाड़ोर में थे। यद्यपि माया सभ्यता का अंत 16 वी शताब्दी में हुआ किन्तु इसका पतन 11 वी शताब्दी से आरम्भ हो गया था।  श्री चमनलाल कृत हिन्दू अमेरिका पुस्तक में मय सभ्यता तथा भारतीय सभ्यता की पारस्परिक निकटस्थ समानताएं वर्णित हैं । स्वयं 'मय' शब्द ही भारतीय हैं । मैक्सिको में श्री गणेश जी तथा सूर्यदेव की प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं । मैक्सिको वासियों के पारम्परिक गीतों में अपनी नव - विवाहिता कन्या को वर - पक्ष के घर भेजते समय मां द्वारा प्रकट किए गये उद्गार भारतीय विचारों के अत्यधिक समरूप हैं । मुखाकृति की दृष्टि से प्राचीन मैक्सिको के लोग उसी जाति के प्रतीत होते हैं जिस जाति के भारत के उत्तर - पूर्वी क्षेत्र के निवासी हैं । प्राचीन भारतीय शब्दावली में , अमरीकी महाद्वीपों वाला पश्चिमी गोलार्द्ध पाताल कहलाता था । यह हो सकता है कि कि वाली को पाताल क्षेत्र की ओर खदेड़ने का सन्दर्भ ऐतिहासिक रूप में उसकी पराजय तथा बाली द्वीप पर बने द्वीपस्थ दुर्ग से हटकर सुदूर मैक्सिको में जा बसने का द्योतक हो ।[1]  माया सभ्यता की शासन व्यवस्था के सम्बन्ध में हमें कोई विशेष जानकारी प्राप्त नहीं है। माया शासक सामान्यतः पुरुष हुआ करते थे। कभी - कभी रानियां भी शासन करती थी। राजा का पद पैतृक था। उसकी मृत्यु के पश्चात उसका बड़ा बेटा सिंहासन पर बैठता था। राजा का बहादुर होना अनिवार्य था। एक बहादुर राजा ही साम्राज्य का विस्तार एवं उनकी सुरक्षा कर सकता था। राजा के सिंहासन पर बैठते समय देवताओं को प्रसन्न करने के उद्देश्य से मानव बलि दी जाती थी। राजा अभिजात वर्ग एवं पुरोहितों की सहायता से शासन चलाता था। राजा भव्य महलों में रहता था। उसकी सेवा में बड़ी संख्या में लोग दास एवं दासियां होते थे।  राजगोंड राजाओं का इतिहास  गोंडों का प्रदेश गोंडवाना के नाम से भी प्रसिद्ध है जहाँ 15वीं तथा 17वीं शताब्दी राजगौंड राजवंशों के शासन स्थापित थे। किंतु गोंडों की छिटपुट आबादी समस्त मध्यप्रदेश में है। उड़ीसा, आंध्र और बिहार राज्यों में से प्रत्येक में दो से लेकर चार लाख तक गोंड हैं।  राजगोंड का भारत की जातियों में महत्वपूर्ण स्थान है जिसका मुख्य कारण उनका इतिहास है। 15वीं से 17वीं शताब्दी के बीच गोंडवाना में अनेक राजगोंड राजवंशों का दृढ़ और सफल शासन स्थापित था। इन शासकों ने बहुत से दृढ़ दुर्ग, तालाब तथा स्मारक बनवाए और सफल शासकीय नीति तथा दक्षता का परिचय दिया। इनके शासन की परिधि मध्य भारत से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार तक पहुँचती थी। 15 वीं शताब्दी में चार महत्वपूर्ण गोंड़़ साम्राज्य थे। जिसमें खेरला, गढ मंडला, देवगढ और चाँदागढ प्रमुख थे। गोंड राजा बख्त बुलंद शाह ने नागपुर शहर की स्थापना कर अपनी राजधानी देवगढ से नागपुर स्थानांतरित किया था |गोंडवाना की प्रसिद्ध रानी दुर्गावती राजगोंड राजवंश की रानी थी।  गोंड जनजाति का इतिहास उतना ही पुराना है जितना इस पृथ्वी -ग्रह पर मनुष्य, परन्तु लिखित इतिहास के प्रमाण के अभाव में खोज का विषय है। यहाँ गोंड जनजाति के प्राचीन निवास के क्षेत्र में आदि के शाक्ष्य उपलब्ध है। गोंड समुदाय द्रविढ़वर्ग के माने जाते है,   Source-   भारतीय इतिहास की भयंकर भूलें. पुरूषोत्तम नागेश ओक. पृ. ३२२.   "Madhya Pradesh: Data Highlights the Scheduled Tribes" (PDF). Census of India 2001. Census Commission of India. मूल से 19 दिसंबर 2008 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 2008-03-06.

विश्व के दो प्राचीन योद्धा कबीले जो अभी भी अपने प्राचीन रितीरिवाज और सभ्यता को संरक्षित किए हुए, 

इनके रितीरिवाज भारतीय राजगोंड ठाकुर के समान ही है..लड़की को व्याह कर लड़के के घर लाना जैसे म्रत्यू भोज करना आदि ...

अमेरिकन "Red Indian Tribe" कल्चर -

अमेरिका की प्राचीन माया सभ्यता ग्वाटेमाला, मैक्सिको, होंडुरास तथा यूकाटन प्रायद्वीप में स्थापित थी। माया सभ्यता मैक्सिको की एक महत्वपूर्ण सभ्यता थी। इस सभ्यता का आरम्भ 1500 ई० पू० में हुआ। यह सभ्यता 300 ई० से 900 ई० के दौरान अपनी उन्नति के शिखर पर पहुंची इस सभ्यता के महत्वपूर्ण केन्द्र मैक्सिको, ग्वाटेमाला, होंडुरास एवं अल - सैल्वाड़ोर में थे। यद्यपि माया सभ्यता का अंत 16 वी शताब्दी में हुआ किन्तु इसका पतन 11 वी शताब्दी से आरम्भ हो गया था।

श्री चमनलाल कृत हिन्दू अमेरिका पुस्तक में मय सभ्यता तथा भारतीय सभ्यता की पारस्परिक निकटस्थ समानताएं वर्णित हैं । स्वयं 'मय' शब्द ही भारतीय हैं । मैक्सिको में श्री गणेश जी तथा सूर्यदेव की प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं । मैक्सिको वासियों के पारम्परिक गीतों में अपनी नव - विवाहिता कन्या को वर - पक्ष के घर भेजते समय मां द्वारा प्रकट किए गये उद्गार भारतीय विचारों के अत्यधिक समरूप हैं । मुखाकृति की दृष्टि से प्राचीन मैक्सिको के लोग उसी जाति के प्रतीत होते हैं जिस जाति के भारत के उत्तर - पूर्वी क्षेत्र के निवासी हैं । प्राचीन भारतीय शब्दावली में , अमरीकी महाद्वीपों वाला पश्चिमी गोलार्द्ध पाताल कहलाता था । यह हो सकता है कि कि वाली को पाताल क्षेत्र की ओर खदेड़ने का सन्दर्भ ऐतिहासिक रूप में उसकी पराजय तथा बाली द्वीप पर बने द्वीपस्थ दुर्ग से हटकर सुदूर मैक्सिको में जा बसने का द्योतक हो ।[1]

माया सभ्यता की शासन व्यवस्था के सम्बन्ध में हमें कोई विशेष जानकारी प्राप्त नहीं है। माया शासक सामान्यतः पुरुष हुआ करते थे। कभी - कभी रानियां भी शासन करती थी। राजा का पद पैतृक था। उसकी मृत्यु के पश्चात उसका बड़ा बेटा सिंहासन पर बैठता था। राजा का बहादुर होना अनिवार्य था। एक बहादुर राजा ही साम्राज्य का विस्तार एवं उनकी सुरक्षा कर सकता था। राजा के सिंहासन पर बैठते समय देवताओं को प्रसन्न करने के उद्देश्य से मानव बलि दी जाती थी। राजा अभिजात वर्ग एवं पुरोहितों की सहायता से शासन चलाता था। राजा भव्य महलों में रहता था। उसकी सेवा में बड़ी संख्या में लोग दास एवं दासियां होते थे।

राजगोंड राजाओं का इतिहास

गोंडों का प्रदेश गोंडवाना के नाम से भी प्रसिद्ध है जहाँ 15वीं तथा 17वीं शताब्दी राजगौंड राजवंशों के शासन स्थापित थे। किंतु गोंडों की छिटपुट आबादी समस्त मध्यप्रदेश में है। उड़ीसा, आंध्र और बिहार राज्यों में से प्रत्येक में दो से लेकर चार लाख तक गोंड हैं।

राजगोंड का भारत की जातियों में महत्वपूर्ण स्थान है जिसका मुख्य कारण उनका इतिहास है। 15वीं से 17वीं शताब्दी के बीच गोंडवाना में अनेक राजगोंड राजवंशों का दृढ़ और सफल शासन स्थापित था। इन शासकों ने बहुत से दृढ़ दुर्ग, तालाब तथा स्मारक बनवाए और सफल शासकीय नीति तथा दक्षता का परिचय दिया। इनके शासन की परिधि मध्य भारत से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार तक पहुँचती थी। 15 वीं शताब्दी में चार महत्वपूर्ण गोंड़़ साम्राज्य थे। जिसमें खेरला, गढ मंडला, देवगढ और चाँदागढ प्रमुख थे। गोंड राजा बख्त बुलंद शाह ने नागपुर शहर की स्थापना कर अपनी राजधानी देवगढ से नागपुर स्थानांतरित किया था |गोंडवाना की प्रसिद्ध रानी दुर्गावती राजगोंड राजवंश की रानी थी।

गोंड जनजाति का इतिहास उतना ही पुराना है जितना इस पृथ्वी -ग्रह पर मनुष्य, परन्तु लिखित इतिहास के प्रमाण के अभाव में खोज का विषय है। यहाँ गोंड जनजाति के प्राचीन निवास के क्षेत्र में आदि के शाक्ष्य उपलब्ध है। गोंड समुदाय द्रविढ़वर्ग के माने जाते है, 

Source-
 भारतीय इतिहास की भयंकर भूलें. पुरूषोत्तम नागेश ओक. पृ. ३२२.
 "Madhya Pradesh: Data Highlights the Scheduled Tribes" (PDF)Census of India 2001. Census Commission of India. मूल से 19 दिसंबर 2008 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 2008-03-06.

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