इसराइल पर शनिवार को ग़ज़ा से हुए रॉकेट हमले में कम से कम 40 लोगों की मौत हुई है. इसराइल की जवाबी कार्रवाई में 198 फ़लस्तीनी मारे गए हैं.
फ़लस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास ने शनिवार सुबह इसराइल पर सात हज़ार से ज़्यादा रॉकेट दागने का दावा किया.
जवाबी कार्रवाई में इसराइल ने भी ग़ज़ा पट्टी में हवाई हमले किए.
इसराइल की इमरजेंसी सेवाओं के मुताबिक़, हमास के किए हमले में अब तक 40 लोगों की मौत हो गई है और 500 से ज्यादा लोग घायल हैं.
स्थानीय फलस्तीनी अधिकारियों के मुताबिक़, इसराइल के किए हवाई हमले में 198 लोगों की मौत हो गई है और एक हज़ार से ज्यादा लोग घायल हैं.
समाचार एजेंसियों की शेयर की तस्वीरों, वीडियो में देखा जा सकता है कि इस हमले से काफ़ी नुक़सान हुआ है और कई जगहों से धुंआ उठता हुआ देखा जा सकता है.
ऐसी भी तस्वीरें हैं, जिनमें सड़कों पर हमले में मारे गए लोगों के शव रखे हुए हैं.
इसराइल में हुए हमले के बाद कई देशों की प्रतिक्रियाएं सामने आ चुकी हैं.
पीएम मोदी ने इसराइल पर हुए हमले को लेकर क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसराइल पर हुए हमले को लेकर दुख जताया है.
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''इसराइल में हुए आतंकवादी हमले की ख़बर से स्तब्ध हूं. हमारी संवेदनाएं और दुआएं हमले के पीड़ित लोगों और मारे गए लोगों के परिवार के साथ हैं. हम इस मुश्किल घड़ी में इसराइल के साथ खड़े हैं.''
इसराइल और फ़लस्तीनी क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र में हाल के वक़्त में जब-जब वोटिंग हुई तो भारत किसी के साथ भी खड़े होने से बचता दिखा है.
इसी साल की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने पूर्वी यरुशलम और फ़लस्तीनी क्षेत्र में इसराइल के कब्ज़े से जुड़े एक मसौदा प्रस्ताव से दूरी बना ली थी.
2017 जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसराइल के दौरे पर गए थे और यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला इसराइल दौरा था. अब तक कोई भी भारत से उच्चस्तरीय नेता इसराइल जाता था तो फ़लस्तीनी क्षेत्र में ज़रूर जाता था, लेकिन मोदी इस दौरे में फ़लस्तीनी इलाक़े में नहीं गए और न ही इस दौरे में फ़लस्तीनियों का एक बार भी नाम लिया था.
हालाँकि 2018 में मोदी अलग से फ़लस्तीनी इलाक़े में गए थे.
सऊदी अरब ने क्या कहा?
इसराइल में फलस्तीनी समूह हमास के हमले पर सऊदी अरब ने भी प्रतिक्रिया दी.
कुछ वक़्त पहले ही सऊदी अरब और इसराइल के बीच संबंधों को बेहतर करने की दिशा में कदम उठाने शुरू किए गए थे.
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि वह फलस्तीनी गुटों और क़ब्ज़े वाली इसराइली ताकतों के बीच पैदा हुई स्थिति के कारण अलग-अलग मोर्चों पर जारी हिंसा पर नज़र बनाए हुए हैं.
सऊदी अरब ने कहा है, '' हम दोनों पक्षों के बीच तनाव को तत्काल रोकने, नागरिकों की सुरक्षा और संयम बरतने की अपील करते हैं.''
सऊदी अरब ने कहा कि वह बार-बार इसराइली समूह को दी गई अपनी चेतावनियों को याद करता है.
सऊदी ने कहा, "लगातार कब्ज़े, फलस्तीनी नागरिकों को उनके वैध अधिकारों से वंचित रखने और बार-बार व्यवस्थित उकसावे के मद्देनज़र हम ऐसी स्थिति के पैदा होने को लेकर आगाह करते रहे हैं."
बयान के मुताबिक़, ''हम वापस से अंतरराष्ट्रीय समूहों से उनकी ज़िम्मेदारियों को निभाने और एक विश्वसनीय शांति प्रक्रिया को सक्रिय करने की अपील करते हैं, जिससे दो-राष्ट्र समाधान हो सके और क्षेत्र में सुरक्षा, शांति बहाल की जा सके, नागरिकों को बचाया जा सके.''
तुर्की ने क्या कहा?
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने दोनों ही पक्षों, इसराइल और फलस्तीन को समझदारी से काम लेने की अपील की है.
अर्दोआन ने कहा, ''हम अपने पड़ोसियों से लेकर अपने क्षेत्र के सभी देशों के साथ बातचीत और कूटनीति के माध्यम से अपनी समस्याओं को हल करने का प्रयास करते हैं.''
वो बोले, ''मध्य पूर्व से काकेशस तक और बाल्कन से काला सागर तक के क्षेत्र में जारी खूनी संघर्ष को रोकना हमारे एजेंडे की प्राथमिकता है. इसका रास्ता न्याय और अंतरराष्ट्रीय क़ानून से होकर गुज़रता है.''
अगस्त 2022 में तुर्की और इसराइल ने चार साल के गतिरोध के बाद एक-दूसरे के साथ राजनयिक रिश्ते बहाल किए थे.
इसे इसराइल के क्षेत्रीय ताक़तों के साथ रिश्ते सुधारने के क़दम के रूप में देखा गया था.
2018 में ग़ज़ा में फ़लस्तीनी प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ इसराइल की हिंसक कार्रवाइयों के विरोध में तुर्की ने अपने राजदूत को तेल अवीव से वापस बुला लिया था.
तुर्की और इसराइल के बीच रिश्ते में 2002 के बाद से तार-चढ़ाव रहे हैं. फ़लस्तीन मुद्दे को लेकर तुर्की हमेशा इसराइल पर हमलावर रहा है.
ईरान ने क्या कहा?
रिपोर्टों के मुताबिक ईरान के सुप्रीम लीडर आयातुल्लाह अली ख़ामेनेई के सलाहकार ने इसराइल में फ़लीस्तीनी लड़ाकों के हमले का समर्थन किया है.
आईएसएनए न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक़, रहीम सफवी ने कहा कि हम फ़लस्तीनी लड़ाकों को मुबारकबाद देते हैं.
वो बोले, "यरूशलम और फ़लीस्तीन की आज़ादी मिलने तक हम फ़लीस्तीनी लड़ाकों के साथ हैं."
ईरान और इसराइल के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे हैं.
अमेरिका, ब्रिटेन ने क्या कहा?
इसराइल पर हुए हमलों के मामले में अमेरिका ने कहा है कि वो इसराइल के साथ खड़ा है.
अमेरिका ने फ़लस्तीनी लड़ाकों के किए हमले की निंदा की है.
इसराइल के पीएम बिन्यामिन नेतन्याहू के सोशल मीडिया अकाउंट से जानकारी दी गई है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने उनसे बात की है.
ये बताया गया है, “अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू से बात की और ज़ोर देकर कहा कि अमेरिका इसराइल के साथ खड़ा है और इसराइल के आत्मरक्षा के अधिकार का पूरा समर्थन करता है. ”
इसके पहले अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि इसराइल को 'जो ज़रूरत होगी, हम मुहैया करवाएंगे.'
ऑस्टिन ने कहा, ''इसराइल में हो रही हलचल पर हम नज़र बनाए हुए हैं. अपनी रक्षा से जुड़े इसराइल के अधिकारों की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं. नागरिकों पर जो हमला हुआ, जिन लोगों की जान गई, उनके परिवारों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं.''
ऑस्टिन ने कहा कि आने वाले दिनों में अमेरिका का रक्षा मंत्रालय इसराइल की मदद करता रहेगा ताकि नागरिकों की हिंसा और आतंकवाद से रक्षा की जा सके.
इससे पहले इसराइल पर ग़ज़ा से हुए बड़े हमले के बाद अमेरिका ने कहा है कि वो हालात पर नज़र रखे हुए हैं.
अमेरिकी दूतावास की तरफ़ से कहा गया है, “हमें पता है कि इन घटनाओं की वजह से लोग हताहत हुए हैं.”
दूतावास की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया है, “अमेरिकी नागरिकों को अपनी सुरक्षा बढ़ाने और सुरक्षा के प्रति सचेत होने की सलाह दी जाती है. ऐसी सुरक्षा संबंधी घटनाएं, जिनमें मोर्टार और रॉकेट भी दागे जाते हैं, आमतौर पर बिना चेतावनी के होती हैं.”
इसराइल में अमेरिकी दूतावास की तरफ़ से कहा गया है कि उसके कर्मचारी फिलहाल दूतावास में ‘सुरक्षित’ हैं.
ब्रिटेन ने कहा, ''हमास आतंकवादियों के इसराइल पर किए हमले से हम स्तब्ध हैं.''
ब्रिटेन ने कहा है, "इसराइल के पास अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है. हम इसराइली अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं."
फ़्रांस, जर्मनी ने क्या कहा?
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने हमलों की कड़ी निंदा की है.
उन्होंने कहा, ''मैं हमले के पीड़ितों, उनके परिवारों और प्रियजनों के साथ खड़ा हूं और उनको अपना पूरा समर्थन देता हूं.''
जर्मनी के विदेश मंत्री ने कहा, ''मासूम नागरिकों के ख़िलाफ़ हिंसा और रॉकेट हमलों को तुरंत रोका जाना चाहिए.''
यूरोपीय कमिशन की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इस हमले को ''आतंकवाद का सबसे घिनौना रूप'' बताया है.
रूस के उप-विदेश मंत्री ने कहा, ''यह कहने की जरूरत नहीं है कि हम हमेशा संयम बरतने की अपील करते हैं."
मध्य पूर्व के दूसरे देशों ने क्या कहा?
संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर इसराइल फ़लस्तीन के बीच जारी टकराव को रोकने की अपील की है.
यूएई ने कहा, ''गंभीर परिणामों से बचने के लिए हम अत्यधिक संयम बरतने और तत्काल युद्धविराम की अपील करते हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अरब-इसराइल शांति प्रक्रिया को वापस शुरू करने का आग्रह करते हैं. क्षेत्र को आगे की हिंसा, तनाव और अस्थिरता से रोकें.''
ओमान ने भी दोनों पक्षों को "नागरिकों की सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हुए अत्यधिक संयम बरतने" की अपील की है.
ओमान सरकार ने कहा, ''ओमान फ़लस्तीनी क्षेत्रों पर लगातार अवैध इसरायली क़ब्जे, इसरायली आक्रामकता के नतीजे के तौर पर पैदा हुए इस तनाव पर नज़र रख रहा है, जो गंभीर परिणामों का संकेत देता है.''
मिस्र ने इसराइल-फलस्तीन के बीच जारी तनाव के गंभीर परिणामों को लेकर चिंता जताई है.
वहीं क़तर के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि मौजूदा हिंसा के लिए इसराइल खुद ज़िम्मेदार है.
कतर ने अपने बयान में कहा है, ''हम दोनों पक्षों से अत्यधिक संयम बरतने की अपील करते हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसरायल को गज़ा में फलस्तीनी नागरिकों के ख़िलाफ़ युद्ध शुरू करने के बहाने के रूप में इन घटनाओं का उपयोग करने से रोकने की अपील करता है.
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