विधानसभा चुनाव में संत धर्मगुरुओं का दबदबा, कहीं से खुद लड़ रहे चुनाव तो कहीं आशीर्वाद लेने आ रहे बड़े नेता

Rajasthan Assembly Election 2023 Religious Leaders In Election:हम सभी को अब अपनी सोच को अपड़ेट करने की ज़रूरत है क्योंकि राजनीति और धर्म को अलग नहीं किया जा सकता है। यह दोनों एक ही सिक्के के दो भाग हैं। आज के समय में राजनीति के बिना धर्म और धर्म के बिना राजनीति की कल्पना संभव नहीं है। इस संबंध में हमारे देश के कई राजनीतिज्ञों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए हैं। और लेख भी लिखे है और धरातल पर देखें तो ऐसा ही प्रतीत होता है, फिलहाल भारत देश में चुनाव का मौसम चल रहा है। राजस्थान में भी ऐसे ही कई संत हैं जिनको पार्टी ने अपनी ओर से प्रत्याशी बनाया है तो कोई किसी पार्टी के लिए अपने भक्तों अनुय़ायियो से समर्थन के लिए कह रहा है। तो कोई धर्म की दुहाई दे रहा है,  चुनाव आते ही नेता संत-महंतों के दरबार में आशीर्वाद लेने चले जाते हैं। एमपी में तो 120 सीटों पर दो कथावाचकों का प्रभाव है, ज़िसे अनदेखा नही किया जा सकता है। राजस्थान में कई धर्मगुरु तो चुनाव मैदान में ही अपनी किस्मत आज़मा रहे है। अलवर लोकसभा क्षेत्र से वर्तमान सांसद योगी बालकनाथ को भाजपा ने तिजारा सीट ने उम्मीदवार बनाया है। ये नाथ संप्रदाय की सबसे बड़ी गद्दी अस्थल बोहर के प्रमुख हैं। इस पीठ के हरियाणा में काफी अनुयायी है। इन संतो के फालोअर भी हजारो लाखो की संख्या में है,   सिरोही से ओटाराम देवासी उम्मीदवारी सूची में शामिल   उधर सिरोही में देवासी समाज के धर्मगुरु ओटाराम देवासी सिरोही से भाजपा के प्रत्याशी हैं। ज़िनके अनुय़ायी भी हजारो की संख्या में है , भोपाजी के नाम से मशहूर देवासी इससे पहले सिरोही से जीतकर वसुंधरा सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। हालांकि वे 2018 में अपना पिछला चुनाव हार गए थे, मालूम नही क्यों ?  वहीं जैसलमेर की पोकरण विधासभा सीट भाजपा ने महंत प्रतापपुरी महाराज को प्रत्याशी बनाया है। हालांकि प्रतापपुरी पिछला चुनाव महज 350 वोटों से हारे थे। दूसरी ओर कांग्रेस ने इस सीट पर साले मोहम्मद को प्रत्याशी बनाया है। इन्होंने ही महंत प्रतापपुरी को पिछले चुनाव में पराजित किया था। साले मोहम्मद के पिता गाजी फकीर मुस्लिमों के बड़े धर्मगुरु माने जाते हैं।

Rajasthan Assembly Election 2023 Religious Leaders In Election: हम सभी को अब अपनी सोच को अपड़ेट करने की ज़रूरत है क्योंकि राजनीति और धर्म को अलग नहीं किया जा सकता है। यह दोनों एक ही सिक्के के दो भाग हैं। आज के समय में राजनीति के बिना धर्म और धर्म के बिना राजनीति की कल्पना संभव नहीं है। इस संबंध में हमारे देश के कई राजनीतिज्ञों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए हैं। और लेख भी लिखे है और धरातल पर देखें तो ऐसा ही प्रतीत होता है, फिलहाल भारत देश में चुनाव का मौसम चल रहा है। राजस्थान में भी ऐसे ही कई संत हैं जिनको पार्टी ने अपनी ओर से प्रत्याशी बनाया है तो कोई किसी पार्टी के लिए अपने भक्तों अनुय़ायियो से समर्थन के लिए कह रहा है। तो कोई धर्म की दुहाई दे रहा है,

चुनाव आते ही नेता संत-महंतों के दरबार में आशीर्वाद लेने चले जाते हैं। एमपी में तो 120 सीटों पर दो कथावाचकों का प्रभाव है, ज़िसे अनदेखा नही किया जा सकता है। राजस्थान में कई धर्मगुरु तो चुनाव मैदान में ही अपनी किस्मत आज़मा रहे है। अलवर लोकसभा क्षेत्र से वर्तमान सांसद योगी बालकनाथ को भाजपा ने तिजारा सीट ने उम्मीदवार बनाया है। ये नाथ संप्रदाय की सबसे बड़ी गद्दी अस्थल बोहर के प्रमुख हैं। इस पीठ के हरियाणा में काफी अनुयायी है। इन संतो के फालोअर भी हजारो लाखो की संख्या में है, 

सिरोही से ओटाराम देवासी उम्मीदवारी सूची में शामिल 

उधर सिरोही में देवासी समाज के धर्मगुरु ओटाराम देवासी सिरोही से भाजपा के प्रत्याशी हैं। ज़िनके अनुय़ायी भी हजारो की संख्या में है , भोपाजी के नाम से मशहूर देवासी इससे पहले सिरोही से जीतकर वसुंधरा सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। हालांकि वे 2018 में अपना पिछला चुनाव हार गए थे, मालूम नही क्यों ?

वहीं जैसलमेर की पोकरण विधासभा सीट भाजपा ने महंत प्रतापपुरी महाराज को प्रत्याशी बनाया है। हालांकि प्रतापपुरी पिछला चुनाव महज 350 वोटों से हारे थे। दूसरी ओर कांग्रेस ने इस सीट पर साले मोहम्मद को प्रत्याशी बनाया है। इन्होंने ही महंत प्रतापपुरी को पिछले चुनाव में पराजित किया था। साले मोहम्मद के पिता गाजी फकीर मुस्लिमों के बड़े धर्मगुरु माने जाते हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ