केरल में ईसाइयों की एक सभा में तीन सीरियल धमाके हुए हैं, जिसमें एक शख्स की मौत की खबर सामने आई है. वहीं केरल में धमाके के बाद मुंबई अलर्ट पर है और यहां यहूदी धर्मस्थलों पर हाई लेवल सिक्योरिटी लगा दी गई है. दरअसल, मुंबई और पुणे में यहूदी धर्म के लोगों के धर्मस्थल हैं हालांकि मुंबई में हाई लेवल सिक्योरिटी पहले से ही थी, लेकिन केरल धमाके के बाद पुलिस यहां नजर रख रही है.
केरल के कोच्चि के कन्वेंशन सेंटर में हुए दो बम धमाके आईईडी से किए गए थे. राज्य के डीजीपी शेख दरवेश ने ये जानकारी दी है.
उन्होंने कहा, "मेरे मौके पर पहुंचने के तुरंत बाद एक एसआईटी गठित की जाएगी."
डीजीपी ने सोशल मीडिया पर नफरत भरे संदेश फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और लोगों से शांति बनाए रखने के लिए कहा है.
पत्रकारों से बात करते हुए डीजीपी ने बताया, "सुबह करीब 9:40 बजे ज़मरा इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में एक विस्फोट हुआ, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और 36 लोगों का इलाज चल रहा है."
केरल के एडीजीपी लॉ एंड आर्डर, अजीत कुमार ने बीबीसी को बताया कि हॉल में दो बम ब्लास्ट हुए. धमाके के वक्त हॉल में क़रीब दो हज़ार लोग थे.
विस्फोट के समय 2000 से ज्यादा लोग कोच्चि में कलामासरी के एक सम्मेलन केंद्र में मौजूद थे. यहां लोग, तीन दिवसीय येहोवा विटनेसस् की प्रार्थना सभा में भाग ले रहे थे. रविवार को कार्यक्रम का आखिरी दिन था.
येहोवा विटनेसस् एक ईसाई समुदाय है. चश्मदीदों ने बीबीसी हिंदी को बताया है कि उन्होंने तेज़ धमाकों की आवाज़ सुनी.
केरल में फ़लस्तीनियों के समर्थन में निकाली एक रैली में फ़लस्तीनी विद्रोही गुट हमास के नेता ख़ालिद मशाल के वर्चुअली शामिल होने के बाद वहां राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है.
यहां विपक्षी बीजेपी ने रैली में हिस्सा लेने वालों और उसके आयोजकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की है.
अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक ख़बर के अनुसार शुक्रवार को मलाप्पुरम में हुई इस रैली में ख़ालिद मशाल के भाषण के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे. जिसके बाद बीजेपी ने कहा कि आयोजकों और रैली में हिस्सा लेने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए.
शुक्रवार को केरल के जमात-ए-इस्लामी हिंद का युवा शाखा सॉलिडेरिटी यूथ मूवमेन्ट (एसवाईएम) ने फ़लस्तीनियों के समर्थन में एक रैली का आयोजन किया था.
इसमें ख़ालिद मशाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए शामिल हुए. इसका एक वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में लिखा है-
"बुलडोज़र हिंदुत्व और रंगभेदी यहूदीवाद को उखाड़ फेंको."
एसवाईएम ने ख़ालिद मशाल की स्पीच का ट्रांसलेशन जारी किया है जिसके अनुसार उन्होंने कहा,
"सेना के हारने के बाद अब इसराइल ग़ज़ा के लोगों से बदला ले रहा है. उसने यहां घर उजाड़े हैं, उसने ग़ज़ा के आधे से अधिक हिस्से को तबाह कर दिया है. उन्होंने मस्जिदों, पूजास्थलों, यूनिवर्सिटी और संयुक्त राष्ट्र की इमारतों को तोड़ा है. वो ग़ज़ा को पूरी तरह से ख़त्म कर देना चाहते हैं."
उन्होंने कहा, "1967 के बाद से अल-अक़्सा मस्जिद गिरने की कगार पर है. नेतन्याहू के नेतृत्व में इसराइल में धुर दक्षिणपंथी सरकार आई और वो अल-अक्सा को ख़त्म करने के मौक़े तलाश कर रही है. वो अल-अक्सा को गिराकर वहां अपना मंदिर बनना चाहते हैं, ये जगह हमारी पवित्र जगह है, हमारा गौरव है."
लेकिन इस रैली को लेकर बीजेपी हमलावर हो गई है. केरल बीजेपी अध्यक्ष के. सुरेन्द्रन ने सोशल मीडिया पर लिखा, "हमास के नेता ख़ालिद मशाल का वर्चुअल भाषण चेताने वाला है. पिनाराई विजयन की केरल पुलिस कहां है? 'फ़लस्तीन बचाने' के नाम के तले वो हमास का महिमामंडन कर रहे हैं जो एक आतंकवादी संगठन है. वो उनके नेता को 'योद्धा' कह रहे हैं. ये अस्वीकार्य है."
वहीं केरल एसवाईएम प्रमुख सुहैब सीटी ने कहा है कि हमास नेता का किसी रैली में शामिल होना "न तो असामान्य है और न ही ग़ैर-क़ानूनी" है.
उन्होंने कहा, "हमास भारत में कोई प्रतिबंधित संगठन नहीं है और न ही भारत ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित किया है. भारत में तो ये काम भी नहीं करता. पहले भी केरल में कई कार्यक्रमों में हमास के नेताओं ने शिरकत की है. हमास एक विद्रोही आंदोलन है."
"हमास एक राजनीतिक पार्टी भी है जिसने चुनावों में कई सीटों पर जीत दर्ज की है. इसलिए हमास के नेता का केरल में फ़लस्तीनियों के समर्थन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होना असामान्य नहीं है."
"ये लोग और संघ परिवार फ़लस्तीनियों के समर्थन में आने वालों को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं और ग़लत एजेंडा फैला रहे हैं. ऐसा करके वो भारत के इसराइल के समर्थन के विरोध में होने वाले प्रदर्शनों को रोक रहे हैं. इस तरह की कोशिशें कामयाब नहीं होंगी."
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