विश्वकप फ़ाइनल में भारत को छह विकेट से हराने के बाद छठी बार विश्व चैंपियन बनी ऑस्ट्रेलियाई टीम की हर ओर जमकर तारीफ़ हो रही है.
इस मैच के हीरो ट्रैविस हेड रहे, जिनके शतक की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने 42 गेंदें शेष रहते भारत का तीसरी बार विश्व चैंपियन बनने का सपना चकनाचूर कर दिया.
ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में कप्तान पैट कमिंस को सबसे ज़्यादा सराहा जा रहा है, जिन्होंने मैच से पहले कहा था कि वह स्टेडियम मे मौजूद एक लाख 30 हज़ार भारतीय प्रशसंकों को ख़ामोश करना चाहेंगे.
रविवार को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में मौजूद हज़ारों दर्शक तो ख़ामोश हुए ही, द डेली टेलिग्राफ़ लिखता है कि ‘कैसे ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने एक अरब 40 करोड़ भारतीयों को ख़ामोश करते हुए विश्वकप झपट लिया.’
अख़बार के मुताबिक़, 'तकनीकी तौर पर अहदाबाद में भारत को हराकर ऑस्ट्रेलिया ने रिकॉर्ड छठी बार विश्वकप जीता, लेकिन कई मायनों में यह कप भारत का होने वाला था, मगर ऐसा होते-होते रह गया.'
भारतीय खिलाड़ियों के व्यवहार की आलोचना
द क्रॉनिकल ने शीर्षक छापा है- क्रिकेट वर्ल्ड कप फ़ाइनल में खेल भावना न दिखाने पर भारतीयों की आलोचना.
अख़बार लिखता है, "चोट बहुत गहरी थी. जिस समय ऑस्ट्रेलियाई टीम ट्रॉफ़ी के साथ जश्न मना रही थी, उस समय भारतीय खिलाड़ियों पर रूख़ा बर्ताव करने के आरोप लग रहे हैं."
अख़बार लिखता है कि यह जीत इसलिए भी ख़ास थी, क्योंकि यह उस मेज़बान भारतीय टीम के ख़िलाफ़ मिली, जो अब तक कोई मैच नहीं हारी थी.
"इस बड़ी उपलब्धि के स्तर का ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिन्स और उनकी टीम को अहसास नहीं हुआ होगा, क्योंकि उन्हें एक लाख 30 हज़ार की क्षमता वाले, मगर ख़ाली स्टेडियम में ट्रॉफ़ी सौंपी गई."
"इससे भी ख़ास बात यह है कि जिस समय मैदान पर ट्रॉफ़ी सौंपी गई, उस समय भारतीय टीम कहीं नज़र नहीं आ रही थी."
"खेल के दौरान भारतीय खिलाड़ियों की बेरुख़ी को नज़रअंदाज़ भी किया जा सकता है, क्योंकि यह समझा जा सकता है कि उन पर भावनाएं हावी हो गई होंगी. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह व्यवहार खेल भावना के ख़िलाफ़ नहीं था."
क्रॉनिकल लिखता है कि इंग्लैंड के पूर्व टेस्ट कप्तान माइकल वॉन ने खुलकर इस बात की आलोचना की. उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किया था, “अच्छा नहीं लगा कि भारतीय पक्ष ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को ट्रोफ़ी उठाता देखने के लिए पिच पर नहीं था.”
हालांकि, बाद में इस पोस्ट को डिलीट कर दिया गया.
'भारत पर बैकफ़ायर कर गई पिच'
हेरल्ड सन ने पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग की वह टिप्पणी छापी है, जिसमें उन्होंने पिच को लेकर भारत की रणनीति पर सवाल उठाए हैं.
पोटिंग ने कहा है कि जो पिच तैयार की गई थी, वह भारत के लिए बैक फ़ायर कर गई.
अख़बार लिखता है, "विश्वकप फ़ाइनल उसी पिच पर खेला गया, जिस पर भारत ने पिछले महीने खेले गए लीग मैच में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सात विकेट से जीत हासिल की थी."
"पैट कमिंस ने भी एक दिन पहले पिच को लेकर चिंताएं ज़ाहिर की थीं. आख़िरकार घास की पट्टी से ऑस्ट्रेलिया को बेहतर ढंग से लक्ष्य का पीछा करने में मदद मिली."
रिकी पोटिंग ने मैच के बाद कहा, “यह पिच मेरे अनुमान के मुक़ाबले ज़्यादा धीमी थी. यह अंदाज़े से कम स्पिन हुई, लेकिन सभी ने पिच के हिसाब से ढलकर सधी हुई गेंदबाज़ी की.”
मैच के बाद भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने टीम की हार के लिए पिच पर दोष नहीं मढ़ा. उन्होंने कहा, “हमें पता था कि रोशनी के बीच यह थोड़ी बेहतर होगी, मगर अब मैं कोई बहाना नहीं बनाना चाहता.”
कमेंट्री के दौरान पोंटिंग ने कहा, “यह बहुत ही ज़्यादा (भारतीय) उपमहाद्वीप की परिस्थितियों वाली पिच थी. ईमानदारी से कहा जाए तो ऐसी पिच तैयार की गई थी, जो शायद भारत के लिए बैकफ़ायर कर गई.”
वहीं, पूर्व इंग्लिश क्रिकेटर माइकल वॉन ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने भारत के मुक़ाबले पिच को अच्छे से पढ़ा. उन्होंने कहा, “रणनीतिक तौर पर वह बहुत चतुर टीम है.”
'स्टेडियम में गूंजीं सिर्फ़ ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की आवाज़ें'
दि एज लिखता है- शोर शराबा करने वाले 90 हज़ार से ज़्यादा भारतीयों से भरे स्टेडियम में विराट कोहली के विकेट उखड़ने की आवाज़ के बाद सिर्फ़ 11 ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की उत्साह भरी आवाज़ें सुनाई दे रही थीं.
अख़बार लिखता है, "कोहली का विकेट हासिल करके कमिंस ने अपनी टीम को जीत की राह पर डाल दिया था और फिर रही सही कसर ट्रैविस हेड और मारनस लाबुशेन के बीच 192 रनों की साझेदारी ने पूरी कर दी."
"भले पिच से कोहली की विदाई हो, हेड का शतक हो या फिर जीत की घड़ी, नरेंद्र मोदी स्टेडियम पर छाई ख़ामोशी कमिंस और उनकी टीम के सदस्यों के लिए सुनहरी थी.
"यहां तक कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी कमिंस को ट्रोफ़ी सौंपने में देर हो गई."
'बहादुर लीडर साबित हुए कमिंस'
द संडे मॉर्निंग हेरल्ड लिखता है, 'कमिंस ने भारत से वर्ल्ड कप जीतन पर कहा- यह क्रिकेट का शिखर है.'
अख़बार के मुताबिक़, कप्तान पैट कमिंस को लगता है कि ऑस्ट्रेलिया का भारत को हराकर वर्ल्ड कप जीतना उनकी टीम की सबसे महान उपलब्धि है.
कमिंस ने कहा, “मुझे लगता है कि यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का शिखर है, ख़ासकर भारत में इस तरह के दर्शकों के बीच जीतना. हम सभी के लिए यह बहुत ख़ास साल रहा है. हमारी टीम ने ऐशेज़ और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप भी जीती है. यह बहुत बड़ी बात है और आजीवन याद रहेगी.
कमिन्स की तारीफ़ करते हुए अख़बार ने लिखा है, “कमिन्स एक बहादुर और निर्याणक लीडर साबित हुए हैं, जिन्होंने अपने पहले दो मैच हारकर टूर्नामेंट से बाहर होने के ख़तरे में पड़ी ऑस्ट्रेलियाई टीम को अगले लगातार नौ मुक़ाबलों में जीत दिलवाई.”
"कमिन्स की बहादुरी रविवार को भी जारी रही, जब उन्होनें टॉस जीतकर उस टीम को पहले बल्लेबाज़ी का न्योता दिया, जो पूरे टूर्नामेंट में पहले बल्लेबाज़ी करके हावी रही थी. यह फ़ैसला तब और भी बहादुरी भरा लगने लगा, जब रोहित शर्मा ने अपनी टीम को धारदार शुरुआत दी. मगर कमिंस ने दो महत्वपूर्ण विकेट लिए और वह भी 10 ओवरों में महज 34 रन देकर."
वनडे का एक नियम बदलने की मांग
केर्न्स पोस्ट ने मिचेल स्टार्क के उस बयान को जगह दी है, जिसमें उन्होंने वनडे क्रिकेट के एक नियम को बदलने की मांग की है.
मिचेल स्टार्क को लगता है कि वनडे मैचों में दो नई गेंदों के इस्तेमाल के नियम को बदलना चाहिए, क्योंकि इससे यह खेल बल्लेबाज़ों के पक्ष में चला गया है.
ऑस्ट्रेलियाई तेज़ गेंदबाज़ स्टार्क ने इस विश्वकप के आठ मैचों में 43.40 की औसत और 6.55 के इकॉनमी रेट से 10 विकेट हासिल किए हैं. यह उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं है और 2015 व 2019 के वर्ल्ड कप से भी बुरा है.
स्टार्क ने कहा कि वह मानते हैं कि उन्होंने अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन उन्होंने कहा कि 25 ओवरों के बाद नई गेंद इस्तेमाल करने से रिवर्स स्विंग हासिल करना, ख़ासकर दिन के समय, काफ़ी मुश्किल हो गया है.
स्टार्क को इस विश्वकप में दिन के समय गेंदबाज़ी करते समय पावरप्ले में एक भी विकेट हासिल नहीं हुआ, मगर भारत और नीदरलैंड क ख़िलाफ़ रात को गेंदबाज़ी करते समय सफलताएं मिली थीं.
उन्होंने कहा, “मुझे अभी भी लगता है कि एक गेंद इस्तेमाल होनी चाहिए, न कि दो.”
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