यूपी में एमपी का बदला लेंगे अखिलेश यादव? अब कांग्रेस को सिखाएंगे सबक,

Assembly Election Results 2023: मध्य प्रदेश समेत तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है, जिसके बाद पार्टी की रणनीति को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. सियासी गलियारों में चर्चा है कि समाजवादी पार्टी के साथ जो व्यवहार किया गया वो कांग्रेस को भारी पड़ गया. जिसका असर चुनाव के नतीजों में भी देखने को मिला है. कई ऐसी सीटें हैं, जहां कांग्रेस बीजेपी से जितने वोटों के अंतर से हारी है उससे ज्यादा वोट सपा को मिले हैं.   मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा ने सिर्फ सात सीटें मांगी थी, लेकिन कांग्रेस इतने आत्मविश्वास में थी, कि उसने इंडिया गठबंधन का भी सम्मान नहीं किया और सपा को एक सीट भी नहीं दी. यही नहीं कमलनाथ ने जिस तरह अखिलेश यादव के लिए शब्दों का इस्तेमाल किया वो भी सपा कार्यकर्ताओं को अच्छा नहीं लगा. कांग्रेस के व्यवहार से नाराज होकर अखिलेश यादव ने भी 70 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए और एमपी में पूरा दम लगा दिया. जिसका नतीजा ये हुआ कि सपा कई सीटों पर कांग्रेस की हार की वजह बनी.  सपा से गठबंधन न करना पड़ा भारी मध्य प्रदेश में कई ऐसी सीटें रही, जहां बीजेपी ने कांग्रेस को जितने वोटों के अंतर से हराया, उससे ज्यादा वोट समाजवादी पार्टी को मिले हैं. अगर सपा कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ती तो उन सीटों पर कांग्रेस जीत सकती थी. जैसे निवाड़ी विधानसभा में बीजेपी ने कांग्रेस को 17,157 मतों से हराया, जबकि इस सीट पर सपा को 32,670 वोट मिले. चांदला विधानसभा में भी सपा को 24.977 वोट मिले जबकि यहां बीजेपी ने कांग्रेस को 15,491 से हराया.  राजनगर विधानसभा में सपा को 6353 वोटो मिले, यहां कांग्रेस को बीजेपी के हाथों 5867 वोटों से हार का सामना करना पड़ा.  जतान विधानसभा सीट पर भी बीजेपी ने कांग्रेस को जितने अंतर से हराया उससे ज्यादा वोट सपा को मिले. इन नतीजों से साफ है कि अगर कांग्रेस यहां सपा के साथ गठबंधन करती तो उसे फायदा हो सकता था. लेकिन अब इसका असर यूपी में देखने को मिलेगा. सपा यहां बड़े भाई की भूमिका में है. अखिलेश पहले ही कह चुके हैं कि जैसा उनके साथ मध्य प्रदेश में हुआ वैसा ही कांग्रेस के साथ यूपी में होगा.  कांग्रेस के अहंकार ने डुबोया एमपी में कांग्रेस की हार के बाद सपा आक्रामक दिखाई दे रही है. सपा का कहना है कि यूपी में कांग्रेस केवल दो सीटों की पार्टी है. सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि हमारा लक्ष्य बीजेपी को हटाना था, लेकिन कांग्रेस तो क्षेत्रीय दलों को ही खत्म करना चाहती थी. कांग्रेस को अंहकार ले डूबा है. कांग्रेस को सीट देना बीजेपी की मदद करना जैसा होगा. लोकसभा चुनाव में उन्हें यूपी में दो से ज्यादा सीटें नहीं देनी चाहिए. बता दें कि, अखिलेश यादव घोषणा कर चुके हैं कि यूपी में सपा 65 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. अब इन चुनाव नतीजों के बाद सपा और भी सीटें कम कर सकती है.

Assembly Election Results 2023: मध्य प्रदेश समेत तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है, जिसके बाद पार्टी की रणनीति को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. सियासी गलियारों में चर्चा है कि समाजवादी पार्टी के साथ जो व्यवहार किया गया वो कांग्रेस को भारी पड़ गया. जिसका असर चुनाव के नतीजों में भी देखने को मिला है. कई ऐसी सीटें हैं, जहां कांग्रेस बीजेपी से जितने वोटों के अंतर से हारी है उससे ज्यादा वोट सपा को मिले हैं. 

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा ने सिर्फ सात सीटें मांगी थी, लेकिन कांग्रेस इतने आत्मविश्वास में थी, कि उसने इंडिया गठबंधन का भी सम्मान नहीं किया और सपा को एक सीट भी नहीं दी. यही नहीं कमलनाथ ने जिस तरह अखिलेश यादव के लिए शब्दों का इस्तेमाल किया वो भी सपा कार्यकर्ताओं को अच्छा नहीं लगा. कांग्रेस के व्यवहार से नाराज होकर अखिलेश यादव ने भी 70 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए और एमपी में पूरा दम लगा दिया. जिसका नतीजा ये हुआ कि सपा कई सीटों पर कांग्रेस की हार की वजह बनी. 

सपा से गठबंधन न करना पड़ा भारी

मध्य प्रदेश में कई ऐसी सीटें रही, जहां बीजेपी ने कांग्रेस को जितने वोटों के अंतर से हराया, उससे ज्यादा वोट समाजवादी पार्टी को मिले हैं. अगर सपा कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ती तो उन सीटों पर कांग्रेस जीत सकती थी. जैसे निवाड़ी विधानसभा में बीजेपी ने कांग्रेस को 17,157 मतों से हराया, जबकि इस सीट पर सपा को 32,670 वोट मिले. चांदला विधानसभा में भी सपा को 24.977 वोट मिले जबकि यहां बीजेपी ने कांग्रेस को 15,491 से हराया.  राजनगर विधानसभा में सपा को 6353 वोटो मिले, यहां कांग्रेस को बीजेपी के हाथों 5867 वोटों से हार का सामना करना पड़ा. 

जतान विधानसभा सीट पर भी बीजेपी ने कांग्रेस को जितने अंतर से हराया उससे ज्यादा वोट सपा को मिले. इन नतीजों से साफ है कि अगर कांग्रेस यहां सपा के साथ गठबंधन करती तो उसे फायदा हो सकता था. लेकिन अब इसका असर यूपी में देखने को मिलेगा. सपा यहां बड़े भाई की भूमिका में है. अखिलेश पहले ही कह चुके हैं कि जैसा उनके साथ मध्य प्रदेश में हुआ वैसा ही कांग्रेस के साथ यूपी में होगा. 

कांग्रेस के अहंकार ने डुबोया

एमपी में कांग्रेस की हार के बाद सपा आक्रामक दिखाई दे रही है. सपा का कहना है कि यूपी में कांग्रेस केवल दो सीटों की पार्टी है. सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि हमारा लक्ष्य बीजेपी को हटाना था, लेकिन कांग्रेस तो क्षेत्रीय दलों को ही खत्म करना चाहती थी. कांग्रेस को अंहकार ले डूबा है. कांग्रेस को सीट देना बीजेपी की मदद करना जैसा होगा. लोकसभा चुनाव में उन्हें यूपी में दो से ज्यादा सीटें नहीं देनी चाहिए. बता दें कि, अखिलेश यादव घोषणा कर चुके हैं कि यूपी में सपा 65 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. अब इन चुनाव नतीजों के बाद सपा और भी सीटें कम कर सकती है. 

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