Mirzapur Education News: यूपी के मिर्जापुर का अजूबा स्कूल, एक कमरे में पांच कक्षाओं को एक साथ पढ़ाते हैं शिक्षक

बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है, यही वजह कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र के विकास के मद में करोड़ों रुपये की राशि सालाना खर्च की जाती है. इसका उद्देश्‍य नौनिहालों को बेहतर मूलभूत सुविधाओं के साथ अच्‍छी शिक्षा प्रदान करना है, ताकि अच्‍छे भविष्‍य का निर्माण हो सके. लेकिन यूपी के मिर्जापुर में बच्चों के भविष्य के साथ कैसे खिलवाड़ किया जा रहा है इसकी बानगी यहां के प्राइमरी स्कूल में देखने को मिल जाएगी. जहां आजादी के 76 वर्ष बाद भी प्राथमिक विद्यालय अपने बुनियादी ढांचा और संसाधन जुटाने तक में नाकामयाब रहा है.  मिर्जापुर जिला मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर दूर छानबे ब्लॉक के देवरी गांव में स्थित विद्या का मंदिर अपने बदहाली का रोना रो रहा है. 1934 में स्थापित इस विद्यालय के स्टाफ रूम की हालत तो और भी खस्ता है, छत टूटा हुआ है. साथ ही जो छत में लकड़ी लगी है, उसको पूरी तरह दीमक खोखला कर चुके हैं. जिसके गिरने का डर लगातार बना हुआ है. यहां एक से लेकर पांचवी तक की कक्षाएं एक छोटे से कमरे में संचालित हो रही हैं. देवरी प्राथमिक विद्यालय में कक्षा पहली से पांचवीं तक कुल 70 विद्यार्थी अध्यनरत हैं, जिसमें से 44 छात्राएं हैं. बहरहाल, एक ही समय में एक ही कमरे में पांच कक्षाओं का शिक्षण कार्य कराया जा रहा है. ऐसे में बच्चे क्या सीख सकते हैं? यह सवाल जिम्मेदार अफसरों को सोचने के लिए मजबूर कर सकता है.  बड़ा सवाल, कैसे सीखेंगे बच्चे ? बता दें, देवरी प्राथमिक विद्यालय के जिस रूम में कक्षाएं संचालित होती हैं वो भी साइज में काफी छोटा है. ऐसे में विद्यालय में अध्यनरत सभी नौनिहाल यदि आएं तो शायद ही कक्षा में ठीक से बैठ पाएं. इससे भी ज्यादा दुख और अचरज की बात है कि यहां बने एक क्लास रूम में एकसाथ पांच क्लास के बच्चों को बैठाया जा रहा है. इस स्कूल में 1 से कक्षा 5 तक के बच्चे हैं. लेकिन क्लास रूम मात्र एक हैं. अब ऐसे में एक ही क्लास रूम में कक्षा 1 से लेकर 5 तक के बच्चों को बैठाया और पढ़ाया जा रहा है. ऐसी स्थिति में बच्चे कितना सीख पाएंगे, यह अपने आप में बड़ा सवाल है. बच्चों को निपुण बनाने में हो रही दिक्कत देवरी प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापक साक्षी पांडेय ने बताया कि एक ही रूम में पांचवी तक की कक्षाएं संचालित होने से बहुत सारी गतिविधियां नहीं हो पाती हैं. वहीं, एक क्लास के बच्चों को पढ़ाया जाता है तो दूसरे क्लास के बच्चे काफी शोर करते हैं, इस वजह से ठीक से पढ़ाई भी नहीं हो पाती. जिससे बच्चों को निपुण बनाने का टारगेट भी प्रभावित हो रहा है. वहीं, इस पूरे मामले पर मिर्जापुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी अनिल कुमार वर्मा ने कहा कि यह देवरी प्राथमिक विद्यालय का मामला संज्ञान में है. नई बिल्डिंग के लिए शासन से स्वीकृति मिल गई है. अगले दस दिनों के अंदर निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.

बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है, यही वजह कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र के विकास के मद में करोड़ों रुपये की राशि सालाना खर्च की जाती है. इसका उद्देश्‍य नौनिहालों को बेहतर मूलभूत सुविधाओं के साथ अच्‍छी शिक्षा प्रदान करना है, ताकि अच्‍छे भविष्‍य का निर्माण हो सके. लेकिन यूपी के मिर्जापुर में बच्चों के भविष्य के साथ कैसे खिलवाड़ किया जा रहा है इसकी बानगी यहां के प्राइमरी स्कूल में देखने को मिल जाएगी. जहां आजादी के 76 वर्ष बाद भी प्राथमिक विद्यालय अपने बुनियादी ढांचा और संसाधन जुटाने तक में नाकामयाब रहा है.

मिर्जापुर जिला मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर दूर छानबे ब्लॉक के देवरी गांव में स्थित विद्या का मंदिर अपने बदहाली का रोना रो रहा है. 1934 में स्थापित इस विद्यालय के स्टाफ रूम की हालत तो और भी खस्ता है, छत टूटा हुआ है. साथ ही जो छत में लकड़ी लगी है, उसको पूरी तरह दीमक खोखला कर चुके हैं. जिसके गिरने का डर लगातार बना हुआ है. यहां एक से लेकर पांचवी तक की कक्षाएं एक छोटे से कमरे में संचालित हो रही हैं. देवरी प्राथमिक विद्यालय में कक्षा पहली से पांचवीं तक कुल 70 विद्यार्थी अध्यनरत हैं, जिसमें से 44 छात्राएं हैं. बहरहाल, एक ही समय में एक ही कमरे में पांच कक्षाओं का शिक्षण कार्य कराया जा रहा है. ऐसे में बच्चे क्या सीख सकते हैं? यह सवाल जिम्मेदार अफसरों को सोचने के लिए मजबूर कर सकता है.

बड़ा सवाल, कैसे सीखेंगे बच्चे ?

बता दें, देवरी प्राथमिक विद्यालय के जिस रूम में कक्षाएं संचालित होती हैं वो भी साइज में काफी छोटा है. ऐसे में विद्यालय में अध्यनरत सभी नौनिहाल यदि आएं तो शायद ही कक्षा में ठीक से बैठ पाएं. इससे भी ज्यादा दुख और अचरज की बात है कि यहां बने एक क्लास रूम में एकसाथ पांच क्लास के बच्चों को बैठाया जा रहा है. इस स्कूल में 1 से कक्षा 5 तक के बच्चे हैं. लेकिन क्लास रूम मात्र एक हैं. अब ऐसे में एक ही क्लास रूम में कक्षा 1 से लेकर 5 तक के बच्चों को बैठाया और पढ़ाया जा रहा है. ऐसी स्थिति में बच्चे कितना सीख पाएंगे, यह अपने आप में बड़ा सवाल है.

बच्चों को निपुण बनाने में हो रही दिक्कत

देवरी प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापक साक्षी पांडेय ने बताया कि एक ही रूम में पांचवी तक की कक्षाएं संचालित होने से बहुत सारी गतिविधियां नहीं हो पाती हैं. वहीं, एक क्लास के बच्चों को पढ़ाया जाता है तो दूसरे क्लास के बच्चे काफी शोर करते हैं, इस वजह से ठीक से पढ़ाई भी नहीं हो पाती. जिससे बच्चों को निपुण बनाने का टारगेट भी प्रभावित हो रहा है. वहीं, इस पूरे मामले पर मिर्जापुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी अनिल कुमार वर्मा ने कहा कि यह देवरी प्राथमिक विद्यालय का मामला संज्ञान में है. नई बिल्डिंग के लिए शासन से स्वीकृति मिल गई है. अगले दस दिनों के अंदर निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.

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