आडवाणी व जोशी से राम मंदिर के समारोह में शामिल न होने का किया गया अनुरोध

अयोध्या में राम मंदिर के लिए हुए आंदोलन का नेतृत्व करने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के अगले महीने होने जा रहे मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने की संभावना लगभग न के बराबर है.  मंदिर के ट्रस्ट के हवाले से अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने इसकी जानकारी दी है. प्रेस रिव्यू की शुरुआत इसी ख़बर से.  ट्रस्ट ने कहा है कि दोनों वरिष्ठ नेताओं के उम्र और स्वास्थ्य की वजह से उनके समारोह में आने की संभावना कम ही है.  राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मीडिया से कहा, "दोनों नेता परिवार के बड़े हैं और उनकी उम्र को देखते हुए, उनसे समारोह में न आने के के लिए कहा गया है, जिसे दोनों ने स्वीकार भी कर लिया है."  राय ने ये भी कहा कि 22 जनवरी को होने जा रही प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी ज़ोर-शोर से चल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे.  चंपत राय ने कहा कि 15 जनवरी तक तैयारियां पूरी हो जाएंगी और 'प्राण प्रतिष्ठा' के लिए पूजा 16 जनवरी से शुरू होकर 22 जनवरी तक चलेगी.  इस समारोह में बुलाए गए मेहमानों की विस्तृत सूची की जानकारी देते हुए चंपत राय ने कहा कि आडवाणी और जोशी उम्र और स्वास्थ्य संबंधी कारणों की वजह से शायद इसमें शामिल न हों.  उन्होंने कहा, "आडवाणी जी का होना अनिवार्य है लेकिन हम ये भी कहेंगे उनसे कि वह न आएं. डॉक्टर जोशी से मेरी सीधी बात हुई है. मैं यही कहता रहा कि आप मत आइए, और वह ज़िद करते रहे कि वो आएंगे. मैं बार-बार कहता रहा कि आपकी आयु अधिक है, सर्दी है और आपने घुटने भी बदलवाए हैं."  आडवाणी अभी 96 साल के हैं और मुरली मनोहर जोशी अगले महीने 90 वर्ष के हो जाएंगे.  हालांकि, चंपत राय ने ये भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा को समारोह का न्योता देने के लिए एक तीन सदस्यों वाली टीम बनाई गई है.  उन्होंने कहा, "छह दर्शन परंपराओं के शंकराचार्य और 150 साधु-संत इसमें भाग लेंगे. इनके अलावा करीब 4000 संत और 2,200 अन्य मेहमानों को भी समारोह के लिए न्योता दिया गया है."  चंपत राय ने बताया कि काशी विश्वनाथ, वैष्णो देवी जैसे बड़े मंदिरों और धार्मिक तथा संवैधानिक संस्थाओं के प्रमुखों को भी न्योता भेजा गया है.  राय ने कहा कि धर्म गुरु दलाई लामा, केरल की माता अमृतानंदमई, योग गुरु रामदेव, सिनेमा जगत के सितारे जैसे रजनीकांत, अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित, अरुण गोविल, फ़िल्म निर्देशक मधुर भंडारकर और जाने-माने कारोबारी जैसे मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, प्रसिद्ध पेंटर वसुदेव कामत, इसरो के डायरेक्टर नीलेश देसाई सहित कई बड़ी हस्तियों को भी फंक्शन में बुलाया गया है.  उन्होंने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद 24 जनवरी से अगले 48 दिनों तक 'मंडल पूजा' होगी. श्रद्धालुओं के लिए मंदिर 23 जनवरी से खुल जाएगा.  राय ने बताया कि मेहमानों के रुकने के लिए अयोध्या में तीन से अधिक जगहों पर पूरे प्रबंध किए गए हैं. इसके अतिरिक्त अलग-अलग मठों, मंदिरों और आम लोगों के परिवारों ने भी 600 कमरे तैयार रखे हुए हैं.  संसद में 92 सांसदों का निलंबन, किसी एक सत्र में सबसे ज़्यादा  लोकसभा के 33 और राज्यसभा के 45 सांसदों सहित कुल 78 सांसद सोमवार को निलंबित कर दिए गए. इससे पहले पिछले सप्ताह ही 13 लोकसभा और एक राज्यसभा के सांसद का निलंबन हुआ था.  अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार ये एक दिन में हुए सबसे अधिक निलंबन है. इस सत्र में अब तक कुल 92 सांसद निलंबित हो चुके हैं.  इन सांसदों पर सदन की कार्यवाही को बाधित करने के लिए ये कार्रवाई हुई है.  13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर विरोध जता रहे विपक्षी सांसद सदन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने और उस पर चर्चा की मांग कर रहे थे. कुछ सांसदों ने अमित शाह के इस्तीफ़े की भी मांग की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में आकर बयान देना चाहिए.  अखबार लिखता है कि इससे पहले एक दिन में सबसे अधिक सांसदों का निलंबन 15 मार्च 1989 में हुआ था. उस दिन विपक्ष के 63 सांसदों को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की जांच के लिए गठित आयोग की रिपोर्ट सदन में पेश करने को लेकर निलंबित कर दिया गया था.  सोमवार को जिन सांसदों को निलंबित किया गया उनमें लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, डीएमके के टीआर बालू और दयानिधि मारन और टीएमसी के सौगत रॉय, कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल और रणदीप सिंह सुरजेवाला और समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव भी शामिल हैं.  सोनिया गांधी 2024 का लोकसभा चुनाव तेलंगाना से लड़ेंगी?  तेलंगाना कांग्रेस ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के अध्यक्ष से निवेदन किया है कि सोनिया गांधी को 2024 का लोकसभा चुनाव तेलंगाना से लड़वाना चाहिए.  प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि तेलंगाना को राज्य का दर्जा देने के लिए यहां के लोग सोनिया गांधी को शुक्रिया कहना चाहते हैं.  अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू ने लिखा है कि तेलंगाना कांग्रेस की पॉलिटिकल अफ़ेयर्स कमेटी (पीएसी) राज्य में पार्टी की सरकार बनने के बाद पहली बार हैदराबाद में मिली. इस दौरान सर्वसम्मति से सोनिया गांधी को तेलंगाना की किसी भी सीट से चुनाव लड़वाने का प्रस्ताव पास हुआ.  इनमें ए. रेवंत रेड्डी के सीएम बनने के बाद खाली हुई मलकाजगिरी सीट सबसे ऊपर है.  कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से खबर कहती है कि पार्टी का मानना है कि तेलंगाना सोनिया गांधी का हमेशा आभारी रहेगा क्योंकि वह पार्टी के अंदर और बाहर हुए विरोधों के बावजूद भी इसे राज्य का दर्जा देने के फ़ैसले पर डटी रहीं.  तेलंगाना राज्य बनने के 10 साल बाद पहली बार कांग्रेस पार्टी ने यहां सरकार बनाई है.  सोनिया गांधी की सास और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जब राजनीतिक करियर के बुरे दौर से गुज़र रही थीं, तब उन्होंने भी अविभाजित आंध्र प्रदेश की मेडक सीट से चुनाव लड़ा था.  पूर्व मंत्री शब्बीर अली ने द हिंदू से कहा, "लोग गांधी परिवार से प्यार करते हैं और तेलंगाना से उनका खास रिश्ता किसी से छिपा नहीं."

अयोध्या में राम मंदिर के लिए हुए आंदोलन का नेतृत्व करने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के अगले महीने होने जा रहे मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने की संभावना लगभग न के बराबर है.
मंदिर के ट्रस्ट के हवाले से अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने इसकी जानकारी दी है. प्रेस रिव्यू की शुरुआत इसी ख़बर से.
ट्रस्ट ने कहा है कि दोनों वरिष्ठ नेताओं के उम्र और स्वास्थ्य की वजह से उनके समारोह में आने की संभावना कम ही है.
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मीडिया से कहा, "दोनों नेता परिवार के बड़े हैं और उनकी उम्र को देखते हुए, उनसे समारोह में न आने के के लिए कहा गया है, जिसे दोनों ने स्वीकार भी कर लिया है."
राय ने ये भी कहा कि 22 जनवरी को होने जा रही प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारी ज़ोर-शोर से चल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे.
चंपत राय ने कहा कि 15 जनवरी तक तैयारियां पूरी हो जाएंगी और 'प्राण प्रतिष्ठा' के लिए पूजा 16 जनवरी से शुरू होकर 22 जनवरी तक चलेगी.
इस समारोह में बुलाए गए मेहमानों की विस्तृत सूची की जानकारी देते हुए चंपत राय ने कहा कि आडवाणी और जोशी उम्र और स्वास्थ्य संबंधी कारणों की वजह से शायद इसमें शामिल न हों.
उन्होंने कहा, "आडवाणी जी का होना अनिवार्य है लेकिन हम ये भी कहेंगे उनसे कि वह न आएं. डॉक्टर जोशी से मेरी सीधी बात हुई है. मैं यही कहता रहा कि आप मत आइए, और वह ज़िद करते रहे कि वो आएंगे. मैं बार-बार कहता रहा कि आपकी आयु अधिक है, सर्दी है और आपने घुटने भी बदलवाए हैं."
आडवाणी अभी 96 साल के हैं और मुरली मनोहर जोशी अगले महीने 90 वर्ष के हो जाएंगे.
हालांकि, चंपत राय ने ये भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा को समारोह का न्योता देने के लिए एक तीन सदस्यों वाली टीम बनाई गई है.
उन्होंने कहा, "छह दर्शन परंपराओं के शंकराचार्य और 150 साधु-संत इसमें भाग लेंगे. इनके अलावा करीब 4000 संत और 2,200 अन्य मेहमानों को भी समारोह के लिए न्योता दिया गया है."
चंपत राय ने बताया कि काशी विश्वनाथ, वैष्णो देवी जैसे बड़े मंदिरों और धार्मिक तथा संवैधानिक संस्थाओं के प्रमुखों को भी न्योता भेजा गया है.
राय ने कहा कि धर्म गुरु दलाई लामा, केरल की माता अमृतानंदमई, योग गुरु रामदेव, सिनेमा जगत के सितारे जैसे रजनीकांत, अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित, अरुण गोविल, फ़िल्म निर्देशक मधुर भंडारकर और जाने-माने कारोबारी जैसे मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, प्रसिद्ध पेंटर वसुदेव कामत, इसरो के डायरेक्टर नीलेश देसाई सहित कई बड़ी हस्तियों को भी फंक्शन में बुलाया गया है.
उन्होंने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद 24 जनवरी से अगले 48 दिनों तक 'मंडल पूजा' होगी. श्रद्धालुओं के लिए मंदिर 23 जनवरी से खुल जाएगा.
राय ने बताया कि मेहमानों के रुकने के लिए अयोध्या में तीन से अधिक जगहों पर पूरे प्रबंध किए गए हैं. इसके अतिरिक्त अलग-अलग मठों, मंदिरों और आम लोगों के परिवारों ने भी 600 कमरे तैयार रखे हुए हैं.

संसद में 92 सांसदों का निलंबन, किसी एक सत्र में सबसे ज़्यादा

लोकसभा के 33 और राज्यसभा के 45 सांसदों सहित कुल 78 सांसद सोमवार को निलंबित कर दिए गए. इससे पहले पिछले सप्ताह ही 13 लोकसभा और एक राज्यसभा के सांसद का निलंबन हुआ था.    अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार ये एक दिन में हुए सबसे अधिक निलंबन है. इस सत्र में अब तक कुल 92 सांसद निलंबित हो चुके हैं.    इन सांसदों पर सदन की कार्यवाही को बाधित करने के लिए ये कार्रवाई हुई है.    13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर विरोध जता रहे विपक्षी सांसद सदन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने और उस पर चर्चा की मांग कर रहे थे. कुछ सांसदों ने अमित शाह के इस्तीफ़े की भी मांग की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में आकर बयान देना चाहिए.    अखबार लिखता है कि इससे पहले एक दिन में सबसे अधिक सांसदों का निलंबन 15 मार्च 1989 में हुआ था. उस दिन विपक्ष के 63 सांसदों को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की जांच के लिए गठित आयोग की रिपोर्ट सदन में पेश करने को लेकर निलंबित कर दिया गया था.    सोमवार को जिन सांसदों को निलंबित किया गया उनमें लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, डीएमके के टीआर बालू और दयानिधि मारन और टीएमसी के सौगत रॉय, कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल और रणदीप सिंह सुरजेवाला और समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव भी शामिल हैं.    सोनिया गांधी 2024 का लोकसभा चुनाव तेलंगाना से लड़ेंगी?    तेलंगाना कांग्रेस ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के अध्यक्ष से निवेदन किया है कि सोनिया गांधी को 2024 का लोकसभा चुनाव तेलंगाना से लड़वाना चाहिए.    प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि तेलंगाना को राज्य का दर्जा देने के लिए यहां के लोग सोनिया गांधी को शुक्रिया कहना चाहते हैं.    अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू ने लिखा है कि तेलंगाना कांग्रेस की पॉलिटिकल अफ़ेयर्स कमेटी (पीएसी) राज्य में पार्टी की सरकार बनने के बाद पहली बार हैदराबाद में मिली. इस दौरान सर्वसम्मति से सोनिया गांधी को तेलंगाना की किसी भी सीट से चुनाव लड़वाने का प्रस्ताव पास हुआ.    इनमें ए. रेवंत रेड्डी के सीएम बनने के बाद खाली हुई मलकाजगिरी सीट सबसे ऊपर है.    कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से खबर कहती है कि पार्टी का मानना है कि तेलंगाना सोनिया गांधी का हमेशा आभारी रहेगा क्योंकि वह पार्टी के अंदर और बाहर हुए विरोधों के बावजूद भी इसे राज्य का दर्जा देने के फ़ैसले पर डटी रहीं.    तेलंगाना राज्य बनने के 10 साल बाद पहली बार कांग्रेस पार्टी ने यहां सरकार बनाई है.    सोनिया गांधी की सास और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जब राजनीतिक करियर के बुरे दौर से गुज़र रही थीं, तब उन्होंने भी अविभाजित आंध्र प्रदेश की मेडक सीट से चुनाव लड़ा था.    पूर्व मंत्री शब्बीर अली ने द हिंदू से कहा, "लोग गांधी परिवार से प्यार करते हैं और तेलंगाना से उनका खास रिश्ता किसी से छिपा नहीं."

लोकसभा के 33 और राज्यसभा के 45 सांसदों सहित कुल 78 सांसद सोमवार को निलंबित कर दिए गए. इससे पहले पिछले सप्ताह ही 13 लोकसभा और एक राज्यसभा के सांसद का निलंबन हुआ था.
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार ये एक दिन में हुए सबसे अधिक निलंबन है. इस सत्र में अब तक कुल 92 सांसद निलंबित हो चुके हैं.
इन सांसदों पर सदन की कार्यवाही को बाधित करने के लिए ये कार्रवाई हुई है.
13 दिसंबर को संसद की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर विरोध जता रहे विपक्षी सांसद सदन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बयान देने और उस पर चर्चा की मांग कर रहे थे. कुछ सांसदों ने अमित शाह के इस्तीफ़े की भी मांग की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में आकर बयान देना चाहिए.
अखबार लिखता है कि इससे पहले एक दिन में सबसे अधिक सांसदों का निलंबन 15 मार्च 1989 में हुआ था. उस दिन विपक्ष के 63 सांसदों को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की जांच के लिए गठित आयोग की रिपोर्ट सदन में पेश करने को लेकर निलंबित कर दिया गया था.
सोमवार को जिन सांसदों को निलंबित किया गया उनमें लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, डीएमके के टीआर बालू और दयानिधि मारन और टीएमसी के सौगत रॉय, कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल और रणदीप सिंह सुरजेवाला और समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव भी शामिल हैं.
सोनिया गांधी 2024 का लोकसभा चुनाव तेलंगाना से लड़ेंगी?
तेलंगाना कांग्रेस ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के अध्यक्ष से निवेदन किया है कि सोनिया गांधी को 2024 का लोकसभा चुनाव तेलंगाना से लड़वाना चाहिए.
प्रदेश कांग्रेस ने कहा है कि तेलंगाना को राज्य का दर्जा देने के लिए यहां के लोग सोनिया गांधी को शुक्रिया कहना चाहते हैं.
अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू ने लिखा है कि तेलंगाना कांग्रेस की पॉलिटिकल अफ़ेयर्स कमेटी (पीएसी) राज्य में पार्टी की सरकार बनने के बाद पहली बार हैदराबाद में मिली. इस दौरान सर्वसम्मति से सोनिया गांधी को तेलंगाना की किसी भी सीट से चुनाव लड़वाने का प्रस्ताव पास हुआ.
इनमें ए. रेवंत रेड्डी के सीएम बनने के बाद खाली हुई मलकाजगिरी सीट सबसे ऊपर है.
कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से खबर कहती है कि पार्टी का मानना है कि तेलंगाना सोनिया गांधी का हमेशा आभारी रहेगा क्योंकि वह पार्टी के अंदर और बाहर हुए विरोधों के बावजूद भी इसे राज्य का दर्जा देने के फ़ैसले पर डटी रहीं.
तेलंगाना राज्य बनने के 10 साल बाद पहली बार कांग्रेस पार्टी ने यहां सरकार बनाई है.
सोनिया गांधी की सास और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जब राजनीतिक करियर के बुरे दौर से गुज़र रही थीं, तब उन्होंने भी अविभाजित आंध्र प्रदेश की मेडक सीट से चुनाव लड़ा था.
पूर्व मंत्री शब्बीर अली ने द हिंदू से कहा, "लोग गांधी परिवार से प्यार करते हैं और तेलंगाना से उनका खास रिश्ता किसी से छिपा नहीं."

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