Gurpatwant Singh Pannu Case: निखिल गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा- 'जबरन खिलाया जा रहा है बीफ़'

अमेरिका की ओर से सिख अलगाववादी गुरुपतवंत सिंह पन्नूं की हत्या की साजिश के मामले में अभियुक्त बनाए गए निखिल गुप्ता ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह भारत सरकार को इस मामले में दखल देने को कहे. इस मामले से जुड़ी वकील रोहिनी मूसा ने बताया है कि सर्वोच्च अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए चार जनवरी तय करने के निर्देश दिए हैं. गुप्ता इस समय प्राग में हैं जहां उन्हें जून में हिरासत में लिया गया था. गुप्ता का दावा है कि उन्हें अवैध ढंग से हिरासत में रखा गया है. और उन्हें अमेरिका भेजने के लिए प्रत्यर्पण प्रक्रिया भी शुरू की गयी है. मूसा ने बताया, "उनके ख़िलाफ़ प्रत्यर्पण का आदेश जारी किया गया है. लेकिन हमें इस आदेश की प्रति नहीं सौंपी गयी है. कुछ ख़बरों के मुताबिक़, उन्हें प्रत्यर्पित भी कर दिया गया है. लेकिन हमें न तो उनकी ओर से किसी तरह की जानकारी मिल पा रही है और न ही उनके बारे में कुछ पता चल रहा है." मूसा का कहना है कि निखिल गुप्ता का परिवार उन्हें किसी तरह की मदद उपलब्ध नहीं करा पा रहा है. गुप्ता के परिवार का दावा है कि उन्हें बिना किसी अरेस्ट वॉरंट के 'स्वघोषित अमेरिकी एजेंट्स' की ओर से गिरफ़्तार किया गया था. और अब तक उन्हें निष्पक्ष क़ानूनी कार्यवाही से वंचित रखा गया है. इस याचिका में कहा गया है कि उन्हें अकेले में रखा गया है जहां उनके मूल अधिकारों का हनन किया गया है. एक दावा ये भी किया गया है कि उन्हें बीफ और पोर्क (सुअर का माँस) खाने के लिए विवश किया गया था जो कि उनकी धार्मिक मान्यताओं के विपरीत था. नवंबर में अमेरिका की एक अदालत ने उन्हें न्यू यॉर्क सिटी में एक अमेरिकी नागरिक की हत्या की साजिश करने के मामले में अभियुक्त बनाया था. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि उन्हें राजनीतिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है, उनके ख़िलाफ़ भारत सरकार के साथ मिलकर अमेरिका में एक अमेरिकी नागरिक को मारने का आरोप लगाया गया है जहां न तो वह किसी को जानते हैं और न इस जगह से उनका कोई काम है. गुप्ता के परिवार ने भारत सरकार से गुजारिश की है कि वह उनकी रिहाई के लिए इस मामले में दखल दे और उन्हें निष्पक्ष कानूनी कार्यवाही का मौका मिले. इसके साथ ही गुप्ता ने अमेरिका और चेक रिपब्लिक में अपने प्रतिनिधित्व के लिए एक भारतीय वकील की भी

अमेरिका की ओर से सिख अलगाववादी गुरुपतवंत सिंह पन्नूं की हत्या की साजिश के मामले में अभियुक्त बनाए गए निखिल गुप्ता ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह भारत सरकार को इस मामले में दखल देने को कहे.
इस मामले से जुड़ी वकील रोहिनी मूसा ने बताया है कि सर्वोच्च अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए चार जनवरी तय करने के निर्देश दिए हैं.
गुप्ता इस समय प्राग में हैं जहां उन्हें जून में हिरासत में लिया गया था.
गुप्ता का दावा है कि उन्हें अवैध ढंग से हिरासत में रखा गया है. और उन्हें अमेरिका भेजने के लिए प्रत्यर्पण प्रक्रिया भी शुरू की गयी है.
मूसा ने बताया, "उनके ख़िलाफ़ प्रत्यर्पण का आदेश जारी किया गया है. लेकिन हमें इस आदेश की प्रति नहीं सौंपी गयी है. कुछ ख़बरों के मुताबिक़, उन्हें प्रत्यर्पित भी कर दिया गया है. लेकिन हमें न तो उनकी ओर से किसी तरह की जानकारी मिल पा रही है और न ही उनके बारे में कुछ पता चल रहा है."
मूसा का कहना है कि निखिल गुप्ता का परिवार उन्हें किसी तरह की मदद उपलब्ध नहीं करा पा रहा है.
गुप्ता के परिवार का दावा है कि उन्हें बिना किसी अरेस्ट वॉरंट के 'स्वघोषित अमेरिकी एजेंट्स' की ओर से गिरफ़्तार किया गया था. और अब तक उन्हें निष्पक्ष क़ानूनी कार्यवाही से वंचित रखा गया है.
इस याचिका में कहा गया है कि उन्हें अकेले में रखा गया है जहां उनके मूल अधिकारों का हनन किया गया है.
एक दावा ये भी किया गया है कि उन्हें बीफ और पोर्क (सुअर का माँस) खाने के लिए विवश किया गया था जो कि उनकी धार्मिक मान्यताओं के विपरीत था.
नवंबर में अमेरिका की एक अदालत ने उन्हें न्यू यॉर्क सिटी में एक अमेरिकी नागरिक की हत्या की साजिश करने के मामले में अभियुक्त बनाया था.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि उन्हें राजनीतिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है, उनके ख़िलाफ़ भारत सरकार के साथ मिलकर अमेरिका में एक अमेरिकी नागरिक को मारने का आरोप लगाया गया है जहां न तो वह किसी को जानते हैं और न इस जगह से उनका कोई काम है.
गुप्ता के परिवार ने भारत सरकार से गुजारिश की है कि वह उनकी रिहाई के लिए इस मामले में दखल दे और उन्हें निष्पक्ष कानूनी कार्यवाही का मौका मिले.
इसके साथ ही गुप्ता ने अमेरिका और चेक रिपब्लिक में अपने प्रतिनिधित्व के लिए एक भारतीय वकील की भी

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