Madhya Pradesh Chief Minister Mohan Yadav: मोहन यादव की वो खूबियां, जिनके बूते जीत पाए MP का दिल और बन गए मुख्यमंत्री

मोहन यादव बने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 1 दिसंबर को राज्य में सत्ता में वापसी की और राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से सत्ता छीन ली।  तीन बार के विधायक मोहन यादव को सोमवार को मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में नामित किया गया, उन्होंने चार बार के सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान की जगह ली, इसके कुछ ही दिन बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राज्य की सत्ता में वापसी की और इसे कांग्रेस से छीन लिया। राजस्थान और छत्तीसगढ़. यह घोषणा तीन राज्यों में दूसरी है। उज्जैन से विधायक यादव, निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाले पिछले राज्य मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षा मंत्री थे।  चुनाव परिणाम घोषित होने के 10 दिन बाद भोपाल में आयोजित भाजपा विधायक दल की बैठक में यादव को शीर्ष पद के लिए चुना गया। उनके पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान ने पहले कहा था कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं हैं। भाजपा ने 2023 का विधानसभा चुनाव बिना मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लड़ा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभियान का नेतृत्व किया।  निवर्तमान वित्त मंत्री और मंदसौर से दो बार के विधायक जगदीश देवड़ा और निवर्तमान जनसंपर्क मंत्री रीवा से विधायक राजेंद्र शुक्ला को उप मुख्यमंत्री चुना गया है। पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एमपी विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया है।  17 नवंबर को हुए चुनाव में 230 सदस्यों की विधानसभा में भाजपा ने 163 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को केवल 66 सीटें मिलीं। नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए गए।

मोहन यादव बने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 1 दिसंबर को राज्य में सत्ता में वापसी की और राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से सत्ता छीन ली।

तीन बार के विधायक मोहन यादव को सोमवार को मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में नामित किया गया, उन्होंने चार बार के सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान की जगह ली, इसके कुछ ही दिन बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राज्य की सत्ता में वापसी की और इसे कांग्रेस से छीन लिया। राजस्थान और छत्तीसगढ़. यह घोषणा तीन राज्यों में दूसरी है। उज्जैन से विधायक यादव, निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाले पिछले राज्य मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षा मंत्री थे।

चुनाव परिणाम घोषित होने के 10 दिन बाद भोपाल में आयोजित भाजपा विधायक दल की बैठक में यादव को शीर्ष पद के लिए चुना गया। उनके पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान ने पहले कहा था कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं हैं। भाजपा ने 2023 का विधानसभा चुनाव बिना मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लड़ा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभियान का नेतृत्व किया।

निवर्तमान वित्त मंत्री और मंदसौर से दो बार के विधायक जगदीश देवड़ा और निवर्तमान जनसंपर्क मंत्री रीवा से विधायक राजेंद्र शुक्ला को उप मुख्यमंत्री चुना गया है। पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एमपी विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया है।

17 नवंबर को हुए चुनाव में 230 सदस्यों की विधानसभा में भाजपा ने 163 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को केवल 66 सीटें मिलीं। नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए गए।

Madhya pradesh Chief Minister Mohan Yadav 

चुनाव परिणाम के 8 दिन बीत जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश में पार्टी के मुख्यमंत्री चेहरे के साथ-साथ दो उपमुख्यमंत्रियों के नामों की भी घोषणा की। मोहन यादव मुख्यमंत्री पदभार संभालेंगे, वहीं राजेंद्र शुक्ला और जगदीश देवड़ा उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। हम बात करेंगे नए मुख्यमंत्री मोहन यादव के बारे में, जिसकी वजह से उनको सीएम बनाया गया है।

ओबीसी चेहरा और कोई विरोध नहीं

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव 2013 में पहली बार उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक बने और 2018 में फिर से विधानसभा के लिए चुने गए। इस बार 2023 में उन्होंने एक बार फिर चुनाव जीता और अब उन्हें राज्य का सीएम बनाया गया है। बता दें कि भाजपा की तरफ से कयास लगाए जा रहे थे कि प्रदेश की कमान किसी ओबीसी चेहरे को ही सौंपी जाएगी। मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी 50 फीसदी है, ऐसे में भाजपा ने उनको सीएम बनाकर बड़ा दांव चला है।

आरएसएस के करीबी

मोहन यादव, आरएसएस के करीबी रह चुके हैं। वह साल 1993 से 1995 तक आरएसएस उज्जैन के खंड कार्यवाहक रहे हैं इसलिए वह यादव चेहरे के तौर पर भाजपा के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकते हैं।

कृषि परिवार से सम्बन्ध

मोहन यादव का कृषि परिवार से सम्बन्ध रहा है। राज्य में 48.3 प्रतिशत सीमांत किसान हैं, वहीं 27.15 प्रतिशत लघु किसान हैं। ऐसे में वह आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए किसान वोटर्स को साधने का काम कर सकते हैं।

यादव वोटर्स पर पकड़

वहीं मध्य प्रदेश में सीएम के रूप में यादव चेहरा चुनने के लिए यादव वोटर फैक्टर को भी ध्यान में रखा गया है। बता दें कि राज्य में लगभग 12-15 प्रतिशत यादवों की संख्या है। ऐसे में यादव वोटर बुंदेलखंड में सत्ता पलटने की ताकत रखते हैं। इसके साथ ही चम्बल संभाग में  यादवों का अच्छा प्रभाव माना जाता है। वह भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के लिए बड़े यादव नेता के तौर पर माने जाते हैं।

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