Rajisthan Chief Minister Bhajan Lal Sharma: भजन लाल शर्मा के चेहरे पर BJP ने राजस्थान में क्यों खेला दांव? जानें पूरी खबर

Bhajan lal Sharma Rajasthan CM Reason: तमाम कयासों और अटकलों के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो गया है। मंगलवार को जयपुर में हुई विधायक दल की बैठक में सीएम के नाम की घोषणा की गई। भजनलाल शर्मा को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया गया है। छत्तीसगढ़ में आदिवासी, मध्य प्रदेश में यादव और राजस्थान में ब्राह्मण चेहरे पर मुहर लगाकर बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव खेला है। बीजेपी ने भजनलाल शर्मा को राजस्थान का मुख्यमंत्री क्यों बनाया, आइए जानते हैं…  बीजेपी ने सामान्य वर्ग को किया खुश  पूर्वी राजस्थान के भरतपुर जिले से आने वाले भजनलाल शर्मा पहली बार विधायक बने, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने सामान्य वर्ग को साधने की भरपूर कोशिश की है। बीजेपी के चुनाव जीतने के बाद अश्विनी वैष्णव जैसे ब्राह्मण चेहरे का नाम भी चर्चा में था।  जानकारी के अनुसार, राजस्थान में ब्राह्मणों की आबादी करीब 13 प्रतिशत है। ब्राह्मण मतदाता करीब 30 विधानसभा सीटों पर हार-जीत का गणित तय करते हैं। ऐसे में सामान्य वर्ग को काफी मजबूत माना जाता है। विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में ब्राह्मण महासभा का आयोजन कर सामान्य वर्ग ने अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की थी। इसमें कई केंद्रीय मंत्री और दिग्गज नेता शामिल हुए थे।  Twiter.  बीजेपी को मिले 53 प्रतिशत ब्राह्मण वोट  अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने भी छत्तीसगढ़ में आदिवासी, मध्य प्रदेश में यादव और राजस्थान में ब्राह्मण चेहरा तय कर सोशल इंजीनियरिंग का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। इससे पहले राजस्थान में राजनीतिक पार्टियों के बारे में कहा जाता रहा कि वह सामान्य वर्ग को साधने की कोशिश तो करती हैं, लेकिन कभी बड़ा पद नहीं देती। इस बार राजस्थान में बीजेपी को 53 प्रतिशत ब्राह्मण वोट गए थे। जबकि कांग्रेस को सिर्फ 26 प्रतिशत, ऐसे में BJP ने ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेलकर अपने लाखों वोटर्स को खुश कर दिया है।  twiter bjp  संघ की हिस्सेदारी  माना जा रहा है कि राजस्थान के टिकट बंटवारे में इस बार सबसे ज्यादा संघ की हिस्सेदारी रही। इसलिए मुख्यमंत्री की पसंद भी संघ का ही चेहरा रहा। राजस्थान में सामान्य वर्ग और सादगी भरा जीवन जीने वाले भजनलाल शर्मा संघ के करीबी हैं। वह संगठन में लगाातार प्रदेश महामंत्री जैसी बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं। पार्टी के विधायकों को साथ लेकर चलने और निर्विवाद चेहरे की उम्मीद के चलते बीजेपी ने भजनलाल शर्मा को चुना। वे चार बार प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं। भरतपुर की नदबई तहसील के अटारी  Bjp bhajanlal  उनका निवास भरतपुर की राजेंद्र नगर कॉलोनी में है। हालांकि 2003 में नदबई से  उन्हें विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। इससे पहले वे सरपंच का चुनाव भी हार चुके हैं। हालांकि इस बार उन्हें जयपुर की सांगानेर विधानसभा से विधानसभा का चुनाव लड़ाया गया।  बीजेपी MLA अशोक लाहोटी का टिकट काटकर जब भजनलाल शर्मा को कांग्रेस के पुष्पेन्द्र भारद्वाज के खिलाफ मैदान में उतारा गया तो बाहरी और पैराशूट उम्मीदवार होने के आरोप लगे। हालांकि उन्होंने अपनी बेहतरीन छवि, संघ और संगठन के साथ खुद को सफल बनाया और भारद्वाज को 48081 वोटों से शिकस्त देकर न केवल विधानसभा का सफर तय किया, बल्कि अब वे सीएम की कुर्सी तक पहुंच चुके हैं।

Bhajan lal Sharma Rajasthan CM Reason: तमाम कयासों और अटकलों के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो गया है। मंगलवार को जयपुर में हुई विधायक दल की बैठक में सीएम के नाम की घोषणा की गई। भजनलाल शर्मा को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया गया है। छत्तीसगढ़ में आदिवासी, मध्य प्रदेश में यादव और राजस्थान में ब्राह्मण चेहरे पर मुहर लगाकर बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा दांव खेला है। बीजेपी ने भजनलाल शर्मा को राजस्थान का मुख्यमंत्री क्यों बनाया, आइए जानते हैं…

बीजेपी ने सामान्य वर्ग को किया खुश

पूर्वी राजस्थान के भरतपुर जिले से आने वाले भजनलाल शर्मा पहली बार विधायक बने, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने सामान्य वर्ग को साधने की भरपूर कोशिश की है। बीजेपी के चुनाव जीतने के बाद अश्विनी वैष्णव जैसे ब्राह्मण चेहरे का नाम भी चर्चा में था।

जानकारी के अनुसार, राजस्थान में ब्राह्मणों की आबादी करीब 13 प्रतिशत है। ब्राह्मण मतदाता करीब 30 विधानसभा सीटों पर हार-जीत का गणित तय करते हैं। ऐसे में सामान्य वर्ग को काफी मजबूत माना जाता है। विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में ब्राह्मण महासभा का आयोजन कर सामान्य वर्ग ने अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की थी। इसमें कई केंद्रीय मंत्री और दिग्गज नेता शामिल हुए थे।

बीजेपी ने सामान्य वर्ग को किया खुश पूर्वी राजस्थान के भरतपुर जिले से आने वाले भजनलाल शर्मा पहली बार विधायक बने, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने सामान्य वर्ग को साधने की भरपूर कोशिश की है। बीजेपी के चुनाव जीतने के बाद अश्विनी वैष्णव जैसे ब्राह्मण चेहरे का नाम भी चर्चा में था।  जानकारी के अनुसार, राजस्थान में ब्राह्मणों की आबादी करीब 13 प्रतिशत है। ब्राह्मण मतदाता करीब 30 विधानसभा सीटों पर हार-जीत का गणित तय करते हैं। ऐसे में सामान्य वर्ग को काफी मजबूत माना जाता है। विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान में ब्राह्मण महासभा का आयोजन कर सामान्य वर्ग ने अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की थी। इसमें कई केंद्रीय मंत्री और दिग्गज नेता शामिल हुए थे।

बीजेपी को मिले 53 प्रतिशत ब्राह्मण वोट

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने भी छत्तीसगढ़ में आदिवासी, मध्य प्रदेश में यादव और राजस्थान में ब्राह्मण चेहरा तय कर सोशल इंजीनियरिंग का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। इससे पहले राजस्थान में राजनीतिक पार्टियों के बारे में कहा जाता रहा कि वह सामान्य वर्ग को साधने की कोशिश तो करती हैं, लेकिन कभी बड़ा पद नहीं देती। इस बार राजस्थान में बीजेपी को 53 प्रतिशत ब्राह्मण वोट गए थे। जबकि कांग्रेस को सिर्फ 26 प्रतिशत, ऐसे में BJP ने ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेलकर अपने लाखों वोटर्स को खुश कर दिया है।

बीजेपी को मिले 53 प्रतिशत ब्राह्मण वोट अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने भी छत्तीसगढ़ में आदिवासी, मध्य प्रदेश में यादव और राजस्थान में ब्राह्मण चेहरा तय कर सोशल इंजीनियरिंग का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। इससे पहले राजस्थान में राजनीतिक पार्टियों के बारे में कहा जाता रहा कि वह सामान्य वर्ग को साधने की कोशिश तो करती हैं, लेकिन कभी बड़ा पद नहीं देती। इस बार राजस्थान में बीजेपी को 53 प्रतिशत ब्राह्मण वोट गए थे। जबकि कांग्रेस को सिर्फ 26 प्रतिशत, ऐसे में BJP ने ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेलकर अपने लाखों वोटर्स को खुश कर दिया है।

संघ की हिस्सेदारी

माना जा रहा है कि राजस्थान के टिकट बंटवारे में इस बार सबसे ज्यादा संघ की हिस्सेदारी रही। इसलिए मुख्यमंत्री की पसंद भी संघ का ही चेहरा रहा। राजस्थान में सामान्य वर्ग और सादगी भरा जीवन जीने वाले भजनलाल शर्मा संघ के करीबी हैं। वह संगठन में लगाातार प्रदेश महामंत्री जैसी बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं। पार्टी के विधायकों को साथ लेकर चलने और निर्विवाद चेहरे की उम्मीद के चलते बीजेपी ने भजनलाल शर्मा को चुना। वे चार बार प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं। भरतपुर की नदबई तहसील के अटारी

संघ की हिस्सेदारी माना जा रहा है कि राजस्थान के टिकट बंटवारे में इस बार सबसे ज्यादा संघ की हिस्सेदारी रही। इसलिए मुख्यमंत्री की पसंद भी संघ का ही चेहरा रहा। राजस्थान में सामान्य वर्ग और सादगी भरा जीवन जीने वाले भजनलाल शर्मा संघ के करीबी हैं। वह संगठन में लगाातार प्रदेश महामंत्री जैसी बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं। पार्टी के विधायकों को साथ लेकर चलने और निर्विवाद चेहरे की उम्मीद के चलते बीजेपी ने भजनलाल शर्मा को चुना। वे चार बार प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं। भरतपुर की नदबई तहसील के अटारी

उनका निवास भरतपुर की राजेंद्र नगर कॉलोनी में है। हालांकि 2003 में नदबई से  उन्हें विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। इससे पहले वे सरपंच का चुनाव भी हार चुके हैं। हालांकि इस बार उन्हें जयपुर की सांगानेर विधानसभा से विधानसभा का चुनाव लड़ाया गया।

बीजेपी MLA अशोक लाहोटी का टिकट काटकर जब भजनलाल शर्मा को कांग्रेस के पुष्पेन्द्र भारद्वाज के खिलाफ मैदान में उतारा गया तो बाहरी और पैराशूट उम्मीदवार होने के आरोप लगे। हालांकि उन्होंने अपनी बेहतरीन छवि, संघ और संगठन के साथ खुद को सफल बनाया और भारद्वाज को 48081 वोटों से शिकस्त देकर न केवल विधानसभा का सफर तय किया, बल्कि अब वे सीएम की कुर्सी तक पहुंच चुके हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ