आज खेल मंत्रालय ने सस्पेंड कर दी WFI की नई बनी समिति? जानिए क्या रही इसकी मुख्य वजह ?

Why Sports Ministry suspended newly elected Wrestling Federation of India body : रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) चुनाव के महज तीन दिन बाद केंद्रीय खेल मंत्रालय ने इसकी नई गठित की गई समिति को निलंबित कर दिया। बता दें कि बीती 21 दिसंबर को फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह की चुनाव में जीत की घोषणा की गई थी।  इसके चलते साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास ले लिया था और बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री अवार्ड लौटा दिया था। साल 2016 के रियो ओलंपिक्स में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मलिक ब्रज भूषण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का सबसे बड़ा चेहरा रही हैं। ब्रज भूषण पर कई महिला रेसलर सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप लगा चुकी हैं। पूनिया ने 2020 के टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था।  इस पर क्या बोले ब्रज भूषण शरण सिंह  समिति को सस्पेंड किए जाने के फैसले पर डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह ने कहा है कि चुनाव का आयोजन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लोकतांत्रिक तरीके से किया गया था और समिति गठित की गई थी। इसे लेकर सरकार से बात करनी है या कानूनी रास्ता अख्तियार करना है यह फैसला फेडरेशन के सदस्य करेंगे। उन्होंने इस बात से अपना कोई लेना-देना न होने की बात कही है।  क्यों लिया गया सस्पेंड करने का फैसला  खेल मंत्रालय ने अपने आदेश में अंडर-15 और अंडर-20 नेशनल प्रतियोगिताएं आयोजित कराने के फैसले को जल्दबाजी वाला बताया है। यह निर्णय जरूरी प्रक्रियाओं का पालन किए बिना और इनमें हिस्सा लेने वाले रेसलर्स को तैयारी के लिए पर्याप्त नोटिस दिए बिना लिया गया है। इसमें डब्ल्यूएफआई के संविधान के प्रावधानों का पालन न करने की भी बात कही गई है।  Twiter..  मंत्रालय ने कहा है कि ऐसे फैसले  एग्जीक्यूटिव कमेटी लेती है जिसके सामने विचार करने के लिए एजेंडा रखना जरूरी होता है। डब्ल्यूएफआई के संविधान के आर्टिकल 11 के तहत एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक के लिए मिनिमम नोटिस पीरियड 15 दिन का है और एक तिहाई प्रतिनिधियों का कोरम होना जरूरी है। आपात बैठकों के लिए भी नोटिस की अवधि कम से कम सात दिन की होती है।  फेडरेशन को पूर्व पदाधिकारी चला रहे  अपने आदेश में मंत्रालय ने यह भी कहा है कि नई समिति पूर्व पदाधिकारियों के पूर्ण नियंत्रण में काम कर रही थी जो कि नेशनल स्पोर्ट्स कोड के मुताबिक नहीं है। इसमें कहा गया है कि डब्ल्यूएफआई के महासचिव पर फेडरेशन की गतिविधियों को अंजाम देने, बैठकों की जानकारियां रखने, सभी रिकॉर्ड्स मेनटेन करने, जनरल काउंसिल और एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठकें बुलाने की जिम्मेदारी होती है।  आदेश में आगे कहा गया है कि लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि महासचिव एग्जीक्यूटिव कमेटी की इस बैठक में शामिल ही नहीं थे जो बिना किसी नोटिस या कोरम के आयोजित की गई थी। नई समिति की ओर से लिए गए फैसले नियमों का उल्लंघन करने वाले हैं और डब्ल्यूएफआई के संविधान के प्रावधानों और नेशनल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट कोड के विपरीत हैं। फेडरेशन को पूर्व पदाधिकारी चला रहे हैं।  कब तक और क्यों किया बंद ?  खेल मंत्रालय ने नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया है. पिछले हफ्ते, भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह को भारत में कुश्ती को नियंत्रित करने वाली संस्था के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।  सिंह के वफादार के चुनाव के मद्देनजर, ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास की घोषणा की।  पीटीआई ने एक सूत्र के हवाले से कहा कि नई संस्था ने डब्ल्यूएफआई संविधान का पालन नहीं किया है। सूत्र ने कहा कि उन्होंने महासंघ को समाप्त नहीं किया है बल्कि इसे आगे तक के लिए निलंबित कर दिया है।

Why Sports Ministry suspended newly elected Wrestling Federation of India body : रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) चुनाव के महज तीन दिन बाद केंद्रीय खेल मंत्रालय ने इसकी नई गठित की गई समिति को निलंबित कर दिया। बता दें कि बीती 21 दिसंबर को फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह की चुनाव में जीत की घोषणा की गई थी।

इसके चलते साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास ले लिया था और बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री अवार्ड लौटा दिया था। साल 2016 के रियो ओलंपिक्स में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मलिक ब्रज भूषण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का सबसे बड़ा चेहरा रही हैं। ब्रज भूषण पर कई महिला रेसलर सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप लगा चुकी हैं। पूनिया ने 2020 के टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था।

इस पर क्या बोले ब्रज भूषण शरण सिंह

समिति को सस्पेंड किए जाने के फैसले पर डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह ने कहा है कि चुनाव का आयोजन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लोकतांत्रिक तरीके से किया गया था और समिति गठित की गई थी। इसे लेकर सरकार से बात करनी है या कानूनी रास्ता अख्तियार करना है यह फैसला फेडरेशन के सदस्य करेंगे। उन्होंने इस बात से अपना कोई लेना-देना न होने की बात कही है।

क्यों लिया गया सस्पेंड करने का फैसला

खेल मंत्रालय ने अपने आदेश में अंडर-15 और अंडर-20 नेशनल प्रतियोगिताएं आयोजित कराने के फैसले को जल्दबाजी वाला बताया है। यह निर्णय जरूरी प्रक्रियाओं का पालन किए बिना और इनमें हिस्सा लेने वाले रेसलर्स को तैयारी के लिए पर्याप्त नोटिस दिए बिना लिया गया है। इसमें डब्ल्यूएफआई के संविधान के प्रावधानों का पालन न करने की भी बात कही गई है।

खेल मंत्रालय ने अपने आदेश में अंडर-15 और अंडर-20 नेशनल प्रतियोगिताएं आयोजित कराने के फैसले को जल्दबाजी वाला बताया है। यह निर्णय जरूरी प्रक्रियाओं का पालन किए बिना और इनमें हिस्सा लेने वाले रेसलर्स को तैयारी के लिए पर्याप्त नोटिस दिए बिना लिया गया है। इसमें डब्ल्यूएफआई के संविधान के प्रावधानों का पालन न करने की भी बात कही गई है।

मंत्रालय ने कहा है कि ऐसे फैसले  एग्जीक्यूटिव कमेटी लेती है जिसके सामने विचार करने के लिए एजेंडा रखना जरूरी होता है। डब्ल्यूएफआई के संविधान के आर्टिकल 11 के तहत एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक के लिए मिनिमम नोटिस पीरियड 15 दिन का है और एक तिहाई प्रतिनिधियों का कोरम होना जरूरी है। आपात बैठकों के लिए भी नोटिस की अवधि कम से कम सात दिन की होती है।

फेडरेशन को पूर्व पदाधिकारी चला रहे

अपने आदेश में मंत्रालय ने यह भी कहा है कि नई समिति पूर्व पदाधिकारियों के पूर्ण नियंत्रण में काम कर रही थी जो कि नेशनल स्पोर्ट्स कोड के मुताबिक नहीं है। इसमें कहा गया है कि डब्ल्यूएफआई के महासचिव पर फेडरेशन की गतिविधियों को अंजाम देने, बैठकों की जानकारियां रखने, सभी रिकॉर्ड्स मेनटेन करने, जनरल काउंसिल और एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठकें बुलाने की जिम्मेदारी होती है।

आदेश में आगे कहा गया है कि लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि महासचिव एग्जीक्यूटिव कमेटी की इस बैठक में शामिल ही नहीं थे जो बिना किसी नोटिस या कोरम के आयोजित की गई थी। नई समिति की ओर से लिए गए फैसले नियमों का उल्लंघन करने वाले हैं और डब्ल्यूएफआई के संविधान के प्रावधानों और नेशनल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट कोड के विपरीत हैं। फेडरेशन को पूर्व पदाधिकारी चला रहे हैं।

कब तक और क्यों किया बंद ?

खेल मंत्रालय ने नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया है. पिछले हफ्ते, भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह को भारत में कुश्ती को नियंत्रित करने वाली संस्था के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।  सिंह के वफादार के चुनाव के मद्देनजर, ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास की घोषणा की।

पीटीआई ने एक सूत्र के हवाले से कहा कि नई संस्था ने डब्ल्यूएफआई संविधान का पालन नहीं किया है। सूत्र ने कहा कि उन्होंने महासंघ को समाप्त नहीं किया है बल्कि इसे आगे तक के लिए निलंबित कर दिया है।

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