अमेरिका ने यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर फिर से हमले करने का दावा किया है. उसका कहना है कि ये हमले करना ज़रूरी था, वरना हूती विद्रोही मिसाइल दाग़ने की तैयारी में थे.
अमेरिकी सेना ने कहा कि बुधवार को उसने हूती विद्रोहियों की उन 14 लोड की जा चुकीं मिसाइलों को निशाना बनाया, जो लॉन्च किए जाने को तैयार थीं.
अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किया है कि ये मिसाइलें इस क्षेत्र से गुज़र रहे व्यापारिक जहाज़ों और अमेरिकी नौसेना के जहाज़ों के लिए ख़तरा थीं.
अमेरिकी सेना ने लिखा है, “इन मिसाइलों से कारोबारी बेड़ों और इस क्षेत्र में मौजूद अमेरिकी नौसैनिक जहाज़ों को ख़तरा था और इन मिसाइलों को कभी भी दाग़ा जा सकता था. इस वजह से अमेरिकी सैनिकों को आत्मरक्षा के अधिकार और दायित्व का पालन करना पड़ा.”
"इन हमलों और हमारी ओर से उठाए गए अन्य क़दमों से लाल सागर, बाब अल मंदाब और अदन की खाड़ी में अंतरराष्ट्रीय और व्यापारिक शिपिंग गतिविधियों पर हमले करने की हूती विद्रोहियों की क्षमता कम होगी.”
इससे पहले अमेरिका ने दावा किया था कि हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में अमेरिकी स्वामित्व वाले एक जहाज़ पर हमला किया था.
अमेरिका और ब्रिटेन की नौसेना ने पहले भी हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हमले किए थे. पिछले हफ़्ते अमेरिका ने बताया था कि हवाई और समुद्री हमले में हूतियों के 16 ठिकानों को निशाना बनाया गया.
यमन के बड़े हिस्से पर नियंत्रण रखने वाले हूती विद्रोही नवंबर से ही लाल सागर में जहाज़ों पर हमले कर रहे हैं. उनका कहना कि वे ग़ज़ा और फ़लस्तीनियों के समर्थन में इसराइल आने-जाने वाले जहाज़ों को निशाना बना रहे हैं.
हालांकि, अन्य जहाज़ भी उनके हमलों की चपेट में आए हैं, जिससे कई बड़ी तेल और शिपिंग कंपनियों ने इस इलाक़े से बचते हुए दूसरे समुद्री रास्तों को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.
ईरान पर आरोप है कि वह न सिर्फ़ हूती विद्रोहियों की आर्थिक और सैन्य मदद करता है बल्कि उनसे कार्रवाइयां भी करवाता है.
हाल में अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में कहा था कि लाल सागर में हूती विद्रोहियों के हमलों के पीछे ईरान है. ईरान ने इन आरोपों को ग़लत बताया था.
हूती विद्रोही ख़ुद को ईरान के नेतृत्व वाली 'प्रतिरोध की धुरी' का सदस्य बताते हैं.
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