Bihar Political Crisis january 2024: बिहार के ऊलट- फेर वाले सियासी भूचाल पर इस समय पूरे देश की की गहरी नजर है। बिहार में 18 महीने से राज्य में जेडीयू और आरजेडी गठबंधन की सरकार थी। फिर ऐसा क्या हुआ कि आखिर इतने कम समय में ही दोनों अलग हो गए। क्या लालू के बेटे तेजस्वी यादव बिहार के सीएम बनना चाहते हैं? या फिर I.N.D.I.A गठबंधन में पड़ी दरार इन दोनों के अलग होने का कारण रही। या फिर दोनों पार्टियों की नजर लोकसभा चुनाव 2024 पर बिहार की 40 सीटों पर है।
आठ महीने से चल रही थी पटकथा
जानकारी के अनुसार गणतंत्र दिवस पर बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को मोदी सरकार ने भारत रत्न देने की घोषणा की गई। इस घोषणा के करते ही सीएम नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की तारीफ भी की। जैसे ही यह "x" पोस्ट वायरल हुई तो राज्य में दोनों के फिर नजदीक आने की चर्चा होने लगी और फिर अगले कुछ 2 य़ा 3 दिन में पूरी कहानी ही बदल गयी। लेकिन आपको बता दें कि बिहार में चल रहा राजनीतिक संकट केवल किसी एक सोशल मीडिया पोस्ट या किसी के बयान का नतीजा नहीं है। यह लंबे समय से चल रहा था। पूरे घटनाक्रम को ऐसे समझ सकते हैं मुख्य बिन्दु ..
Amid political drama, BJP legislative party meeting underway in Bihar
— ANI Digital (@ani_digital) January 28, 2024
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इन प्वाइंट में समझे बिहार में कैसे हुआ ‘खेला’
- बिहार के जुगाड से बने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरजेडी की तरफ से तेजस्वी यादव को सीएम बनाने का दबाव भी था।
- कर्पूरी ठाकुर की जन्म शताब्दी समारोह समेत कई मौकों पर नीतीश ने आरजेडी और परिवारवाद को टारगेट करते हुए बयान भी दिए, लेकिन कभी किसी का साफ नाम लेने से बचते रहे। अर्थात इन डाईरेक्ट हमला लोग समझ भी जाते हैं और बोल नही सकते.
- सत्ता पर पूरी तरह काबिज होने के लिए आरजेडी और जदयू द्वारा अंदरखाते एक-दूसरे के विधायकों को तोड़ने के लिए कई बार प्रयास भी किए गए।
- इंडिया गठबंधन बनाने में नीतीश ने अहम रोल अदा किया था। लेकिन लोकसभा सीट शेयरिंग और नितीश कुमार के पीएम पद के दावेदार पर कांग्रेस से उनकी सहमति नहीं बनी थी। आरजेडी लोकसभा चुनाव से पहले तेजस्वी को सीएम बना बिहार की सत्ता की चाबी देना चाहती थी।
- बिहार में हो रहा आर्थिक नुकसान। जदयू और आरजेडी नेताओं की एक-दूसरे और सरकार के कामकाज के खिलाफ बयानबाजी भी रही हैं।
- 2.5 लाख बिहार की नौकरी का क्रेडिट लेना और तेज़स्वी य़ादव को हाईलाईट करना
- बिहार के जुगाड से बने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरजेडी की तरफ से तेजस्वी यादव को सीएम बनाने का दबाव भी था।
- कर्पूरी ठाकुर की जन्म शताब्दी समारोह समेत कई मौकों पर नीतीश ने आरजेडी और परिवारवाद को टारगेट करते हुए बयान भी दिए, लेकिन कभी किसी का साफ नाम लेने से बचते रहे। अर्थात इन डाईरेक्ट हमला लोग समझ भी जाते हैं और बोल नही सकते.
- सत्ता पर पूरी तरह काबिज होने के लिए आरजेडी और जदयू द्वारा अंदरखाते एक-दूसरे के विधायकों को तोड़ने के लिए कई बार प्रयास भी किए गए।
- इंडिया गठबंधन बनाने में नीतीश ने अहम रोल अदा किया था। लेकिन लोकसभा सीट शेयरिंग और नितीश कुमार के पीएम पद के दावेदार पर कांग्रेस से उनकी सहमति नहीं बनी थी। आरजेडी लोकसभा चुनाव से पहले तेजस्वी को सीएम बना बिहार की सत्ता की चाबी देना चाहती थी।
- बिहार में हो रहा आर्थिक नुकसान। जदयू और आरजेडी नेताओं की एक-दूसरे और सरकार के कामकाज के खिलाफ बयानबाजी भी रही हैं।
- 2.5 लाख बिहार की नौकरी का क्रेडिट लेना और तेज़स्वी य़ादव को हाईलाईट करना
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