आत्महत्या के लिए उकसाता है इस बावड़ी का पानी, Adventure, Thrill, haunted Places, सब कुछ जानिए क्या है यहां की कहानी?

अग्रसेन की बावली संभवतः 14वीं शताब्दी में राजा अग्रसेन द्वारा बनवाई गई थी। कम देखी और सुनी गई यह संरचना कनॉट प्लेस की बहुमंजिला इमारतों के बीच स्थित है।  यह स्मारक विस्मय और रहस्य से भरपूर एक महान ऐतिहासिक प्रासंगिकता रखता है और एक प्रेतवाधित स्थान के रूप में भी जाना जाता है। कई बार आगंतुकों को इस स्थान के बारे में कुछ अजीब महसूस हुआ है। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि बावली शैतानों का निवास स्थान है। इन सदियों में बावली हजारों चमगादड़ों और कबूतरों का घर बन गई है। इस बावली के आसपास महसूस होने वाले डर के पीछे शायद यही बोली है।  राजधानी दिल्ली के कनॉट प्‍लेस के नजदीक 14 वीं सदी की एक ऐसी बावड़ी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसके पानी को देखकर लोग आत्महत्या के लिए सम्मोहित हो जाते हैं। जानिए कौन सी है ये बावड़ी...

अग्रसेन की बावली संभवतः 14वीं शताब्दी में राजा अग्रसेन द्वारा बनवाई गई थी। कम देखी और सुनी गई यह संरचना कनॉट प्लेस की बहुमंजिला इमारतों के बीच स्थित है।  यह स्मारक विस्मय और रहस्य से भरपूर एक महान ऐतिहासिक प्रासंगिकता रखता है और एक प्रेतवाधित स्थान के रूप में भी जाना जाता है। कई बार आगंतुकों को इस स्थान के बारे में कुछ अजीब महसूस हुआ है। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि बावली शैतानों का निवास स्थान है। इन सदियों में बावली हजारों चमगादड़ों और कबूतरों का घर बन गई है। इस बावली के आसपास महसूस होने वाले डर के पीछे शायद यही बोली है।

राजधानी दिल्ली के कनॉट प्‍लेस के नजदीक 14 वीं सदी की एक ऐसी बावड़ी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसके पानी को देखकर लोग आत्महत्या के लिए सम्मोहित हो जाते हैं। जानिए कौन सी है ये बावड़ी...    

  1. इस बावड़ी का नाम है अग्रसेन की बावड़ी। इसका निर्माण 14वीं सदी में महाराजा अग्रसेन ने करवाया था। 
  2. इस बावड़ी के बारे में यह मान्यता है कि यह एक समय काले रंग के पानी से भरी हुई थी।
  3. यह पानी लोगों को सम्‍मोहित कर आत्‍महत्‍या के लिए उकसाता था। 
  4. इस बावड़ी में 'पीके', 'झूम बराबर झूम' समेत कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है।

मस्जिद भी है यहां...

इस बावड़ी के पास एक तीन दरवाजे वाली प्राचीन मस्जिद है। इसका एक हिस्सा गिर चुका है। इसके तीन पिलर रेड सैंडस्टोन से बने हुए हैं।  

कितनी हैं सीढियां...

  1. इसकी लंबाई 60 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है। पुराने जमाने में पानी को बचाने के लिए इस तरह की बावड़ी को बनाया जाता था। 
  2. इस बावड़ी का देखरेख आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) द्वारा किया जा रहा है। 
  3. बावड़ी के नीचे तक पहुंचने के लिए करीब 106 सीढियां उतरनी पड़ती है। 
  4. यह दिल्ली की उन गिनी-चुनी बावड़ियों में से एक है, जो अभी भी अच्छी स्थिति में हैं। 

क्या है टाइमिंग: 

सुबह 7 से शाम 6 बजे तक (एंट्री फ्री)

एड्रेस: हैली रोड़,  कनॉट प्‍लेस दिल्ली 

अग्रसेन की बावली संभवतः 14वीं शताब्दी में राजा अग्रसेन द्वारा बनवाई गई थी। कम देखी और सुनी गई यह संरचना कनॉट प्लेस की बहुमंजिला इमारतों के बीच स्थित है।  यह स्मारक विस्मय और रहस्य से भरपूर एक महान ऐतिहासिक प्रासंगिकता रखता है और एक प्रेतवाधित स्थान के रूप में भी जाना जाता है। कई बार आगंतुकों को इस स्थान के बारे में कुछ अजीब महसूस हुआ है। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि बावली शैतानों का निवास स्थान है। इन सदियों में बावली हजारों चमगादड़ों और कबूतरों का घर बन गई है। इस बावली के आसपास महसूस होने वाले डर के पीछे शायद यही बोली है।  राजधानी दिल्ली के कनॉट प्‍लेस के नजदीक 14 वीं सदी की एक ऐसी बावड़ी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसके पानी को देखकर लोग आत्महत्या के लिए सम्मोहित हो जाते हैं। जानिए कौन सी है ये बावड़ी...

बाबली की तस्वीरे देंखें 

अग्रसेन की बावली संभवतः 14वीं शताब्दी में राजा अग्रसेन द्वारा बनवाई गई थी। कम देखी और सुनी गई यह संरचना कनॉट प्लेस की बहुमंजिला इमारतों के बीच स्थित है।  यह स्मारक विस्मय और रहस्य से भरपूर एक महान ऐतिहासिक प्रासंगिकता रखता है और एक प्रेतवाधित स्थान के रूप में भी जाना जाता है। कई बार आगंतुकों को इस स्थान के बारे में कुछ अजीब महसूस हुआ है। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि बावली शैतानों का निवास स्थान है। इन सदियों में बावली हजारों चमगादड़ों और कबूतरों का घर बन गई है। इस बावली के आसपास महसूस होने वाले डर के पीछे शायद यही बोली है।  राजधानी दिल्ली के कनॉट प्‍लेस के नजदीक 14 वीं सदी की एक ऐसी बावड़ी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसके पानी को देखकर लोग आत्महत्या के लिए सम्मोहित हो जाते हैं। जानिए कौन सी है ये बावड़ी...

अग्रसेन की बावली संभवतः 14वीं शताब्दी में राजा अग्रसेन द्वारा बनवाई गई थी। कम देखी और सुनी गई यह संरचना कनॉट प्लेस की बहुमंजिला इमारतों के बीच स्थित है।  यह स्मारक विस्मय और रहस्य से भरपूर एक महान ऐतिहासिक प्रासंगिकता रखता है और एक प्रेतवाधित स्थान के रूप में भी जाना जाता है। कई बार आगंतुकों को इस स्थान के बारे में कुछ अजीब महसूस हुआ है। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि बावली शैतानों का निवास स्थान है। इन सदियों में बावली हजारों चमगादड़ों और कबूतरों का घर बन गई है। इस बावली के आसपास महसूस होने वाले डर के पीछे शायद यही बोली है।  राजधानी दिल्ली के कनॉट प्‍लेस के नजदीक 14 वीं सदी की एक ऐसी बावड़ी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसके पानी को देखकर लोग आत्महत्या के लिए सम्मोहित हो जाते हैं। जानिए कौन सी है ये बावड़ी...

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