गोली लगते ही ‘जय श्रीराम’ का उद्घोष कर प्राण त्याग देते थे कारसेवक, मुलायम य़ादव सरकार में राम भक्ति अपराध प्रमाण पत्र का चालान काट भेजते थे जेल, जानें पूरी दर्दनाक दास्ता

 

कारसेवक अर्जुन देव वार्ष्णेय  आज जहां अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले पूरा देश राम की भक्ति में ड़ूब गया है, क्या आप जानते हैं कि राम मंदिर के लिए राम भक्तों ने बहुत यातनाए सही, डर -डर कर जिए, किसी ने अपना पैर गवा दिया तो किसी ने अपना फेमिली का सदस्य भगवा य़ा टीका लगाने पर हो जाति थी जेल जाने मुलायम सिंह य़ादव की सरकार के वक्त जो राम भक्त थे उनका क्या कहना हैं ?  वहीं उस समय राम मंदिर जगह और मंदिर निर्माण की बात करने वाले आंदोलन के दौरान रामभक्ति को अपराध समझा जाता था। जाना पड़ता था जेल।  कारसेवकों ने बताया उस समय का हाल...   यह वो समय हैं जब सपा सरकार में राम भक्ति एक अपराध(Crime ) था। ये कहना है, उस समय जेल भेजे जाने वाले कार सेवकों( car sevak) का। उनका बाकायदा चालान काटकर(after cutting the challan) जेल भेजा जाता था और अपराधी का प्रमाण पत्र(criminal certificate) दिया जाता था। उस प्रमाण पत्र पर लिखा जाता था राम भक्ति चालान(Ram Bhakti Challan)। अलीगढ़ जिले में करीब 400 लोगों के इस तरह के चालान किए गए थे।  कारसेवक मनोज अग्रवाल( Manoj Agrawal), अर्जुन देव वार्ष्णेय(Arjun Dev Varshney) और अनुराग वार्ष्णेय(Anurag Varshney) बताते हैं कि सन 1990 का दौर था। अयोध्या में कारसेवा करने के लिए पूरे देश से कारसेवकों का जत्था उमड़ पड़ा था। प्रदेश में समाजवादी पार्टी(Samajvadi Party) की सरकार थी। मुलायम सिंह मुख्यमंत्री(Mulayam Singh Chief Minister) थे। शासन का आदेश था कि अयोध्या में व्यक्ति, क्या कोई परिंदा भी पर न मार पाए। इसके बाद कारसेवा करने जा रहे लोगों की गिरफ्तारी शुरू हुई।   अलीगढ़(Aligarh) में सैकड़ो कारसेवकों को पुलिस ने जेल में ठूंस दिया था और जब वह जेल से रिहा हुए तो उनको एक प्रमाण पत्र दिया गया, जिस पर अपराध वाले कॉलम में लिखा था राम भक्ति चालान। प्रमाण पत्र दिखाते हुए कार सेवक मनोज अग्रवाल अर्जुन देव वार्ष्णेय और अनुराग वार्ष्णेय ने बताया कि जब जेल से रिहा हुए थे, तब जेलर ने उनको ये प्रमाण पत्र दिए थे।   उन्होंने बताया कि आज पूरे विश्व के सनातनियों का राम मंदिर बनने का सपना साकार होने जा रहा है।

कारसेवक अर्जुन देव वार्ष्णेय

आज जहां अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले पूरा देश राम की भक्ति में ड़ूब गया है, क्या आप जानते हैं कि राम मंदिर के लिए राम भक्तों ने बहुत यातनाए सही, डर -डर कर जिए, किसी ने अपना पैर गवा दिया तो किसी ने अपना फेमिली का सदस्य भगवा य़ा टीका लगाने पर हो जाति थी जेल जाने मुलायम सिंह य़ादव की सरकार के वक्त जो राम भक्त थे उनका क्या कहना हैं ?

वहीं उस समय राम मंदिर जगह और मंदिर निर्माण की बात करने वाले आंदोलन के दौरान रामभक्ति को अपराध समझा जाता था। जाना पड़ता था जेल।

कारसेवकों ने बताया उस समय का हाल... 

यह वो समय हैं जब सपा सरकार में राम भक्ति एक अपराध(Crime ) था। ये कहना है, उस समय जेल भेजे जाने वाले कार सेवकों( car sevak) का। उनका बाकायदा चालान काटकर(after cutting the challan) जेल भेजा जाता था और अपराधी का प्रमाण पत्र(criminal certificate) दिया जाता था। उस प्रमाण पत्र पर लिखा जाता था राम भक्ति चालान(Ram Bhakti Challan)। अलीगढ़ जिले में करीब 400 लोगों के इस तरह के चालान किए गए थे।

कारसेवक मनोज अग्रवाल( Manoj Agrawal), अर्जुन देव वार्ष्णेय(Arjun Dev Varshney) और अनुराग वार्ष्णेय(Anurag Varshney) बताते हैं कि सन 1990 का दौर था। अयोध्या में कारसेवा करने के लिए पूरे देश से कारसेवकों का जत्था उमड़ पड़ा था। प्रदेश में समाजवादी पार्टी(Samajvadi Party) की सरकार थी। मुलायम सिंह मुख्यमंत्री(Mulayam Singh Chief Minister) थे। शासन का आदेश था कि अयोध्या में व्यक्ति, क्या कोई परिंदा भी पर न मार पाए। इसके बाद कारसेवा करने जा रहे लोगों की गिरफ्तारी शुरू हुई। 

अलीगढ़(Aligarh) में सैकड़ो कारसेवकों को पुलिस ने जेल में ठूंस दिया था और जब वह जेल से रिहा हुए तो उनको एक प्रमाण पत्र दिया गया, जिस पर अपराध वाले कॉलम में लिखा था राम भक्ति चालान। प्रमाण पत्र दिखाते हुए कार सेवक मनोज अग्रवाल अर्जुन देव वार्ष्णेय और अनुराग वार्ष्णेय ने बताया कि जब जेल से रिहा हुए थे, तब जेलर ने उनको ये प्रमाण पत्र दिए थे। 

उन्होंने बताया कि आज पूरे विश्व के सनातनियों का राम मंदिर बनने का सपना साकार होने जा रहा है।

अलीगढ़(Aligarh) में सैकड़ो कारसेवकों को पुलिस ने जेल में ठूंस दिया था और जब वह जेल से रिहा हुए तो उनको एक प्रमाण पत्र दिया गया, जिस पर अपराध वाले कॉलम में लिखा था राम भक्ति चालान। प्रमाण पत्र दिखाते हुए कार सेवक मनोज अग्रवाल अर्जुन देव वार्ष्णेय और अनुराग वार्ष्णेय ने बताया कि जब जेल से रिहा हुए थे, तब जेलर ने उनको ये प्रमाण पत्र दिए थे।   उन्होंने बताया कि आज पूरे विश्व के सनातनियों का राम मंदिर बनने का सपना साकार होने जा रहा है।

अपराध वाले कॉलम में लिखा था राम भक्ति चालान

मुलायम सिंह य़ादव की सरकार में तिलक लगाने पर भी डर लगता था

1990 में विश्व हिंदू परिषद(Vishwa Hindu Parishad) ने अयोध्या में कारसेवा का आह्वान किया था, हमारा भी डेढ़ सौ लोगों का जत्था था। केशव नगर( Keshav Nagar ) से रेलवे स्टेशन के लिए निकला। हमें रास्ते में रोककर गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया गया। यदि कोई भगवा पटका(Bhagwa Patka) पहनकर निकल जाता था तो उसको शक से देखा जाता था, जो संदिग्ध लगता था तो उसे गिरफ्तार(Arrest) कर लिया जाता था। तिलक(Tilak) लगाने से भय लगता था। चालान काटकर राम भक्ति चालान का प्रमाण पत्र दिया जाता था। - मनोज अग्रवाल।

1990 में विश्व हिंदू परिषद(Vishwa Hindu Parishad) ने अयोध्या में कारसेवा का आह्वान किया था, हमारा भी डेढ़ सौ लोगों का जत्था था। केशव नगर( Keshav Nagar ) से रेलवे स्टेशन के लिए निकला। हमें रास्ते में रोककर गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया गया। यदि कोई भगवा पटका(Bhagwa Patka) पहनकर निकल जाता था तो उसको शक से देखा जाता था, जो संदिग्ध लगता था तो उसे गिरफ्तार(Arrest) कर लिया जाता था। तिलक(Tilak) लगाने से भय लगता था। चालान काटकर राम भक्ति चालान का प्रमाण पत्र दिया जाता था। - मनोज अग्रवाल।

10 दिनों तक जेल में बंद रखा गया था

यह वाकया 28 अक्तूबर 1990 का है। उस समय हम लोगों का एक जत्था अयोध्या(Ayodhya) जा रहा था। इस दौरान हमको पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। हमारे साथ करीब डेढ़ सौ कार्यकर्ता थे। हमको गिरफ्तार कर जेल भेज भेज दिया गया। हमें 10 दिनों तक जेल में बंद करके रखा गया। छूटने के बाद जिला प्रशासन की तरफ से हमें प्रमाण पत्र दिया गया, जिसमें लिखा था राम भक्ति यानी जिस धारा में हम बंद थे, वह राम भक्ति थी। - अर्जुन देव वार्ष्णेय

पैर तोड़कर दीं यातनाएं, फिर जेल भेजा

- उस वक्त हम लोग राम मंदिर के लिए अयोध्या गए थे। अयोध्या जाने वाले रास्ते में पुलिस ने पकड़ने की कोशिश की। मैं विश्व हिंदू परिषद(Viswa Hindu Parishad) के ग्रुप में गया था। पुलिस ने पकड़ने की कोशिश की तो बचकर स्टेशन की तरफ चला गया। बाद में मुझे ट्रेन में पकड़ लिया और डंडा मार कर मेरा पैर तोड़ दिया। इसके बाद बन्ना देवी( Banna Devi) थाने लाया गया और वहां मुझे एक दिन रखा, जो प्रताड़ना दे सकते थे, वह दी गई। फिर चालान कर मुझे जेल भिजवाया गया। जेल में टूटे हुए पैर के साथ मैंने समय काटा। उस समय प्रमाण पत्र दिया गया था कि राम मंदिर के लिए हम लोग गए थे। 11-12 दिन जेल में रहे थे। -अनुराग वार्ष्णेय

उस वक्त हम लोग राम मंदिर के लिए अयोध्या गए थे। अयोध्या जाने वाले रास्ते में पुलिस ने पकड़ने की कोशिश की। मैं विश्व हिंदू परिषद(Viswa Hindu Parishad) के ग्रुप में गया था। पुलिस ने पकड़ने की कोशिश की तो बचकर स्टेशन की तरफ चला गया। बाद में मुझे ट्रेन में पकड़ लिया और डंडा मार कर मेरा पैर तोड़ दिया। इसके बाद बन्ना देवी( Banna Devi) थाने लाया गया और वहां मुझे एक दिन रखा, जो प्रताड़ना दे सकते थे, वह दी गई। फिर चालान कर मुझे जेल भिजवाया गया। जेल में टूटे हुए पैर के साथ मैंने समय काटा। उस समय प्रमाण पत्र दिया गया था कि राम मंदिर के लिए हम लोग गए थे। 11-12 दिन जेल में रहे थे। -अनुराग वार्ष्णेय

गोली लगते ही ‘जय श्रीराम’ का उद्घोष कर गिर जाते थे कारसेवक, ईश्वर की सेवा में न्यौछावर होने के लिए शरीर पर लिखवा लिया था नाम-पता

साल 1990 का दशक हर मायने में भारतीय जनमानस में बदलाव का दशक था। एक तरफ मंडल कमीशन को लागू किया गया था तो दूसरी तरफ राम जन्मभूमि अयोध्या पहुँचे कारसेवकों का नरसंहार किया गया था। मंडल कमीशन लागू करके देश की एक बड़ी आबादी को आरक्षण का लाभ देकर तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह विलेन बन गए तो दूसरी तरफ कारसेवकों पर गोलियाँ चलवाकर उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ‘मुल्ला मुलायम’ बन गए और सेक्युलर जमात के हीरो बन गए।  इन दोनों घटनाओं ने भारतीय राजनीति और जनमानस को बेहद गहराई तक प्रभावित किया। OBC आरक्षण ने पिछड़ों में समृद्धि लाने का काम किया तो अयोध्या गोलीकांड ने हिंदुओं में नवचेतना का संचार किया। उन्हें पता लगा कि उनके अराध्य के दर्शन करने पर भी जालियाँवाला बाग कांड की तर्ज पर उन्हें गोलियों से छलनी किया जा सकता है।

साल 1990 का दशक हर मायने में भारतीय जनमानस में बदलाव का दशक था। एक तरफ मंडल कमीशन को लागू किया गया था तो दूसरी तरफ राम जन्मभूमि अयोध्या पहुँचे कारसेवकों का नरसंहार किया गया था। मंडल कमीशन लागू करके देश की एक बड़ी आबादी को आरक्षण का लाभ देकर तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह विलेन बन गए तो दूसरी तरफ कारसेवकों पर गोलियाँ चलवाकर उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ‘मुल्ला मुलायम’ बन गए और सेक्युलर जमात के हीरो बन गए।

इन दोनों घटनाओं ने भारतीय राजनीति और जनमानस को बेहद गहराई तक प्रभावित किया। OBC आरक्षण ने पिछड़ों में समृद्धि लाने का काम किया तो अयोध्या गोलीकांड ने हिंदुओं में नवचेतना का संचार किया। उन्हें पता लगा कि उनके अराध्य के दर्शन करने पर भी जालियाँवाला बाग कांड की तर्ज पर उन्हें गोलियों से छलनी किया जा सकता है।

आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है। हर तरफ भगवान राम की गूंज सुनाई दे रही है, लेकिन इस भव्य मंदिर के लिए हिंदुओं खासकर कारसेवकों ने अपने सीने पर गोलियाँ खाईं और ‘जय श्रीराम’ बोलकर अयोध्या की पुण्य भूमि पर अपने नश्वर शरीर को त्याग दिया। कारसेवकों को पता था कि उन्हें मृत्यु को वरण करना पड़ सकता है, फिर भी वे पीछे नहीं हटे।

हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि मानव शरीर निर्जीव हो जाने के बाद भी वह बिनी किसी पूर्वाग्रह या ईर्ष्या के सम्मान का अधिकारी होता है, लेकिन मुलायम सिंह यादव की पुलिस ने इस सार्वभौमिक नियमों की भी अनदेखी की और मृत रामभक्तों के शवों को क्षत-विक्षत किया। 

साल 1990 के अक्टूबर के अंत और नवंबर की शुरुआत की मद्धिम-मद्धिम बयार शीतकाल के आगमन का आभास देने लगी थी। लगभग 400 वर्षों से मुक्ति का मार्ग दे रहे अयोध्या के राम मंदिर को लेकर हिंदुओं में छटपटाहट थी। हिंदू नेताओं एवं संतों के आग्रह पर कारसेवकों का जनसैलाब अयोध्या पहुँच चुका था, लेकिन यहाँ सब कुछ सामान्य नहीं था। राजनीति के मोहरे साधने के चक्कर में मुलायम सिंह यादव ड्रैक्युला बने बैठे थे।


अयोध्या में कारसेवकों को आगमन को देखते हुए कदम-कदम पर पुलिस बल तैनात थी। शहर में आने वाले हर रास्ते पर बैरियर लगाकर सुरक्षाबलों के हवाले कर दिया गया था। बड़ी-बड़ी इमारतों पर पुलिस के जवान हथियार लिए निशाना साधे बैठे थे। हर सुरक्षाकर्मी के हाथ में हथियार थे। शहर की फिजा में भयानक शांति थी, लेकिन कारसेवकों का ‘जय श्रीराम’ का उद्घोष उसे तोड़ने का प्रयास कर रहा था।

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