पुरी के गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती
जब से राम मंदिर की प्राण प्रतिस्तठा की तारीख तय की गयी हैं, अयोध्या के राम मंदिर को लेकर पूरे देश में राममय का माहौल बनाये हुए है. देश में आदि पुरूष रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शंकराचार्यों के शामिल नहीं होने का मुद्दा भी गर्मा रहा है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती और स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का साफ साफ कहना है कि राम मंदिर उद्घाटन में शास्त्रीय विधा का पालन नहीं किया जा रहा है, जो कि धर्मसम्मत नही हैं. पुरी के गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने एक बार फिर से सनातन धर्म के नियमों के उल्लंघन की बात कही है. और इसके साथ उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि उनका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता इसलिए उनसे टकराने की गलती ना की जाए.
एमपी तक(MP Tak) की रिपोर्ट के अनुसार, शंकराचार्य(Shankracharya) ने कहा कि व्यासपीठ के साथ जो टकराता है, चारों खाने चूर-चूर हो जाता है, (gets crushed to pieces). स्वामी निश्चलानंद सरस्वती(Swami Nischalananda Saraswati) ने कहा, 'मैंने पहले कहा कि हिमालय पर जो प्रहार करता है, उसकी मुट्ठी(Fist) टूट जाती है. हम लोगों से टकराना उचित नहीं है. अरबों एटम बम को दृष्टि मात्र से नष्ट करने की क्षमता हम लोगों में है.(We have the ability to destroy billions of atom bombs with just a glance). हम चुनाव की प्रक्रिया( election process) से इस पद पर नहीं प्रतिष्ठित हैं. जिनकी गद्दी है उनके द्वारा प्रेरित होकर हम प्रतिष्ठित हैं इसलिए कोई हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकता.'
पीएम मोदी और सीएम योगी को पर बोले शंकराचार्य
शंकराचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी( Prime Minister Narendra Modi) को लेकर कहा, 'जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब से मेरे परिचित हैं. पीएम पद की शपथ लेने से पहले भी वह मेरे पास आए थे मुझसे कहा था कि ऐसा आशीर्वाद दो कि कम से कम भूल कर सकूं और अब वह इतनी बड़ी भूल करने जा रहे हैं.'
PM Modi और CM Yogi पर बोले शंकराचार्य
शंकराचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कहा, 'जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब से मेरे परिचित हैं. पीएम पद की शपथ लेने से पहले भी वह मेरे पास आए थे मुझसे कहा था कि ऐसा आशीर्वाद दो कि कम से कम भूल कर सकूं और अब वह इतनी बड़ी भूल करने जा रहे हैं.''विधिवत प्रतिष्ठा ना हो तो मूर्ति में भूत-प्रेत, पिशाच प्रतिष्ठित हो जाते हैं'- स्वामी निश्चलानंद सरस्वती
साथ ही साथ विधिवत प्रतिष्ठा हो जाए और आरती या पूजा में विधि का पालन ना किया जाए तो देवी-देवता का तेज तिरोहित हो जाता है तो डाकनी, शाकनी, भूत-प्रेत, पिशाच उस प्रतिमा में प्रतिष्ठित होकर पूरे क्षेत्र को तहस-नहस कर देते हैं. प्राण प्रतिष्ठा, मूर्ति प्रतिष्ठा खिलवाड़ नहीं है. इसमें दर्शन, व्यवहार और विज्ञान तीनों का एकत्व है. व्यापक अग्नि को घर्षण के द्वारा एक जगह व्यक्त कर लिया जाता है. वह दाह प्रकाशक अग्नि तत्व होता है. इसी प्रकार व्यापक परमात्मा को मानसिक, तांत्रिक और यांत्रिक विधा से प्रतिमा में अरसा विग्रह में अभिव्यक्त करने की विधा दर्शन, व्यवहार और विज्ञान की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. उसका अनुपालन उसी तरह किया जाएगा तो तेज का प्रकट हो जाएगा, नहीं तो विस्फोटक हो जाएगा.' उन्होंने कहा कि दो साल बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही प्राण प्रतिष्ठा करते तो मैं प्रश्न उठाता क्योंकि शास्त्रीय विधा से मूर्ति का स्पर्श और प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए.राम मंदिर उद्घाटन शास्त्रीय विधा से नहीं हो रहा
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, 'रामजी शास्त्रीय विधा से प्रतिषिठित नहीं हो रहे हैं इसलिए राम मंदिर उद्घाटन में मेरा जाना उचित नहीं है. आमंत्रण आया कि आप एक व्यक्ति के साथ उद्घाटन में आ सकते हैं. हम आमंत्रण से नहीं कार्यक्रम से सहमत नहीं हैं.' उन्होंने कहा, 'प्राण प्रतिष्ठा के लिए मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए. कौन मूर्ति को स्पर्श करे, कौन ना करे. कौन प्रतिष्ठा करे, कौन प्रतिष्ठा ना करे. स्कंद पुराण में लिखा है, देवी-देवताओं की जो मूर्तियां होती हैं, जिसको श्रीमद्भागवत में अरसा विग्रह कहा गया है. उसमें देवता के तेज प्रतिष्ठित तब होते हैं जब विधि-विधान से प्रतिष्ठा हो.
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