संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज ने ली समाधि
Aacharya Vidhya Sagar Maharaj Samadhi Maran 2024: श्रद्धेय आचार्य विद्यासागर महाराज जी का जन्म कर्नाटक के बेलगांव के सदलगा गांव में 1946 में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। आचार्य विद्यासागर महाराज के 3 भाई और दो बहनें हैं।
Maran: मध्यप्रांत राज्य छत्तीसगढ़ के धार्मिक स्थल डोंगरगढ़ में जैन समाज के रत्न आचार्य विद्यासागर महाराज का दिगंबर मुनि परंपरा रिती रिवाज से समाधि पूर्वक मरण हो गया। आचार्य विद्यासागर महाराज जी ने 3 दिन पहले ही समाधि मरण की प्रक्रिया को शुरू कर पूर्ण रूप से अन्न-जल का त्याग कर दिया था और अखंड मौन व्रत भी ले लिया था। उनका जन्म कर्नाटक के सदलगा गांव में 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था।
पूरे जैन समाज के लिए आज का दिन सबसे कठिनमय है। जैन समाज के वर्तमान समय के महावीर कहे जाने वाले आचार्य विद्यासागर महाराज ने आज देह त्याग दी और पूरी विधि के साथ समाधि भी ली। बता दें कि रात 2.35 बजे अपना देह त्याग दिया। श्रद्धेय आचार्य ज्ञानसागर के शिष्य थे। जब आचार्य ज्ञानसागर ने परंपरा अनुसार समाधि ली थी तब उन्होंने अपना आचार्य पद मुनि विद्यासागर जी को सौंप दिया था। ऐसे में मुनि विद्यासागर महज 26 वर्ष की उम्र में ही 22 नवंबर 1972 में आचार्य पद पर आसीन हो गए थे।
देर रात करीब 2.30 बजे दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य विद्यासागर जी महाराज ब्रह्मलीन हुए!
जैन समाज के सबसे बड़े गुरु युगदृष्टा वर्तमान महावीर आचार्य विद्यासागर जी महाराज का देवलोकगमन आज रात को हो गया है। देर रात करीब 2.30 बजे दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य विद्यासागर जी महाराज ब्रह्मलीन हुए हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में तीन दिन उपवास अन्य जल त्यागने के उपरांत अपना शरीर त्यागा।
संत शिरोमणि विद्यासागर जी ने पूर्ण जागृतावस्था में आचार्य पद का त्याग करते हुए 3 दिन का उपवास भी लिया था और अखंड मौन धारण कर लिया था, इसके बाद रविवार करीब 2.30 बजे उन्होंने देहत्याग दिए। उनके समाधि लेने की खबर से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। महाराज जी के देहत्याग की खबर मिलते ही डोंगरगढ़ के चन्द्रगिरि तीर्थ पर लोगों का एकत्रित होना शुरू हो गया है।
विद्यासागर जी का डोला श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरि तीर्थ क्षेत्र में 18 फरवरी दिन रविवार दोपहर 1 बजे से निकाला जाएगा और चंद्रगिरि तीर्थ क्षेत्र पर ही पंच तत्व में विलीन भी किए जायेंगे। आचार्य जी के निधन पर तमाम दिग्गजों ने शोक प्रकट किया है। देश के सभी धर्मों के लोग उनके अनुयायी थे और कई बड़े नेता उनका आशीर्वाद प्राप्त करने डोंगरगढ़ जाते रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी, कांग्रेस नेता व राज्यसभा दिग्विजय सिंह, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसे दिग्गज हाल के दिनों में उनका आशीर्वाद लेने डोंगरगढ़ गए थे।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उनके देवलोकगमन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया है कि, 'संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की रात्रि 2:35 बजे चंद्रागिरी तीर्थ डोंगरगढ़ में समाधि हो गई है। वे ईश्वर रूपी संत थे। शिक्षा व हाथ करघा पर बना कपड़ा पहनने का उनका संदेश हमें महात्मा गांधी का संदेश याद दिलाता है।'
वहीं, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने लिखा कि, 'राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का समाधिपूर्वक निधन का समाचार सम्पूर्ण जगत को स्तब्ध और निशब्द करने वाला है। मेरे जीवन में आचार्य श्री का गहरा प्रभाव रहा, उनके जीवन का अधिकतर समय मध्यप्रदेश की भूमि में गुजरा और उनका मुझे भरपूर आशीर्वाद मिला। आचार्य श्री के सामने आते ही हृदय प्रेरणा से भर उठता था। उनका भौतिक शरीर हमारे बीच ना हो लेकिन गुरु के रूप में उनकी दिव्य उपस्थिति सदैव आस पास रहेगी।'
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजली!
ॐ नमः सिद्धेभ्यः ॐ नमः सिद्धेभ्यः ॐ नमः सिद्धेभ्यः
आध्यात्मिक चेतना के पुंज, विश्ववंदनीय संत शिरोमणि परमपूज्य आचार्य गुरुवर श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की संलेखना पूर्वक समाधि सम्पूर्ण जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
आपका संयमी जीवन और महान विचार हमें सदैव सत्पथ पर चलने की प्रेरणा देते रहेंगे।
नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु: सीएम
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आचार्य श्री जीते जागते परमात्मा थे- मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री
राष्ट्र संत आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का समाधिपूर्वक निधन का समाचार सम्पूर्ण जगत को स्तब्ध और निशब्द करने वाला है। मेरे जीवन में आचार्य श्री का गहरा प्रभाव रहा, उनके जीवन का अधिकतर समय मध्यप्रदेश की भूमि में गुजरा और उनका मुझे भरपूर आशीर्वाद मिला
आचार्य श्री के सामने आते ही हृदय प्रेरणा से भर उठता था। उनका आशीर्वाद असीम शांति और अनंत ऊर्जा प्रदान करता था। उनका जीवन त्याग और प्रेम का उदाहरण है आचार्य श्री जीते जागते परमात्मा थे।उनका भौतिक शरीर हमारे बीच ना हो लेकिन गुरु के रूप में उनकी दिव्य उपस्थिति सदैव आस पास रहेगी।
आचार्य श्री शीघ्र ही परमपद सिद्धत्व को प्राप्त हों।
गुरुवर के चरणों मे शत शत नमन
नमोस्तु भगवन!
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उनकी चेतना-अनुभूति हमारे मन-हृदय में अनंत-अमर रहेगी- अखिलेश य़ादव
समस्त जैन समाज के साथ-साथ सम्पूर्ण विश्व को सत्य-अहिंसा का मार्ग दिखाकर आत्मिक बोध की ओर ले जानेवाले युग दृष्टा आचार्य प्रवर श्री विद्यासागर जी महामुनिराज जी के ब्रह्मलीन होने पर कोटि-कोटि वंदन! उनकी चेतना-अनुभूति हमारे मन-हृदय में अनंत-अमर रहेगी।
Image Source- Akhilesh yadav Facebook Page
ये हुए अगले आचार्य
ठीक इसी तरह आचार्य विद्यासागर महाराज ने भी तीन पहले ही अपने आचार्य पद का त्याग किया और अपना आचार्य पद उनके पहले मुनि शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि समयसागर को सौंप दिया। बताया जा रहा है कि 6 फरवरी को ही उन्होंने मुनि समयसागर और मुनि योगसागर को एकांत में बुलाकर अपनी जिम्मेदारियां उन्हें सौंप दी थी। बता दें कि ये दोनों मुनि समयसागर और योगसागर उनके ग्रहस्थ जीवन के सगे भाई हैं।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पवित्र आत्मा के सम्मान में आज आधे दिन का राजकीय शोक!
वर्तमान के वर्धमान कहे जाने वाले विश्व प्रसिद्ध दिगंबर जैन मुनि संत परंपरा के आचार्य विद्यासागर महाराज जी आज ब्रह्मलीन हो गए।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पवित्र आत्मा के सम्मान में आज आधे दिन का राजकीय शोक रखा गया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा तथा कोई राजकीय समारोह/कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जायेंगें।
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