उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को समान नागरिक संहिता विधेयक यानी यूसीसी पेश किया गया और इस पर चर्चा जारी है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सदन में विधेयक रखते ही भाजपा विधायकों ने जय श्रीराम, भारत माता की जय और वंदे मातरम् के नारे लगाए. जवाब में विपक्ष के विधायकों ने बाबा साहब की जय के नारे लगाए.
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार संख्याबल के आधार पर जबरन अपनी बात मनवाना चाह रही है. उन्होंने कहा कि पहले विधेयक के अध्ययन का समय दिया जाना था, ताकि इस पर चर्चा की जा सके. उन्होंने प्रश्नकाल और कार्य स्थगन को स्थगित करने को परंपराओं का उल्लंघन बताया.
इसके बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि नियमों का उल्लंघन कर प्रश्नकाल स्थगित किया गया. उन्होंने पूछा कि ऐसा क्या है कि सरकार परंपराओं को दरकिनार कर रही है. यूसीसी पर चर्चा करवाने की मांग करते हुए उन्होंने आशंका जताई कि सरकार आज ही इसे पारित करवाना चाहती है.
इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधेयक को सदन के पटल पर रखा.
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने कहा कि कांग्रेस विधायकों की मांग के अनुरूप विधेयक को समझने के लिए दो बजे तक का समय दिया जाता है, जिसके बाद इस पर चर्चा होगी. इसके साथ ही सदन को दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दिया गया था.
विपक्ष ने क्या कहा?
दो बजे सत्र शुरू होने के बाद चर्चा की शुरुआत संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने की. उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता भारतीय जनता पार्टी के मूल भारतीय जनसंघ का बहुत पुराना मुद्दा था.
उन्होंने यह भी कहा कि देश में यूसीसी को आज़ादी के बाद ही लागू हो जाना चाहिए था और इसे लाकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भगीरथ कार्य किया है.
उनका जवाब देते हुए नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि विधेयक को पढ़ने के लिए सिर्फ़ दो घंटे दिए गए जो पर्याप्त नहीं थे लेकिन सरकार संख्या बल के आधार पर मनमाने तरीके से काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की सीमाएं दो राज्यों से लगती हैं. अगर कोई सीमा पर रहने वाला व्यक्ति उत्तर प्रदेश में शादी करके आता है तो उस पर कौन सा कानून लागू होगा? फिर कहा कि इसीलिए हम समय चाहते थे कि इन सभी विषयों पर चर्चा हो सके.
नेता प्रतिपक्ष ने इसे बेहद गंभीर विषय बताते हुए विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की.
चर्चा में धामी सरकार के अन्य मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया. विधेयक पर चर्चा बुधवार को भी जारी रहेगी.
#WATCH | Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami tables the Uniform Civil Code Uttarakhand 2024 Bill in State Assembly, in Dehradun. pic.twitter.com/B1LRzfoC09
— ANI (@ANI) February 6, 2024
विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने बिल को लेकर कहा है कि CM धामी BJP नेताओं को खुश करने के लिए ये बिल लेकर आए हैं. रावत ने कहा कि कांग्रेस समेत विपक्ष को बिल की कॉपी ही नहीं दी गई है. बिल की कॉपी न होने की स्थिति में इस पर चर्चा करना संभव नहीं है.
वहीं, AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बिल को मुसलमानों के खिलाफ साजिश बताया है. उन्होंने आरोप लगाया कि नए बिल के जरिए मुसलमानों को उनके मजहब से दूर करने की साजिश की जा रही है. ओवैसी ने कहा कि जब जनजातियों को इस बिल से बाहर रखा गया है, तब यह यूनिफॉर्म सिविल कोड कैसे हो सकता है.
UCC ड्राफ्ट में शादी को लेकर सुझाव
# सभी धर्म और जातियों में लड़की के विवाह की आयु 18 वर्ष होगी.
# बहुविवाह प्रथा पर रोक लगेगी.
# विवाह का रजिस्ट्रेशन (लोकल बॉडी में) कराना अनिवार्य होगा.
# कोर्ट के अलावा हर प्रकार के तलाक पर रोक रहेगी.
# पुनर्विवाह के लिए किसी भी प्रकार की शर्त पर रोक रहेगी (जैसे हलाला, इद्दत).
# वर्जित विवाह परिभाषित किए गए.(सगे और चचेरे, ममेरे भाई बहन से विवाह वर्जित होगा, लेकिन यदि किसी धर्म में पहले से ही इसका रिवाज और मान्यता है तो उन्हें ऐसे विवाह की इजाजत होगी.)
# मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार होगा और गोद लेने की प्रक्रिया सरल होगी.
# पति और पत्नी दोनों को तलाक की प्रक्रियाओं तक समान पहुंच प्राप्त होगी.
लिव इन रिलेशनशिप के लिए नियम
# लिव इन रिलेशनशिप में रहने से पहले रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा.
# रजिस्ट्रेशन के टर्मिनेशन का भी रजिस्ट्रेशन होगा.
# लिव इन रिलेशनशिप के दौरान अगर कोई संतान पैदा होती है, तो उसके हितों का संरक्षण करना होगा और उसे माता-पिता का नाम भी देना होगा.
अन्य नियम
# नए कानून के मुताबिक सभी को एडॉप्शन का अधिकार मिलेगा. साथ ही किसी बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया आसान बनाई जाएगी.
# नए कानून में कहा गया है कि अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा.
# नए कानून के ड्राफ्ट में ये भी कहा गया है कि माता-पिता की संपत्ति में पुत्र और पुत्री को समान अधिकार होगा.
जनजातियों को कानून से रखा जाएगा बाहर
राज्य की जनजातियों पर कॉमन सिविल कोड लागू नहीं होगा. मतलब उत्तराखंड में निवास करने वाली कोई भी जनजाति इस क़ानून से मुक्त रहेगी. जनजाति समुदाय की राज्य में पांच प्रकार की जनजातियां है जिनमें थारू, बोक्सा, राजी, भोटिया और जौनसारी समुदाय शामिल हैं.
उत्तराखंड विधानसभा में UCC बिल पेश:कांग्रेस का सवाल- बिल से जनजाति महिलाएं अलग क्यों, भाजपा बोली- जरूरत हुई तो संशोधन करेंगे
यशपाल आर्य बोले- जनजाति महिलाओं को बिल से क्यों दूर रखा
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सदन में कहा- UCC की कमेटी ने विपक्ष को कभी नहीं बुलाया और न ही कभी कोई सुझाव लिया। अच्छा होता की विपक्ष से बात करते। उन्होंने पूछा- जनजाति को इससे अलग क्यों रखा गया। सरकार कह रही है कि UCC में महिला को सशक्त बनाया जाएगा, फिर जनजाति की महिलाओं को अलग रखकर उन्हें इसके फायदे से दूर क्यों रखा जा रहा है।
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