मोदी सरकार अगस्त 2014 में रेलवे पर श्वेत पत्र लाई थी।8 फरवरी यानी आज केंद्र सरकार संसद में श्वेत पत्र पेश होगा इसका मकसद मनमोहन सिंह सरकार बनाम नरेंद्र मोदी सरकार के समय आर्थिक हालात की तुलना करना है। इसके जरिए ये दिखाने की कोशिश की जाएगी कि कैसे PM मोदी के नेतृत्व में देश को आर्थिक बदहाली से बाहर निकालने की कोशिश की गई है।
7 सवालों के जवाब में जानिए क्या है श्वेत पत्र, क्यों लाया जाता है। मोदी सरकार आज इसे ला सकती है, लेकिन इसकी कानूनी अहमियत क्या है?
सवाल 1: श्वेत पत्र क्या होता है? कोई सरकार किसी विषय पर इसे क्यों पेश करती है?
जवाब: श्वेत पत्र यानी वाइट पेपर एक रिपोर्ट, गाइड, रिसर्च बेस्ड पेपर या औपचारिक सरकारी दस्तावेज होता है। यह किसी विषय या समस्या के समाधान, नीति प्रस्तावों के बारे में एक्सपर्ट के एनालिसिस के आधार पर पेश किया जाता है। ये सफेद कवर में बंधा होता है। यही कारण है कि इसे श्वेत पत्र कहा जाता है।
आमतौर पर राजनीति में इसका उपयोग सरकारें ऐतिहासिक रूप से नई पॉलिसी या कानून को पेश करने के लिए करती हैं। इसका उपयोग गवर्नमेंट इनिशिएटिव, किसी स्कीम या पॉलिसी पर जनता की राय जानने के लिए किया
जाता है।
सवाल 2: श्वेतपत्र की कानूनी हैसियत क्या है? क्या यह कानूनी प्रक्रिया है या परंपरा?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं कि
श्वेत पत्र वह रिपोर्ट होती है जिसे सरकार जारी करती है। इसमें सभी तथ्य होते हैं, लेकिन इसकी और कोई कानूनी अहमियत नहीं है। श्वेत पत्र के तथ्यों और आरोपों के आधार पर कोई जांच हो या आयोग बने तो उनका कानूनी आधार होता है।
सवाल 3: श्वेतपत्रों की शुरुआत किस देश से हुई? भारत में इसकी शुरुआत कब हुई?
जवाब: दुनिया का पहला श्वेत पत्र ब्रिटेन में लाया गया था। इसके बाद गुलाम और आजाद भारत में भी श्वेत पत्र लाए गए। 90 के दशक से व्यापारिक कंपनियों ने भी अपने व्यापार और मार्केटिंग के लिए श्वेत पत्र लाना शुरू कर दिया है।
• दुनियाः ब्रिटिश PM विंस्टन चर्चिल ने जून 1922 में फिलिस्तीन मामलों पर दुनिया का पहला श्वेत पत्र जारी किया था। इसमें ब्रिटिश सरकार ने अपने अधीन लेकर फिलिस्तीन के भविष्य पर अपनी नीति स्पष्ट की थी।
• गुलाम भारतः 1935 में साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर 'संवैधानिक सुधारों का श्वेत पत्र' जारी हुआ । 8 नवंबर 1927 को सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में 'साइमन कमीशन' का गठन हुआ। इसका काम ब्रिटिश भारत में संवैधानिक सुधार पर रिपोर्ट देना था। देश में साइमन कमीशन का जबरदस्त विरोध हुआ। इसके बावजूद साइमन कमीशन ने काम किया और रिपोर्ट पेश की। इसे लागू करने के लिए मार्च 1933 में श्वेत पत्र जारी किया गया था। इसे संसद के दोनों सदनों की जॉइंट पॉर्लियामेंट्री कमेटी के सामने पेश किया गया। इसे 'संवैधानिक सुधारों का श्वेत पत्र' नाम दिया गया था। इसकी सिफारिशों पर 2 अगस्त 1935 को गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट-1935 पारित हुआ।
• आजाद भारतः भारत के आजाद होते ही अलग-अलग रियासतों और प्रांतों के भारत में विलय के लिए पहला श्वेत पत्र 5 जुलाई, 1948 को 'राज्य मंत्रालय' ने जारी किया था। इसके तहत डेढ़ साल के भीतर सभी रियासतों, राज्यों, प्रांतों को भारत में शामिल किया जाना था। इसमें कहा गया था कि भारत सरकार की एकीकरण नीति के अनुसार भोपाल, त्रिपुरा, मणिपुर, त्रावणकोर, कोचीन को शामिल कर लिया गया है। राजपूताना राज्य बीकानेर, जयपुर, जोधपुर और जैसलमेर को पुनर्गठित कर संयुक्त राज्य राजस्थान बनाया गया है। हैदराबाद से बातचीत चल रही है। बाद में 17 सितंबर 1948 हैदराबाद भी भारत में शामिल हो गया था।
• देश के पहले बजट में भी लाया गया था श्वेत पत्र। 28 फरवरी 1950 को गणतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया गया था। ये बजट नेहरू सरकार के पहले वित्त मंत्री जॉन मथाई ने पेश किया था। इसमें मथाई ने एक श्वेत पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें इकोनॉमिक डेवलपमेंट की जानकारी थी। मथाई ने श्वेत पत्र में कहा था कि इसमें सभी सांसदों को बजट की डीटेल मिलेगी, जो इस सेशन के बाद बजट समझने में मददगार होगी।
कॉर्पोरेट वर्ल्ड में श्वेत पत्र 1990 के दशक की शुरुआत से बड़ी-बड़ी कंपनियां भी करने लगी हैं। इनका उपयोग व्यापार बढ़ाने या मार्केटिंग के लिए किया जाता है। आमतौर पर वाणिज्यिक कंपनियों में वाइट पेपर कंपनी में किसी समस्या को हल करने की तकनीक के लिए या प्रोडक्ट को कैसे बेहतर बनाया जाए, इसके लिए लाया जाता है। कुल मिलाकर ये एक कम्युनिकेशन डॉक्यूमेंट है।
आजाद भारत का पहला श्वेत पत्र अलग-अलग रियासतों और शहरों के भारत में विलय को लेकर जुलाई 1948 में लाया गया था।
सवाल 4: क्या किसी और रंग के भी पत्र होते हैं? उनका मकसद क्या होता है?
जवाब: सफेद के अलावा ग्रीन और पिंक कलर के भी पेपर होते हैं।
• ग्रीन पेपरः राष्ट्रमंडल, यूरोप, आयरलैंड रिपब्लिक या USA में ये सफेद की जगह हरे कागज पर लाया जाता है। वहां ये एक सरकारी प्रारंभिक रिपोर्ट होती है। ये किसी भी कानून में बदलाव का पहला स्टेप होता है। ग्रीन पेपर लाने का मतलब ये नहीं है कि सरकार कानून में बदलाव करेगी ही। ये एक तरह से ऐसा प्रस्ताव होता है जिस पर सरकार एक्शन लेने का कमिटमेंट नहीं करती।
• पिंक पेपर: अमेरिका में कुछ राज्य और राज्य की एजेंसियां श्वेत या ग्रीन की जगह पिंक पेपर का उपयोग करती हैं। इनका उपयोग पब्लिकली नहीं बल्कि इंटरनल सर्कुलेशन के लिए किया जाता है।
सवाल 5: मोदी सरकार किस विषय पर श्वेतपत्र संसद में लाएगी? क्या इससे पहले भी मोदी सरकार श्वेतपत्र ला चुकी है?
जवाब: मोदी सरकार 2004 से 2014 के बीच UPA
शासन के कथित आर्थिक कुप्रबंधन पर श्वेतपत्र लाने जा रही है। इस बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी के बजट भाषण में भी बताया था। संसदीय वित्त समिति के अध्यक्ष और भाजपा नेता जयंत सिन्हा ने बताया कि यह श्वेत पत्र UPA सरकार के दौरान देश के खराब आर्थिक हालातों को बताएगा। यह बताएगा कि कैसे मोदी सरकार ने 10 साल में सुधारात्मक कदम उठाकर अर्थव्यवस्था को सुधारा है।
राजनीतिक रूप से मोदी सरकार ने अभी तक केवल दो श्वेत पत्र पेश किए हैं, जो अगस्त 2014 में जारी किए गए थे। ये रेलवे में राजस्व बढ़ाने, माल ढुलाई और किराए आदि को लेकर लाए गए गए थे।
इसके अलावा पिछला सामान्य श्वेत पत्र सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय अक्टूबर 2020 पर लाया गया था। यह टेक्निकल कल्चर मैनेजमेंट और टेक्निकल सेंटर सिस्टम प्रोग्राम पर जारी किया गया था।
हाल ही में दिसंबर 2023 में तेलंगाना सरकार ने पिछली भारत राष्ट्र समिति (BRS) सरकार के वित्त पर एक श्वेत पत्र जारी किया और दावा किया कि राज्य का कर्ज 72,600 करोड़ रुपए से बढ़कर 6 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। सरकार के पास रोज के खर्च के पैसे भी नहीं है।
सवाल 6: सरकारें कितनी बार श्वेत पत्र पेश कर सकती हैं?
जबाब: लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों में श्वेत पत्र जारी करने या पेश करने को लेकर कोई नियम नहीं है। कितनी बार श्वेत पत्र जारी किया जा सकता है, इसे लेकर कोई नियम कानून नहीं है। सरकार अपने कार्यकाल में कभी भी श्वेत पत्र ला सकती है।
सवाल 7: क्या विपक्ष श्वेत पत्र की मांग कर सकता है?
जवाब: हां, विपक्ष सरकार से श्वेत पत्र की मांग कर सकता है। इसमें वो मुद्दे आते हैं जिन पर स्पष्टता की आवश्यकता है। हाल ही में मंगलवार को राज्यसभा में विपक्ष के सांसदों ने सरकार से मांग की थी कि वो काले धन की वसूली पर श्वेत पत्र लाए।
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