Farmers Protest 2024: किसान संगठनों और सरकार की बातचीत रही बेनतीजा, किसानों का ‘दिल्ली चलो’ मार्च 2020 के आंदोलन से कितना अलग है? 5 प्वाइंट्स में समझें

Farmers Protest 2024: किसान संगठनों और सरकार की बातचीत रही बेनतीजा, किसानों का ‘दिल्ली चलो’ मार्च 2020 के आंदोलन से कितना अलग है? 5 प्वाइंट्स में समझें

किसानों का ‘दिल्ली चलो’ मार्च 

किसान नेताओं और सरकार के बीच हुई बातचीत के ज़रिए समाधान निकालने की कोशिशें सफल नहीं हुई हैं.

सरकार के मंत्रियों से बातचीत के बाद किसान नेताओं ने 13 फ़रवरी यानी आज दिल्ली कूच करने की बात फिर बोली है.

किसान संगठनों को राजी करने के लिए सोमवार देर रात पंजाब के चंडीगढ़ में सरकार के कई मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच बैठके भी हुई.

ये बैठक देर तक चली मगर कृषको को राजी करने में सरकार असफल रही.

ऐसे में किसानों के दिल्ली में कूच करने को देखते हुए दिल्ली से सटी सीमा पर बैरिकेटिंग लगाई गई है.

केंद्र सरकार के कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने क्या बोला?

केन्द्रीय सरकार की ओर से बातचीत में शामिल खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल, कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय थे.

Farmers Protest 2024: किसान संगठनों और सरकार की बातचीत रही बेनतीजा, किसानों का ‘दिल्ली चलो’ मार्च 2020 के आंदोलन से कितना अलग है? 5 प्वाइंट्स में समझें

केंद्र सरकार के कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा

बैठक के बाद अर्जुन मुंडा ने जानकारी दी कि, ''किसान संगठनों के साथ बातचीत बहुत गंभीरतापूर्वक हुई. सरकार हमेशा चाहती है कि बातचीत के माध्यम से हर समस्या का समाधान निकालना चाहिए. इसी उद्देश्य के साथ हम यहाँ आएं. भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर हम आए.''

मुंडा ने कहा, ''ऐसे सभी विषयों पर चर्चा हुई, जहाँ हम सहमति तक पहुँचे. लेकिन कुछ ऐसे विषय रहे, जिनको लेकर हमने कहा था कि इसके बहुत सारे ऐसे जुड़े हुए मामले हैं, जिस पर हमें अस्थायी समाधान निकालने के लिए कमिटी बनाने की ज़रूरत है और उसमें हम उसमें अपनी बातें रखें, स्थायी समाधान निकालें.''

मुंडा बोले, ''हम ऐसा मानते हैं कि किसी भी समस्या का समाधान बातचीत के ज़रिए निकाला जा सकता है. हम आशान्वित हैं कि हम इसका समाधान मिलकर निकालने में सफल रहेंगे. ऐसी कोशिश करेंगे कि देश के किसान और जनमानस के हितों की रक्षा हो. हम अभी भी आशान्वित हैं कि किसान संगठन बातचीत करें. कुछ ऐसे पक्ष हैं, जिन पर आगामी दिनों में समाधान निकालने की कोशिश करेंगे. हम अभी भी बातचीत करना चाहते हैं.''

किसान नेताओं ने क्या बताया?

संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक जगजीत सिंह धालीवाल ने कहा, ''बैठक बहुत लंबी चली है. बहुत चर्चा हुई. एक-एक मांग पर चर्चा हुई. मैं स्पष्ट कर दूं कि ये मांगें नहीं थीं. ये अलग-अलग समय पर सरकार के हमसे किए वादे थे. उनके ऊपर सरकार सहमति बनाने की बजाय ऐसा करती है कि इसके ऊपर कमिटी बनाएंगे. पहले भी एमएसपी की गारंटी देने की बात कही गई थी. इसके अलावा स्वामीनाथन कमिटी की रिपोर्ट जो काफ़ी चर्चा के बाद बनी हुई है. उसको लागू करना है.''

धालीवाल ने दावा किया, ''क़र्ज़ मुक्ति की जब बात आती है तो सरकार उस पर गंभीर नहीं है. लेकिन कॉर्पोरेट का साढ़े 14 लाख करोड़ सरकार ने माफ़ किया है.''

दिल्ली कूच करने के सवाल पर धालीवाल कहते हैं, ''सारे बैठकर चर्चा करेंगे. मेरी राय है कि कल हम 10 बजे आगे बढ़ेंगे.''

किसान मज़दूर मोर्चा के समन्वयक एसएस पंढेर ने कहा, ''हां हम 10 बजे दिल्ली की ओर जाएंगे. सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है. वो सिर्फ़ समय निकालना चाहती है. हम लोगों ने पूरी कोशिश की है कि हमारे पक्ष में कोई फ़ैसला आए. पर बैठक में हमें ऐसा कुछ लगा नहीं.''

पंढेर बोले-जब सरकार बुलाएगी तो हम जाएंगे. अब बैठक में कुछ दें या ना दें, ये उनकी मर्ज़ी है. हमने सरकार का भाव देख लिया है. हमें नहीं लगता कि सरकार हमारी मांगों को लेकर गंभीर है.

उन्होंने कहा, ''हम किसी किस्म का टकराव नहीं चाहते. हम चाहते थे कि सरकार किसी मुद्दे पर हमें कुछ दे दे तो हम आंदोलन के बारे में सोचें. सरकार के मन में खोट है, वो हमारा आंदोलन बस टाइम पास करवाना चाहती है. देना कुछ नहीं चाहती. सरकार ने जो प्रस्ताव दिए, हम उन पर चर्चा करेंगे. पर हमें मजबूरन 10 बजे आंदोलन आगे बढ़ाना होगा.''

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में 32 किसान संगठनों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया था, अब 50 किसान संगठन एकजुट हैं.

किसान मज़दूर संघर्ष कमिटी के नेता सुखविंदर सिंह साभरा ने आंदोलन में शामिल संगठनों के बारे में जानकारी दी.

साभरा ने बताया, ''पूरे उत्तर भारत, दक्षिण भारत, पश्चिम और पूर्वी भारत से 200 से ज़्यादा संगठन दिल्ली की तरफ कूच करेंगे. ये आंदोलन जो अधूरा छोड़कर आए थे, उसको पूरा कराने के लिए दिल्ली की तरफ बढ़ेंगे.''

Farmers Protest 2024: किसान संगठनों और सरकार की बातचीत रही बेनतीजा, किसानों का ‘दिल्ली चलो’ मार्च 2020 के आंदोलन से कितना अलग है? 5 प्वाइंट्स में समझें

किसानों की मांग क्या है?

▶️ एमएसपी खरीद की गारंटी दें, नोटिफिकेशन जारी करें

▶️ स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट लागू करें

▶️ किसानों की लागत खर्चे पर 50 फ़ीसदी मुनाफ़ा दिया जाए

▶️ किसानों के क़र्ज़ माफ़ किए जाएं

▶️ किसान आंदोलन के दौरान जो केस दर्ज किए गए थे, वो वापस लिए जाएं

▶️ मनरेगा में 200 दिन काम देने और दिहाड़ी 700 रुपये करें

Farmers Protest 2024: किसान संगठनों और सरकार की बातचीत रही बेनतीजा, किसानों का ‘दिल्ली चलो’ मार्च 2020 के आंदोलन से कितना अलग है? 5 प्वाइंट्स में समझें

सुरक्षा के इंतज़ाम

किसानों के राजधानी आने के एलान को देखते हुए पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की सीमा पर बड़ी संख्या में बैरिकेटिंग लगाई गई है.

दिल्ली की ओर आती मुख्य सड़कों पर भी कंटेनर, बसों और क्रेन रखी गई हैं.

कुछ जगहों पर सीमेंट की बैरिकेटिंग लगाई गई हैं. 2020 में हुए किसान आंदोलन में भी ऐसी बैरिकेटिंग देखने को मिली थी.

दिल्ली पुलिस ने एक महीने के लिए धारा 144 लगा दी है.

पुलिस ने कहा है प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर ट्रॉली का इस्तेमाल कर सकते हैं जिससे अन्य वाहन चालकों को असुविधा हो सकती है. इसके देखते हुए नई दिल्ली में ट्रैक्टरों के चलने पर बैन लगा दिया गया है.

➡️ इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने कुछ बातों पर रोक लगाई है.

➡️सड़क जाम करने, रास्ता रोकने और रैली करने पर रोक

➡️ट्रैक्टर ट्रॉली के घुसने पर रोक

➡️लाठी डंडों और हथियार से भरे वाहनों पर रोक

➡️ईंट, पत्थर, एसिड, पेट्रोल जमा करने पर प्रतिबंध

➡️दिल्ली की सभी सीमाओं पर सुरक्षा जांच अनिवार्य भड़काऊ नारे और पोस्टर लगाने पर रोक

➡️बगैर अनुमति के लाउडस्पीकर का इस्तेमाल प्रतिबंधित

➡️ड्यूटी पर जा रहे सरकार कर्मचारियों को प्रतिबंधों से छूट

किसानों का ‘दिल्ली चलो’ मार्च 2020 के आंदोलन से कितना अलग है? 5 प्वाइंट्स में समझें

Farmers Protest 2024 Delhi Chalo March: उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान दिल्ली की ओर बढ़ने लगे हैं। किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच आखिरी दौर की बैठक बेनतीजा रही। हालांकि, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि किसानों द्वारा उठाए गए अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन गई है। सरकार ने बाकी मुद्दों के समाधान के लिए एक समिति बनाने का प्रस्ताव रखा है। वहीं, किसान नेताओं ने कहा कि एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी की कोई स्पष्टता नहीं है।

‘दिल्ली चलो’ मार्च में 200 से अधिक किसान संघ होंगे शामिल

किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च में 200 से अधिक किसान संघ शामिल होंगे। किसानों के 2020 के आंदोलन को देखते हुए इस बार उन्हें दिल्ली तक नहीं आने देने के कई उपाय किए गए हैं। किसान आज 10 बजे ‘दिल्ली चलो‘ मार्च शुरू करेंगे। हरियाणा की सरकार ने अपनी सीमा पर बड़ी बाड़ लगा दी है, ताकि प्रदर्शनकारी किसान पंजाब से हरियाणा में प्रवेश न कर सकें। आइए, जानते हैं कि किसानों का विरोध प्रदर्शन 2020 के आंदोलन से कितना अलग है…

1- किसान विरोध प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?

किसानों ने 2020 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, जिन्हें 2021 में निरस्त कर दिया। अब किसानों ने सभी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले को लागू करने, किसानों के लिए पूर्ण कर्ज माफी, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन, 2020-21 के विरोध के दौरान किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने की मांग करते हुए 2023 में ‘दिल्ली चलो’ की घोषणा की थी।

2- विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कौन कर रहा है?

किसानों के आज होने वाले विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व विभिन्न किसान संघों द्वारा किया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने दिल्ली चलो 2.0 का ऐलान किया है।

3- राकेश टिकैत शामिल होंगे कि नहीं?

किसानों के 2020 में किए गए आंदोलन के दौरान प्रमुख चेहरा रहे राकेश टिकैत दिल्ली चलो मार्च में शामिल नहीं होंगे। उनके साथ गुरनाम सिंह चारुनी भी मार्च का हिस्सा नहीं होंगे। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर के महासचिव सरवन सिंह पंधेर मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं।

4- किसानों को रोकने के लिए सरकार क्या कर रही है?

किसानों को रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। सीमा पर कंटीले तार, सीमेंट बैरिकेड और सड़कों पर कीलें लगाने के साथ ही दिल्ली की सभी सड़कों को बंद कर दिया गया है, जिनसे किसान आने वाले थे। दिल्ली में धारा 144 भी लागू कर दी गई है। हरियाणा सरकार ने पंजाब से लगने वाली अपनी सभी सीमाओं को सील कर दिया है।

5- केंद्र सरकार ने दिल्ली चलो मार्च पर क्या कहा?

पिछली बार हुए किसान आंदोलन से सबक लेते हुए केंद्र सरकार ने इस बार किसानों के दिल्ली चलो मार्च से पहले ही बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच पहली बैठक 8 फरवरी और दूसरी बैठक 12 फरवरी को हुई थी। बैठक में केंद्र ने किसानों के खिलाफ 2020 में दर्ज किए गए मामलों को वापस लेने की मांग स्वीकार कर ली, लेकिन एमएसपी की कोई गारंटी नहीं दी।

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